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काया

कायस्थ (जाति)

कया

काढ़नेवाला।

क्या

अभिप्रेत अथवा उदृिष्ट परंतु अव्यक्त तत्त्व, बात या वस्तु की ओर संकेत करने के लिए। जैसे-मैं अच्छी तरह समझता हूँ कि तुम्हारे मन में क्या है ?

काई

एक जल्दी बीमारी जिस में जल्द पर खुजली बहुत होती है जो ख़ास किस्म के क्रम से पैदा होती है

कोई

एक भी (वस्तु)

कोए

काया बदलना

रुक : काया पलटना

काया-पलट

३. योग-शास्त्र की एक क्रिया जिसमें प्राणायाम आदि के द्वारा शरीर का काया-कल्प किया जाता है

काया-कष्ट

काया पलटना

आकृति या भेष आदि को कुछ से कुछ कर देना, हृदय का पलटना, चोला बदलनास्थानांतरण

काया बड़ी का माया

जान से बेहतर माल नहीं है अर्थात स्वस्थ से अच्छा धन नहीं है, कंजूस के लिए भी बोलते हैं जो शरीर से अधिक धन को मूल्यवान जाने

काया पलट देना

रुक : काया पलटना

काया-कलप

कोई ऐसी क्रिया या व्यवस्था जिससे काया की पूरी तरह से शुद्धि हो जाए और वह अपना काम ठीक तरह से करने लगे, वैद्यक में इस तरह से प्रयोग की गई विधि या औषधि जिससे वृद्ध शरीर में भी नई शक्ति या नया यौवन आ जाता है, शरीर का पूर्णरूप से निरोगी हो जाना

काया किश्त है जान जोखों नहीं

बदन की तकलीफ़ है जान का ख़तरा नहीं

काया ले काम, नेकी ले नाम

नेकी से नेकनामी और नामवरी, जिस्मानी ख़ाहिश से नुक़्सान होता है

काया पापी अच्छा , मन पापी कुछ नहीं

कौड़ी होना अच्छा है बेईमान होने से

काया पलट जाना

परिवर्तन आ जाना, रूप बदल जाना, कुछ का कुछ हो जाना, किसी चीज़ का बदल जाना, दशा बदल जाना

काया पलट बूटी

एक विचार अथवा काल्पनिक बूटी जिसके बारे में कहा जाता है कि उसके खाने से या जिस्म पर बाँध लेने से शरीर की संरचना में परिवर्तन हो जाता है

काया माया का क्या भरोसा है

ज़िंदगी और दौलत का कोई एतबार नहीं

कई

अनिश्चित किंतु अल्प मात्रा या छोटी संख्या का सूचक, अनेक, कुछ, चंद, दो-चार, कितने ही, बहुत से, एक से अधिक

क्या क्या

क्या किया

कुय्या

क्या हो

क्या सत्य है, क्या चीज़ हो, क्या सामर्थ्य है

क्या ही

(बहुतायत एवं प्रचुरया के लिए प्रयुक्त) बहुत ही, अत्यधिक, बहुत ज़्यादा, बेहिसाब, क्या ही काम बना है

क्या है

क्या वस्तु है, वासतविक्ता क्या है

कायू

(कृषि) खेत की ज़मीन समतल करने को हल में लगाईं हुई लकड़ी की सिल्ली (मोटा और भारी तख़्ता या स्लेब) लकड़ी का भारी घीसा जैसा घोड़े को सधाने के लिए प्रयोग किया जाता है

कुई

= कुमुदिनी

कोयो

कोया

शरीफ़े या बढ़ल और कठल का दाना,बीज जो गूदे के अंदर होता है,गूदा

काए

कूई

कूए

क्या था

क्या ज़रूरी था, ग़ैर ज़रूरी था

क्या कहूँ

मजबूर हूँ, विवश हूँ, कुछ नहीं कह सकता

क्या कहीं

क्या रहा

कुछ हालत बाक़ी नहीं रही, आस टूट गई, कुछ कसर बाक़ी नहीं रही

क्या कहेंगे

क्या सोचेंगे, क्या शक करेंगे, बुरा कहेंगे, क्या ख़्याल करेंगे, क्या शुबह करेंगे

क्या रहेगी

क्या इज़्ज़त रहेगी, बेइज़्ज़ती हो जाएगी, बदनामी होगी

क्या करूँ

अचंभित हूँ, कुछ समझ में नहीं आता, मजबूर हूँ, विवश हूँ

क्या करें

कैसे करें, नहीं कर सकते, मजबूरी है

क्या हुआ

यूं हुआ की जगह (उमूमन किसी वाक़िया को धराते वक़्त मुस्तामल)

क्या लोगे

क्या फ़ाइदा हासिल करोगे, कुछ हाथ नहीं आएगा

क्या लिया

क्या नुक़्सान क्या, क्या बिगाड़ा था

क्या कुछ

बहुत कुछ, क्या क्या, कितना

क्या कहा

(जब कोई अनुचित रूप से कुछ कहता है, तो उसे व्यंग्य में कहते है) फिर से कहना, सही नहीं कहा

क्या कहना

सुब्हान अल्लाह, प्रशंसा के लिए, प्रशंसा नहीं होसकती, व्यंग के लिए (कटाक्ष एवं प्रशंसा दोनों के लिए प्रयुक्त)

क्या कहने

रुक : क्या कहना, क्या बात है (बेशतर तंज़न मुस्तामल)

क्या करे

क्या उपचार करे

क्या कहेगा

लॉन तान करेगा, हंसी उड़ाएगा, शर्मिंदा करेगा

क्या करेगा

रुक : क्या कर लेगा, कुछ नहीं कर सकता

किया करना

कया करना

कोई अपराध नहीं, कोई गलती नहीं, कुछ नहीं किया

क्या जाए

क्या नुक़्सान हो, कोई नुक़्सान नहीं

क्या जाएगा

क्या कहिए

(मजबूरी और बेबसी के लिए) कुछ नहीं कह सकते, जाने दीजीए

क्या जाता

क्या बिगड़ता, क्या हानि होती

क्या जाने

मालूम नहीं, ख़बर नहीं, में नहीं जानता, ख़ुदा जानने (लाइलमी ज़ाहिर करने के लिए मुस्तामल)

क्या गया

क्या नुक़्सान हुआ, क्या हानि हुई, कुछ हानि नहीं हुई, क्या बिगड़ गया

कोई है

नौकर को बुलाने की आवाज़, क्या कोई शख़्स मौजूद है

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में शिकस्त-ए-नारवा के अर्थदेखिए

शिकस्त-ए-नारवा

shikast-e-naaravaaشِکَسْتِ نارَوا

स्रोत: फ़ारसी

वज़्न : 122212

शिकस्त-ए-नारवा के हिंदी अर्थ

संज्ञा, स्त्रीलिंग

  • रिवाज के विरुद्ध काम, शायरी का एक ऐब जिसकी व्याख्या इन शब्दों में बयान की गई है, कि फ़ारसी और उर्दू की शायरी में जो बहरें प्रचलित हैं उनमें से कुछ की विशेषता यह है कि पढ़ने में मिस्रा के दो टुकड़े हो जाया करते हैं, ऐसे तमाम शेर में अगर मिसरों के टुकड़े अलग-अलग न हों बल्कि ऐसा हो कि किसी शब्द या जुम्ले का एक भाग एक टुकड़े में और दूसरा भाग दूसरे टुकड़े में अनिवार्य रूप से आता हो तो ये बात यक़ीनन ऐबदार समझी जाएगी और शाएर की कमज़ोरी पर दलालत करेगी

शे'र

English meaning of shikast-e-naaravaa

Noun, Feminine

  • work against custom,

شِکَسْتِ نارَوا کے اردو معانی

اسم، مؤنث

  • خلاف مروج کام، خلاف رسم کام، شاعری کا ایک عیب جس کی توضیح ان الفاظ میں بیان کی گئی ہے، کہ فارسی اور اردو کی شاعری میں جو بحریں مروج ہیں ان میں سے بعض کی خصوصیت یہ ہے کہ پڑھنے میں مصرع کے دو ٹکڑے ہو جایا کرتے ہیں، ایسے تمام اشعار میں اگر مصرعوں کے ٹکڑے علیحدہ علیحدہ نہ ہوں بلکہ ایسا ہو کہ کسی لفظ یا فقرے کا ایک حصہ ایک ٹکڑے میں اور دوسرا حصہ دوسرے ٹکڑے میں لازمی طور پر آتا ہو تو یہ بات یقیناً معیوب سمجھی جائے گی اور شاعر کی کمزوری پر دلالت کرے گی شکست ناروا اسی عیب کا نام ہے

संदर्भग्रंथ सूची: रेख़्ता डिक्शनरी में उपयोग किये गये स्रोतों की सूची देखें .

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