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रात माँ का पेट है

रात को सब आराम पाते हैं, रात को खोट एवं दुर्गुण छुपे रहते हैं

रात माँ का पेट

रात का जुर्म या ऐब छुपा रहता है, रात को सब आराम पाते हैं

रात माँ का पेट

रात को सब आराम पाते हैं, रात को खोट एवं दुर्गुण छुपे रहते हैं

रात का पेट भारी है

रात सबका दोष छुपाने वाली है

रात-दिन का फ़र्क़ है

बहुत बड़ा अंतर स्पष्ट है

रात-दिन शेर का सामना है

हर रोज़ नई विपदा है

आदमी पेट का कुत्ता है

आदमी पेट के लिए सब काम करता है, आदमी पेट का दास है

क्यों गूलर का पेट फड़वाता है

पोशीदा उयूब क्यों ज़ाहिर कराता है

दुश्मन कौन , माँ का पेट

भाईयों में अगर दुश्मनी हो जाये-ओ-सख़्त होती है

रोटी और औलाद से किसी का पेट भरा है

हर शख़्स रोज़ी और औलाद की कसरत चाहता है

तेरी माँ का पेट ठंडा रहे

तेरी उम्र लंबी हो, तू जीता रहे

ख़ाला का रुत्बा माँ के बराबर है

خالہ کی عزت ماں جنتی ہونی چاہئے .

माँ का पेट कुम्हार का आवा, कोई गोरा कोई काला

जिस तरह कुम्हार के आवे से बर्तन लाल एवं काले निकलते हैं उसी तरह माँ के पेट से भी काले और गोरे बच्चे जन्म लेते हैं

माँ का पेट कुम्हार का आवा, कोई काला कोई गोरा

जिस तरह कुम्हार के आवे से बर्तन लाल एवं काले निकलते हैं उसी तरह माँ के पेट से भी काले और गोरे बच्चे जन्म लेते हैं

माँ के पेट से कोई सीख कर नहीं निकला है

हर व्यक्ति को सीखना पड़ता है, जन्मजात विद्वान कोई नहीं होता, काम करने से ही आता है, कोई माँ के पेट से सीख कर नहीं आता

बारह बरस की कन्या और छटी रात का बर वो तो पीवे दूध है तेरा मन माने सो कर

जब वास्तविकता में पति बुरा है तो स्त्री को अधिकार है जो चाहे सो करे

कोई भी माँ के पेट से तो ले कर नहीं निकलता है

हर व्यक्ति को सीखना पड़ता है, जन्मजात विद्वान कोई नहीं होता, काम करने से ही आता है, कोई माँ के पेट से सीख कर नहीं आता

रात को साँप का नाम नहीं लेते हैं

लोक-निश्वास है कि साँप का नाम रात को लिया जाए तो वह निकल आता है इस लिए रस्सी कह देते हैं

पेट का खाया कोई नहीं देखता, तन का पहना सब देखते हैं

कपड़ों पर सब की नज़र होती है, ज़ाहिर को सब देखते हैं बातिन को कोई नहीं जानता, ऐसे मौक़ा पर बोलते हैं जब ज़ाहिरदारी बरतना ज़रूरी हो जाये या किसी भी मुआमले में बाअज़ बातों का इज़हार एक ज़रूरत हो

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में रात माँ का पेट है के अर्थदेखिए

रात माँ का पेट है

raat maa.n kaa peT haiرات ماں کا پیٹ ہے

अथवा : रात माँ का पेट

कहावत

रात माँ का पेट है के हिंदी अर्थ

  • रात को सब आराम पाते हैं, रात को खोट एवं दुर्गुण छुपे रहते हैं
  • रात माँ के पेट की तरह है सब कष्टों को भुला देती है अथवा सब बुरे कामों को ढक लेती है

English meaning of raat maa.n kaa peT hai

  • The night is as the mother's womb.

رات ماں کا پیٹ ہے کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu
  • رات کو سب آرام پاتے ہیں، رات کو عیب چھپے رہتے ہیں
  • رات ماں کے پیٹ کی طرح ہے سب تکالیف کو بھلا دیتی ہے یا سب برے کاموں کو ڈھک لیتی ہے

Urdu meaning of raat maa.n kaa peT hai

  • Roman
  • Urdu

  • raat ko sab aaraam paate hain, raat ko a.ib chhipe rahte hai.n
  • raat maa.n ke peT kii tarah hai sab takaaliif ko bhala detii hai ya sab bure kaamo.n ko Dhak letii hai

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रात माँ का पेट है

रात को सब आराम पाते हैं, रात को खोट एवं दुर्गुण छुपे रहते हैं

रात माँ का पेट

रात का जुर्म या ऐब छुपा रहता है, रात को सब आराम पाते हैं

रात माँ का पेट

रात को सब आराम पाते हैं, रात को खोट एवं दुर्गुण छुपे रहते हैं

रात का पेट भारी है

रात सबका दोष छुपाने वाली है

रात-दिन का फ़र्क़ है

बहुत बड़ा अंतर स्पष्ट है

रात-दिन शेर का सामना है

हर रोज़ नई विपदा है

आदमी पेट का कुत्ता है

आदमी पेट के लिए सब काम करता है, आदमी पेट का दास है

क्यों गूलर का पेट फड़वाता है

पोशीदा उयूब क्यों ज़ाहिर कराता है

दुश्मन कौन , माँ का पेट

भाईयों में अगर दुश्मनी हो जाये-ओ-सख़्त होती है

रोटी और औलाद से किसी का पेट भरा है

हर शख़्स रोज़ी और औलाद की कसरत चाहता है

तेरी माँ का पेट ठंडा रहे

तेरी उम्र लंबी हो, तू जीता रहे

ख़ाला का रुत्बा माँ के बराबर है

خالہ کی عزت ماں جنتی ہونی چاہئے .

माँ का पेट कुम्हार का आवा, कोई गोरा कोई काला

जिस तरह कुम्हार के आवे से बर्तन लाल एवं काले निकलते हैं उसी तरह माँ के पेट से भी काले और गोरे बच्चे जन्म लेते हैं

माँ का पेट कुम्हार का आवा, कोई काला कोई गोरा

जिस तरह कुम्हार के आवे से बर्तन लाल एवं काले निकलते हैं उसी तरह माँ के पेट से भी काले और गोरे बच्चे जन्म लेते हैं

माँ के पेट से कोई सीख कर नहीं निकला है

हर व्यक्ति को सीखना पड़ता है, जन्मजात विद्वान कोई नहीं होता, काम करने से ही आता है, कोई माँ के पेट से सीख कर नहीं आता

बारह बरस की कन्या और छटी रात का बर वो तो पीवे दूध है तेरा मन माने सो कर

जब वास्तविकता में पति बुरा है तो स्त्री को अधिकार है जो चाहे सो करे

कोई भी माँ के पेट से तो ले कर नहीं निकलता है

हर व्यक्ति को सीखना पड़ता है, जन्मजात विद्वान कोई नहीं होता, काम करने से ही आता है, कोई माँ के पेट से सीख कर नहीं आता

रात को साँप का नाम नहीं लेते हैं

लोक-निश्वास है कि साँप का नाम रात को लिया जाए तो वह निकल आता है इस लिए रस्सी कह देते हैं

पेट का खाया कोई नहीं देखता, तन का पहना सब देखते हैं

कपड़ों पर सब की नज़र होती है, ज़ाहिर को सब देखते हैं बातिन को कोई नहीं जानता, ऐसे मौक़ा पर बोलते हैं जब ज़ाहिरदारी बरतना ज़रूरी हो जाये या किसी भी मुआमले में बाअज़ बातों का इज़हार एक ज़रूरत हो

संदर्भग्रंथ सूची: रेख़्ता डिक्शनरी में उपयोग किये गये स्रोतों की सूची देखें .

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