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टका हो जिस के हाथ में वो बड़ा है ज़ात में

मालदारी आदमी को बड़ी जाति का बना देती है, पैसे वाले का ही सम्मान सब जगह होता है

जिस के दिल में रहम नहीं वो क़साई है

निर्दयी आदमी क़साई के बराबर होता है

जिस के मुँह में चावल होते हैं वो ख़ूब चबा-चबा कर बातें करता है

जिसके पास धन होता है वह बहुत घमंड से बातें करता है

जिस के मुँह में चावल होते हैं वो चबा चबा कर बातें करता है

जिस के पास दौलत होती है वही इतराता है

जिस के मुँह में चावल होते हैं वो चबा चबा कर ख़ूब बातें करता है

वो कौन सी किश्मिश है जिस में तिनका नहीं

हर चीज़ में कोई ना कोई नुक़्स होता है, कोई चीज़ ऐब से ख़ाली नहीं

जिस के पेशे में बान वो बड़ा शैतान

जिस पेशावर के नाम के साथ बाण का लफ़्ज़ हो (जैसे : फ़ीलबान, गाड़ी बाण वग़ैरा) वो अक्सर बड़ा शरीर होता है

जिस में चमक नहीं वो हीरा नहीं , जिस में दमक नहीं वो 'औरत नहीं

बगै़र अच्छी खासियतों के कोई चीज़ अपने नाम से पुकारे जाने के काबिल नहीं

जिस के पेशा में बाण वो बड़ा शैतान

जिस के माँ बाप जीते हैं वो हरामी नहीं कहलाता

जिस के लिए दलील और सबूत मौजूद है उसे कोई बेएतिबार नहीं कह सकता

ख़ुदा के हाथ में है

रुक : ख़ुदा के हाथ

वो कमली ही नहीं जिस में तिल बँधते थे

रुक : वो कम्बल ही गए अलख , अब वो चीज़ नहीं रही, वो ज़माना ना रहा

जिस की आँख में तिल वो बड़ा बे-सिल

ये अलामत मुरव्वती की है

कौन सी किशमिश है जिस में डंडी नहीं

कोई ऐब से ख़ाली नहीं, कोई ना कोई इल्लत हर एक के साथ लगी होती है, हर शख़्स में कोई ना कोई ख़ामी ज़रूर होती है

कौन ऐसी किशमिश है जिस में डंडी नहीं

हर चीज़ में कोई ना कोई कमी या ख़राबी ज़रूर होती है

कौनसा घर है जिस में मौत नहीं आती

मौत हर जगह आती है, हर जगह रहने वाले मरते हैं

जिस के होवें अस्सी वो करे खस्सी

जिस के पास माल-ओ-दौलत जमा हो जाये उसे ज़कात देनी पड़ती है

बंदर के हाथ में उस्तुरा

हाथ मुँह में सुलूक है

आपस में मिल कर खाते हैं, मिल कर खाते कमाते हैं; आपस में अच्छा बरताव रखते हैं

हाथ पाँव में सनीचर है

पांव में चक्कर है , नहूसत है

कौन ऐसी किशमिश है जिस में लकड़ी नहीं

हर चीज़ में कोई ना कोई कमी या ख़राबी ज़रूर होती है

वो भला मानस कैसा जिस के पास नहीं पैसा

रुपय से इंसान शरीफ़ और भला बिन जाता है

जिस के पास नहीं पैसा, वो भला माँस कैसा

रुपया से सारी प्रतिष्ठा है

कौन सा घर है जिस में मौत नहीं आई

मुसीबत और तकलीफ़ से कोई जगह ख़ाली नहीं

जिस के कारण जोग भई वो सय्याँ प्रदेस

जिस से मुहब्बत है उसे पर्वा नहीं

हाँडी में जो हो सो वही चमची में आवे है

जो दिल में होता है वही ज़बान पर आता है, दिल की बात मुँह से निकल ही जाती है , बात ज़ाहिर हो कर रहती है

बंदर के हाथ में नारियल

क्या काँटों में हाथ पड़ता है

क्या ऐब लगता है, क्या नुक़्सान होता है

सोने में हाथ डालूँ तो मिट्टी हो

कमाल नहूसत, बहुत बड़ी बद बुख़ती, क़िस्मत की बुराई, अदबार

जिस के वास्ते रोए उस की आँखों में आँसू भी नहीं

जिस के साथ किसी तकलीफ़ में हमदर्दी की उसे पर्वा भी नहीं

ग़ुस्से में इंसान बावला हो जाता है

साँप के बिल में हाथ डालना

ख़तरा को दावत देना

जिस चश्मे के पानी से प्यास बुझाना उसी में ज़हर मिलाना

जिस से फ़ायदा हासिल करे, उसी को नुक़्सान पहुंचाए तो कहते हैं

हाँडी में जो हो सो वही डोई में आवे है

जो दिल में होता है वही ज़बान पर आता है, दिल की बात मुँह से निकल ही जाती है , बात ज़ाहिर हो कर रहती है

ज़िंदगी मौत के हाथ में होना

किसी का किसी पर पूरा पूरा अधिकार होना

टका गाँठ में होना

रुपया पास होना, धन होना, धनवान होना, समृद्ध होना

जिस की गोद में बैठें उसी के दीदे फोड़ें

रुक : जिस की गोद बैठना उस की दाढ़ी खसूटना

तुरत-फुरत हो वो भी कार मदद करे जिस की सरकार

जिस काम में ईश्वर की सहायता हो वह जल्द हो जाता है

काले के मुँह में उँगली हाथ देना

ऐसा काम करना जिस में जान का ख़तरा हो, जानबूझ कर ख़तरा मूल लेना

शाहिद-ए-अजल के गले में हाथ डालना

मर जाना

मीर ख़ाँ के ऊँटों में रोक है

इस ख़ानदान के सब अफ़राद ख़राब हैं

मिल्की चौथी पुश्त में कंगाल हो जाती है

अमीरी हमेशा नहीं रहती, उमूमन चौथी पुश्त मुफ़लिस हो जाती है , बहसाब अबजद आदाद मुल्की के हुरूफ़ से ज़ाहिर है कि हर साल दस दस अदद कम होते जाते हैं (म = ४० = ल ३०, क = २०, य = १०

मिल्की चौथी पुश्त में कंगाल हो जाता है

अमीरी हमेशा नहीं रहती, उमूमन चौथी पुश्त मुफ़लिस हो जाती है , बहसाब अबजद आदाद मुल्की के हुरूफ़ से ज़ाहिर है कि हर साल दस दस अदद कम होते जाते हैं (म = ४० = ल ३०, क = २०, य = १०

शेर के मुँह में हाथ देना

अपनी जान ख़तरे में डालना

हाथ पैर में सनीचर है

मनहूस है, बहुत नहस है

वो बाल खींचूँ कि जिस की जड़ दूर हो

सारे छपे छुपाए ऐब ज़ाहिर कर दूं, तमाम आलम में रुसवाई का मूजिब और ज़िल्लत-ओ-ख़ारी का बाइस बनूं

भाड़ में पड़े वो सोना जिस से टूटें कान

रुक : भट्ट पड़े वो सोना जिस से टूटें कान

मिट्टी में हाथ डाले तो सोना हो जाए

निहायत ख़ुशनसीब है, जो काम करता है इस से बेइंतिहा नफ़ा होता या बहुत पैसा कमाता है, ख़ुशनसीब को हर काम में फ़ायदा होता है

टका गाँठ में न होना

हाथी के मुँह में से गन्ना निकालना नहीं हो सकता

ज़बरदस्त का मुक़ाबला कब हो सके, ज़बरदस्त से मुक़ाबला करना या उस को कोई चीज़ दे कर फिर वापिस लेना बहुत मुश्किल है

आँख में शर्म हो तो जहाज़ से भारी है

लज्जा से प्रतिष्ठा होती है

जिस दरख़्त के साए में बैठे उसी की जड़ काटे

रुक : जिस डाली पर बैठें उसी की जड़ काटें

ख़सम देवर दोनों एक सास के पूत, ये हो या वो हो

किसी स्त्री के प्रति व्यंग्य में कहना जिसका देवर से प्रेम हो गया हो

क्या तमाशे की बात है जिस का जाए वो चोर कहलाए

जिस का नुक़्सान हो इस के सर इल्ज़ाम हो, पुलिस वाले जब चोरी का सुराग़ ना मिले तो ये साबित करने की कोशिश करते हैं कि मुद्दई ने माल इधर उधर कर दिया

जिस पगड़ी में हो न चिल्ला पगड़ी नहीं वो फेंटी है

चिल्लद से अलबत्ता पगड़ी की ज़ेबाइश हो जाती है , हर चीज़ अपने औसाफ़ में पूरी होनी चाहिए

ज़हर के हाथ में लेने से बे खाए नहीं मरता

जुर्म किए बगै़र सज़ा नहीं होती

काले के मुँह में हाथ देना

ऐसा काम करना जिस में जान का ख़तरा हो, जानबूझ कर ख़तरा मूल लेना

किस के कान में फ़रिश्ते ने नहीं फूँका है

सोने में हाथ डालो तो मिट्टी हो

कमाल नहूसत, बहुत बड़ी बद बुख़ती, क़िस्मत की बुराई, अदबार

ख़ुदा के घर में कमी नहीं है

अल्लाह हर चीज़ पर क़ादिर है

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में टका हो जिस के हाथ में वो बड़ा है ज़ात में के अर्थदेखिए

टका हो जिस के हाथ में वो बड़ा है ज़ात में

Takaa ho jis ke haath me.n vo ba.Daa hai zaat me.nٹکا ہو جس کے ہاتھ میں وہ بڑا ہے ذات میں

कहावत

टका हो जिस के हाथ में वो बड़ा है ज़ात में के हिंदी अर्थ

  • मालदारी आदमी को बड़ी जाति का बना देती है, पैसे वाले का ही सम्मान सब जगह होता है
  • जिसके पास धन है वही जाति में भी श्रेष्ठ है अर्थात नीचे दर्जे का मनुष्य भी रूपये-पैसे के ज़ोर से ऊँचा बन जाता है या समझा जाता है
  • धन की बदौलत जब किसी को अधिक सम्मान दिया जाए तब कहते हैं
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ٹکا ہو جس کے ہاتھ میں وہ بڑا ہے ذات میں کے اردو معانی

  • دولت مندی انسان کو بڑی ذات کا بنا دیتی ہے، پیسے والے کی ہی عزت ہر جگہ ہوتی ہے
  • جس کے پاس دولت ہے وہی ذات میں بھی اونچا ہے یعنی نیچے درجے کا آدمی بھی روپے پیسے کے زور سے اونچا بن جاتا ہے یا سمجھا جاتا ہے
  • دولت کی وجہ سے جب کسی کو زیادہ عزت دی جائے تب کہتے ہیں

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