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घर के ही न घेरते

किसी लायक़ होते तो अपना ही काम/नाम ना सँभालते

घर के रहे न बार के

रुक : घर के रहे ना दर के

घर के हुए न दर के

कहीं के न रहे

आई न गई छू-छू घर ही में रही

संयोग से घर में आई अब निकलती ही नहीं, मेहमान जो घर में आकर बैठ रहे, उसके बारे में बातें करते हैं

घर के पास न फटकना

۔گھر کی طرف مطلق رُخ نہ کرنا۔

बेटी बाप ही के घर है

अभी क्रियान्वयन नहीं हुआ है, अभी कुछ नहीं बिगड़ा है, (उस अवसर पर बोलते हैं जब पूर्व-निर्धारित योजना में क्रियान्वयन से पहले कोई दोष या ख़राबी दिखाई दे)

घर के रहे न दर के

घर का रहना न बाहर का, कहीं का न रहना

न ख़ुदा ही मिला न विसाल-ए-सनम, न इधर के रहे न उधर के रहे

ऐसा काम किया गया कि हर तरह हानि हुई, कोई काम पूरा नहीं हुआ

कोल्हू के बैल को घर ही में है

ग़रीब मज़दूर को घर में मुसीबत रहती और नसीब की गर्दिश से ग़रीब हीराब-ओ-सरगरदां रहता है, मुसीबत के मारे को घर में भी आराम नहीं मिलता

अभी तो बेटी बाप ही के घर है

अभी तक मुआमला क़ाबू से बाहर नहीं हुआ, अभी अवस्था में सुधार संभव है

न ख़ुदा ही मिला न विसाल-ए-सनम, न इधर के हुए न उधर के हुए

ऐसा काम किया गया कि हर तरह हानि हुई, कोई काम पूरा नहीं हुआ

तेली के बैल को घर ही कोस पचास

ग़रीब आदमी को घर ही के काम धंदे की मेहनत सख़्त है

तेली के बैल को घर ही पचास कोस

ग़रीब आदमी को घर ही के काम धंदे की मेहनत सख़्त है

कोल्हू के बैल को घर ही कोस पचास

ग़रीब मज़दूर को घर में मुसीबत रहती और नसीब की गर्दिश से ग़रीब हीराब-ओ-सरगरदां रहता है, मुसीबत के मारे को घर में भी आराम नहीं मिलता

धोबी के घर पड़े चोर, वो न लुटा लुटे और

ज़ाहिर में नुक़सान किसी का और असल में किसी और का, धोबी की चोरी हो तो दूसरों का माल जाता है

सूम के घर का कुत्ता, जाए न जाने दे

कंजूस के कारिंदे भी किसी को देख नहीं सकते

घर का और दिल का भेद हर एक के सामने न कहें

अपने दिल और घर की बात हर एक से नहीं कहनी चाहिए, गोपनीयता से काम लेना चाहिए

घर रहे न तीरथ गए मूँड मूँडा के जोगी भए

किसी काम के न रहे सारी मेहनत बेकार गई, मुफ़्त का अपमान हुआ लाभ कोई न हुआ

लाल बुझक्कड़ बूझियाँ और न बूझा कोए, कड़ी बड़ंगा तोड़ के ऊपर ही को लो

एक लड़का एक खंबा को दोनों हाथों से पकड़े हुए था, बाप ने चुने दिए तो उसने दोनों हाथ फैला कर ले लिए फिर हाथ न निकल सके, लाल बुझक्कड़ को बुलाया गया, उसने कहा कि छत उतार कर लड़के को ऊपर खींच लो

अपना है ही ना दूसरे के दानी

झूठ-मूठ की डींगें मारने वाला, दूसरे के माल पर दानी बनना

वैसा ही तो को फल मिले जैसा बीज बोवाय, नीम बोय के बालके गाँडा कोई न खाय

जैसा करोगे वैसा भरोगे

वैसा ही तो को फल मिले जैसा बीज बोवाए, नीम बोय के निकले गाँडा कोई न खाए

जैसा करोगे वैसा भरोगे

जिस बहूड़ की बैरन सास, वाका कधी न हो घर वास

जिस बहू की सास दुश्मन हो, उस का बसना मुश्किल हो जाता है

जिस का आँचल ग़ैर मर्द ने न देखा हो

با حیا اور با غیرت عورت کے لئے کہا جاتا ہے .

मेंह का लड़का और नौकरी घड़ी घर ही नहीं हुआ करते

यह चीज़ें बहुत मुश्किल से मिलती हैं

धोबी का घर 'ईद ही को सूझता है

प्रले दर्जा के कंजूस और कृपण के बारे में बोलते हैं जो अपने कपड़े ईद के अलावा और किसी दिन न धुलवाए

घर का न हुआ दर का

कहीं का न रहा, निकम्मा हो गया

इस घर का बाबा-आदम ही निराला है

यहाँ की जो बात है वह ज़माने से नई और अनोखी है

ग़ैर के लिए कुँवाँ खोदेगा, सो आप ही डूबे गा

जो दूसरे को नुक़्सान पहुंचाने की कोशिश करता है ख़ुद ही नुक़्सान उठाता है

जिस बहुअर की बहरी सास, उस का कभी न हो घर वास

जिस स्त्री की सास बहरी हो, वह कभी घर में नहीं रुकती

जा की अच्छी सास वा का ही घर वास, जा की सास नकारा वा का नहीं गुज़ारा

जिस की सास अच्छी हो इस का गुज़ारा अच्छा होता है, जिस की सास बुरी हुबहू मुसीबत में रहती है

ज़र-दार मर्द ना हर घर में रहे कि बाहर

सोने से पुरूष का शासन और प्रताप है घर में भी और बाहर भी

वो फूल ही क्या जो कि महेसर न चढ़े

पारबती देवी की मूर्ती पर चढ़ाया हुआ वह फूल जो उसके सर पर रह जाता था और सबसे ऊँचा गिना जाता था

ज़ामिन न होवे बाप का, ये ज़ामिनी घर पाप का

उत्तरदायित्व बनना या ज़मानत देना बहुत बुरा है, इस से इंकार कर देना अच्छा है

घर की बिल्ली और घर ही में शिकार

घरेलू एवं आपसी झगड़ों अथवा विवादों के समय प्रयुक्त

घर की बला घर ही में

विधवा स्त्री का विवाह उस के देवर या जेठ से कर दें तो कहते हैं

घर का हवा न दर का

कहीं का नहीं रहा, किसी लायक़ नहीं, अनुपयोगी

धोबी का गधा घर का न घाट का

हर तरफ़ से टकराया हुआ, नाकाम-ओ-नामुराद , उस शख़्स की बाबत कहेंगे जिसे हर तरफ़ से धुतकार देव गया हो

दोस क्या दीजिए चोर को साहब, बंद जब आप घर का दर न किया

जब ख़ुद हिफ़ाज़त नहीं की तो चोर का क्या क़सूर

तन पर चीज़ न घर माँ नाज , दूसरे का रूपा गाज

इस शख़्स के मुताल्लिक़ कहते हैं जो अपनी हैसियत से बढ़ कर काम करना चाहे

ओछे के घर खाना, जनम जनम का ता'ना

नीच थोड़ा एहसान करके हमेशा ता'ने दिया करता है

बुढ़िया के मरने का रंज नहीं फ़रिश्तों ने घर देख लिया

एक बार के नुक़्सान का ग़म नहीं, चिंता ये है कि आगे के लिए नुक़्सानात का ख़तरा पैदा हो गया

कोठी कुठले को हाथ न लगाओ, घर बार आप का है

ज़बानी बहुत हमदर्दी मगर कुछ देने को तैय्यार नहीं, क़ीमती चीज़ अपने क़बज़ा में, फ़ुज़ूल चीज़ों से दूसरों को ख़ुश करना होतो कहते हैं

जिस घर बडे न बूझें दीपक जले न साँझ, वो घर उजड़ जाएँगे जिन की त्रिया बाँझ

जिस घर में बड़ों की इज़्ज़त ना हो या शाम को दिए ना जलें या जिस घर में बांझ औरत हो वो घर उजड़ जाते हैं

धोबी का कुत्ता घर का न घाट का

हर जगह से ठुकराया हुआ, नाकाम-ओ-नामुराद अर्थात कहीं का भी न रहना

जिस घर बड़े न बूझिए दीपक जले न साँझ, वो घर उजड़ जानिए जिन की त्रिया बाँझ

जिस घर में बड़ों की इज़्ज़त ना हो या शाम को दिए ना जलें या जिस घर में बांझ औरत हो वो घर उजड़ जाते हैं

बी बी वारे बाँदी खाए, घर की बला कहीं न जाए

घर की मालिका अगर दान-दक्षिणा घर ही में बाँदी को दे दे तो उसका देना न देना बराबर है

ये दुनिया दिन चार है संग न तेरे जा, साईं का रख आसरा और वा से ही नेह लगा

ये संसार नश्वर है, ईश्वर से ध्यान लगा

घर की राह न मिलना

ऐसा बदहवास हो जाना कि घर का रास्ता भी ना मिलना

परदेसी की पीत को सब का जी ललचाय, दो ही बातों का खोट है रहे न संग ले जाय

परदेसी के प्रेम में दो बातों का खोट अथवा नुक़्सान है कि न तो वो रहता है न साथ ले जाता है

घर की आधी न बाहर की सारी

۔مثل۔ گھر کی آمدنی باہر کی زیادہ آمدنی سے بہتر ہے۔ وطن کی آدھی روٹی پردیس کی ساری سے اچھّی ہے۔

घर की आधी न बाहर की सारी

अपने देश में रह कर अगर कम आमदनी भी हो तो विदेश की अधिक आमदनी से बेहतर है, घर की कम आमदनी बाहर की ज़्यादा आमदनी से बेहतर है

घर घर का एक ही लेखा

सब का एक ही हाल है

घर का राह न मिलना

۔ایسا بدحواس ہوجانا کہ گھر کا رستہ بھی نہ ملے۔ ؎

न घर का , न घाट का

रुक : धोबी का कुत्ता ना घर का ना घाट का

कुत्ता घर का रहा न घाट का

रुक : धोबी का कुत्ता, घर का ना घाट का

घर की मूँछें ही मूँछें हैं

कंगाल आदमी के संबंध में कहते हैं अर्थात घर में कुछ नहीं है

घर का न घाट का

बेठिकाना, अनुपयोगी, किसी लायक़ नहीं, वो जिस का कहीं ठिकाना न हो, धोबी का कुत्ता घर का ना घाट का

घर जाने का रास्ता न मिलना

घबरा जाना, सिटपिटा जाना, आवारा, चक्कर काटना

बाहर की चिकनी चुपड़ी से घर की रूखी ही भली

अपनी कमाई का मा'मूली खाना भी दूसरों के दिए हुए उम्दा खाने से अच्छा होता है

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में न घर का , न घाट का के अर्थदेखिए

न घर का , न घाट का

na ghar kaa , na ghaaT kaaنَہ گَھر کا ، نَہ گھاٹ کا

कहावत

न घर का , न घाट का के हिंदी अर्थ

  • रुक : धोबी का कुत्ता ना घर का ना घाट का

نَہ گَھر کا ، نَہ گھاٹ کا کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu
  • رک : دھوبی کا کتا نہ گھر کا نہ گھاٹ کا ۔

Urdu meaning of na ghar kaa , na ghaaT kaa

  • Roman
  • Urdu

  • ruk ha dhobii ka kuttaa na ghar ka na ghaaT ka

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घर के ही न घेरते

किसी लायक़ होते तो अपना ही काम/नाम ना सँभालते

घर के रहे न बार के

रुक : घर के रहे ना दर के

घर के हुए न दर के

कहीं के न रहे

आई न गई छू-छू घर ही में रही

संयोग से घर में आई अब निकलती ही नहीं, मेहमान जो घर में आकर बैठ रहे, उसके बारे में बातें करते हैं

घर के पास न फटकना

۔گھر کی طرف مطلق رُخ نہ کرنا۔

बेटी बाप ही के घर है

अभी क्रियान्वयन नहीं हुआ है, अभी कुछ नहीं बिगड़ा है, (उस अवसर पर बोलते हैं जब पूर्व-निर्धारित योजना में क्रियान्वयन से पहले कोई दोष या ख़राबी दिखाई दे)

घर के रहे न दर के

घर का रहना न बाहर का, कहीं का न रहना

न ख़ुदा ही मिला न विसाल-ए-सनम, न इधर के रहे न उधर के रहे

ऐसा काम किया गया कि हर तरह हानि हुई, कोई काम पूरा नहीं हुआ

कोल्हू के बैल को घर ही में है

ग़रीब मज़दूर को घर में मुसीबत रहती और नसीब की गर्दिश से ग़रीब हीराब-ओ-सरगरदां रहता है, मुसीबत के मारे को घर में भी आराम नहीं मिलता

अभी तो बेटी बाप ही के घर है

अभी तक मुआमला क़ाबू से बाहर नहीं हुआ, अभी अवस्था में सुधार संभव है

न ख़ुदा ही मिला न विसाल-ए-सनम, न इधर के हुए न उधर के हुए

ऐसा काम किया गया कि हर तरह हानि हुई, कोई काम पूरा नहीं हुआ

तेली के बैल को घर ही कोस पचास

ग़रीब आदमी को घर ही के काम धंदे की मेहनत सख़्त है

तेली के बैल को घर ही पचास कोस

ग़रीब आदमी को घर ही के काम धंदे की मेहनत सख़्त है

कोल्हू के बैल को घर ही कोस पचास

ग़रीब मज़दूर को घर में मुसीबत रहती और नसीब की गर्दिश से ग़रीब हीराब-ओ-सरगरदां रहता है, मुसीबत के मारे को घर में भी आराम नहीं मिलता

धोबी के घर पड़े चोर, वो न लुटा लुटे और

ज़ाहिर में नुक़सान किसी का और असल में किसी और का, धोबी की चोरी हो तो दूसरों का माल जाता है

सूम के घर का कुत्ता, जाए न जाने दे

कंजूस के कारिंदे भी किसी को देख नहीं सकते

घर का और दिल का भेद हर एक के सामने न कहें

अपने दिल और घर की बात हर एक से नहीं कहनी चाहिए, गोपनीयता से काम लेना चाहिए

घर रहे न तीरथ गए मूँड मूँडा के जोगी भए

किसी काम के न रहे सारी मेहनत बेकार गई, मुफ़्त का अपमान हुआ लाभ कोई न हुआ

लाल बुझक्कड़ बूझियाँ और न बूझा कोए, कड़ी बड़ंगा तोड़ के ऊपर ही को लो

एक लड़का एक खंबा को दोनों हाथों से पकड़े हुए था, बाप ने चुने दिए तो उसने दोनों हाथ फैला कर ले लिए फिर हाथ न निकल सके, लाल बुझक्कड़ को बुलाया गया, उसने कहा कि छत उतार कर लड़के को ऊपर खींच लो

अपना है ही ना दूसरे के दानी

झूठ-मूठ की डींगें मारने वाला, दूसरे के माल पर दानी बनना

वैसा ही तो को फल मिले जैसा बीज बोवाय, नीम बोय के बालके गाँडा कोई न खाय

जैसा करोगे वैसा भरोगे

वैसा ही तो को फल मिले जैसा बीज बोवाए, नीम बोय के निकले गाँडा कोई न खाए

जैसा करोगे वैसा भरोगे

जिस बहूड़ की बैरन सास, वाका कधी न हो घर वास

जिस बहू की सास दुश्मन हो, उस का बसना मुश्किल हो जाता है

जिस का आँचल ग़ैर मर्द ने न देखा हो

با حیا اور با غیرت عورت کے لئے کہا جاتا ہے .

मेंह का लड़का और नौकरी घड़ी घर ही नहीं हुआ करते

यह चीज़ें बहुत मुश्किल से मिलती हैं

धोबी का घर 'ईद ही को सूझता है

प्रले दर्जा के कंजूस और कृपण के बारे में बोलते हैं जो अपने कपड़े ईद के अलावा और किसी दिन न धुलवाए

घर का न हुआ दर का

कहीं का न रहा, निकम्मा हो गया

इस घर का बाबा-आदम ही निराला है

यहाँ की जो बात है वह ज़माने से नई और अनोखी है

ग़ैर के लिए कुँवाँ खोदेगा, सो आप ही डूबे गा

जो दूसरे को नुक़्सान पहुंचाने की कोशिश करता है ख़ुद ही नुक़्सान उठाता है

जिस बहुअर की बहरी सास, उस का कभी न हो घर वास

जिस स्त्री की सास बहरी हो, वह कभी घर में नहीं रुकती

जा की अच्छी सास वा का ही घर वास, जा की सास नकारा वा का नहीं गुज़ारा

जिस की सास अच्छी हो इस का गुज़ारा अच्छा होता है, जिस की सास बुरी हुबहू मुसीबत में रहती है

ज़र-दार मर्द ना हर घर में रहे कि बाहर

सोने से पुरूष का शासन और प्रताप है घर में भी और बाहर भी

वो फूल ही क्या जो कि महेसर न चढ़े

पारबती देवी की मूर्ती पर चढ़ाया हुआ वह फूल जो उसके सर पर रह जाता था और सबसे ऊँचा गिना जाता था

ज़ामिन न होवे बाप का, ये ज़ामिनी घर पाप का

उत्तरदायित्व बनना या ज़मानत देना बहुत बुरा है, इस से इंकार कर देना अच्छा है

घर की बिल्ली और घर ही में शिकार

घरेलू एवं आपसी झगड़ों अथवा विवादों के समय प्रयुक्त

घर की बला घर ही में

विधवा स्त्री का विवाह उस के देवर या जेठ से कर दें तो कहते हैं

घर का हवा न दर का

कहीं का नहीं रहा, किसी लायक़ नहीं, अनुपयोगी

धोबी का गधा घर का न घाट का

हर तरफ़ से टकराया हुआ, नाकाम-ओ-नामुराद , उस शख़्स की बाबत कहेंगे जिसे हर तरफ़ से धुतकार देव गया हो

दोस क्या दीजिए चोर को साहब, बंद जब आप घर का दर न किया

जब ख़ुद हिफ़ाज़त नहीं की तो चोर का क्या क़सूर

तन पर चीज़ न घर माँ नाज , दूसरे का रूपा गाज

इस शख़्स के मुताल्लिक़ कहते हैं जो अपनी हैसियत से बढ़ कर काम करना चाहे

ओछे के घर खाना, जनम जनम का ता'ना

नीच थोड़ा एहसान करके हमेशा ता'ने दिया करता है

बुढ़िया के मरने का रंज नहीं फ़रिश्तों ने घर देख लिया

एक बार के नुक़्सान का ग़म नहीं, चिंता ये है कि आगे के लिए नुक़्सानात का ख़तरा पैदा हो गया

कोठी कुठले को हाथ न लगाओ, घर बार आप का है

ज़बानी बहुत हमदर्दी मगर कुछ देने को तैय्यार नहीं, क़ीमती चीज़ अपने क़बज़ा में, फ़ुज़ूल चीज़ों से दूसरों को ख़ुश करना होतो कहते हैं

जिस घर बडे न बूझें दीपक जले न साँझ, वो घर उजड़ जाएँगे जिन की त्रिया बाँझ

जिस घर में बड़ों की इज़्ज़त ना हो या शाम को दिए ना जलें या जिस घर में बांझ औरत हो वो घर उजड़ जाते हैं

धोबी का कुत्ता घर का न घाट का

हर जगह से ठुकराया हुआ, नाकाम-ओ-नामुराद अर्थात कहीं का भी न रहना

जिस घर बड़े न बूझिए दीपक जले न साँझ, वो घर उजड़ जानिए जिन की त्रिया बाँझ

जिस घर में बड़ों की इज़्ज़त ना हो या शाम को दिए ना जलें या जिस घर में बांझ औरत हो वो घर उजड़ जाते हैं

बी बी वारे बाँदी खाए, घर की बला कहीं न जाए

घर की मालिका अगर दान-दक्षिणा घर ही में बाँदी को दे दे तो उसका देना न देना बराबर है

ये दुनिया दिन चार है संग न तेरे जा, साईं का रख आसरा और वा से ही नेह लगा

ये संसार नश्वर है, ईश्वर से ध्यान लगा

घर की राह न मिलना

ऐसा बदहवास हो जाना कि घर का रास्ता भी ना मिलना

परदेसी की पीत को सब का जी ललचाय, दो ही बातों का खोट है रहे न संग ले जाय

परदेसी के प्रेम में दो बातों का खोट अथवा नुक़्सान है कि न तो वो रहता है न साथ ले जाता है

घर की आधी न बाहर की सारी

۔مثل۔ گھر کی آمدنی باہر کی زیادہ آمدنی سے بہتر ہے۔ وطن کی آدھی روٹی پردیس کی ساری سے اچھّی ہے۔

घर की आधी न बाहर की सारी

अपने देश में रह कर अगर कम आमदनी भी हो तो विदेश की अधिक आमदनी से बेहतर है, घर की कम आमदनी बाहर की ज़्यादा आमदनी से बेहतर है

घर घर का एक ही लेखा

सब का एक ही हाल है

घर का राह न मिलना

۔ایسا بدحواس ہوجانا کہ گھر کا رستہ بھی نہ ملے۔ ؎

न घर का , न घाट का

रुक : धोबी का कुत्ता ना घर का ना घाट का

कुत्ता घर का रहा न घाट का

रुक : धोबी का कुत्ता, घर का ना घाट का

घर की मूँछें ही मूँछें हैं

कंगाल आदमी के संबंध में कहते हैं अर्थात घर में कुछ नहीं है

घर का न घाट का

बेठिकाना, अनुपयोगी, किसी लायक़ नहीं, वो जिस का कहीं ठिकाना न हो, धोबी का कुत्ता घर का ना घाट का

घर जाने का रास्ता न मिलना

घबरा जाना, सिटपिटा जाना, आवारा, चक्कर काटना

बाहर की चिकनी चुपड़ी से घर की रूखी ही भली

अपनी कमाई का मा'मूली खाना भी दूसरों के दिए हुए उम्दा खाने से अच्छा होता है

संदर्भग्रंथ सूची: रेख़्ता डिक्शनरी में उपयोग किये गये स्रोतों की सूची देखें .

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