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पंज-नौबत

वह नौबत जो राजाओं और बादशाहों के द्वार पर आठ पहर में पाँचों वक्त बजती थी

पंज-नौबत माँगना

(लाक्षणिक) सांसारिक सुख-समृद्धि या बादशाहत की इच्छा रखना

हर-कसे पंज-रोज़ नौबत-ए-ऊस्त

(फ़ारसी कहावत उर्दू में प्रयुक्त) हर किसी की बारी पाँच रोज़ की है अर्थात जीवन क्षणिक है स्थायी नहीं है

हर-कि-रा पंज-रोज़ नौबत-ए-ऊस्त

(फ़ारसी कहावत उर्दू में मुस्तामल) हर किसी की बारी पाँच रोज़ की है यानी ज़िंदगी चंद रोज़ा है दाइमी नहीं है

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में पंज-नौबत के अर्थदेखिए

पंज-नौबत

panj-naubatپَنْج نَوبَت

वज़्न : 2122

टैग्ज़: संगीत

पंज-नौबत के हिंदी अर्थ

फ़ारसी, अरबी - संज्ञा, स्त्रीलिंग

  • वह नौबत जो राजाओं और बादशाहों के द्वार पर आठ पहर में पाँचों वक्त बजती थी
  • पाँच मंगलसूचक बाजे जो मंगल कार्यों में बजाए जाते हैं (तंत्री, ताल, झाँझ, नगारा और तुरही )
  • (सांकेतिक) पाँचों वक्त की अज़ान, पाँच वक़्त की नमाज़ (इस्लाम)

English meaning of panj-naubat

Persian, Arabic - Noun, Feminine

  • the drum was beaten five time in 24 hours at the entrance of Royal place
  • five kinds of sounds, five kinds of musical instruments (veena, drum, cymbal, trumpet, kettle drum )
  • (Figurative) the five daily prayers (Islam)

پَنْج نَوبَت کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu

فارسی، عربی - اسم، مؤنث

  • پنج وقتہ نوبت جو پہلے صرف بادشاہوں کی ڈیوڑھی پر (سلطان سنجر کے عہد سے) آٹھ پہر میں پان٘چ مرتبہ بجائی جاتی تھی
  • پنج شبد یعنی وہ پان٘چوں باجے جو شادی کی علامت ہیں (دف، ڈھول، طلسہ، نفیری، دمامہ)
  • (کنایۃً) نماز پنج گانہ (اسلام)

Urdu meaning of panj-naubat

  • Roman
  • Urdu

  • panjvaqtaa naubat jo pahle sirf baadshaaho.n kii Deyu.Dhii par (sultaan sanjar ke ahd se) aaTh pahar me.n paanch martaba bajaa.ii jaatii thii
  • panj shabd yaanii vo paancho.n baaje jo shaadii kii alaamat hai.n (daf, Dhol, tulsaa, nafiirii, damaama
  • (kanaa.en) namaaz panjgaanaa (islaam

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पंज-नौबत

वह नौबत जो राजाओं और बादशाहों के द्वार पर आठ पहर में पाँचों वक्त बजती थी

पंज-नौबत माँगना

(लाक्षणिक) सांसारिक सुख-समृद्धि या बादशाहत की इच्छा रखना

हर-कसे पंज-रोज़ नौबत-ए-ऊस्त

(फ़ारसी कहावत उर्दू में प्रयुक्त) हर किसी की बारी पाँच रोज़ की है अर्थात जीवन क्षणिक है स्थायी नहीं है

हर-कि-रा पंज-रोज़ नौबत-ए-ऊस्त

(फ़ारसी कहावत उर्दू में मुस्तामल) हर किसी की बारी पाँच रोज़ की है यानी ज़िंदगी चंद रोज़ा है दाइमी नहीं है

संदर्भग्रंथ सूची: रेख़्ता डिक्शनरी में उपयोग किये गये स्रोतों की सूची देखें .

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