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k m

मुख़फ़्फ़फ़: किलोमीटर।

की-मू

एक लकड़ी जिससे फ़र्नीचर तैयार किया जाता है (हिमालय पर्वत के क्षेत्र में बहुत प्रयोग होती है)

k-meson

रुक

कह-ओ-मिह

small and big, high and low

कुएँ में धक्का देना

मुसीबत में भन॒साना, आफ़त में डालना

कूएँ में भंग पड़ी

मदहोश होना, सब नशे में धुत हो गए, सब बेवक़ूफ़ होगए

क़ाइमतुज़-ज़ाविया

right-angled

कू-ए-मुग़ाँ

(शाब्दिक) मजूसियों (पारसीयों) का मुहल्ला

कई-मर्तबा

कुछ बार, बार-बार, अनेक बार

कोई-मर्तबा

कई बार, कई मरतबा

कू-ए-मलामत

street of repentance

हक़्क़-ए-मुरज्जह

वरियता प्राप्त अधिकार, अधिमान्य अधिकार, मुख्य अधिकार, प्रधान अधिकार

ज़ात पड़ी खोह में और रोटी पड़ी मुँह में

जो व्यक्ति रुपए के आगे शालीनता का मुल्य न जाने

कमर में तोशा बड़ा (राह या मंज़िल का) भरोसा

रुपय पैसे से बड़ी सुकून होती है

मुँह में हज़ार बातें कह जाना

एक साँस में बहुत सी बातें सुना देना

मो को न तो को, ले भाड़ में झोको

ना ख़ुद अपने काम में য৒ब लाएंगेगे ना तुम्हें काम में लाने देंगे चाहे ज़ाए हो जाये तो हो जाये

मुँह में आया सो कह दिया

۔ بے سوچے سمجے بات کرنے والے کی نسبت بولتے ہیں۔

मुँह में आया सो कह दिया

बे सोचे समझे कह दिया

कान में कुछ कह देना

चुपके से कहना, गुप्त रूप से कुछ कहना, इस तरह कहना कि किसी और को पता न चले

हक़ कर, हलाल कर (एक दिन में हज़ार कर) दिन में सौ बार कर

वैध काम में लाभ है

मैं भरूँ सरकार के, मेरे भरे सक़्क़ा

जो शख़्स ख़ुद तो किसी की ख़िदमत करे मगर अपना काम दूसरों से किराए इस के मुताल्लिक़ कहते हैं

राह में कुँएँ खोदना

काम में दुश्वारियां पैदा करना, किसी मक़सद के हुसूल में हाइल होना, नुक़्सान पहुंचाने का इंतिज़ाम करना

मुँह पर कह देना

सामने कह देना, मुँह पर कह देना

हगता मूतता माँ का, हँसता बोलता बाप का

बच्चे की ग़लाज़त सिर्फ़ माँ ही बर्दाश्त करती है

सूखे से मुँह कह देना

बेमुरव्वती से जवाब दे देना , तल्ख़-ओ-नामतबु जवाब दे देना

क़ा'र-ए-मे'दा

(चिकित्सा) मे'दे की गहराई, मेदे की थाह

क़ा'री-माए'

(طب) وہ رقیق مادّہ جو جسمی جوف میں ہوتا ہے .

का'र-ए-मज़ल्लत में गिरना

land into abysmal ignominy

मुँह में जो आए कह जाना

۔ بے دھڑک بک دینا۔ بے سمجھے بوجھے بات کہنا۔ ؎

एक-एक ज़बान में दस-दस सुनाना

एक सांस ही कई गालियाँ आदि दे डालना, बुरी तरह कोसना गालियाँ देना या डाँटना

शहना छुपा पियाल में, कौन कह कर बैरी हो

कोतवाल पियाल में छिपा है कौन कह के दुश्मनी मूल ले (इशारे से, अपना पहलू बचाते हुए या महिज़ हमाक़त से राज़ फ़ाश करना

शहना छुपा पियाल में, कौन कह के बैरी हो

कोतवाल पियाल में छिपा है कौन कह के दुश्मनी मूल ले (इशारे से, अपना पहलू बचाते हुए या महिज़ हमाक़त से राज़ फ़ाश करना

मुँह से कह डालना

ज़बान से कहना

मुँह से कह बैठना

रुक : मुँह से कह उठना, ज़बान से कहना

मुँह पर कह बैठना

सामने कह देना, मुँह पर कह देना, रूबरू कह देना

मुँह से कह उठना

बे-अख़्तियारी में कोई बात मुँह से निकल जाना , ज़बान से कोई बे मौक़ा बात कह देना

मुँह से कह डालना

ज़बान से कहना

तू चाह मेरी जाई को, मैं चाहूँ तेरे खाट के पाए को

सास अपने दामाद से कहती है कि तुम मेरी बेटी के साथ अच्छा व्यवहार करोगे तो मैं तुम्हारी सब वस्तु का सम्मान करूँगी

क़ब्र में रख के ख़बर को न आया कोई, मूए का कोई नहीं, जीए के सब कोई

मरने के बाद क़ब्र पर भी कोई नहीं जाता

कान में कह जाना

गुप्त रूप से सूचित कर जाना, गोपनीय रूप से बताया जाना

का'बा हो तो उस की तरफ़ मुँह न करूँ

किसी जगह से इस क़दर बेज़ार और तंग होना कि अगर वो जगह मुक़ाम मुक़द्दस और ख़ुदा का घर भी बिन जाये तो उधर का रुख़ ना करना ग़रज़ निहायत बेज़ार तंग और आजिज़ हो जाने के मौक़ा पर ये फ़िक़रा बोला जाता है

दुनिया में दस आख़िर कूँ सत्तर

दुनिया में दस (पुण्यों) के बदले परलोक में सत्तर मिलेंगे, दुनिया में की हुई भलाई (पुण्य) परलोक में काम आती है

क़ब्र में रख के ख़बर को न आया कोई, मूए का कोई नहीं, जीते-जी का सब कोई

मरने के बाद क़ब्र पर भी कोई नहीं जाता

कहे से कोई कुँएँ में नही गिरता

दूसरे के कहने से कोई नुक़्सान वाला काम नहीं करता, हर एक अपना अच्छा-बुरा ख़ूब समझता है

शाबाश तुझ को, तू ने मोह लिया मुझ को

तंज़न कहते हैं जब कोई अपने आप को बहुत बांका समझने लगे

हर कि-ओ-मिह

हर बड़ा और छोटा, हर ख़ास-ओ-आम, हर कोई

अल-मा'ना फ़ी बत्निल-क़ाइल

(اس شعر یا لفظ وغیرہ کا مطلب) وہی سمجھے جس نے کہا یا لکھا ہے ، یعنی کلام کا مطلب واضع نہیں ، مبہم و مہمل ہے .

कूएँ की तह में तारा हो जाना

गहरे कोनें की ता में पानी का चमकना

शाबाश मियाँ तुझ को, तू ने मोह लिया मुझ को

व्यंग में कहते हैं जब कोई अपने आप को बहुत बांका समझने लगे

शाबाश बुआ तुझ को, तू ने मोह लिया मुझ को

तंज़न कहते हैं जब कोई अपने आप को बहुत बांका समझने लगे

नेकी कर कुएँ में डाल

नेकी करके भला देना चाहिए, सुले की उमीद नहीं रखनी चाहिए (जिस नेकी के इव्ज़ कुछ ना मिले उस की निसबत कहते हैं

जो कोसत बैरी मरे और मन चितवे धन होय, जल माँ घी निकसन लागे तो रूखा खाए न कोय

अगर कोसने से शत्रु मर जाए, इच्छा से धन प्राप्त हो और पानी से घी निकले तो कोई रूखी न खाए

कहे से कोई कुएँ में नहीं गिरता

दूसरे के कहने से कोई हानिकारक क्रिया नहीं करता, सभी अपना अच्छा और बुरा अच्छे से समझते हैं

न तू कह मेरी न मैं कहूँ तेरी

तुम मेरा ऐब छुपाओ, में तुम्हारा ऐब छुपाऊंगा

न मैं कहूँ तेरी, न तू कह मेरी

जो व्यक्ति दूसरे को दोष नहीं देता तो दूसरा भी उसे दोष नहीं देता, आपस की गोपनीयता के संबंध में बोलते हैं

माँ चाहे बेटी को, बेटी चाहे मूए ढींग को

माँ को जितनी मुहब्बत बेटी से होती है उतनी मुहब्बत बेटी को माँ से नहीं होती, शादी के बाद बेटी अपने ख़ावंद को ज़्यादा चाहती है

बोले की न चाले की, मैं तो सोते की भली

बहू की सुस्ती एवं काम न करने पर कहते हैं

बोले की न चाले की, मैं तो सूते के भली

बहू की सुस्ती एवं काम न करने पर कहते हैं

लाल बुझक्कड़ बूझियाँ और न बूझा कोए, पैर में चक्की बाँध के कोई हिरना कूदा हुए

रात को गाँव के पास से हाथी गुज़रा, उसके पाँव का निशान देख कर लोग बहुत हैरान हुए, लाल बुझक्कड़ ने यह फ़ैसला दिया कि कोई हिरन पाँव में चक्की बाँध के कूदा है

बिना वसीले चाकरी बिना बुद्धि के देह, बिना गुरू का बालका सर में डाले खेह

नौकरी बिना माध्यम एवं अनुशंसा के नहीं मिल सकती एवं शरीर बिना बुद्धि के बेकार है और जिस चेले का गुरू नहीं वह दुष-चरित्र हो जाता है

k m के लिए उर्दू शब्द

k m

k m के देवनागरी में उर्दू अर्थ

  • मुख़फ़्फ़फ़: किलोमीटर।

k m کے اردو معانی

  • مخفف: کلومیٹر۔.

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k m

मुख़फ़्फ़फ़: किलोमीटर।

की-मू

एक लकड़ी जिससे फ़र्नीचर तैयार किया जाता है (हिमालय पर्वत के क्षेत्र में बहुत प्रयोग होती है)

k-meson

रुक

कह-ओ-मिह

small and big, high and low

कुएँ में धक्का देना

मुसीबत में भन॒साना, आफ़त में डालना

कूएँ में भंग पड़ी

मदहोश होना, सब नशे में धुत हो गए, सब बेवक़ूफ़ होगए

क़ाइमतुज़-ज़ाविया

right-angled

कू-ए-मुग़ाँ

(शाब्दिक) मजूसियों (पारसीयों) का मुहल्ला

कई-मर्तबा

कुछ बार, बार-बार, अनेक बार

कोई-मर्तबा

कई बार, कई मरतबा

कू-ए-मलामत

street of repentance

हक़्क़-ए-मुरज्जह

वरियता प्राप्त अधिकार, अधिमान्य अधिकार, मुख्य अधिकार, प्रधान अधिकार

ज़ात पड़ी खोह में और रोटी पड़ी मुँह में

जो व्यक्ति रुपए के आगे शालीनता का मुल्य न जाने

कमर में तोशा बड़ा (राह या मंज़िल का) भरोसा

रुपय पैसे से बड़ी सुकून होती है

मुँह में हज़ार बातें कह जाना

एक साँस में बहुत सी बातें सुना देना

मो को न तो को, ले भाड़ में झोको

ना ख़ुद अपने काम में য৒ब लाएंगेगे ना तुम्हें काम में लाने देंगे चाहे ज़ाए हो जाये तो हो जाये

मुँह में आया सो कह दिया

۔ بے سوچے سمجے بات کرنے والے کی نسبت بولتے ہیں۔

मुँह में आया सो कह दिया

बे सोचे समझे कह दिया

कान में कुछ कह देना

चुपके से कहना, गुप्त रूप से कुछ कहना, इस तरह कहना कि किसी और को पता न चले

हक़ कर, हलाल कर (एक दिन में हज़ार कर) दिन में सौ बार कर

वैध काम में लाभ है

मैं भरूँ सरकार के, मेरे भरे सक़्क़ा

जो शख़्स ख़ुद तो किसी की ख़िदमत करे मगर अपना काम दूसरों से किराए इस के मुताल्लिक़ कहते हैं

राह में कुँएँ खोदना

काम में दुश्वारियां पैदा करना, किसी मक़सद के हुसूल में हाइल होना, नुक़्सान पहुंचाने का इंतिज़ाम करना

मुँह पर कह देना

सामने कह देना, मुँह पर कह देना

हगता मूतता माँ का, हँसता बोलता बाप का

बच्चे की ग़लाज़त सिर्फ़ माँ ही बर्दाश्त करती है

सूखे से मुँह कह देना

बेमुरव्वती से जवाब दे देना , तल्ख़-ओ-नामतबु जवाब दे देना

क़ा'र-ए-मे'दा

(चिकित्सा) मे'दे की गहराई, मेदे की थाह

क़ा'री-माए'

(طب) وہ رقیق مادّہ جو جسمی جوف میں ہوتا ہے .

का'र-ए-मज़ल्लत में गिरना

land into abysmal ignominy

मुँह में जो आए कह जाना

۔ بے دھڑک بک دینا۔ بے سمجھے بوجھے بات کہنا۔ ؎

एक-एक ज़बान में दस-दस सुनाना

एक सांस ही कई गालियाँ आदि दे डालना, बुरी तरह कोसना गालियाँ देना या डाँटना

शहना छुपा पियाल में, कौन कह कर बैरी हो

कोतवाल पियाल में छिपा है कौन कह के दुश्मनी मूल ले (इशारे से, अपना पहलू बचाते हुए या महिज़ हमाक़त से राज़ फ़ाश करना

शहना छुपा पियाल में, कौन कह के बैरी हो

कोतवाल पियाल में छिपा है कौन कह के दुश्मनी मूल ले (इशारे से, अपना पहलू बचाते हुए या महिज़ हमाक़त से राज़ फ़ाश करना

मुँह से कह डालना

ज़बान से कहना

मुँह से कह बैठना

रुक : मुँह से कह उठना, ज़बान से कहना

मुँह पर कह बैठना

सामने कह देना, मुँह पर कह देना, रूबरू कह देना

मुँह से कह उठना

बे-अख़्तियारी में कोई बात मुँह से निकल जाना , ज़बान से कोई बे मौक़ा बात कह देना

मुँह से कह डालना

ज़बान से कहना

तू चाह मेरी जाई को, मैं चाहूँ तेरे खाट के पाए को

सास अपने दामाद से कहती है कि तुम मेरी बेटी के साथ अच्छा व्यवहार करोगे तो मैं तुम्हारी सब वस्तु का सम्मान करूँगी

क़ब्र में रख के ख़बर को न आया कोई, मूए का कोई नहीं, जीए के सब कोई

मरने के बाद क़ब्र पर भी कोई नहीं जाता

कान में कह जाना

गुप्त रूप से सूचित कर जाना, गोपनीय रूप से बताया जाना

का'बा हो तो उस की तरफ़ मुँह न करूँ

किसी जगह से इस क़दर बेज़ार और तंग होना कि अगर वो जगह मुक़ाम मुक़द्दस और ख़ुदा का घर भी बिन जाये तो उधर का रुख़ ना करना ग़रज़ निहायत बेज़ार तंग और आजिज़ हो जाने के मौक़ा पर ये फ़िक़रा बोला जाता है

दुनिया में दस आख़िर कूँ सत्तर

दुनिया में दस (पुण्यों) के बदले परलोक में सत्तर मिलेंगे, दुनिया में की हुई भलाई (पुण्य) परलोक में काम आती है

क़ब्र में रख के ख़बर को न आया कोई, मूए का कोई नहीं, जीते-जी का सब कोई

मरने के बाद क़ब्र पर भी कोई नहीं जाता

कहे से कोई कुँएँ में नही गिरता

दूसरे के कहने से कोई नुक़्सान वाला काम नहीं करता, हर एक अपना अच्छा-बुरा ख़ूब समझता है

शाबाश तुझ को, तू ने मोह लिया मुझ को

तंज़न कहते हैं जब कोई अपने आप को बहुत बांका समझने लगे

हर कि-ओ-मिह

हर बड़ा और छोटा, हर ख़ास-ओ-आम, हर कोई

अल-मा'ना फ़ी बत्निल-क़ाइल

(اس شعر یا لفظ وغیرہ کا مطلب) وہی سمجھے جس نے کہا یا لکھا ہے ، یعنی کلام کا مطلب واضع نہیں ، مبہم و مہمل ہے .

कूएँ की तह में तारा हो जाना

गहरे कोनें की ता में पानी का चमकना

शाबाश मियाँ तुझ को, तू ने मोह लिया मुझ को

व्यंग में कहते हैं जब कोई अपने आप को बहुत बांका समझने लगे

शाबाश बुआ तुझ को, तू ने मोह लिया मुझ को

तंज़न कहते हैं जब कोई अपने आप को बहुत बांका समझने लगे

नेकी कर कुएँ में डाल

नेकी करके भला देना चाहिए, सुले की उमीद नहीं रखनी चाहिए (जिस नेकी के इव्ज़ कुछ ना मिले उस की निसबत कहते हैं

जो कोसत बैरी मरे और मन चितवे धन होय, जल माँ घी निकसन लागे तो रूखा खाए न कोय

अगर कोसने से शत्रु मर जाए, इच्छा से धन प्राप्त हो और पानी से घी निकले तो कोई रूखी न खाए

कहे से कोई कुएँ में नहीं गिरता

दूसरे के कहने से कोई हानिकारक क्रिया नहीं करता, सभी अपना अच्छा और बुरा अच्छे से समझते हैं

न तू कह मेरी न मैं कहूँ तेरी

तुम मेरा ऐब छुपाओ, में तुम्हारा ऐब छुपाऊंगा

न मैं कहूँ तेरी, न तू कह मेरी

जो व्यक्ति दूसरे को दोष नहीं देता तो दूसरा भी उसे दोष नहीं देता, आपस की गोपनीयता के संबंध में बोलते हैं

माँ चाहे बेटी को, बेटी चाहे मूए ढींग को

माँ को जितनी मुहब्बत बेटी से होती है उतनी मुहब्बत बेटी को माँ से नहीं होती, शादी के बाद बेटी अपने ख़ावंद को ज़्यादा चाहती है

बोले की न चाले की, मैं तो सोते की भली

बहू की सुस्ती एवं काम न करने पर कहते हैं

बोले की न चाले की, मैं तो सूते के भली

बहू की सुस्ती एवं काम न करने पर कहते हैं

लाल बुझक्कड़ बूझियाँ और न बूझा कोए, पैर में चक्की बाँध के कोई हिरना कूदा हुए

रात को गाँव के पास से हाथी गुज़रा, उसके पाँव का निशान देख कर लोग बहुत हैरान हुए, लाल बुझक्कड़ ने यह फ़ैसला दिया कि कोई हिरन पाँव में चक्की बाँध के कूदा है

बिना वसीले चाकरी बिना बुद्धि के देह, बिना गुरू का बालका सर में डाले खेह

नौकरी बिना माध्यम एवं अनुशंसा के नहीं मिल सकती एवं शरीर बिना बुद्धि के बेकार है और जिस चेले का गुरू नहीं वह दुष-चरित्र हो जाता है

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