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कहें

say, speak, tell

कहें कुछ करें कुछ

उनकी बात का भरोसा नहीं कहते कुछ हैं और करते कुछ हैं, अविश्वसनीय आदमी है

कहें खेत की , सुनें खलियान की

रुक : कहो खेत की सुने खलियान की

कहें तो माँ मारी जाए , नहीं तो बाप कुत्ता खाए

रुक : कहूं तो माँ मारी जाये अलख

मर कहें

(कलमा-ए- तनफ़्फ़ुर) दूर हो, दफ़ान हो

ये कहें ज़मीं वो कहें आसमान, ये कहें आम वो कहें इमली

प्रबल मतभेद दिखाने के लिए बोलते हैं अर्थात यह कुछ कहते हैं और वह कुछ और कहते हैं, एक कहे दिन दूसरा कहे रात

संकर कहें मीमाँसा

(हिंदू) शंकर देवता की पूओजा के बोल

चोर से कहें मूस, शाह से कहें जाग

इस के मुताल्लिक़ कहते हैं जो दोनों फ़रीक़ों में लगाई बुझाई कर के फ़साद करा देता है

पार वाले कहें वार वाले अच्छे, वार वाले कहें पार वाले अच्छे

एक दूसरे पर ईर्ष्या करने के अवसर पर बोलते हैं

किस की माँ को माँ कहें

ग़रीब और यतीम बच्चे की निसबत कहते हैं, पहले अनुमानों में मुस्तामल था कि अगर माँ ना हो तो हम किस की माँ को माँ बनाते मगर रफ़्ता रफ़्ता आम और बच्चों के लिए मख़सूस हो गया, यानी कोई फ़र्याद रस नहीं

मन मौजी, जोरू को कहें भौजी

मूर्ख व्यक्ति बिना अवसर बात करता है

पंच कहें बिल्ली तो बिल्ली ही सही

चार आदमी जो कुछ कहें वही ठीक है, सब की यही राय है तो यही सही

पूछें ज़मीन की तो कहें आसमान की

रुक : पूछो ज़मीन की अलख

अंदर छूत नहीं, बाहर कहें दूर-दूर

बहुत पाखंडी हैं, मन में तो संयम नहीं, पर बाहर से सफ़ाई रखे

घर में पकें चूहे और बाहर कहें पाए

मुफ़लस शेखी बाज़ के मुताल्लिक़ कहते हैं, घर में कुछ नहीं है मगर शेखी मारता है

पार कहें सो वार है वार कहें सो पार, पकड़ किनारा बैठ रह यही वार और पार

पार और वार रिश्ला एवं संबंधी शब्द हैं उधर वालों के लिए दूसरी तरफ़ पार है और इधर वालों के लिए यह पार है सो बेकार में झगड़े नहीं करने चाहियें

नदिया नाव घाट बुहतेरा, कहें कबीर नाम का फेरा

हर वस्तु का नाम अलग अलग होता है, चाहे वह एक ही प्रकार की हों, वस्तु एक ही होती है, पर उस के नाम अनेक होते हैं

मुल्ला जी क्या कहें, आख़ूंद जी पहले ही समझे हुए हैं

बे मेहनत-ओ-मशक़्क़त अपना काम कर लेना

मुल्ला जी क्या कहें, आख़ून जी आगे ही समझे हुए हैं

बे मेहनत-ओ-मशक़्क़त अपना काम कर लेना

घर का और दिल का भेद हर एक के सामने न कहें

अपने दिल और घर की बात हर एक से नहीं कहनी चाहिए, गोपनीयता से काम लेना चाहिए

चातुर तो बैरी भला मूरख भला न मीत, साध कहें हैं मत करो को मूरख से प्रीत

बुद्धिमान शत्रु मूर्ख दोस्त से अच्छा होता है इस लिए मूर्ख से दोस्ती नहीं करनी चाहिये

झूटे घर को घर कहें और साँचे घर को गोर , हम चलें घर आपने और लोग मचावें शोर

असल घर तो क़ब्र है, आदमी मर जाता है तो लोग ख़्वाहमख़्वाह शोर मचाते हैं उस वक़्त तो इंसान अपने असली घर को जाता है

प्रीतम प्रीतम सब कहें प्रीतम जाने न कोय, एक बार जो प्रीतम मिले सदा आनंद फिर होय

हर एक प्रेम करता है परंतु प्रेम की समझ किसी को नहीं

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में कहें के अर्थदेखिए

कहें

kahe.nکَہیں

वज़्न : 12

देखिए: कहना

English meaning of kahe.n

کَہیں کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu
  • کہنا سے مضارع صیغہ جمع، تراکیب میں مستعمل

Urdu meaning of kahe.n

  • Roman
  • Urdu

  • kahnaa se muzaare siiGa jamaa, taraakiib me.n mustaamal

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say, speak, tell

कहें कुछ करें कुछ

उनकी बात का भरोसा नहीं कहते कुछ हैं और करते कुछ हैं, अविश्वसनीय आदमी है

कहें खेत की , सुनें खलियान की

रुक : कहो खेत की सुने खलियान की

कहें तो माँ मारी जाए , नहीं तो बाप कुत्ता खाए

रुक : कहूं तो माँ मारी जाये अलख

मर कहें

(कलमा-ए- तनफ़्फ़ुर) दूर हो, दफ़ान हो

ये कहें ज़मीं वो कहें आसमान, ये कहें आम वो कहें इमली

प्रबल मतभेद दिखाने के लिए बोलते हैं अर्थात यह कुछ कहते हैं और वह कुछ और कहते हैं, एक कहे दिन दूसरा कहे रात

संकर कहें मीमाँसा

(हिंदू) शंकर देवता की पूओजा के बोल

चोर से कहें मूस, शाह से कहें जाग

इस के मुताल्लिक़ कहते हैं जो दोनों फ़रीक़ों में लगाई बुझाई कर के फ़साद करा देता है

पार वाले कहें वार वाले अच्छे, वार वाले कहें पार वाले अच्छे

एक दूसरे पर ईर्ष्या करने के अवसर पर बोलते हैं

किस की माँ को माँ कहें

ग़रीब और यतीम बच्चे की निसबत कहते हैं, पहले अनुमानों में मुस्तामल था कि अगर माँ ना हो तो हम किस की माँ को माँ बनाते मगर रफ़्ता रफ़्ता आम और बच्चों के लिए मख़सूस हो गया, यानी कोई फ़र्याद रस नहीं

मन मौजी, जोरू को कहें भौजी

मूर्ख व्यक्ति बिना अवसर बात करता है

पंच कहें बिल्ली तो बिल्ली ही सही

चार आदमी जो कुछ कहें वही ठीक है, सब की यही राय है तो यही सही

पूछें ज़मीन की तो कहें आसमान की

रुक : पूछो ज़मीन की अलख

अंदर छूत नहीं, बाहर कहें दूर-दूर

बहुत पाखंडी हैं, मन में तो संयम नहीं, पर बाहर से सफ़ाई रखे

घर में पकें चूहे और बाहर कहें पाए

मुफ़लस शेखी बाज़ के मुताल्लिक़ कहते हैं, घर में कुछ नहीं है मगर शेखी मारता है

पार कहें सो वार है वार कहें सो पार, पकड़ किनारा बैठ रह यही वार और पार

पार और वार रिश्ला एवं संबंधी शब्द हैं उधर वालों के लिए दूसरी तरफ़ पार है और इधर वालों के लिए यह पार है सो बेकार में झगड़े नहीं करने चाहियें

नदिया नाव घाट बुहतेरा, कहें कबीर नाम का फेरा

हर वस्तु का नाम अलग अलग होता है, चाहे वह एक ही प्रकार की हों, वस्तु एक ही होती है, पर उस के नाम अनेक होते हैं

मुल्ला जी क्या कहें, आख़ूंद जी पहले ही समझे हुए हैं

बे मेहनत-ओ-मशक़्क़त अपना काम कर लेना

मुल्ला जी क्या कहें, आख़ून जी आगे ही समझे हुए हैं

बे मेहनत-ओ-मशक़्क़त अपना काम कर लेना

घर का और दिल का भेद हर एक के सामने न कहें

अपने दिल और घर की बात हर एक से नहीं कहनी चाहिए, गोपनीयता से काम लेना चाहिए

चातुर तो बैरी भला मूरख भला न मीत, साध कहें हैं मत करो को मूरख से प्रीत

बुद्धिमान शत्रु मूर्ख दोस्त से अच्छा होता है इस लिए मूर्ख से दोस्ती नहीं करनी चाहिये

झूटे घर को घर कहें और साँचे घर को गोर , हम चलें घर आपने और लोग मचावें शोर

असल घर तो क़ब्र है, आदमी मर जाता है तो लोग ख़्वाहमख़्वाह शोर मचाते हैं उस वक़्त तो इंसान अपने असली घर को जाता है

प्रीतम प्रीतम सब कहें प्रीतम जाने न कोय, एक बार जो प्रीतम मिले सदा आनंद फिर होय

हर एक प्रेम करता है परंतु प्रेम की समझ किसी को नहीं

संदर्भग्रंथ सूची: रेख़्ता डिक्शनरी में उपयोग किये गये स्रोतों की सूची देखें .

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