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k m के लिए उर्दू शब्द
k m के देवनागरी में उर्दू अर्थ
- मुख़फ़्फ़फ़: किलोमीटर।
k m کے اردو معانی
- مخفف: کلومیٹر۔.
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मो को न तो को, ले भाड़ में झोको
ना ख़ुद अपने काम में যब लाएंगेगे ना तुम्हें काम में लाने देंगे चाहे ज़ाए हो जाये तो हो जाये
मैं भरूँ सरकार के, मेरे भरे सक़्क़ा
जो शख़्स ख़ुद तो किसी की ख़िदमत करे मगर अपना काम दूसरों से किराए इस के मुताल्लिक़ कहते हैं
राह में कुँएँ खोदना
काम में दुश्वारियां पैदा करना, किसी मक़सद के हुसूल में हाइल होना, नुक़्सान पहुंचाने का इंतिज़ाम करना
एक-एक ज़बान में दस-दस सुनाना
एक सांस ही कई गालियाँ आदि दे डालना, बुरी तरह कोसना गालियाँ देना या डाँटना
शहना छुपा पियाल में, कौन कह कर बैरी हो
कोतवाल पियाल में छिपा है कौन कह के दुश्मनी मूल ले (इशारे से, अपना पहलू बचाते हुए या महिज़ हमाक़त से राज़ फ़ाश करना
शहना छुपा पियाल में, कौन कह के बैरी हो
कोतवाल पियाल में छिपा है कौन कह के दुश्मनी मूल ले (इशारे से, अपना पहलू बचाते हुए या महिज़ हमाक़त से राज़ फ़ाश करना
तू चाह मेरी जाई को, मैं चाहूँ तेरे खाट के पाए को
सास अपने दामाद से कहती है कि तुम मेरी बेटी के साथ अच्छा व्यवहार करोगे तो मैं तुम्हारी सब वस्तु का सम्मान करूँगी
क़ब्र में रख के ख़बर को न आया कोई, मूए का कोई नहीं, जीए के सब कोई
मरने के बाद क़ब्र पर भी कोई नहीं जाता
का'बा हो तो उस की तरफ़ मुँह न करूँ
किसी जगह से इस क़दर बेज़ार और तंग होना कि अगर वो जगह मुक़ाम मुक़द्दस और ख़ुदा का घर भी बिन जाये तो उधर का रुख़ ना करना ग़रज़ निहायत बेज़ार तंग और आजिज़ हो जाने के मौक़ा पर ये फ़िक़रा बोला जाता है
दुनिया में दस आख़िर कूँ सत्तर
दुनिया में दस (पुण्यों) के बदले परलोक में सत्तर मिलेंगे, दुनिया में की हुई भलाई (पुण्य) परलोक में काम आती है
क़ब्र में रख के ख़बर को न आया कोई, मूए का कोई नहीं, जीते-जी का सब कोई
मरने के बाद क़ब्र पर भी कोई नहीं जाता
कहे से कोई कुँएँ में नही गिरता
दूसरे के कहने से कोई नुक़्सान वाला काम नहीं करता, हर एक अपना अच्छा-बुरा ख़ूब समझता है
अल-मा'ना फ़ी बत्निल-क़ाइल
(اس شعر یا لفظ وغیرہ کا مطلب) وہی سمجھے جس نے کہا یا لکھا ہے ، یعنی کلام کا مطلب واضع نہیں ، مبہم و مہمل ہے .
नेकी कर कुएँ में डाल
नेकी करके भला देना चाहिए, सुले की उमीद नहीं रखनी चाहिए (जिस नेकी के इव्ज़ कुछ ना मिले उस की निसबत कहते हैं
जो कोसत बैरी मरे और मन चितवे धन होय, जल माँ घी निकसन लागे तो रूखा खाए न कोय
अगर कोसने से शत्रु मर जाए, इच्छा से धन प्राप्त हो और पानी से घी निकले तो कोई रूखी न खाए
कहे से कोई कुएँ में नहीं गिरता
दूसरे के कहने से कोई हानिकारक क्रिया नहीं करता, सभी अपना अच्छा और बुरा अच्छे से समझते हैं
न मैं कहूँ तेरी, न तू कह मेरी
जो व्यक्ति दूसरे को दोष नहीं देता तो दूसरा भी उसे दोष नहीं देता, आपस की गोपनीयता के संबंध में बोलते हैं
माँ चाहे बेटी को, बेटी चाहे मूए ढींग को
माँ को जितनी मुहब्बत बेटी से होती है उतनी मुहब्बत बेटी को माँ से नहीं होती, शादी के बाद बेटी अपने ख़ावंद को ज़्यादा चाहती है
संदर्भग्रंथ सूची: रेख़्ता डिक्शनरी में उपयोग किये गये स्रोतों की सूची देखें .
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