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देने के नाम बदन का मैल भी नहीं देते

बड़े बख़ील हैं

देने के नाम कुंडी भी नहीं देते

बहुत कंजूस हैं

देने के नाओं दरवाज़ा नहीं देते

देने के नाम किंवाड़ दे के नहीं सोता

जहां देने का मौक़ा आए तो कुछ भी ना देना, (निहायत बख़ील आदमी की निसबत बतौर मुबालग़ा कहते हैं)

वहम का 'इलाज हकीम लुक़्मान के पास भी नहीं

वहम का कोई ईलाज नहीं, वहम ला इलाज बीमारी है

नाम हीरा मल-दमक कंकर सी भी नहीं

नाम अच्छा है मगर गुण अच्छे नहीं हैं, नाम बड़ा और दर्शन छोटे

दम नहीं बदन में, नाम ज़ोर-आवर-ख़ाँ

बहुत दिखावा करना, शरीर में शक्ति नहीं परंतु बुरा स्वभाव ऐसा है कि हर व्यक्ति से झगड़ा करते रहते हैं

बदन में दम नहीं नाम ज़ोर-आवर

क़ौल-ओ-अमल या किरदार और नाम में तज़ाद है

खिलाए का नाम नहीं, रुलाए का नाम हैं

हसन-ए-सुलूक और हसन-ए-ख़िदमत की कोई दाद नहीं देता मगर बुरी बात की फ़ौरन गिरिफ़त हो जाती है

तन बदन में जान नहीं नाम ज़ोर-आवर ख़ान

ताक़त होनी चाहीए नाम का क्या फ़ायदा, लियाक़त से ज़्यादा शेखी बघारने के मौक़ा पर बोलते हैं

लेने में नहीं देने में नहीं

रुक : लेने में ना देने में

ये कसी का भी सगा नहीं

ये बड़ा बेवफ़ा है

तन बदन का होश नहीं

आब-ए-दस्त का भी सलीक़ा नहीं

निहायत बद सलीक़ा और नादान है

खिलाए का नाम नहीं , रोलाए का नाम है

तेरे नाम का कुत्ता भी नहीं पालना

इंतिहाई तहक़ीर-ओ-तनफ़्फ़ुर का इज़हार है

नाम भी नहीं

कुछ नहीं की जगह, ज़रा नहीं

किसी के नाम का कुत्ता भी न पालना

(ओ) किसी की सूरत से बेज़ार और मुतनफ़्फ़िर होना, किसी की शक्ल देखने का रवादार ना होना

आँख में मैल नहीं

गवारा है, नागवार नहीं

चाँद में मैल नहीं

कोई कमी नहीं

सुब्ह का नाम नहीं लेते

जिस के वास्ते रोए उस की आँखों में आँसू भी नहीं

जिस के साथ किसी तकलीफ़ में हमदर्दी की उसे पर्वा भी नहीं

दवा के लिए ढूँडो तो भी नहीं मिलती

दवा के लिए ढूँडो तो भी नहीं मिलता

आँख में ज़रा मैल नहीं

ग़लती पर शर्मिंदा होने की बजाय आंखों में आंखें डाल के जवाब देता है

आप के भुजा डंड कहे देते हैं

रूप से दावों की पुष्टि नहीं होती

नोन बाँधने के लाइक़ भी नहीं

चन्दी चन्दी होगया है, ुपरज़ा ुपरज़ा होगया है (कपड़े के चीथड़े हो जाने पर मुस्तामल

आँख में मैल है और उस में मैल नहीं

आँख से भी अधिक पारदर्शी, बहुत ही स्वच्छ

देने के हज़ारों हाथ हैं

तुम तो जब माँ के पेट से भी नहीं निकले होगे

इस मौक़ा पर बोलते हैं जब ये जतलाना मंज़ूर हो कि ये बहुत पुरानी बात है, तुम्हारे पैदा होने से पहले की बात है

उसके देने के हज़ारों हाथ हैं

रोज़ी का एक द्वार बंद हो तो ईश्वर सत्तर द्वार खोल देता है, वह किसी न किसी तरह मनुष्य को ज़रूर रोटी-रोज़ी पहुँचाता है

मीठी बातों में दिन रात कटते मा'लूम नहीं देते

अच्छी बातों या ख़ुशहाली में वक़्त जलद गुज़र जाता है

बे बुलाए ख़दा के घर भी नहीं जाते

मूए का कोई नाम नहीं जीते का सब कोई

उत दाता देवे ऐसे जो ले दाता नाम, इत भी सगरे ठीक हों उस के करतब काम

जो ईश्वर को याद करे ईश्वर उसे ख़ूब देता है और उसके काम संवर जाते हैं

जिस के काटे का मंतर नहीं

वो मसला जिस का हल ना हो, ऐसा असर जिस का असर ना होसके, ऐसी चीज़ जिस के बराबर कुछ नहू

कोई भी माँ के पेट से तो ले कर नहीं निकलता है

हर व्यक्ति को सीखना पड़ता है, जन्मजात विद्वान कोई नहीं होता, काम करने से ही आता है, कोई माँ के पेट से सीख कर नहीं आता

बदन में जान नहीं

(शरीर में) पूर्ण रुप से कमज़ोरी और शारीरिक निर्बलता है

जब कमर में ज़ोर होता है तो मदार साहब भी देते हैं

बेरों फ़क़ीर वन की दुआ का तब ही असर होता है जब अपने आप भी कोशिश की जाये

चलती का नाम गाड़ी नहीं ईंधन

कोई चीज़ जब तक काम दे तब तक अच्छी है नहीं तो कुछ भी नहीं

न किसी के लेने में , न देने में

फाव्ड़े के नाम गुल सफ़ा नहीं जान्ता

۔ मिसल। गुल सफ़ा। मिट्टी साफ़ करने वाला।) अलिफ़ के नाम बे नहीं जानता। जाहिल है। को दिन है (नोट) एक शख़्स धोके में एक चालाक जाहिल फ़क़ीर का चेला होगया। बारह बरस तक शाह साहिब ने कोई तालीम नहीं दी। एक रोज़ चेले ने फावड़े की तरफ़ इशारा कर के पूछा शाह साहिब इस का क्या नाम है

हाथों का मैल

नगण्य वस्तु, साधारण चीज़, निरर्थक वस्तु, तात्पर्यः धन, रुपया पैसा

किसी के लेने देने में न होना

उफ़ : होना

चांदी का मैल

जीते के सब हैं मरे का कोई नहीं

ज़िंदा का साथ दिया जाता है, मरने के बाद कोई किसी को नहीं पूछता

राँग का मैल

ताँबे का मैल

घर के रोवें बाहर के खाएँ दु'आ देने क़लंदर जाएँ

घर वालों से बुरा सुलूक और बाहर वालों से अच्छा सुलूक

काटो तो ख़ून नहीं बदन में

ख़ौफ़ या सदमे से हुक्का बिका रह जाने से रंग उड़ जाने के मौक़ा पर मुस्तामल, मुतरादिफ़ : हुक्का बिका रह गया, चेहरे का रंग उड़ गया, ख़ामोश हो कर मुंह तकने लगा, होश-ओ-हवास उड़ गए वग़ैरा

कानों का मैल निकलवाओ

बेतवज्जुही से सुनने वाले से कहते हैं, जो दूसरे की काम की बात नहीं सुनता

देने वालों का मुँह देखना

तंज़िया कलिमा - ख़ुद कंजूस हैं दूसरे की सख़ावत भी नहीं देखी जाती

ता'वीज़-गंडे के भरोसे पर न रहना कुछ कमर का भी ज़ोर लगाना

काम परिश्रम से होता है, स्वयं भी प्रयत्न करनी चाहिए, केवल विश्वास पर नहीं रहना चाहीए

काल के आगे किसी का बस नहीं चलता

मौत सब को बेबस कर देती है

काटो तो लहू नहीं बदन में

ख़ौफ़ या सदमे से हुक्का बिका रह जाने से रंग उड़ जाने के मौक़ा पर मुस्तामल, मुतरादिफ़ : हुक्का बिका रह गया, चेहरे का रंग उड़ गया, ख़ामोश हो कर मुंह तकने लगा, होश-ओ-हवास उड़ गए वग़ैरा

रग-रग का मैल

शरीर के अंग-अंग का मैल जो ज़्यादा दिन तक न नहाने से जम जाता है

मौत के आगे किसी का बस नहीं चलता, मौत के आगे सब हारे

मृत्यु से कोई नहीं बच सकता, मृत्यु सब को हरा देती है, प्रत्येक जीव को मरना है, मृत्यु से कोई नहीं बच सकता, मौत से कोई नहीं बच सकता, हर जानदार को मरना है, कोई मौत से नहीं बच सकता

किसी के नाम का गुड्डा बनाना

किसी को रुस्वा करना, किसी को रुस्वा-ए-आम करना, किसी की तज़लील करना, किसी को बदनाम करना

आसा के नाम का छल्ला उठाना

मिन्नत मानने का ये एक ढंग है (कुछ स्त्रियों की आस्था है कि बीबी आसा के नाम का छल्ला पानी में ग़ोता दे कर उठा रखने से बिगड़ी हुई बात बन जाती है और इच्छा पूरी हो जाती है, इच्छा-पूर्ति के पश्चात उस छल्ले की चाँदी बेच कर उस के दामों से शीरीनी मंगा कर नियाज़ दिलवा देती हैं)

फ़रिश्तों ने भी नहीं सुना

बिलकुल बेख़बर होना, कानों कान ख़बर न होना, अनजान होना

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में देने के नाम बदन का मैल भी नहीं देते के अर्थदेखिए

देने के नाम बदन का मैल भी नहीं देते

dene ke naam badan kaa mail bhii nahii.n deteدینے کے نام بَدَن کا مَیل بھی نَہِیں دیتے

कहावत

देने के नाम बदन का मैल भी नहीं देते के हिंदी अर्थ

  • बड़े बख़ील हैं
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دینے کے نام بَدَن کا مَیل بھی نَہِیں دیتے کے اردو معانی

  • بڑے بخیل ہیں

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