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हिरे-फिरे

ہر پھر کر ، پھر پھرا کر ؛ آخر کار ۔

तुम से फिरे ख़ुदा से फिरे

आपसे दूर होना अर्थात ईश्वर से दूर होना है, दृढ़ प्रतिज्ञा के अवसर पर कहते हैं

झाड़ू फिरे

(women's curse) may be ruined!

तुझ से फिरे तो ख़ुदा से फिरे

۔مقولہ۔ یہ فقرہ قَسَم یا عہد کے موقع پر مستعمل ہے۔ یعنی تجھ سے وفا نہ کرے تو کافر ہو۔ ؎ تجھ کی جگہ۔ اُس۔ تم۔ بھی کہتے ہیں۔

तुम से फिरे तो ख़ुदा से फिरे

۔مقولہ۔ ایک طرح کی سخت قَسم اور واثق عہد ہے۔ یعنی تم سے برگشتہ ہونا خدا سے خلاف ہوجانے کے برابر ہے۔

तुझ से फिरे तो वो ख़ुदा से फिरे

कुसुम या अह्द के मौक़ा पर बोलते हैं यानी तेरे ख़िलाफ़ करूं तो गोया अपने ख़ुदा के ख़िलाफ़ करूं

हरे-फिरे, हरी फिरी

ہر پھر کر، پھر پھرا کر، آخر کار

बाँधे सकेला, फिरे अकेला

हथियारबंद व्यक्ति के साथ कोई नहीं घूमता कि किसी झगड़े में न फँस जाए

क़िस्मत पर झाड़ू फिरे

(अविर) बुरे हालात से बेज़ार हो कर कहते हैं कि ऐसी ख़राब क़िस्मत, क्या बुरी क़िस्मत है, ऐसी क़िस्मत से भर पाए, रुक : झाड़ू फिरना

सूरत पर झाड़ू फिरे

(बददुआ) नीस्त-ओ-नाबूद हो जाये, ग़ारत होजाए

बीबी की झाड़ू फिरे

सब नष्ट हो जाए, घर में कुछ भी न रहे

हिरे फिरे खेत में कोरा

हर बार खेत में ग़लत रास्ता डालता है, सख़्त बेवक़ूफ़ है, सीधे रास्ता पर नहीं चलता

हज़रत फ़ातिमा की झाड़ू फिरे

(अवाम) बददुआ, कोसना; नष्ट हो जाए, बर्बाद हो जाए; सफ़ाया हो जाए

भूला फिरे किसान जो कातिक माँगे मेंह

मूर्ख है वह व्यक्ति जो असंभव बात की आशा करे

ओझ फिरे न रोग बढ़े

आदमी ख़ूब तन के अगर ना खाए तो उमूमन बीमार नहीं पड़ता, भूक से कम खाना बीमारीयों से महफ़ूज़ रखता है

ओझ फिरे न रोग झड़े

आदमी ख़ूब तन के अगर न खाए तो प्रायः बीमार नहीं पड़ता, भूक से कम खाना बीमारियों से बचाए रखता है, न अधिक खाओ न बीमार हो

दिया न बाती मुफ़्त फिरे इतराती

मुफ़लिसी में शेखी बघारने के मौक़ा पर मुस्तामल, यानी घर में दिया तक नहीं और कम हैसियत औरत घर के बाहर नाज़ करती फुर्ती है

हज़रत बी बी की झाड़ू फिरे

(कोसना) हज़रत फ़ातमहओ की बददुआ लगे , इताब हो

लेना न देना काढ़े फिरे हसीना

बेकार में हस्तक्षेप करने के अवसर पर कहते हैं

भूले फिरे किसान जो कातक माँगे मेंह

मूर्ख़ है वह व्यक्ति जो असंभव बात की उम्मीद करे

नाना की दौलत पर नवासा ऐंडा फिरे

दूसरे की दौलत पर शेखी

नाना की दौलत पर नवासा ऐंडा फिरे

दूसरे की दौलत पर शेखी

घर में दिया न बाती, मुंड फिरे इतराती

निर्धनता में घमंड

मियाँ फिरे लाल-गलाल बीवी के रहें बुरे अहवाल

पति बाहर भोग विलास कर रहा है, पत्नी घर में कष्ट झेल रही है

हाथी फिरे गाँव गाँव जिसका हाथी उसका नाँव

रुक : हाथी फिरे गांव गांव अलख

इंचा-खिंचा वो फिरे, जो पराए बीच में पड़े

जो ज़िम्मेदार बने या दूसरों के झगड़े में पड़े उस को परेशानी उठानी पड़ती है

ईंचा खींचा वो फिरे जो पराए बीच में पड़े

जो दूसरों की बातों में हस्तक्षेप करे उसे मारा मारा फिरना पड़ता है, दूसरों की बातों में हस्तक्षेप करने वाले को परेशानी उठानी पड़ती है

सारे देस फिरे नर्बदा देख डरे

बेजा नख़रे करने वाली औरत के मुताल्लिक़ कहती हैं

छैला फिरे गली गली, जेब में नहीं खली की डली

पास कुछ भी नहीं शेखी और नमूद बहुत हो तो कहते हैं

हाथी फिरे गाँव गाँव जिस का हाथी उस का नाँव

हाथी कहीं भी जाए लोग यही कहेंगे कि फ़लाँ का हाथी है। यानी जिसकी चीज़ हो उसीका नाम होता है, अस्ल चीज़ मालिक ही की हुआ करती है

कीसा में नहीं खली की डली , बाँका छेला फिरे गली गली

मुफ़लिसी में इतराने के मौक़ा पर कहते हैं

टोटे मारा बानिया भर जोगी का भेस, हाँडे बिच्छा माँगता फिरे देस बिदेस

बनिए को घाटा हो तो फ़ौरन जोगी बन के देस बिदेस माँगता फिरता है

मूंड मुंडाए तीन गुन, गई टांट की खाज, बाबा हो जग में फिरे पेट भर खाया नाज

सिर मुंडाने के तीन लाभ हैं एक तो सर की खुजली जाती रहती है दूसरे बाबा बन कर संसार का भरमण होता है और पेट भर कर रोटी मिलती है अर्थात साधु बन जाने में मज़ा है

चंदन पड़ा चमार के नित उठ कूटे चाम, रो रो चंदन मही फिरे पड़ा नीच से काम

अच्छी चीज़ नाक़द्र शनास के हाथ लग जाये-ओ-वो क़दर नहीं करता और फ़ुज़ूल कामों में इस्तिमाल करता है

माई बाप के लातें मारे मेहरी देख जुड़ाय, चारों धाम जो फिरे आवे तबहूँ पाप न जाय

जो अपनी बीवी की ख़ातिर माता-पिता को मारे यदि वो सारी दुनिया के तीर्थ फिर आए फिर भी उसका पाप नहीं धुलेंगे

कन्या पेट में ढूँडती फिरें बर

उसके मुताल्लिक़ कहते हैं जो किसी बात के मुताल्लिक़ बहुत पहले से इंतिज़ाम करे

शिकारी शिकार करें चूतिया साथ फिरें

इस के मुताल्लिक़ कहते हैं जो दूसरों के साथ ख़्वाहमख़्वाह मारा मारा फिरता है, जब काम वाले लोगों के साथ बेकार लोग अपना वक़्त ख़राब करने के लिए साथ हो लेते हैं तो ऐसे मौक़ा पर बोलते हैं

शिकारी शिकार करें अहमक़ साथ फिरें

इस के मुताल्लिक़ कहते हैं जो दूसरों के साथ ख़्वाहमख़्वाह मारा मारा फिरता है, जब काम वाले लोगों के साथ बेकार लोग अपना वक़्त ख़राब करने के लिए साथ हो लेते हैं तो ऐसे मौक़ा पर बोलते हैं

जेब में नहीं खल की डली, छैला फिरें गली गली

निर्धनता में विलासिता करना है

बाँध सकेला फीरे अकेला

हथियारबंद के साथ रहने से लोग घबराते हैं कि कहीं किसी झगड़े में न फँस जाएँ

बड़े न बूड़न देत हैं जाकी पकड़ें बाँह, जैसे लोहा नाव में तिरत फिरे जल माँह

जिस प्रकार नाव के साथ लोहा तिर जाता है उसी प्रकार बड़े जिसकी सहायता करें वह सफल हो जाता है

अपने पूत कुंवारे फिरें पड़ोसन के फेरे

दूसरों को देना अपनों को वंचित रखना

रोते बनेगा न गाए , साहो फिरें मुँह दबाए

किसी नुक़्सान हो जाने की हालत में बोलते हैं कि सदमा हो तो ना रोया जा सकता है ना हिंसा, चप लग जाती है

टहल करो माँ बाप की जो होएँ संपूरन आस, या टहल सो जो फिरें नरक उन्हों का बास

माँ बाप की सेवा करने वालों की सब उम्मीदें पूरी होती हैं जो उन की सेवा न करें वो नरक में जाते हैं

मियां नाक काटने को फिरें, बीवी कहे मुझे नथ घड़ा दो

एक कुछ कहे दूसरा कुछ, एक का कुछ मतलब हो दूसरा कुछ समझे

देना न लेना, काढ़े फिरें हुसैना

हर समय तलवार लिए फिरते हैं

लड़ें न भिड़ें तरकश बाँधे फिरें

काम धाम कुछ नहीं करते शोर-शराबा मचाते हैं

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में फिरे के अर्थदेखिए

फिरे

phireپِھرے

वज़्न : 12

English meaning of phire

  • then, Afterwards, Again, Although, But

Urdu meaning of phire

  • Roman
  • Urdu

खोजे गए शब्द से संबंधित

हिरे-फिरे

ہر پھر کر ، پھر پھرا کر ؛ آخر کار ۔

तुम से फिरे ख़ुदा से फिरे

आपसे दूर होना अर्थात ईश्वर से दूर होना है, दृढ़ प्रतिज्ञा के अवसर पर कहते हैं

झाड़ू फिरे

(women's curse) may be ruined!

तुझ से फिरे तो ख़ुदा से फिरे

۔مقولہ۔ یہ فقرہ قَسَم یا عہد کے موقع پر مستعمل ہے۔ یعنی تجھ سے وفا نہ کرے تو کافر ہو۔ ؎ تجھ کی جگہ۔ اُس۔ تم۔ بھی کہتے ہیں۔

तुम से फिरे तो ख़ुदा से फिरे

۔مقولہ۔ ایک طرح کی سخت قَسم اور واثق عہد ہے۔ یعنی تم سے برگشتہ ہونا خدا سے خلاف ہوجانے کے برابر ہے۔

तुझ से फिरे तो वो ख़ुदा से फिरे

कुसुम या अह्द के मौक़ा पर बोलते हैं यानी तेरे ख़िलाफ़ करूं तो गोया अपने ख़ुदा के ख़िलाफ़ करूं

हरे-फिरे, हरी फिरी

ہر پھر کر، پھر پھرا کر، آخر کار

बाँधे सकेला, फिरे अकेला

हथियारबंद व्यक्ति के साथ कोई नहीं घूमता कि किसी झगड़े में न फँस जाए

क़िस्मत पर झाड़ू फिरे

(अविर) बुरे हालात से बेज़ार हो कर कहते हैं कि ऐसी ख़राब क़िस्मत, क्या बुरी क़िस्मत है, ऐसी क़िस्मत से भर पाए, रुक : झाड़ू फिरना

सूरत पर झाड़ू फिरे

(बददुआ) नीस्त-ओ-नाबूद हो जाये, ग़ारत होजाए

बीबी की झाड़ू फिरे

सब नष्ट हो जाए, घर में कुछ भी न रहे

हिरे फिरे खेत में कोरा

हर बार खेत में ग़लत रास्ता डालता है, सख़्त बेवक़ूफ़ है, सीधे रास्ता पर नहीं चलता

हज़रत फ़ातिमा की झाड़ू फिरे

(अवाम) बददुआ, कोसना; नष्ट हो जाए, बर्बाद हो जाए; सफ़ाया हो जाए

भूला फिरे किसान जो कातिक माँगे मेंह

मूर्ख है वह व्यक्ति जो असंभव बात की आशा करे

ओझ फिरे न रोग बढ़े

आदमी ख़ूब तन के अगर ना खाए तो उमूमन बीमार नहीं पड़ता, भूक से कम खाना बीमारीयों से महफ़ूज़ रखता है

ओझ फिरे न रोग झड़े

आदमी ख़ूब तन के अगर न खाए तो प्रायः बीमार नहीं पड़ता, भूक से कम खाना बीमारियों से बचाए रखता है, न अधिक खाओ न बीमार हो

दिया न बाती मुफ़्त फिरे इतराती

मुफ़लिसी में शेखी बघारने के मौक़ा पर मुस्तामल, यानी घर में दिया तक नहीं और कम हैसियत औरत घर के बाहर नाज़ करती फुर्ती है

हज़रत बी बी की झाड़ू फिरे

(कोसना) हज़रत फ़ातमहओ की बददुआ लगे , इताब हो

लेना न देना काढ़े फिरे हसीना

बेकार में हस्तक्षेप करने के अवसर पर कहते हैं

भूले फिरे किसान जो कातक माँगे मेंह

मूर्ख़ है वह व्यक्ति जो असंभव बात की उम्मीद करे

नाना की दौलत पर नवासा ऐंडा फिरे

दूसरे की दौलत पर शेखी

नाना की दौलत पर नवासा ऐंडा फिरे

दूसरे की दौलत पर शेखी

घर में दिया न बाती, मुंड फिरे इतराती

निर्धनता में घमंड

मियाँ फिरे लाल-गलाल बीवी के रहें बुरे अहवाल

पति बाहर भोग विलास कर रहा है, पत्नी घर में कष्ट झेल रही है

हाथी फिरे गाँव गाँव जिसका हाथी उसका नाँव

रुक : हाथी फिरे गांव गांव अलख

इंचा-खिंचा वो फिरे, जो पराए बीच में पड़े

जो ज़िम्मेदार बने या दूसरों के झगड़े में पड़े उस को परेशानी उठानी पड़ती है

ईंचा खींचा वो फिरे जो पराए बीच में पड़े

जो दूसरों की बातों में हस्तक्षेप करे उसे मारा मारा फिरना पड़ता है, दूसरों की बातों में हस्तक्षेप करने वाले को परेशानी उठानी पड़ती है

सारे देस फिरे नर्बदा देख डरे

बेजा नख़रे करने वाली औरत के मुताल्लिक़ कहती हैं

छैला फिरे गली गली, जेब में नहीं खली की डली

पास कुछ भी नहीं शेखी और नमूद बहुत हो तो कहते हैं

हाथी फिरे गाँव गाँव जिस का हाथी उस का नाँव

हाथी कहीं भी जाए लोग यही कहेंगे कि फ़लाँ का हाथी है। यानी जिसकी चीज़ हो उसीका नाम होता है, अस्ल चीज़ मालिक ही की हुआ करती है

कीसा में नहीं खली की डली , बाँका छेला फिरे गली गली

मुफ़लिसी में इतराने के मौक़ा पर कहते हैं

टोटे मारा बानिया भर जोगी का भेस, हाँडे बिच्छा माँगता फिरे देस बिदेस

बनिए को घाटा हो तो फ़ौरन जोगी बन के देस बिदेस माँगता फिरता है

मूंड मुंडाए तीन गुन, गई टांट की खाज, बाबा हो जग में फिरे पेट भर खाया नाज

सिर मुंडाने के तीन लाभ हैं एक तो सर की खुजली जाती रहती है दूसरे बाबा बन कर संसार का भरमण होता है और पेट भर कर रोटी मिलती है अर्थात साधु बन जाने में मज़ा है

चंदन पड़ा चमार के नित उठ कूटे चाम, रो रो चंदन मही फिरे पड़ा नीच से काम

अच्छी चीज़ नाक़द्र शनास के हाथ लग जाये-ओ-वो क़दर नहीं करता और फ़ुज़ूल कामों में इस्तिमाल करता है

माई बाप के लातें मारे मेहरी देख जुड़ाय, चारों धाम जो फिरे आवे तबहूँ पाप न जाय

जो अपनी बीवी की ख़ातिर माता-पिता को मारे यदि वो सारी दुनिया के तीर्थ फिर आए फिर भी उसका पाप नहीं धुलेंगे

कन्या पेट में ढूँडती फिरें बर

उसके मुताल्लिक़ कहते हैं जो किसी बात के मुताल्लिक़ बहुत पहले से इंतिज़ाम करे

शिकारी शिकार करें चूतिया साथ फिरें

इस के मुताल्लिक़ कहते हैं जो दूसरों के साथ ख़्वाहमख़्वाह मारा मारा फिरता है, जब काम वाले लोगों के साथ बेकार लोग अपना वक़्त ख़राब करने के लिए साथ हो लेते हैं तो ऐसे मौक़ा पर बोलते हैं

शिकारी शिकार करें अहमक़ साथ फिरें

इस के मुताल्लिक़ कहते हैं जो दूसरों के साथ ख़्वाहमख़्वाह मारा मारा फिरता है, जब काम वाले लोगों के साथ बेकार लोग अपना वक़्त ख़राब करने के लिए साथ हो लेते हैं तो ऐसे मौक़ा पर बोलते हैं

जेब में नहीं खल की डली, छैला फिरें गली गली

निर्धनता में विलासिता करना है

बाँध सकेला फीरे अकेला

हथियारबंद के साथ रहने से लोग घबराते हैं कि कहीं किसी झगड़े में न फँस जाएँ

बड़े न बूड़न देत हैं जाकी पकड़ें बाँह, जैसे लोहा नाव में तिरत फिरे जल माँह

जिस प्रकार नाव के साथ लोहा तिर जाता है उसी प्रकार बड़े जिसकी सहायता करें वह सफल हो जाता है

अपने पूत कुंवारे फिरें पड़ोसन के फेरे

दूसरों को देना अपनों को वंचित रखना

रोते बनेगा न गाए , साहो फिरें मुँह दबाए

किसी नुक़्सान हो जाने की हालत में बोलते हैं कि सदमा हो तो ना रोया जा सकता है ना हिंसा, चप लग जाती है

टहल करो माँ बाप की जो होएँ संपूरन आस, या टहल सो जो फिरें नरक उन्हों का बास

माँ बाप की सेवा करने वालों की सब उम्मीदें पूरी होती हैं जो उन की सेवा न करें वो नरक में जाते हैं

मियां नाक काटने को फिरें, बीवी कहे मुझे नथ घड़ा दो

एक कुछ कहे दूसरा कुछ, एक का कुछ मतलब हो दूसरा कुछ समझे

देना न लेना, काढ़े फिरें हुसैना

हर समय तलवार लिए फिरते हैं

लड़ें न भिड़ें तरकश बाँधे फिरें

काम धाम कुछ नहीं करते शोर-शराबा मचाते हैं

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