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सहर किस का मुँह देखा

कुछ लोगों का विचार है कि अगर सुबह को उठ कर किसी भाग्यशाली का मुंह देखिए तो तमाम काम संवर जाते हैं और कंजूस या अभागे का मुंह देखिए तो तमाम काम बिगड़ जाते हैं

आज किस का मुँह देखा है

جب سارا دن پریشانی میں گزرے تو یہ کہا جاتا ہے

किस किस का मुंँह नहीं देखा

कई आदमियों से मदद माँगी, हर एक से सहायता चाही है

सुब्ह किस का मुँह देखा था

what an inauspicious day!

सुब्ह किस का मुँह देखा था

जब कोई काम बिगड़ जाये या खिलाफ-ए-मर्ज़ी हो या कोई नागहानी सदमा पहुंचे तो ये फ़िक़रा कहते हैं, मतलब ये होता है कि सुबह जागने के बाद सब से पहले किस मनहूस के चेहरे पर नज़र पड़ी थी जिस की नहूसत का ये असर हुआ है

आज सुब्ह किस का मुँह देखा था

प्रातः काल को किस अशुभ का नाम मुँह से निकला था कि दिन भर भुखा रहना पड़ा

आज सुब्ह किस कंजूस का मुँह देखा था

प्रातःकाल को प्रथम बार किस अभागे का नाम मुँह से निकला था कि दिन भर भूखा रहना पड़ा

का टापू में मोर नाचा किस ने देखा

विदेश में कुछ भी करो जब अपने देश में कुछ करो तो हम समझें कि हाँ कुछ किया, परदेस में किसी बड़े काम के करने का आनंद परिवार या देश के लोग वाले नहीं उठा सकते, जब कोई व्यक्ति अपना धन किसी ऐसी जगह ख़र्च करे जहाँ जहाँ देश के नागरिक या रिश्तेदार उसे न देख सकें तो क

मुँह किस का है

۔کسی کا حوصلہ نہیں۔ کسی کی مجال نہیں۔ ؎

किस का मुँह है

۔۔ किसे ताक़त है।

शेरों का मुँह किस ने धोया

कोई सोते से उठ कर बिना मुँह धोए खाने बैठ जाए तो उपहास में कहते हैं

आज किस का मुँह देख कर उठा हूँ

بھوکا رہنے یا پریشان رہنے پر کہا جاتا ہے

आज किस का मुँह देख के उठा हूँ

प्रातःकाल को प्रथम बार किस अभागे का नाम मुँह से निकला था कि दिन भर भूखा रहना पड़ा

किस शख़्स का मुँह देख के उठा हूँ

जब किसी दिन तकलीफों पर तकलीफें पेश आएं तो कहते हैं यानी सुबह पहले पहल किस मनहूस का मुँह देखा था

किस शख़्स का मुँह देख कर उठा हूँ

जब किसी दिन तकलीफों पर तकलीफें पेश आएं तो कहते हैं यानी सुबह पहले पहल किस मनहूस का मुँह देखा था

जिस का मुँह नहीं देखा उस के तलवे देखे

जिस से हमेशा घृणा थी उसी से मन्नत करनी पड़ी

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में सहर किस का मुँह देखा के अर्थदेखिए

सहर किस का मुँह देखा

sahar kis kaa mu.nh dekhaaسَحَر کِس کا مُنھ دیکھا

वाक्य

सहर किस का मुँह देखा के हिंदी अर्थ

  • कुछ लोगों का विचार है कि अगर सुबह को उठ कर किसी भाग्यशाली का मुंह देखिए तो तमाम काम संवर जाते हैं और कंजूस या अभागे का मुंह देखिए तो तमाम काम बिगड़ जाते हैं

English meaning of sahar kis kaa mu.nh dekhaa

  • some thinks that if we wake up in the morning and see the face of a lucky person, all the work gets done correct-fully and if you see the miser or the unfortunate, then all the work gets spoiled

سَحَر کِس کا مُنھ دیکھا کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu
  • بعض لوگوں کا خیال ہے کہ اگر صبح کو اُٹھ کر کسی خوش نصیب کا مُن٘ھ دیکھیے تو تمام کام سن٘ور جاتے ہیں اور بخیل یا بدبخت کا مُن٘ھ دیکھیے تو تمام کام بگڑ جاتے ہیں

Urdu meaning of sahar kis kaa mu.nh dekhaa

  • Roman
  • Urdu

  • baaaz logo.n ka Khyaal hai ki agar subah ko uTh kar kisii Khushansiib ka munh dekhi.e to tamaam kaam sanvar jaate hai.n aur baKhiil ya badbaKht ka munh dekhi.e to tamaam kaam biga.D jaate hai.n

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सहर किस का मुँह देखा

कुछ लोगों का विचार है कि अगर सुबह को उठ कर किसी भाग्यशाली का मुंह देखिए तो तमाम काम संवर जाते हैं और कंजूस या अभागे का मुंह देखिए तो तमाम काम बिगड़ जाते हैं

आज किस का मुँह देखा है

جب سارا دن پریشانی میں گزرے تو یہ کہا جاتا ہے

किस किस का मुंँह नहीं देखा

कई आदमियों से मदद माँगी, हर एक से सहायता चाही है

सुब्ह किस का मुँह देखा था

what an inauspicious day!

सुब्ह किस का मुँह देखा था

जब कोई काम बिगड़ जाये या खिलाफ-ए-मर्ज़ी हो या कोई नागहानी सदमा पहुंचे तो ये फ़िक़रा कहते हैं, मतलब ये होता है कि सुबह जागने के बाद सब से पहले किस मनहूस के चेहरे पर नज़र पड़ी थी जिस की नहूसत का ये असर हुआ है

आज सुब्ह किस का मुँह देखा था

प्रातः काल को किस अशुभ का नाम मुँह से निकला था कि दिन भर भुखा रहना पड़ा

आज सुब्ह किस कंजूस का मुँह देखा था

प्रातःकाल को प्रथम बार किस अभागे का नाम मुँह से निकला था कि दिन भर भूखा रहना पड़ा

का टापू में मोर नाचा किस ने देखा

विदेश में कुछ भी करो जब अपने देश में कुछ करो तो हम समझें कि हाँ कुछ किया, परदेस में किसी बड़े काम के करने का आनंद परिवार या देश के लोग वाले नहीं उठा सकते, जब कोई व्यक्ति अपना धन किसी ऐसी जगह ख़र्च करे जहाँ जहाँ देश के नागरिक या रिश्तेदार उसे न देख सकें तो क

मुँह किस का है

۔کسی کا حوصلہ نہیں۔ کسی کی مجال نہیں۔ ؎

किस का मुँह है

۔۔ किसे ताक़त है।

शेरों का मुँह किस ने धोया

कोई सोते से उठ कर बिना मुँह धोए खाने बैठ जाए तो उपहास में कहते हैं

आज किस का मुँह देख कर उठा हूँ

بھوکا رہنے یا پریشان رہنے پر کہا جاتا ہے

आज किस का मुँह देख के उठा हूँ

प्रातःकाल को प्रथम बार किस अभागे का नाम मुँह से निकला था कि दिन भर भूखा रहना पड़ा

किस शख़्स का मुँह देख के उठा हूँ

जब किसी दिन तकलीफों पर तकलीफें पेश आएं तो कहते हैं यानी सुबह पहले पहल किस मनहूस का मुँह देखा था

किस शख़्स का मुँह देख कर उठा हूँ

जब किसी दिन तकलीफों पर तकलीफें पेश आएं तो कहते हैं यानी सुबह पहले पहल किस मनहूस का मुँह देखा था

जिस का मुँह नहीं देखा उस के तलवे देखे

जिस से हमेशा घृणा थी उसी से मन्नत करनी पड़ी

संदर्भग्रंथ सूची: रेख़्ता डिक्शनरी में उपयोग किये गये स्रोतों की सूची देखें .

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