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क्या करता क्या न करता

(मजबूरी-ओ-बेबसी के मौक़ा पर मुस्तामल) चारा नहीं था

मरता क्या न करता

जिस की जान पर आ बनती है वो सब कुछ कर गुज़रता है, विवशता की स्थिति में सब कुछ करना पड़ता है

ख़ुदा क्या करता है

स्थिति कैसे उत्पन्न होती है, हालात किस तरह पेश आते हैं

भूका मरता क्या नहीं करता

कंगाल आदमी निम्न से निम्न काम के लिए भी तैयार हो जाता है

देखो तो मैं क्या करता हूँ

(सम्मानजनक शब्द) मेरा हुनर अब आप देखिये, मेरी चतुराई अब आप देखिये

करता उस्ताद न करता शागिर्द

जो श्रम करता है वह दक्ष बन जाता है, न करने वाला अयोग्य रहता है

क्या करता है

ऐसा ना कर, बेजा फे़अल करता है, ना कर, बाज़ रह , किया मशग़ला रखता है, क्या काम करता है

क्या क्या न किया

۔सब कुछ किया। कौन सी कसर उठा रखी। (मज़मून) हम ने किया क्या ना तिहरे इशक़ में महबूब किया। सब्र एवबऑ किया गिरिया-ए-याक़ूब किया

क्या क्या न हुआ

कौन सी बात रह गई, कौन सा अपमान न हुआ, कौन सी रुसवाई न हुई

क्या क्या न हो गया

कौन सी बात रह गई, कौन सी रुसवाई ना हुई, बहुत कुछ हुआ

क्या न चाहिए

what is not wanting (to me), what do I not want, I want everything, nothing is wanting (to me), I have everything

क्या न चाहिए

कौन सी चीज़ है जिसकी आवश्यक्ता नहीं, क्या कहना है, क्या बात है सब कुछ चाहिए, सब ही चीज़ की ज़रूरत है, सब कुछ मौजूद है फिर भला किस चीज़ की ज़रूरत है

करता अरमान न करता पशेमान

तजुर्बे के बाद ही इंसान किसी काम की ऊंच नीच समझ सकता है

'आशिक़ी न कीजिए तो क्या घास खोदिये

जिस ने प्रेम नहीं किया वह घसियारे के समान है

मुर्ग़ा न होगा तो क्या अज़ान न होगी

कोई भी कार्य किसी विशेष व्यक्ति पर आश्रित या टिका, ठहरा या रुका हुआ नहीं है, रहती दुनिया तक काम होते ही रहेंगे

ये भी न पूछा कि क्या हुआ

सख़्त से सख़्त मुसीबत में जब कोई पुर्साने हाल ना हो तो कहते हैं

मुर्ग़ा बाँग न देगा तो क्या सुब्ह न होगी

कोई भी कार्य किसी विशेष व्यक्ति पर आश्रित या टिका, ठहरा या रुका हुआ नहीं है, रहती दुनिया तक काम होते ही रहेंगे

मुर्ग़ बाँग न देगा तो क्या सुब्ह न होगी

कोई काम किसी की ज़ात इख़ास पर मौक़ूफ़ नहीं, दुनिया का काम वक़्त पर होता रहेगा

देखने में न सो चखने में क्या

जो चीज़ देखने में अच्छी नहीं वह खाने में कैसे अच्छी होगी

जहाँ मुल्ला न होगा क्या वहाँ सवेरा न होगा

रुक: जहां मुर्ग़ नहीं बोल क्या वहां सुबह नहीं होती

मुल्ला न होगा तो क्या मस्जिद में अज़ान न होगी

किसी ख़ास आदमी के न होने से उस से संबंधित काम रुका नहीं रहता

'आशिक़ी अगर न कीजिए तो क्या घाँस खोदिए

रुक : आशिक़ी ना कीजीए तो क्या घान खो दिए

लाँडी न मोरा , क्या लेगा न्योता चोरा

घर में कुछ भी नहीं, चोर सुसरा क्या ले जाएगा

आदमी क्या जो आदमी की क़द्र न करे

मनुष्य के पास मानवतावादी ज्ञान होना आवश्यक है, मनुष्य के पास कुशल लोगों का मित्र होना आवश्यक है

मैं न समझूँ तो भला क्या कोई समझाए मुझे

ज़िद्दी आदमी के मुताल्लिक़ कहते हैं, आदमी ख़ुद ना समझना चाहे तो कोई नहीं समझा सकता

जिस बाट न चलना उस का पूछना क्या

जिस बात से कुछ ग़रज़ नहीं, उस की फ़िक्र कोई अबस है

फूटे न टूटे झोझरे करने से क्या फ़ाइदा

ज़्यादा नुक़्सान की शिकायत के वक़्त बोलते हैं

संगत भली न साध की और क्या गंदी का बास

ना फ़क़ीर की रिफ़ाक़त अच्छी होती है और ना गेंदे की बूओ, इन दोनों की सोहबत पाएदार नहीं होती

वो फूल ही क्या जो कि महेसर न चढ़े

पारबती देवी की मूर्ती पर चढ़ाया हुआ वह फूल जो उसके सर पर रह जाता था और सबसे ऊँचा गिना जाता था

आम मछली का क्या साथ न होगा

जब कोई किसी को परेशान कर चल देता है या छुप रहता है तो परेशानी उठाने वाला कहता है कि 'आम मछली का क्या साथ न होगा' या'नी फिर कभी मुलाक़ात तो होगी उस वक़्त समझ लूँगा

जिसकी न फटी हो बिवाई वो क्या जाने पीर पराई

one who has not suffered cannot understand the sorrows of others or sympathize with them

जिस राह न जाना उस के कोस क्या गिनना

जिस बात से कुछ वास्ता नहीं उस की उसकी चिंता करना व्यर्थ है

जिस की न फटी हो बिवाई, वो क्या जाने पीर पराई

जिस को कभी दुख नहीं पहुंचा उस को दर्द मंदों के दर्द की क्या पर्वा

जिस के पाँव न बिवाई वो क्या जाने पीर पराई

रुक : जिस की ना फटी हो ब्वॉय अलख

आगे रोक पीछे ठोक, ससुरा सरके न जाए तो क्या हो

आगे जा नहीं सकता पीछे से डंडा पड़ता है, करे तो क्या करे, जहाँ किसी ओर रास्ता न मिले तो बिना-साहस हो जाता है

जिसकी न फटी हो बिवाई वो क्या जाने पीड़ पराई

one who has not suffered cannot understand the sorrows of others or sympathize with them

जिस के पाँव न जाए बिवाई वो क्या जाने पीर पराई

۔(عو) جس کو بذات خود تکلیف نہیںہوئی وہ دوسرے کی تکلیف کو کیا سمجھے گا۔

जिस को न होवे बुवाई वो क्या जाने पीर पराई

रुक : जिस की ना फटी हो ब्वॉय वो किया जाने पैर पराई

टूटी का क्या जोड़ना गाँठ पड़े और न रहे

जहां एक दफ़ा शुक्र रणजी हो जाये, फिर पहली सी दोस्ती नहीं होती

दोस क्या दीजिए चोर को साहब, बंद जब आप घर का दर न किया

जब ख़ुद हिफ़ाज़त नहीं की तो चोर का क्या क़सूर

समा करे न क्या करे समैं समैं की बात, किसी समय के दिन बड़े किसी समय की रात

हर मौसम अपना उचित काम करता है मनुष्य कुछ नहीं कर सकता

माया हुई तो क्या हुआ हरदा हुआ कठोर, नौ नेज़े पानी चढ़ तो भी न भीगी कोर

दौलतमंद का दिल अगर पत्थर है तो किसी काम का नहीं, कंजूस के मुताल्लिक़ कहते हैं कि इस पर कोई असर नहीं होता

माया हुई तो क्या हुआ हरदा हुआ कठोर, नौ नेज़े पानी चढ़ा तो भी न भीगी कोर

दौलतमंद का दिल अगर पत्थर है तो किसी काम का नहीं, कंजूस के मुताल्लिक़ कहते हैं कि इस पर कोई असर नहीं होता

आछे दिन पाछे गए पर से किया न हेत, अब पछताए क्या होत जब चिड़ियाँ चुग गईं खेत

जवानी में बुरे काम करता रहा अब पछताने से क्या लाभ

आगे के दिन पाछे गए हर से किया न हीत, अब पछताए क्या हुवत जब चिड़ियाँ चुग गईं खेत

समय पर काम न करने के पश्चात पछताना व्यर्थ है

जब दाँत न थे जब दूध दियो, जब दाँत भए तो क्या अन न देवे

ख़ुदा हर हाल में रोज़ी देता है

मरते क्या न करते

(रुक : मरता किया ना करता जिस की ये जमा है) बेबसी की हालत में सब कुछ करना पड़ता है

साईं सांसा मेट दे और न मेटे कोय, वा को सांसा क्या रहा जा सर साईं होय

ईश्वर के अतिरिक्त कोई सांसा अर्थात परेशानी एवं दुख को दूर नहीं कर सकता परंतु जिसे ईश्वर पुण्य की राह दिखा दे

नंगे को क्या नंग , काले को क्या रंग

बेग़ैरत को क्या श्रम आए जैसे कि काले मुँह वाले को अपने रंग के मानद पड़ने का क्या डर

नंगी नहाए गी क्या निचोड़े गी क्या

रुक : नंगी किया नहाए अलख

नंगी क्या नहाए गी क्या निचोड़े गी

۔مثل۔ بیمایہ اور مفلس کوکسی بات کی جرأت نہیں ہوتی ۔مفلس خرچ کرنے کی ہمت نہیں کرسکتا ۔؎

नंगी क्या नहाए , क्या निचोड़े

मुफ़लिस अगर हौसले वाला भी हो तो क्या ख़र्च करेगा , उस वक़्त कहते हैं जब कोई बे सर-ओ-सामानी या मुफ़लिसी में किसी बात की जुर्रत या किसी काम की हिम्मत करे

क्या नंगी नहाए क्या निचोड़े

निर्धन के पास क्या धरा है, दरिद्र आदमी क्या देगा क्या दिलाएगा

नंगा क्या नहाए गा क्या निचोड़े गा

रुक : नंगी किया नहाएगी किया निचोड़ेगी

दम का क्या भरोसा है, आया न आया

जीवन का कोई भरोसा नहीं

नंगा क्या ओढ़ेगा क्या निचोड़ेगा

(रुक : नंगी किया नहाएगी किया निचोड़ेगी जो ज़्यादा राइज है), बेमाया की कुछ हक़ीक़त नहीं, निहायत मुफ़लिस है

नंगा क्या ओड़ेगा क्या निचोड़ेगा

(रुक : नंगी किया नहाएगी किया निचोड़ेगी जो ज़्यादा राइज है), बेमाया की कुछ हक़ीक़त नहीं, निहायत मुफ़लिस है

नंगा नहा के क्या निचोड़ेगा

रुक : नंगा नहाएगा किया निचोड़ेगा किया

नंगा नाचे फाटे क्या

one who has nothing has no fear of losing anything

मियाँ कमाते क्या हो एक से दस, सास नंद को छोड़ दो, हमें तुम्हें बस

जो कुछ तुम कमाते हो वो हमारे लिए बहुत है, सास-नंद को छोड़ कर अलग हो जाओ

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में क्या करता क्या न करता के अर्थदेखिए

क्या करता क्या न करता

kyaa kartaa kyaa na kartaaکیا کَرتا کیا نَہ کَرتا

वाक्य

क्या करता क्या न करता के हिंदी अर्थ

  • (मजबूरी-ओ-बेबसी के मौक़ा पर मुस्तामल) चारा नहीं था

کیا کَرتا کیا نَہ کَرتا کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu
  • (مجبوری و بے بسی کے موقع پر مستعمل) چارہ نہیں تھا.

Urdu meaning of kyaa kartaa kyaa na kartaa

  • Roman
  • Urdu

  • (majbuurii-o-bebasii ke mauqaa par mustaamal) chaaraa nahii.n tha

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क्या करता क्या न करता

(मजबूरी-ओ-बेबसी के मौक़ा पर मुस्तामल) चारा नहीं था

मरता क्या न करता

जिस की जान पर आ बनती है वो सब कुछ कर गुज़रता है, विवशता की स्थिति में सब कुछ करना पड़ता है

ख़ुदा क्या करता है

स्थिति कैसे उत्पन्न होती है, हालात किस तरह पेश आते हैं

भूका मरता क्या नहीं करता

कंगाल आदमी निम्न से निम्न काम के लिए भी तैयार हो जाता है

देखो तो मैं क्या करता हूँ

(सम्मानजनक शब्द) मेरा हुनर अब आप देखिये, मेरी चतुराई अब आप देखिये

करता उस्ताद न करता शागिर्द

जो श्रम करता है वह दक्ष बन जाता है, न करने वाला अयोग्य रहता है

क्या करता है

ऐसा ना कर, बेजा फे़अल करता है, ना कर, बाज़ रह , किया मशग़ला रखता है, क्या काम करता है

क्या क्या न किया

۔सब कुछ किया। कौन सी कसर उठा रखी। (मज़मून) हम ने किया क्या ना तिहरे इशक़ में महबूब किया। सब्र एवबऑ किया गिरिया-ए-याक़ूब किया

क्या क्या न हुआ

कौन सी बात रह गई, कौन सा अपमान न हुआ, कौन सी रुसवाई न हुई

क्या क्या न हो गया

कौन सी बात रह गई, कौन सी रुसवाई ना हुई, बहुत कुछ हुआ

क्या न चाहिए

what is not wanting (to me), what do I not want, I want everything, nothing is wanting (to me), I have everything

क्या न चाहिए

कौन सी चीज़ है जिसकी आवश्यक्ता नहीं, क्या कहना है, क्या बात है सब कुछ चाहिए, सब ही चीज़ की ज़रूरत है, सब कुछ मौजूद है फिर भला किस चीज़ की ज़रूरत है

करता अरमान न करता पशेमान

तजुर्बे के बाद ही इंसान किसी काम की ऊंच नीच समझ सकता है

'आशिक़ी न कीजिए तो क्या घास खोदिये

जिस ने प्रेम नहीं किया वह घसियारे के समान है

मुर्ग़ा न होगा तो क्या अज़ान न होगी

कोई भी कार्य किसी विशेष व्यक्ति पर आश्रित या टिका, ठहरा या रुका हुआ नहीं है, रहती दुनिया तक काम होते ही रहेंगे

ये भी न पूछा कि क्या हुआ

सख़्त से सख़्त मुसीबत में जब कोई पुर्साने हाल ना हो तो कहते हैं

मुर्ग़ा बाँग न देगा तो क्या सुब्ह न होगी

कोई भी कार्य किसी विशेष व्यक्ति पर आश्रित या टिका, ठहरा या रुका हुआ नहीं है, रहती दुनिया तक काम होते ही रहेंगे

मुर्ग़ बाँग न देगा तो क्या सुब्ह न होगी

कोई काम किसी की ज़ात इख़ास पर मौक़ूफ़ नहीं, दुनिया का काम वक़्त पर होता रहेगा

देखने में न सो चखने में क्या

जो चीज़ देखने में अच्छी नहीं वह खाने में कैसे अच्छी होगी

जहाँ मुल्ला न होगा क्या वहाँ सवेरा न होगा

रुक: जहां मुर्ग़ नहीं बोल क्या वहां सुबह नहीं होती

मुल्ला न होगा तो क्या मस्जिद में अज़ान न होगी

किसी ख़ास आदमी के न होने से उस से संबंधित काम रुका नहीं रहता

'आशिक़ी अगर न कीजिए तो क्या घाँस खोदिए

रुक : आशिक़ी ना कीजीए तो क्या घान खो दिए

लाँडी न मोरा , क्या लेगा न्योता चोरा

घर में कुछ भी नहीं, चोर सुसरा क्या ले जाएगा

आदमी क्या जो आदमी की क़द्र न करे

मनुष्य के पास मानवतावादी ज्ञान होना आवश्यक है, मनुष्य के पास कुशल लोगों का मित्र होना आवश्यक है

मैं न समझूँ तो भला क्या कोई समझाए मुझे

ज़िद्दी आदमी के मुताल्लिक़ कहते हैं, आदमी ख़ुद ना समझना चाहे तो कोई नहीं समझा सकता

जिस बाट न चलना उस का पूछना क्या

जिस बात से कुछ ग़रज़ नहीं, उस की फ़िक्र कोई अबस है

फूटे न टूटे झोझरे करने से क्या फ़ाइदा

ज़्यादा नुक़्सान की शिकायत के वक़्त बोलते हैं

संगत भली न साध की और क्या गंदी का बास

ना फ़क़ीर की रिफ़ाक़त अच्छी होती है और ना गेंदे की बूओ, इन दोनों की सोहबत पाएदार नहीं होती

वो फूल ही क्या जो कि महेसर न चढ़े

पारबती देवी की मूर्ती पर चढ़ाया हुआ वह फूल जो उसके सर पर रह जाता था और सबसे ऊँचा गिना जाता था

आम मछली का क्या साथ न होगा

जब कोई किसी को परेशान कर चल देता है या छुप रहता है तो परेशानी उठाने वाला कहता है कि 'आम मछली का क्या साथ न होगा' या'नी फिर कभी मुलाक़ात तो होगी उस वक़्त समझ लूँगा

जिसकी न फटी हो बिवाई वो क्या जाने पीर पराई

one who has not suffered cannot understand the sorrows of others or sympathize with them

जिस राह न जाना उस के कोस क्या गिनना

जिस बात से कुछ वास्ता नहीं उस की उसकी चिंता करना व्यर्थ है

जिस की न फटी हो बिवाई, वो क्या जाने पीर पराई

जिस को कभी दुख नहीं पहुंचा उस को दर्द मंदों के दर्द की क्या पर्वा

जिस के पाँव न बिवाई वो क्या जाने पीर पराई

रुक : जिस की ना फटी हो ब्वॉय अलख

आगे रोक पीछे ठोक, ससुरा सरके न जाए तो क्या हो

आगे जा नहीं सकता पीछे से डंडा पड़ता है, करे तो क्या करे, जहाँ किसी ओर रास्ता न मिले तो बिना-साहस हो जाता है

जिसकी न फटी हो बिवाई वो क्या जाने पीड़ पराई

one who has not suffered cannot understand the sorrows of others or sympathize with them

जिस के पाँव न जाए बिवाई वो क्या जाने पीर पराई

۔(عو) جس کو بذات خود تکلیف نہیںہوئی وہ دوسرے کی تکلیف کو کیا سمجھے گا۔

जिस को न होवे बुवाई वो क्या जाने पीर पराई

रुक : जिस की ना फटी हो ब्वॉय वो किया जाने पैर पराई

टूटी का क्या जोड़ना गाँठ पड़े और न रहे

जहां एक दफ़ा शुक्र रणजी हो जाये, फिर पहली सी दोस्ती नहीं होती

दोस क्या दीजिए चोर को साहब, बंद जब आप घर का दर न किया

जब ख़ुद हिफ़ाज़त नहीं की तो चोर का क्या क़सूर

समा करे न क्या करे समैं समैं की बात, किसी समय के दिन बड़े किसी समय की रात

हर मौसम अपना उचित काम करता है मनुष्य कुछ नहीं कर सकता

माया हुई तो क्या हुआ हरदा हुआ कठोर, नौ नेज़े पानी चढ़ तो भी न भीगी कोर

दौलतमंद का दिल अगर पत्थर है तो किसी काम का नहीं, कंजूस के मुताल्लिक़ कहते हैं कि इस पर कोई असर नहीं होता

माया हुई तो क्या हुआ हरदा हुआ कठोर, नौ नेज़े पानी चढ़ा तो भी न भीगी कोर

दौलतमंद का दिल अगर पत्थर है तो किसी काम का नहीं, कंजूस के मुताल्लिक़ कहते हैं कि इस पर कोई असर नहीं होता

आछे दिन पाछे गए पर से किया न हेत, अब पछताए क्या होत जब चिड़ियाँ चुग गईं खेत

जवानी में बुरे काम करता रहा अब पछताने से क्या लाभ

आगे के दिन पाछे गए हर से किया न हीत, अब पछताए क्या हुवत जब चिड़ियाँ चुग गईं खेत

समय पर काम न करने के पश्चात पछताना व्यर्थ है

जब दाँत न थे जब दूध दियो, जब दाँत भए तो क्या अन न देवे

ख़ुदा हर हाल में रोज़ी देता है

मरते क्या न करते

(रुक : मरता किया ना करता जिस की ये जमा है) बेबसी की हालत में सब कुछ करना पड़ता है

साईं सांसा मेट दे और न मेटे कोय, वा को सांसा क्या रहा जा सर साईं होय

ईश्वर के अतिरिक्त कोई सांसा अर्थात परेशानी एवं दुख को दूर नहीं कर सकता परंतु जिसे ईश्वर पुण्य की राह दिखा दे

नंगे को क्या नंग , काले को क्या रंग

बेग़ैरत को क्या श्रम आए जैसे कि काले मुँह वाले को अपने रंग के मानद पड़ने का क्या डर

नंगी नहाए गी क्या निचोड़े गी क्या

रुक : नंगी किया नहाए अलख

नंगी क्या नहाए गी क्या निचोड़े गी

۔مثل۔ بیمایہ اور مفلس کوکسی بات کی جرأت نہیں ہوتی ۔مفلس خرچ کرنے کی ہمت نہیں کرسکتا ۔؎

नंगी क्या नहाए , क्या निचोड़े

मुफ़लिस अगर हौसले वाला भी हो तो क्या ख़र्च करेगा , उस वक़्त कहते हैं जब कोई बे सर-ओ-सामानी या मुफ़लिसी में किसी बात की जुर्रत या किसी काम की हिम्मत करे

क्या नंगी नहाए क्या निचोड़े

निर्धन के पास क्या धरा है, दरिद्र आदमी क्या देगा क्या दिलाएगा

नंगा क्या नहाए गा क्या निचोड़े गा

रुक : नंगी किया नहाएगी किया निचोड़ेगी

दम का क्या भरोसा है, आया न आया

जीवन का कोई भरोसा नहीं

नंगा क्या ओढ़ेगा क्या निचोड़ेगा

(रुक : नंगी किया नहाएगी किया निचोड़ेगी जो ज़्यादा राइज है), बेमाया की कुछ हक़ीक़त नहीं, निहायत मुफ़लिस है

नंगा क्या ओड़ेगा क्या निचोड़ेगा

(रुक : नंगी किया नहाएगी किया निचोड़ेगी जो ज़्यादा राइज है), बेमाया की कुछ हक़ीक़त नहीं, निहायत मुफ़लिस है

नंगा नहा के क्या निचोड़ेगा

रुक : नंगा नहाएगा किया निचोड़ेगा किया

नंगा नाचे फाटे क्या

one who has nothing has no fear of losing anything

मियाँ कमाते क्या हो एक से दस, सास नंद को छोड़ दो, हमें तुम्हें बस

जो कुछ तुम कमाते हो वो हमारे लिए बहुत है, सास-नंद को छोड़ कर अलग हो जाओ

संदर्भग्रंथ सूची: रेख़्ता डिक्शनरी में उपयोग किये गये स्रोतों की सूची देखें .

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