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न-जाने

कुछ पता नहीं, मालूम नहीं, ख़ुदा जाने, में नहीं जानता

न जाने क्यों

क्या वजह है , मालूम नहीं क्यों (अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए रब्त कलाम के लिए कहते हैं

जाने न जाने मैं भी नौशा की ख़ाला

خواہ مخواہ تعلق جتانے کے موقع پر کہتے ہیں

प्रीत न जाने जात कुजात नींद न जाने टूटी खाट, भूक न जाने बासी भात प्यास न जाने धोबी घाट

प्रेम करते समय कोई ये नहीं सोचता कि उस का प्रेमी किस जाति या वर्ण का है, जिस तरह नींद हर जगह और हर हालत में आ जाती है और भूख में मनुष्य को बासी रोटी भी अच्छी मालूम होती है और प्यास लगी हो तो मनुष्य ये नहीं देखता कि पानी शुद्ध है या अशुद्ध

सबसे भला खसोटा, न जाने नफ़' न जाने टोटा

क़ज़्ज़ाक़ को किसी के नफ़ा नुक़्सान की पर्वा नहीं होती

सबसे भला घसोटा, न जाने नफ़' न जाने टोटा

क़ज़्ज़ाक़ को किसी के नफ़ा नुक़्सान की पर्वा नहीं होती

प्रीत न जाने जात कुजात

मुहब्बत करते वक़्त कोई ये नहीं सोचता कि इस का महबूब किस ज़ात या क़ौम का है

पीत न जाने जात कुजात

प्रेम करने से पहले मनुष्य ज़ात देखकर प्रेम नहीं करता है, उसके लिए तो उसका प्रेमी ज़ात-पात और धर्म से बढ़कर होता है, प्यार के जुनून में जाति और कुलीनता आदि मायने नहीं रखते

मौक़ा' को न जाने देना

समय पर काम करना, अवसर को न खोना, अवसर के अनुसार करना

नाच न जाने आँगन टेढ़ा

वह निर्गुण व्यक्ति जो काम न करे और व्यर्थ का बहाना बनाए

गाना न जाने आँगन टेढ़ा

جب کوئی بے لیاقت آدمی اپنی نالائقی کو حیلے بہانے سے چھپانا چاہے تو اس کے متعلق کہتے ہیں ۔

घर जाने का रास्ता न मिलना

घबरा जाना, सिटपिटा जाना, आवारा, चक्कर काटना

सब से भला खसोटा न नफ़ा' जाने न टूटा

डाकू और लुटेरे को न किसी के नफ़ा की परवाह न किसी के नुक़्सान से ग़रज़

सूम का कुता जाए न जाने दे

बेफ़ैज़ बख़ील का साथी भी किसी को फ़ैज़ नहीं पहुंचने देता है

घाइल की गत घाइल जाने और न जाने कोई

केवल पीड़ित ही पीड़ित की स्थिति जानता है और कोई नहीं जानता

त्रिया चरित्र न जाने कोय, ख़सम मार के सती होय

स्त्री के धोखे और मक्कारी को कोई नहीं समझ सकता, पति की हत्या करके ख़ुद भी सती हो जाती है

बिच्छू का मंतर न जाने, बाँबी में हाथ डाले

ज़रा से काम की योग्यता नहीं रखता और बड़े कामों का साहस करता है

खेल न जाने मुर्ग़ी का उड़ाने लगा बाज़

साधारण काम को कर नहीं सकता बड़े कामों में हाथ डालता है, छोटे काम कर नहीं सकता, बड़े काम का ज़िम्मा लेता है

भोंदू भाव न जाने, पेट भरन से काम

मूर्ख को केवल रोटी खा लेने से काम होता है

सूम के घर का कुत्ता, जाए न जाने दे

कंजूस के कारिंदे भी किसी को देख नहीं सकते

अपने सूई न जाने दो, दूसरे के भाले कोंचो

स्वयं थोड़ी पीड़ा भी गवारा नहीं दूसरे पर बड़ी बड़ी विपत्तियाँ ढाई जाती हैं

जिसकी न फटी हो बिवाई वो क्या जाने पीर पराई

one who has not suffered cannot understand the sorrows of others or sympathize with them

जिस की न फटी हो बिवाई, वो क्या जाने पीर पराई

जिस को कभी दुख नहीं पहुंचा उस को दर्द मंदों के दर्द की क्या पर्वा

जिस के पाँव न बिवाई वो क्या जाने पीर पराई

रुक : जिस की ना फटी हो ब्वॉय अलख

जिसकी न फटी हो बिवाई वो क्या जाने पीड़ पराई

one who has not suffered cannot understand the sorrows of others or sympathize with them

जिस को न होवे बुवाई वो क्या जाने पीर पराई

रुक : जिस की ना फटी हो ब्वॉय वो किया जाने पैर पराई

जिस के पाँव न जाए बिवाई वो क्या जाने पीर पराई

۔(عو) جس کو بذات خود تکلیف نہیںہوئی وہ دوسرے کی تکلیف کو کیا سمجھے گا۔

घटे बढ़े की सार न जाने पेट भरन से काम

बेवक़ूफ़ों को पेट पालने ही से काम होता है

न जाने कौन

none knows who?

यूँ मत जाने बावरे कि पाप न पूछे कोय, साईं के दरबार में इक दिन लेखा होय

मूर्ख ये न समझ कि पाप को कोई नहीं पूछेगा ईश्वर के समक्ष एक दिन हिसाब देना होगा

प्रीतम प्रीतम सब कहें प्रीतम जाने न कोय, एक बार जो प्रीतम मिले सदा आनंद फिर होय

हर एक प्रेम करता है परंतु प्रेम की समझ किसी को नहीं

मन जाने पाप, माई जाने न बाप

मनुष्य अपने पापों को स्वयं भली भाँति जानता है, माँ-बाप नहीं जानते

अपने सूई न जाने दो, दूसरे के भाले घुसेड़ दो

स्वयं थोड़ी पीड़ा भी गवारा नहीं दूसरे पर बड़ी बड़ी विपत्तियाँ ढाई जाती हैं

पेश न जाने देना

बढ़त लेने से रोकना, जीत में बाधा डालना

भाव न जाने राव

बाज़ार की क़ीमत किसी के नियंत्रण में नहीं है, शासक क़ीमत नहीं जानता, जो चाहे वह मूल्य दे

हाथ से न जाने देना

۱۔ क़ाबू से बाहर ना होने देना, क़बज़े और क़ाबू में रखना, ताल्लुक़ ना छोड़ना (रुक : हाथ से जाने ना / नहीं देना)

हाथ से जाने न देना

۱۔ क़ाबू से निकलने ना देना , तर्क ना करना, ना छोड़ना

और की भूक न जानें, अपनी भूक आटा साने

अपनी परेशानी का ख़्याल होता है दूसरे की परेशानी का एहसास नहीं होता

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में न-जाने के अर्थदेखिए

न-जाने

na-jaaneنَہ جانے

स्रोत: हिंदी

वज़्न : 222

वाक्य

न-जाने के हिंदी अर्थ

 

  • कुछ पता नहीं, मालूम नहीं, ख़ुदा जाने, में नहीं जानता

शे'र

English meaning of na-jaane

 

  • did not know
  • who knows? nobody knows, God knows

نَہ جانے کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu

 

  • معلوم نہیں، کچھ پتا نہیں، خدا جانے

Urdu meaning of na-jaane

  • Roman
  • Urdu

  • maaluum nahiin, kuchh pata nahiin, Khudaa jaane

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न-जाने

कुछ पता नहीं, मालूम नहीं, ख़ुदा जाने, में नहीं जानता

न जाने क्यों

क्या वजह है , मालूम नहीं क्यों (अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए रब्त कलाम के लिए कहते हैं

जाने न जाने मैं भी नौशा की ख़ाला

خواہ مخواہ تعلق جتانے کے موقع پر کہتے ہیں

प्रीत न जाने जात कुजात नींद न जाने टूटी खाट, भूक न जाने बासी भात प्यास न जाने धोबी घाट

प्रेम करते समय कोई ये नहीं सोचता कि उस का प्रेमी किस जाति या वर्ण का है, जिस तरह नींद हर जगह और हर हालत में आ जाती है और भूख में मनुष्य को बासी रोटी भी अच्छी मालूम होती है और प्यास लगी हो तो मनुष्य ये नहीं देखता कि पानी शुद्ध है या अशुद्ध

सबसे भला खसोटा, न जाने नफ़' न जाने टोटा

क़ज़्ज़ाक़ को किसी के नफ़ा नुक़्सान की पर्वा नहीं होती

सबसे भला घसोटा, न जाने नफ़' न जाने टोटा

क़ज़्ज़ाक़ को किसी के नफ़ा नुक़्सान की पर्वा नहीं होती

प्रीत न जाने जात कुजात

मुहब्बत करते वक़्त कोई ये नहीं सोचता कि इस का महबूब किस ज़ात या क़ौम का है

पीत न जाने जात कुजात

प्रेम करने से पहले मनुष्य ज़ात देखकर प्रेम नहीं करता है, उसके लिए तो उसका प्रेमी ज़ात-पात और धर्म से बढ़कर होता है, प्यार के जुनून में जाति और कुलीनता आदि मायने नहीं रखते

मौक़ा' को न जाने देना

समय पर काम करना, अवसर को न खोना, अवसर के अनुसार करना

नाच न जाने आँगन टेढ़ा

वह निर्गुण व्यक्ति जो काम न करे और व्यर्थ का बहाना बनाए

गाना न जाने आँगन टेढ़ा

جب کوئی بے لیاقت آدمی اپنی نالائقی کو حیلے بہانے سے چھپانا چاہے تو اس کے متعلق کہتے ہیں ۔

घर जाने का रास्ता न मिलना

घबरा जाना, सिटपिटा जाना, आवारा, चक्कर काटना

सब से भला खसोटा न नफ़ा' जाने न टूटा

डाकू और लुटेरे को न किसी के नफ़ा की परवाह न किसी के नुक़्सान से ग़रज़

सूम का कुता जाए न जाने दे

बेफ़ैज़ बख़ील का साथी भी किसी को फ़ैज़ नहीं पहुंचने देता है

घाइल की गत घाइल जाने और न जाने कोई

केवल पीड़ित ही पीड़ित की स्थिति जानता है और कोई नहीं जानता

त्रिया चरित्र न जाने कोय, ख़सम मार के सती होय

स्त्री के धोखे और मक्कारी को कोई नहीं समझ सकता, पति की हत्या करके ख़ुद भी सती हो जाती है

बिच्छू का मंतर न जाने, बाँबी में हाथ डाले

ज़रा से काम की योग्यता नहीं रखता और बड़े कामों का साहस करता है

खेल न जाने मुर्ग़ी का उड़ाने लगा बाज़

साधारण काम को कर नहीं सकता बड़े कामों में हाथ डालता है, छोटे काम कर नहीं सकता, बड़े काम का ज़िम्मा लेता है

भोंदू भाव न जाने, पेट भरन से काम

मूर्ख को केवल रोटी खा लेने से काम होता है

सूम के घर का कुत्ता, जाए न जाने दे

कंजूस के कारिंदे भी किसी को देख नहीं सकते

अपने सूई न जाने दो, दूसरे के भाले कोंचो

स्वयं थोड़ी पीड़ा भी गवारा नहीं दूसरे पर बड़ी बड़ी विपत्तियाँ ढाई जाती हैं

जिसकी न फटी हो बिवाई वो क्या जाने पीर पराई

one who has not suffered cannot understand the sorrows of others or sympathize with them

जिस की न फटी हो बिवाई, वो क्या जाने पीर पराई

जिस को कभी दुख नहीं पहुंचा उस को दर्द मंदों के दर्द की क्या पर्वा

जिस के पाँव न बिवाई वो क्या जाने पीर पराई

रुक : जिस की ना फटी हो ब्वॉय अलख

जिसकी न फटी हो बिवाई वो क्या जाने पीड़ पराई

one who has not suffered cannot understand the sorrows of others or sympathize with them

जिस को न होवे बुवाई वो क्या जाने पीर पराई

रुक : जिस की ना फटी हो ब्वॉय वो किया जाने पैर पराई

जिस के पाँव न जाए बिवाई वो क्या जाने पीर पराई

۔(عو) جس کو بذات خود تکلیف نہیںہوئی وہ دوسرے کی تکلیف کو کیا سمجھے گا۔

घटे बढ़े की सार न जाने पेट भरन से काम

बेवक़ूफ़ों को पेट पालने ही से काम होता है

न जाने कौन

none knows who?

यूँ मत जाने बावरे कि पाप न पूछे कोय, साईं के दरबार में इक दिन लेखा होय

मूर्ख ये न समझ कि पाप को कोई नहीं पूछेगा ईश्वर के समक्ष एक दिन हिसाब देना होगा

प्रीतम प्रीतम सब कहें प्रीतम जाने न कोय, एक बार जो प्रीतम मिले सदा आनंद फिर होय

हर एक प्रेम करता है परंतु प्रेम की समझ किसी को नहीं

मन जाने पाप, माई जाने न बाप

मनुष्य अपने पापों को स्वयं भली भाँति जानता है, माँ-बाप नहीं जानते

अपने सूई न जाने दो, दूसरे के भाले घुसेड़ दो

स्वयं थोड़ी पीड़ा भी गवारा नहीं दूसरे पर बड़ी बड़ी विपत्तियाँ ढाई जाती हैं

पेश न जाने देना

बढ़त लेने से रोकना, जीत में बाधा डालना

भाव न जाने राव

बाज़ार की क़ीमत किसी के नियंत्रण में नहीं है, शासक क़ीमत नहीं जानता, जो चाहे वह मूल्य दे

हाथ से न जाने देना

۱۔ क़ाबू से बाहर ना होने देना, क़बज़े और क़ाबू में रखना, ताल्लुक़ ना छोड़ना (रुक : हाथ से जाने ना / नहीं देना)

हाथ से जाने न देना

۱۔ क़ाबू से निकलने ना देना , तर्क ना करना, ना छोड़ना

और की भूक न जानें, अपनी भूक आटा साने

अपनी परेशानी का ख़्याल होता है दूसरे की परेशानी का एहसास नहीं होता

संदर्भग्रंथ सूची: रेख़्ता डिक्शनरी में उपयोग किये गये स्रोतों की सूची देखें .

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