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किसी को

किसी एक मार्ग पर, समझे-बूझे व्यक्ति को, प्रिय को

किसी को किसी की ख़बर नहीं

۔बेहोशी और ग़फ़लत का आलम किसी जमात में होने की जगह।

किसी को बैंगन बाए, किसी को अन-पच

कोई एक वस्तु किसी के लिए हानिकर होती है तो दूसरे के लिए लाभदायक

किसी को तवे में दिखाई देता है किसी को आर्सी में

कोई लायक़ है और कोई साधारण योग्यता का, हर व्यक्ति अपनी समझ के अनुसार काम करता है

किसी को किसी का होश न होना

किसी को किसी की ख़बर ना होना, एक दूसरे लाइलम होना, नफ़सा-नफ़सी का आलम होना

किसी को ख़याल में न लाना

किसी की परवाह न करना, किसी को न समझना, किसी को तुच्छता से देखना

किसी को उड़ाना

۱ . किसी की बात को हंसी में टालना, मज़ाक़ उड़ाना, बहिकाना, किसी को बहका कर ले जाना, वरग़ला कर निकाल ले जाना , ग़ायब कर देना

किसी को क्या पड़ी है

किसी को क्या ग़रज़ या पर्वा है

किसी को आँख उठा कर न देखना

बेरुख़ी और बे-एधतिनाई से काम लेना, ख़ातिर में ना लाना, किसी पर तवज्जा ना देना, निहायत बेपर्वाई और इस्ति़ग़ना ज़ाहिर करना, ज़रा आँख भर के ना देखना

किसी को अपना कर रखो या किसी के हो रहो

या तो स्वयं किसी के आज्ञाकारी हो जाओ या किसी को अपना आज्ञाकारी बना लो

किसी को क्या

किसी का क्या नुक़्सान है, किसी का क्या ताल्लुक़ है

किसी को रोना

۔किसी को वफ़ात के रंज में अशकबार होना।

किसी को भरना

भुगतना

किसी को दम देना

धोखा देना

किसी को अपना कर रखना

किसी को अपना आज्ञाकारी कर लेना, किसी से ऐसा संबंध बढ़ाना कि वह अपना हो जाए

किसी की किसी को ख़बर नहीं

किसी गिरोह या जमात पर बेहोशी और ग़फ़लत का आलम तारी होने पर बोलते हैं

जिस किसी को

किसी चीज़ को किसी के सर पर मारना

किसी चीज़ को निकम्मा समझ कर उस के मालिक को हक़ारत के साथ वापिस कर देना

किसी चीज़ को किसी के मुँह पर मारना

किसी चीज़ को निकम्मा समझ कर उस के मालिक को हक़ारत के साथ वापिस कर देना

ख़ुदा किसी को किसी का मुहताज न करे

भगवान किसी को दरिद्र न करे, किसी से काम न पड़े

मुँह माँगी मुराद किसी को नहीं मिलती

अपना चाहा नहीं होता ईश्वर का चाहा होता है

कज़ा से किसी को चारा नहीं

मौत से बचना असंभव है, मौत पर किसी का वश नहीं

किसी से साई कसी को बधाई

प्रतिज्ञा भंग करने वाले और उस झूठे व्यक्ति के संबंधित बोलते हैं जो प्रतिज्ञा किसी से करे और काम किसी और का करे

किसी की ख़बर को आना

इयादत को आना, बीमार पुरसी को आना

किसी की ख़बर को जाना

इयादत को आना, बीमार पुरसी को आना

किसी चीज़ को रो बैठना

किसी चीज़ से नाउम्मीद-ओ-मायूस हो कर सब्र कर लेना

किसी चीज़ को दिल चलना

रुक : किसी चीज़ पर दिल चलना

किसी चीज़ को बाला-ए-ताक़ रखना

उस चीज़ को छोड़ देना, किसी बात को बुला देना, अनदेखा करना

ख़ुदा किसी को लाठी से नहीं मारता

अल्लाह त'आला को अगर किसी को सज़ा देनी हो तो मुसीबत भेज देता है

वो बात किसी को भी नसीब नहीं

ये क़दर-ओ-मंजिलत किसी को भी नसीब नहीं , ये ख़ूबी किसी में भी नहीं

या किसी को कर रहे या किसी का हो रहे

लोगों से अलग थलग नहीं रहना चाहिए या किसी को दोस्त बनाए या ख़ुद किसी का दोस्त बने, या किसी को अपना दोस्त बनाए या किसी का दोस्त बिन जाये अलग थलग रह कर गुज़ारा नहीं होता

या किसी को कर रखो तुम या किसी के हो रहो

लोगों से अलग थलग नहीं रहना चाहिए या किसी को दोस्त बनाए या ख़ुद किसी का दोस्त बने, या किसी को अपना दोस्त बनाए या किसी का दोस्त बन जाए अलग थलग रह कर गुज़ारा नहीं होता

किसी जगह को सर पर उठाना

कहीं बहुत शोर और हंगामा होना, वावैला मचाना

किसी की आई मुझ को आ जाए

(कोसना) दूसरे की मौत मुझ को आ जाये, गुस्से या तकलीफ़ की हालत में अपने आप को बददुआ देना

किसी की आई मुझ को आ जाए

किसी चीज़ को मिट्टी कर देना

उसे निहायत हक़ीर वख़फ़ीफ़ कर देना, ख़ाक के मर्तबा का कर देना, सुबुक कर देना

किसी जगह को सर पर उठा लेना

۱. निहायत शोर विगल करना, वावेला मचाना

मरते सब को देखा , जनाज़ा किसी का नहीं देखा

आशिक़ी जताने और सिर्फ़ दावा करने वाले की निसबत कहते हैं

कोठी कोठार सब तुम्हारा मगर किसी चीज़ को हाथ न लगाना

रुक : कोठी कठले को हाथ ना लगाओ, अलख

ख़सम जोरू की लड़ाई किसी को न भाई

मियां बीवी कोमल जुल कर रहना चाहिए, मियां बीवी की लड़ाई सब को नापसंद है

हर किसी को

हर एक को

ऊँट जब तक पहाड़ के नीचे न आए किसी को अपने से ऊँचा नहीं समझता

क़ाज़ी जी अपना आगा तो ढाँको पीछे किसी को नसीहत करना

बड़ा आदमी पहले अपनी नैतिकता और आचरण की सुधार करे फिर दूसरे को सीख दे

ख़ुदा जब किसी को नवाज़ता है तो इस से सलाह मशवरा नहीं करता

अल्लाह जिस तरह चाहे और जब चाहे अपने बंदों पर लुतफ़-ओ-करम की बारिश कर देता है

लाल ख़ान की चादर बड़ी होगी तो अपना बदन ढाँकेगी किसी को क्या

अमीर होगा तो ख़ुद उस को फ़ायदा होगा, जब कोई किसी अमीर की दौलत-ओ-स्रोत का ज़िक्र करे तो कहते हैं

ख़ुदा जब किसी को नवाज़ता है तो छप्पर फाड़ कर नवाज़ता है

अल्लाह जिस तरह चाहे और जब चाहे अपने बंदों पर लुतफ़-ओ-करम की बारिश कर देता है

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में किसी को के अर्थदेखिए

किसी को

kisii koکِسی کو

किसी को के हिंदी अर्थ

  • किसी एक मार्ग पर, समझे-बूझे व्यक्ति को, प्रिय को

کِسی کو کے اردو معانی

  • کسے راہ ؛ شخص معلومہ و مفہومہ کو ، معشوق کو.

संदर्भग्रंथ सूची: रेख़्ता डिक्शनरी में उपयोग किये गये स्रोतों की सूची देखें .

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