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हर-कि-रा पंज-रोज़ नौबत-ए-ऊस्त

(फ़ारसी कहावत उर्दू में मुस्तामल) हर किसी की बारी पाँच रोज़ की है यानी ज़िंदगी चंद रोज़ा है दाइमी नहीं है

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में हर-कि-रा पंज-रोज़ नौबत-ए-ऊस्त के अर्थदेखिए

हर-कि-रा पंज-रोज़ नौबत-ए-ऊस्त

har-ki-raa panj-roz naubat-e-uustہَر کِرا پنج روز نَوبَتِ اوست

हर-कि-रा पंज-रोज़ नौबत-ए-ऊस्त के हिंदी अर्थ

  • (फ़ारसी कहावत उर्दू में मुस्तामल) हर किसी की बारी पाँच रोज़ की है यानी ज़िंदगी चंद रोज़ा है दाइमी नहीं है

ہَر کِرا پنج روز نَوبَتِ اوست کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu
  • (فارسی کہاوت اُردو میں مستعمل) ہرکسی کی باری پانچ روز کی ہے یعنی زندگی چند روزہ ہے دائمی نہیں ہے

Urdu meaning of har-ki-raa panj-roz naubat-e-uust

  • Roman
  • Urdu

  • (faarsii kahaavat urduu me.n mustaamal) har kisii kii baarii paa.nch roz kii hai yaanii zindgii chand roza hai daa.imii nahii.n hai

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(फ़ारसी कहावत उर्दू में मुस्तामल) हर किसी की बारी पाँच रोज़ की है यानी ज़िंदगी चंद रोज़ा है दाइमी नहीं है

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