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न कोई वाली , न वारिस

कोई पूछने वाला नहीं (रुक : ना वली ना वारिस)

कोई-न-कोई

एक ना एक, कोई न कोई, कोई व्यक्ति, कोई सा, ये नहीं वो

कोई आगे न कोई पीछे

पिताहीन, निःसन्तान, अनाथ, जिसका कोई उत्तराधिकारी न हो उसके बारे में कहते हैं

न कोई आता था न कोई जाता था, न कोई गोद में ले कर मुझे सुलाता था

ऐसी बात कहना जिस से हर कोई अपनी इच्छानुसार मतलब निकाल सके

घर न हुआ कोई वीराना हुआ

گھر کی وقعت ویرانے کے برابر کردی

न कोई आता था घर में न कोई जाता था, न कोई गोद में ले कर मुझे सुलाता था

ऐसी बात कहना जिस से हर कोई अपनी इच्छानुसार मतलब निकाल सके

कोई दक़ीक़ा फ़रोगुज़ाश्त न करना

किसी किस्म की कमी ना करना, कोई कसर ना छोड़ना

कोई दक़ीक़ा न उठा रखना

किसी किस्म की कमी ना करना, कोई कसर ना छोड़ना

कोई दक़ीक़ा उठा न रखना

leave no stone unturned

साथ कोई आया न कोई जाए

न जन्म के समय कोई साथ होता है न मौत के समय

कोई कोर कसर बाक़ी न रही

किसी प्रकार का संबंध न होना

सब गुनों पूरी कोई न कहो लंडूरी

चालाक और अय्यार औरत के मुताल्लिक़ कहते हैं

सब गुनों पूरी कोई न कहो अधूरी

चालाक और अय्यार औरत के मुताल्लिक़ कहते हैं

कोई सुने न सुने मैं कहता हूँ

उसके बारे में कहते हैं जो हर समय बातें करता रहता है

सब कोई मिले पर लंगोटिया न मिले

निकट संबंधी मित्र बहुत नि:संकोच हो कर बात करता है इस लिए न मिले तो बेहतर है क्यूँकि वो सब पोल खोल देगा

सब कोई मिलियो, लंगोटिया न मिलियो

निकट संबंधी मित्र बहुत नि:संकोच हो कर बात करता है इस लिए न मिले तो बेहतर है क्यूँकि वो सब पोल खोल देगा

सब कोई मिले, लंगोटिया न मिले

निकट संबंधी मित्र बहुत नि:संकोच हो कर बात करता है इस लिए न मिले तो बेहतर है क्यूँकि वो सब पोल खोल देगा

सब गन अधूरे , कोई गुन न पूरे

किसी में कोई ख़ामी रह जाये तो इस शख़्स की बाबत कहते हैं

कंधे डाली झोली, चमार छोड़ा न कोई

जब मांगने पर आए तो ग़ैरत कैसी, ज़लील काम करने से ग़ैरत मिट जाती है, भीक मांगने वाले बेग़ैरत होते हैं

सब गुन पूरे कोई न कहे लंडूरे

रुक : सब गुण भरी मेरी लाडो, कौन कहे लनडूओरी

करम रेख न मिटे, करो कोई लाखों चतुराई

कोशिश और बुद्धिमत्ता से भाग्य का लिखा नहीं मिट सकता

करम रेख न मिटे, करै कोई लाखों चतुराई

कोशिश और बुद्धिमत्ता से भाग्य का लिखा नहीं मिट सकता

कोई पूछे न पूछे , मेरा धन सुहागन नाम

आप ही आप इतराए जाना चाहे कोई पूछे या ना पूछे

कोई आया न गया

۔ جب مال غائب ہوجاتا ہے اور چُرانے والےل کا پتہ نہیں لگتا تب یہ فقرہ کہتے ہیں۔ ؎

कोई आया न गया

किसी ग़ैर को आते जाते नहीं देखा, दो के सिवा तीसरा शख़्स आया न गया, आमतौर पर जब माल चोरी हो जाए और चोर का पता न चले तब ये जुमला कहते हैं

कोई कम न समझे

हजव-ए-मलीह है यानी आप पड़े बदज़ात हैं, बड़े होशयार हैं, बड़े चलते हुए हैं, दौर की कोड़ी लाते हैं

कोई कल न बैठना

किसी तरह चैन न लेना

कोई न पूछे बात मेरा धन सुहागन नाम

कोई पूछे न गिने आप ही आप इतरावे

मरना भला बदेस का जहाँ न अपना कोई

परदेस में मरना बेहतर है कि वहां कोई अपना नहीं होता जो अफ़सोस करे

सब उस्तरे बाँधो , कोई तलवार न बाँधो , कर दो ये मनादी कोई दस्तार न बाँधो

ज़ालिम के ज़ुलम के मुताल्लिक़ कहते हैं

उस नर से तुम मिलो न कोई, जाको देखो कपटी धोई

जो धोखेबाज़ एवं कपटी हो उस से कदापि न मिलो

दुख सुख निस दिन संग है मेट सके न कोई

दुख और आराम सदैव इकठ्ठे होते हैं कोई उन्हें अलग नहीं कर सकता

मैं न समझूँ तो भला क्या कोई समझाए मुझे

ज़िद्दी आदमी के मुताल्लिक़ कहते हैं, आदमी ख़ुद ना समझना चाहे तो कोई नहीं समझा सकता

मुझे कोई न मारे तो सारे जहान को मार आऊँ

कायर व्यक्ति ख़तरे से डरता है

सुस्त मूँख का कोई न लागो फुर्तीले के सब ले भागो

सुस्त आदमी को कोई पसंद नहीं करता और फुरतेले को सब पसंद करते हैं

सुस्त मुँह का कोई न लागो फुर्तीले के सब ले भागो

सुस्त आदमी को कोई पसंद नहीं करता और फुरतेले को सब पसंद करते हैं

कोई मुझ को न मारे तो मैं सारे जहान को मारूँ

कायर या भीरु अथवा झगड़ालू व्यक्ति के लिए व्यंगात्मक तौर पर कहते हैं

मुझ को कोई न मारे तो सारे जहाँ को मार आऊँ

कायर व्यक्ति ख़तरे से डरता है

क़ब्र में रख के ख़बर को न आया कोई, मूए का कोई नहीं, जीए के सब कोई

मरने के बाद क़ब्र पर भी कोई नहीं जाता

अंधा कहे मैं सरग चढ़ मूतूँ और मुझे कोई न देखे

हर एक यह चाहता है कि जो चाहे करे कोई उसपर आपत्ति न करे

अगर पानी से घी निकले तो कोई रूखी न खाए

If wishes were horses beggars would ride.

कोई बात उठा न रखना

सब कुछ कह लेना

सर पर कोई न होना

कोई हाल पूछने वाला न होना, किसी बड़े या अभिभावक का जीवित न होना

क़ब्र में रख के ख़बर को न आया कोई, मूए का कोई नहीं, जीते-जी का सब कोई

मरने के बाद क़ब्र पर भी कोई नहीं जाता

घाइल की गत घाइल जाने और न जाने कोई

केवल पीड़ित ही पीड़ित की स्थिति जानता है और कोई नहीं जानता

जो जल साढ़ लगत ही बरसे नाज नियार बिन कोई न तरसे

अगर असाढ़ के शुरू में बारिश हो जाए तो अनाज बहुत होता है

मुझे बुढ़िया न कहो कोई , मैं ने जवानों की भी 'अक़्ल खोई

चालाक ज़ईफ़ अपने मुताल्लिक़ कहता है कि वो जवानों को उंगलीयों पहुंचा सकता है , ज़ईफ़ चालाक औरत का क़ौल है कि में बढ़िया हूँ तो क्या हवा में नौजवानों को भी फ़रेफ़्ता करलेती हूँ , बुज़ुर्गों की बनिसबत जवान नापुख़्ता कार होते हैं, जवान बुज़ुर्गों से इलम-ओ-शऊर हासिल करते हैं

क़ाज़ी की लौंडी मरी, सारा शहर आया, क़ाज़ी मरा, कोई न आया

बड़े एवं अमीर आदमी के जीवन काल में लोग ख़ुशामद अर्थात चापलूसी करते हैं परंतु उसके मरने के बा'द कोई उसका नाम तक नहीं लेता

क़ाज़ी की लौंडी मरी, सारा शहर आया, क़ाज़ी मरे कोई न आया

बड़े एवं अमीर आदमी के जीवन काल में लोग ख़ुशामद अर्थात चापलूसी करते हैं परंतु उसके मरने के बा'द कोई उसका नाम तक नहीं लेता

मुझ को बूढ़िया न कहना कोई , मैं तो लाल पलंग पर सोई

रुक : मुझे बढ़िया ना कहो कोई अलख

माया को माया मिले कर कर लम्बे हाथ, तुलसी दास गरीब की कोई न पूछे बात

धन को धन खींचता है

क़ाज़ी जी की लौंडी मरी सारा शहर आया, क़ाज़ी मरे कोई न आया

जिसका मुँह होता है उसकी वजह से सबका सम्मान होता है, जब वह मर जाता है तो कोई नहीं पूछता, जीते जी को सब चाहते हैं, मुँह देखे का सब सम्मान करते हैं, बड़े आदमी के जीवन में लोग आदर-सत्कार या आवभगत करते हैं उसके मरने के बाद कोई उसका नाम तक नहीं लेता, बहुत से काम बड़े आदमियों को ख़ुश करने के लिए ही किए जात हैं, उनके मरने पर उन्हें कोई नहीं पूछता, क्योंकि फिर उनसे कोई काम नहीं

कोई कौड़ी के दो बेर भी हाथ से न खाए

सख़्त ज़लील-ओ-बेवुक़त है

जुम'आ छोड़ सनीचर नहाए उस के जनाज़े में कोई न जाए

मुस्लमान प्रायः शुक्रवार को ज़रूर स्नान करते और कपड़े बदलते हैं

आप को कोई कम न समझे

बड़े शरीर हो

चोर का माल सब खाए, चोर के साथ कोई न जाए

बुरों को अपने काम के कारणवश हानि एवं तकलीफ़ पहुँचती है

आधी के बबर भी कोई उस के हाथ से न खावे

किसी से अत्यधिक अरुचि एवं घृणा के अवसर पर उसे तिरस्कृत करने के लिए प्रयुक्त

जोबन था जब रूप था गाहक था सब कोई, जोबन रतन गँवाए के बात न पूछे कोई

जब सुंदरता और जवानी थी हर एक चाहने वाला था जब ये जाती रही तो कोई पूछता भी नहीं

लाल बुझक्कड़ बूझियाँ और न बूझा कोए, पैर में चक्की बाँध के कोई हिरना कूदा हुए

रात को गाँव के पास से हाथी गुज़रा, उसके पाँव का निशान देख कर लोग बहुत हैरान हुए, लाल बुझक्कड़ ने यह फ़ैसला दिया कि कोई हिरन पाँव में चक्की बाँध के कूदा है

माया को माया मिले कर कर लम्बे हाथ, तुलसी दास गरीब की कोई न पूछे बात

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में न कोई वाली , न वारिस के अर्थदेखिए

न कोई वाली , न वारिस

na ko.ii vaalii , na vaarisنَہ کوئی والی ، نَہ وارِث

कहावत

न कोई वाली , न वारिस के हिंदी अर्थ

  • कोई पूछने वाला नहीं (रुक : ना वली ना वारिस)

نَہ کوئی والی ، نَہ وارِث کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu
  • کوئی پوچھنے والا نہیں (رک : نہ ولی نہ وارث) ۔

Urdu meaning of na ko.ii vaalii , na vaaris

  • Roman
  • Urdu

  • ko.ii puuchhne vaala nahii.n (ruk ha na valii na vaaris)

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न कोई वाली , न वारिस

कोई पूछने वाला नहीं (रुक : ना वली ना वारिस)

कोई-न-कोई

एक ना एक, कोई न कोई, कोई व्यक्ति, कोई सा, ये नहीं वो

कोई आगे न कोई पीछे

पिताहीन, निःसन्तान, अनाथ, जिसका कोई उत्तराधिकारी न हो उसके बारे में कहते हैं

न कोई आता था न कोई जाता था, न कोई गोद में ले कर मुझे सुलाता था

ऐसी बात कहना जिस से हर कोई अपनी इच्छानुसार मतलब निकाल सके

घर न हुआ कोई वीराना हुआ

گھر کی وقعت ویرانے کے برابر کردی

न कोई आता था घर में न कोई जाता था, न कोई गोद में ले कर मुझे सुलाता था

ऐसी बात कहना जिस से हर कोई अपनी इच्छानुसार मतलब निकाल सके

कोई दक़ीक़ा फ़रोगुज़ाश्त न करना

किसी किस्म की कमी ना करना, कोई कसर ना छोड़ना

कोई दक़ीक़ा न उठा रखना

किसी किस्म की कमी ना करना, कोई कसर ना छोड़ना

कोई दक़ीक़ा उठा न रखना

leave no stone unturned

साथ कोई आया न कोई जाए

न जन्म के समय कोई साथ होता है न मौत के समय

कोई कोर कसर बाक़ी न रही

किसी प्रकार का संबंध न होना

सब गुनों पूरी कोई न कहो लंडूरी

चालाक और अय्यार औरत के मुताल्लिक़ कहते हैं

सब गुनों पूरी कोई न कहो अधूरी

चालाक और अय्यार औरत के मुताल्लिक़ कहते हैं

कोई सुने न सुने मैं कहता हूँ

उसके बारे में कहते हैं जो हर समय बातें करता रहता है

सब कोई मिले पर लंगोटिया न मिले

निकट संबंधी मित्र बहुत नि:संकोच हो कर बात करता है इस लिए न मिले तो बेहतर है क्यूँकि वो सब पोल खोल देगा

सब कोई मिलियो, लंगोटिया न मिलियो

निकट संबंधी मित्र बहुत नि:संकोच हो कर बात करता है इस लिए न मिले तो बेहतर है क्यूँकि वो सब पोल खोल देगा

सब कोई मिले, लंगोटिया न मिले

निकट संबंधी मित्र बहुत नि:संकोच हो कर बात करता है इस लिए न मिले तो बेहतर है क्यूँकि वो सब पोल खोल देगा

सब गन अधूरे , कोई गुन न पूरे

किसी में कोई ख़ामी रह जाये तो इस शख़्स की बाबत कहते हैं

कंधे डाली झोली, चमार छोड़ा न कोई

जब मांगने पर आए तो ग़ैरत कैसी, ज़लील काम करने से ग़ैरत मिट जाती है, भीक मांगने वाले बेग़ैरत होते हैं

सब गुन पूरे कोई न कहे लंडूरे

रुक : सब गुण भरी मेरी लाडो, कौन कहे लनडूओरी

करम रेख न मिटे, करो कोई लाखों चतुराई

कोशिश और बुद्धिमत्ता से भाग्य का लिखा नहीं मिट सकता

करम रेख न मिटे, करै कोई लाखों चतुराई

कोशिश और बुद्धिमत्ता से भाग्य का लिखा नहीं मिट सकता

कोई पूछे न पूछे , मेरा धन सुहागन नाम

आप ही आप इतराए जाना चाहे कोई पूछे या ना पूछे

कोई आया न गया

۔ جب مال غائب ہوجاتا ہے اور چُرانے والےل کا پتہ نہیں لگتا تب یہ فقرہ کہتے ہیں۔ ؎

कोई आया न गया

किसी ग़ैर को आते जाते नहीं देखा, दो के सिवा तीसरा शख़्स आया न गया, आमतौर पर जब माल चोरी हो जाए और चोर का पता न चले तब ये जुमला कहते हैं

कोई कम न समझे

हजव-ए-मलीह है यानी आप पड़े बदज़ात हैं, बड़े होशयार हैं, बड़े चलते हुए हैं, दौर की कोड़ी लाते हैं

कोई कल न बैठना

किसी तरह चैन न लेना

कोई न पूछे बात मेरा धन सुहागन नाम

कोई पूछे न गिने आप ही आप इतरावे

मरना भला बदेस का जहाँ न अपना कोई

परदेस में मरना बेहतर है कि वहां कोई अपना नहीं होता जो अफ़सोस करे

सब उस्तरे बाँधो , कोई तलवार न बाँधो , कर दो ये मनादी कोई दस्तार न बाँधो

ज़ालिम के ज़ुलम के मुताल्लिक़ कहते हैं

उस नर से तुम मिलो न कोई, जाको देखो कपटी धोई

जो धोखेबाज़ एवं कपटी हो उस से कदापि न मिलो

दुख सुख निस दिन संग है मेट सके न कोई

दुख और आराम सदैव इकठ्ठे होते हैं कोई उन्हें अलग नहीं कर सकता

मैं न समझूँ तो भला क्या कोई समझाए मुझे

ज़िद्दी आदमी के मुताल्लिक़ कहते हैं, आदमी ख़ुद ना समझना चाहे तो कोई नहीं समझा सकता

मुझे कोई न मारे तो सारे जहान को मार आऊँ

कायर व्यक्ति ख़तरे से डरता है

सुस्त मूँख का कोई न लागो फुर्तीले के सब ले भागो

सुस्त आदमी को कोई पसंद नहीं करता और फुरतेले को सब पसंद करते हैं

सुस्त मुँह का कोई न लागो फुर्तीले के सब ले भागो

सुस्त आदमी को कोई पसंद नहीं करता और फुरतेले को सब पसंद करते हैं

कोई मुझ को न मारे तो मैं सारे जहान को मारूँ

कायर या भीरु अथवा झगड़ालू व्यक्ति के लिए व्यंगात्मक तौर पर कहते हैं

मुझ को कोई न मारे तो सारे जहाँ को मार आऊँ

कायर व्यक्ति ख़तरे से डरता है

क़ब्र में रख के ख़बर को न आया कोई, मूए का कोई नहीं, जीए के सब कोई

मरने के बाद क़ब्र पर भी कोई नहीं जाता

अंधा कहे मैं सरग चढ़ मूतूँ और मुझे कोई न देखे

हर एक यह चाहता है कि जो चाहे करे कोई उसपर आपत्ति न करे

अगर पानी से घी निकले तो कोई रूखी न खाए

If wishes were horses beggars would ride.

कोई बात उठा न रखना

सब कुछ कह लेना

सर पर कोई न होना

कोई हाल पूछने वाला न होना, किसी बड़े या अभिभावक का जीवित न होना

क़ब्र में रख के ख़बर को न आया कोई, मूए का कोई नहीं, जीते-जी का सब कोई

मरने के बाद क़ब्र पर भी कोई नहीं जाता

घाइल की गत घाइल जाने और न जाने कोई

केवल पीड़ित ही पीड़ित की स्थिति जानता है और कोई नहीं जानता

जो जल साढ़ लगत ही बरसे नाज नियार बिन कोई न तरसे

अगर असाढ़ के शुरू में बारिश हो जाए तो अनाज बहुत होता है

मुझे बुढ़िया न कहो कोई , मैं ने जवानों की भी 'अक़्ल खोई

चालाक ज़ईफ़ अपने मुताल्लिक़ कहता है कि वो जवानों को उंगलीयों पहुंचा सकता है , ज़ईफ़ चालाक औरत का क़ौल है कि में बढ़िया हूँ तो क्या हवा में नौजवानों को भी फ़रेफ़्ता करलेती हूँ , बुज़ुर्गों की बनिसबत जवान नापुख़्ता कार होते हैं, जवान बुज़ुर्गों से इलम-ओ-शऊर हासिल करते हैं

क़ाज़ी की लौंडी मरी, सारा शहर आया, क़ाज़ी मरा, कोई न आया

बड़े एवं अमीर आदमी के जीवन काल में लोग ख़ुशामद अर्थात चापलूसी करते हैं परंतु उसके मरने के बा'द कोई उसका नाम तक नहीं लेता

क़ाज़ी की लौंडी मरी, सारा शहर आया, क़ाज़ी मरे कोई न आया

बड़े एवं अमीर आदमी के जीवन काल में लोग ख़ुशामद अर्थात चापलूसी करते हैं परंतु उसके मरने के बा'द कोई उसका नाम तक नहीं लेता

मुझ को बूढ़िया न कहना कोई , मैं तो लाल पलंग पर सोई

रुक : मुझे बढ़िया ना कहो कोई अलख

माया को माया मिले कर कर लम्बे हाथ, तुलसी दास गरीब की कोई न पूछे बात

धन को धन खींचता है

क़ाज़ी जी की लौंडी मरी सारा शहर आया, क़ाज़ी मरे कोई न आया

जिसका मुँह होता है उसकी वजह से सबका सम्मान होता है, जब वह मर जाता है तो कोई नहीं पूछता, जीते जी को सब चाहते हैं, मुँह देखे का सब सम्मान करते हैं, बड़े आदमी के जीवन में लोग आदर-सत्कार या आवभगत करते हैं उसके मरने के बाद कोई उसका नाम तक नहीं लेता, बहुत से काम बड़े आदमियों को ख़ुश करने के लिए ही किए जात हैं, उनके मरने पर उन्हें कोई नहीं पूछता, क्योंकि फिर उनसे कोई काम नहीं

कोई कौड़ी के दो बेर भी हाथ से न खाए

सख़्त ज़लील-ओ-बेवुक़त है

जुम'आ छोड़ सनीचर नहाए उस के जनाज़े में कोई न जाए

मुस्लमान प्रायः शुक्रवार को ज़रूर स्नान करते और कपड़े बदलते हैं

आप को कोई कम न समझे

बड़े शरीर हो

चोर का माल सब खाए, चोर के साथ कोई न जाए

बुरों को अपने काम के कारणवश हानि एवं तकलीफ़ पहुँचती है

आधी के बबर भी कोई उस के हाथ से न खावे

किसी से अत्यधिक अरुचि एवं घृणा के अवसर पर उसे तिरस्कृत करने के लिए प्रयुक्त

जोबन था जब रूप था गाहक था सब कोई, जोबन रतन गँवाए के बात न पूछे कोई

जब सुंदरता और जवानी थी हर एक चाहने वाला था जब ये जाती रही तो कोई पूछता भी नहीं

लाल बुझक्कड़ बूझियाँ और न बूझा कोए, पैर में चक्की बाँध के कोई हिरना कूदा हुए

रात को गाँव के पास से हाथी गुज़रा, उसके पाँव का निशान देख कर लोग बहुत हैरान हुए, लाल बुझक्कड़ ने यह फ़ैसला दिया कि कोई हिरन पाँव में चक्की बाँध के कूदा है

माया को माया मिले कर कर लम्बे हाथ, तुलसी दास गरीब की कोई न पूछे बात

संदर्भग्रंथ सूची: रेख़्ता डिक्शनरी में उपयोग किये गये स्रोतों की सूची देखें .

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