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मिसरा'

मिश्रा जो इस का असल इमला है, आधा शेर, पद, बैत या फ़र्द का आधा हिस्सा

मिसरा'-ए-सर्व

बे-ऐब मिसरा जिस में कोई नुक़्स ना हो

मिस्रा'

उर्दू फारसी आदि को कविता में, किसी कविता आदि का आधारभूत पहला चरण।

मिस्रा'

ایک طرف کا کواڑ ، دروازے کا ایک پٹ ۔

मिसरा'ई-शिगुफ़्तगी

(वनस्पतिविज्ञान) पौधों के अंडकोष का फैला होना

मिसरा'ई

ایک ترتیب جبکہ پتوں کے حاشیے جانباً ایک دوسرے کو محض چھوتے ہوں لیکن ایک دوسرے کو ڈھانکے ہوئے نہ ہوں (Valvate) ۔

मिसरा' लगाना

किसी एक मिसरे पर अपनी जानिब से दूसरा मिसरा लगा कर शेर पूरा करना, गिरह लगाना

मिस्रा'-बंदी

مصرع باندھنا ، ایک مصرعے پر دوسرا مصرع لگا کر شعر پورا کرنا ۔

मिस्रा'-ए-तर्जी'

(شاعری) ٹیپ کے طور پر جس ایک مصرعے کی ترجیع کی جائے ۔

मिस्रा'-ए-सानी

शेर की दूसरी पंक्ति

मिस्रा'-ए-पेचीदा

(شاعری) وہ مصرع، جو لفظی یا معنوی طور پر الجھا ہوا یا دقیق ہو، وہ مصرع جس کا مضمون دقیق ہو

मिस्रा'-ए-तुला

رک : مصرعِ برجستہ ۔

मिस्रा'-ए-मौज़ूँ

(शायरी) मिसरा जो बहरके मुताबिक़ हो, वो मिसरा जो मुक़र्ररा वज़न के मुताबिक़ हो

मिस्रा'-नुमा

مصرعے جیسا ، ایک شعر کا نصف جیسا ۔

मिस्रा'-ए-ऊला

first hemistich,line (in poetry, couplet)

मिस्रा'-ए-मुरक्कब

شعر کے دوسرے مصرع سے مربوط مصرع ۔

मिस्रा'-ए-पुर्कुन

ایسا مصرع جس میں بھرتی کا کوئی لفظ موجود ہو ، ایسے مصرعے میں بھرتی کا کوئی لفظ موجود ہو تو ایسے لفظ کو مصرع پرکن کہا جاتا ہے کیونکہ اسے افادئہ معنی میں کوئی دخل نہیں ہوتا

मिस्रा'-ए-तरह

वह चरण जिसे आधार बनाकर कोई कविता लिखी जाती हो

मिस्रा'-तर

(شاعری) شگفتہ اور عمدہ مصرع، بامزہ مصرع

मिस्रा'-ए-दोलख़्त होना

कविता के दो छंदों के बीच संबंध का अभाव, जो कविता का दोष है

मिस्रा'-ए-बरजस्ता

कविता में लिखी वह पंक्ति जो बिना किसी संघर्ष और विचार के हासिल हो

मिस्रा'-दार

(نباتیات) صمام دار ، صمام کے ذریعے کھلنے والا جیسے بعض زیرہ دان ، ایسے حصوں سے بنا ہوا یا اس سے متصف ؛ کھل مندنی ۔

मिस्रा'-ए-अव्वल

कविता की पहली पंक्ति

मिस्रा'-ए-शमशाद

wrestling arena or throwing down of leaf or half of door of wood of the the box-tree, Buxus Sempervirens

मिस्रा'-क़द

(शायरी) क़द का रूपक मिस्रे से करते हैं

मिस्रा'-ए-तरह करना

वह चरण जिसे आधार बनाकर कोई कविता लिखी जाती हो

मिस्रा'-ए-तरह होना

۔لازم۔؎

मिस्रा' निकालना

मिसरा कहना, तरह का मिसरा निकालना

मिस्रा' होना

मिसरा मौज़ँ अथवा बहर और वज़्न में होना

मिस्रा' लगना

मिसरा लगाना (रुक) का लाज़िम, गिरह लगना

मिस्रा' घटना

(उरूज़) मिसरा के अरकान में कमी वाक़्य होना, बहर पर पूरा ना उतरना

मिस्रा' उठाना

गाने या ग़ज़ल के बोल को ऊँचा पढ़ना या दोहराना

मिस्रा' लड़ना

एक कवि के चरण दूसरे कवि के चरण के अनुसार होना, किसी चरण का परस्पर एक होना, दो कवियों से एक जैसे चरण निकल जाना अर्थात किसी बात में मिलान होना

मिस्रा-ए-सर्द

۔(ف) مذکر۔ مصرع کا سرد سے استعارہ کرتےہیں۔؎

पेश-ए-मिस्रा'

शेर या फ़र्द का पहला मिस्रा, मिस्रा-ए-ऊला

मिस्रा

رک : مصرع جو اس کا درست املا ہے ۔

तरह-मिस्रा'

basic or set verse used for composing a poem, especially in a poetry-recital session

चौ-मिस्रा'

چار مصرعوں والا ، مربع.

मिस्रा दुरुस्त होना

۔ جب شعر کے دونوں مصرعوں کو کوئی ربط آپس میں نہیں ہوتا ۔ تو کہتے ہیں مصرعے دولخت ہیں۔

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में मिसरा' के अर्थदेखिए

मिसरा'

misraa'مِصْرَعَہ

स्रोत: अरबी

वज़्न : 221

बहुवचन: मिसरे'

शब्द व्युत्पत्ति: स-र-अ

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सचित्र संदर्भ

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मिसरा' के हिंदी अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग, एकवचन

  • मिश्रा जो इस का असल इमला है, आधा शेर, पद, बैत या फ़र्द का आधा हिस्सा

English meaning of misraa'

Noun, Masculine, Singular

  • one line of couplet

مِصْرَعَہ کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu

اسم، مذکر، واحد

  • مصرع جو اس کا اصل املا ہے، آدھا شعر، پد، بیت یا فرد کا نصف حصہ

Urdu meaning of misraa'

  • Roman
  • Urdu

  • misraa jo is ka asal imlaa hai, aadhaa shear, pad, bait ya fard ka nisf hissaa

मिसरा' के अंत्यानुप्रास शब्द

मिसरा' से संबंधित रोचक जानकारी

مصرعہ ’’مصرع‘‘ اور’’مصرعہ‘‘ ہم معنی ہیں۔’’مصرع‘‘ کے بارے میں کوئی شک نہیں کہ عربی ہے۔ لیکن ’’مصرعہ‘‘ کہاں سے آیا، یہ نہیں کھلتا۔ بظاہر اسے’’مصرع‘‘ کی تانیث ہونا چاہئے، لیکن تانیث کی ضرورت کوئی معلوم نہیں ہوتی۔ ممکن ہے کہ یہاں تائے وحدت ہو، لیکن یہ بھی ہے کہ عربی کے مقبول لغات، اور فارسی کے کسی مستند لغت میں ’’مصرعہ‘‘ کسی بھی معنی میں نہیں ملتا۔غالب نے لکھا ہے : ’’تقدیم و تاخیرمصرعتین کرکے رہنے دو‘‘ (بنام جنون بریلوی، مورخہ۲۴ اگست، ۱۸۴۶)۔ اس سے معلوم ہوتا ہے کہ ’’مصرعہ‘‘ کو غالب درست سمجھتے تھے اور اسے عربی قرار دیتے تھے، کیونکہ انھوں نے اس کی جمع عربی تثنیہ کے قاعدے سے ’’مصرعتین‘‘ بنائی ہے۔ ’’آنند راج‘‘ کے ایرانی ایڈیشن میں خان آرزو کا مندرجہ ذیل شعر’’مصرع‘‘ کی سند میں دیا ہے، اور’’مصرع‘‘ کو’’مصرعہ‘‘ لکھا ہے ؎ گر شود فوارہ نخل مصرعۂ ما دور نیست تخم اشکے در زمین شعر می کاریم ما اس سے گمان گذرتا ہے کہ ’’مصرع‘‘ اور’’مصرعہ‘‘ دونوں کے تلفظ میں خان آرزو نے کوئی فرق نہیں کیا ہے۔ لیکن یہی شعر’’بہارعجم‘‘ میں بھی ہے اور وہاں ’’مصرعہ‘‘ نہیں بلکہ محض ’’مصرع‘‘ لکھا ہے۔ شیکسپیئر کے لغت میں ’’مصرعہ‘‘ موجود ہے، اور اسے عربی بتایا گیاہے۔ اسٹائنگاس (Steingass) نے بھی اسے درج کیا ہے، لیکن اسے ’’عربی سے ماخوذ‘‘ (یعنی ٹکسالی عربی میں نہیں) لکھا ہے۔ٹامپسن نے صرف ’’مصراع‘‘ لکھا ہے، گویا وہ ’’مصرع/مصرعہ‘‘ کے وجود سے بے خبر ہے۔ ’’نوراللغات‘‘ اور’’غیاث‘‘ اور’’آنند راج‘‘ کسی میں ’’مصرعہ‘‘ درج نہیں، ہاں ان لغات کی عبارت کے اندرلفظ ’’مصراع‘‘ کئی جگہ استعمال کیا گیا ہے۔ پلیٹس (Platts) نے ’’مصرعہ‘‘ درج کیا ہے اور اسے فارسی بتایا ہے۔ یہی زیادہ درست معلوم ہوتا ہے۔ اغلب یہ ہے کہ فارسی والوں نے’’مصرع‘‘ پر ہائے ہوز کا اضافہ کر لیا ہے لیکن معنی میں کوئی تبدیلی نہیں کی۔ دوسرا مسئلہ تلفظ کا ہے۔ ’’مصرع‘‘ ہو یا ’’مصرعہ‘‘، اردو میں دونوں کا تلفظ عین کے بغیر(مصرہ) ہے۔ یعنی عین کی جگہ چھوٹی ہ بولتے ہیں، اور چھوٹی ہ کا تلفظ ہائے مختفی کی طرح کرتے ہیں۔ جمع، امالہ، اور مجرور حالت میں بھی عین سنائی نہیں دیتا۔ پرانے لوگ شعر میں اسے بغیر اظہار عین باندھ لیتے تھے، سودا ؎ مصرعوں میں اگر پشۂ معنی ہو قلم بند زعم اپنے میں سمجھے ہیں کیا پیل کو زنجیر یہاں ’’مصرعوں‘‘ کا وزن فعلن یا بروزن ’’مصروں‘‘ ہے۔ اگر بعض دیگر نسخوں کی قرأت اختیار کرکے پہلا لفظ ’’مصرع‘‘ لکھیں تو اور بات ہے، کہ اس طرح عین کا اظہار ہوجاتا ہے، لیکن روانی بے طرح مجروح ہوتی ہے، یا پھر یہاں ’’مصرعے‘‘ لکھا جائے تو بات وہی رہتی ہے جو ’’مصرعوں‘‘ لکھنے میں تھی، کہ عین ساقط ہوجاتا ہے ۔ دوسری بات یہ کہ بعض حالتوں میں ’’مصرَع‘‘ بفتح سوم کی جگہ ’’مصرِع‘‘ یعنی ’’مصرے‘‘ بکسرعین بولاجاتا ہے۔ مثلاً: اس مصرع میں ایک حرف زائد ہے۔ ان کے مصرع کی خوبی میں کلام نہیں۔ میرے مصرع میں کوئی عیب نہیں۔ مصرع کی ساخت بگڑ گئی۔ وغیرہ۔ ایسے تمام حالات میں لفظ ’’مصرع‘‘ کا تلفظ ’’مصرے‘‘ ہوگا۔ یعنی اردو والوں نے ’’مصرع‘‘ کے عین کو ہائے ہوز فرض کیا اور اس پر امالہ جاری کردیا، جیسے پردہ/پردے، کپڑا/کپڑے، کمرہ/کمرے سچ ہے زبان کسی کی پابند نہیں، صرف اپنی محکوم ہوتی ہے۔ حاصل کلام یہ کہ ’’مصرعہ‘‘ غالباً فارسی والوں کا بنایا ہوا لفظ ہے۔ اردو میں اس کا استعمال اب بہت کم ہے۔ لیکن ’’مصرع‘‘ ہو یا ’’مصرعہ‘‘، ان کے تلفظ میں عین کا اظہار ہمارے یہاں نہیں ہوتا، اور یہی ٹھیک بھی ہے۔

ماخذ: لغات روز مرہ    
مصنف: شمس الرحمن فاروقی

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उर्दू फारसी आदि को कविता में, किसी कविता आदि का आधारभूत पहला चरण।

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ایک طرف کا کواڑ ، دروازے کا ایک پٹ ۔

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(वनस्पतिविज्ञान) पौधों के अंडकोष का फैला होना

मिसरा'ई

ایک ترتیب جبکہ پتوں کے حاشیے جانباً ایک دوسرے کو محض چھوتے ہوں لیکن ایک دوسرے کو ڈھانکے ہوئے نہ ہوں (Valvate) ۔

मिसरा' लगाना

किसी एक मिसरे पर अपनी जानिब से दूसरा मिसरा लगा कर शेर पूरा करना, गिरह लगाना

मिस्रा'-बंदी

مصرع باندھنا ، ایک مصرعے پر دوسرا مصرع لگا کر شعر پورا کرنا ۔

मिस्रा'-ए-तर्जी'

(شاعری) ٹیپ کے طور پر جس ایک مصرعے کی ترجیع کی جائے ۔

मिस्रा'-ए-सानी

शेर की दूसरी पंक्ति

मिस्रा'-ए-पेचीदा

(شاعری) وہ مصرع، جو لفظی یا معنوی طور پر الجھا ہوا یا دقیق ہو، وہ مصرع جس کا مضمون دقیق ہو

मिस्रा'-ए-तुला

رک : مصرعِ برجستہ ۔

मिस्रा'-ए-मौज़ूँ

(शायरी) मिसरा जो बहरके मुताबिक़ हो, वो मिसरा जो मुक़र्ररा वज़न के मुताबिक़ हो

मिस्रा'-नुमा

مصرعے جیسا ، ایک شعر کا نصف جیسا ۔

मिस्रा'-ए-ऊला

first hemistich,line (in poetry, couplet)

मिस्रा'-ए-मुरक्कब

شعر کے دوسرے مصرع سے مربوط مصرع ۔

मिस्रा'-ए-पुर्कुन

ایسا مصرع جس میں بھرتی کا کوئی لفظ موجود ہو ، ایسے مصرعے میں بھرتی کا کوئی لفظ موجود ہو تو ایسے لفظ کو مصرع پرکن کہا جاتا ہے کیونکہ اسے افادئہ معنی میں کوئی دخل نہیں ہوتا

मिस्रा'-ए-तरह

वह चरण जिसे आधार बनाकर कोई कविता लिखी जाती हो

मिस्रा'-तर

(شاعری) شگفتہ اور عمدہ مصرع، بامزہ مصرع

मिस्रा'-ए-दोलख़्त होना

कविता के दो छंदों के बीच संबंध का अभाव, जो कविता का दोष है

मिस्रा'-ए-बरजस्ता

कविता में लिखी वह पंक्ति जो बिना किसी संघर्ष और विचार के हासिल हो

मिस्रा'-दार

(نباتیات) صمام دار ، صمام کے ذریعے کھلنے والا جیسے بعض زیرہ دان ، ایسے حصوں سے بنا ہوا یا اس سے متصف ؛ کھل مندنی ۔

मिस्रा'-ए-अव्वल

कविता की पहली पंक्ति

मिस्रा'-ए-शमशाद

wrestling arena or throwing down of leaf or half of door of wood of the the box-tree, Buxus Sempervirens

मिस्रा'-क़द

(शायरी) क़द का रूपक मिस्रे से करते हैं

मिस्रा'-ए-तरह करना

वह चरण जिसे आधार बनाकर कोई कविता लिखी जाती हो

मिस्रा'-ए-तरह होना

۔لازم۔؎

मिस्रा' निकालना

मिसरा कहना, तरह का मिसरा निकालना

मिस्रा' होना

मिसरा मौज़ँ अथवा बहर और वज़्न में होना

मिस्रा' लगना

मिसरा लगाना (रुक) का लाज़िम, गिरह लगना

मिस्रा' घटना

(उरूज़) मिसरा के अरकान में कमी वाक़्य होना, बहर पर पूरा ना उतरना

मिस्रा' उठाना

गाने या ग़ज़ल के बोल को ऊँचा पढ़ना या दोहराना

मिस्रा' लड़ना

एक कवि के चरण दूसरे कवि के चरण के अनुसार होना, किसी चरण का परस्पर एक होना, दो कवियों से एक जैसे चरण निकल जाना अर्थात किसी बात में मिलान होना

मिस्रा-ए-सर्द

۔(ف) مذکر۔ مصرع کا سرد سے استعارہ کرتےہیں۔؎

पेश-ए-मिस्रा'

शेर या फ़र्द का पहला मिस्रा, मिस्रा-ए-ऊला

मिस्रा

رک : مصرع جو اس کا درست املا ہے ۔

तरह-मिस्रा'

basic or set verse used for composing a poem, especially in a poetry-recital session

चौ-मिस्रा'

چار مصرعوں والا ، مربع.

मिस्रा दुरुस्त होना

۔ جب شعر کے دونوں مصرعوں کو کوئی ربط آپس میں نہیں ہوتا ۔ تو کہتے ہیں مصرعے دولخت ہیں۔

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