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भीत के भी कान होते हैं

अपना भेद किसी से नहीं कहना चाहिए वर्ना पूरी दुनिया में मशहूर हो जाएगा

दीवारों के भी कान होते हैं

हाकिम के आँख नहीं होती, कान होते हैं

हाकिम देखते नहीं ख़ुशामदियों की सुना करते हैं

माया के भी पाँव होते हैं, आज मेरे कल तेरे

धन किसी के पास सदैव नहीं रहता, आज एक के पास है तो कल दूसरे के पास

जहाँ चार बर्तन होते हैं खटकते भी हैं

जहाँ कुछ लोग एक जगह जमा होते हैं तो वहाँ वादविवाद भी हो ही जाती है, जहाँ भीड़ होती है वहाँ वादविवाद भी होती है

कहीं मुर्दे भी ज़िंदा होते हैं

चार बासन होते हैं तो खड़कते भी हैं

रुक : जहां चार बर्तन अलख, जहां चार आदमी जमा होते हैं तकरार भी हो जाती है

कहीं सूखे दरख़्त भी हरे होते हैं

असंभव बात कभी संभव नहीं होती, जो एक बार बर्बाद या नष्ट हो जाए फिर उसकी उन्नति नहीं होती, काम बिगड़ जाए तो ठीक नहीं होता, बिल्कुल बिगड़ी हुई हालत नहीं सुधरती

असल के असल होते हैं

भले आदमी की संतान भली होती है, अच्छे कुल में अच्छे ही पैदा होते हैं

साँप के पाँव शिकम में होते हैं

शरीर कितना भोला नज़र आए, इस के दिल में शरारत होती है, बदज़ात की बदी ज़ाहिर नहीं होती

साँप के पाँव पेट में होते हैं

खिलंडरा व्यक्ति कितना भी भोला नज़र आए उस के दिल में खिलंडरापन अवश्य होता है, दुष्टाचारी व्यक्ति की दुष्टता उजागर नहीं होती

दिवानों के क्या सर सींग होते हैं

बेवक़ूफ़ हो, यानी तुम्हारे सड़ी या सौदाई होने में कोई शक नहीं

तीन दिन क़ब्र में भी भारी होते हैं

मरने के बाद तीन दिन तक क़ब्र में फ़रिश्ते हिसाब लेते हैं, अर्थात यह है कि दुनिया के बखेड़े बहुत हैं, मनुष्य को ईश्वर की याद हर समय करनी चाहिए, मरने के बाद भी आदमी का परेशानियों से पीछा नहीं छूटता

सब अपनी गों के यार होते हैं

सब अपने मतलब के होते हैं

दीवानों के सर पर क्या सींग होते हैं

दीवाने भी दूसरे लोगों की तरह होते हैं

दीवार के भी कान हैं

दीवार भी कान रखती है, दीवारों के भी कान होते हैं, यह एक कहावत हैं जिसका अर्थ होता है “सतर्क रहना”, कोई आप की बात सुन सकता है, जहां गोपनीयता रखनी जरूरी समझे वहां इस मुहावरे को प्रयोग में लाया जाता है

अच्छों के अच्छे ही होते हैं

अच्छे आदमी की संतान और बाल-बच्चे भी अच्छे ही होते है, अच्छे कुल में अच्छे ही पैदा होते हैं

तुलसी पैसा पास का सब से नीको होय, होते के सब कोय हैं, अन-होते की जोय

गाँठ का पैसा ही काम आता है

वहाँ फ़रिश्तों के भी पर जलते हैं

इस जगह कोई नहीं जा सकता, उन का इतना रोब है कि वहां जाने की कोई जुर्रत नहीं करसकता

रस्ते बंद होते हैं

इस क़दर हुसैन है कि जो देखता है दीवाना हो जाता है, रास्ते में चलते लोगों के ठट लग जाते हैं

होती आई है कि अच्छों के बुरे होते हैं

हमेशा से ऐसा होता है कि अच्छों की औलाद बुरी निकलती है

लड़के के पाँव पालने में मा'लूम होते हैं

होनहार लड़के के मुताल्लिक़ बोलते हैं , मुआमले का अंजाम इबतिदा ही से मालूम होजाता है

जिस के मुँह में चावल होते हैं वो ख़ूब चबा-चबा कर बातें करता है

जिसके पास धन होता है वह बहुत घमंड से बातें करता है

जिस के मुँह में चावल होते हैं वो चबा चबा कर बातें करता है

जिस के पास दौलत होती है वही इतराता है

आप में भी कूट कूट के ख़ूबियाँ भरी हैं

बड़े दुष्ट हो, बड़े कमीने हो

ज़ेरों से शेर होते हैं

बच्चे ही बड़े हो कर शक्तिशाली और बहादुर बनते हैं, छोटे से बड़े होते हैं

जिस के मुँह में चावल होते हैं वो चबा चबा कर ख़ूब बातें करता है

होते-हवाते हैं

हुआ करते हैं

गीदड़ उछला उछला जब अंगूर के ख़ोशे तक न पहुँचा तो कहा अंगूर खट्टे होते हैं

बहुतेरी तदबीर की जब एक ना चली तो दूसरों ही का क़सूर बताया जब कोई तदबीर बिन नहीं पड़ती तो अपनी शर्मिंदगी मिटाने को दूसरों का क़सूर बताते हैं

देवता भी बासना के भूके हैं

हर जगह देने लेते से काम निकलता है

सूखे में झड़ बेर घने होते हैं, सम्पत में अन ढेर घने होते हैं

ख़ुशक साली में झड़ बीर बहुत होते हैं और अगर साल अच्छ्াा हो तो अनाज बहुत होता है

यहाँ हज़रत जिब्राईल के भी पर जलते हैं

यहां तक ही रसाई थी (मेराज के वाक़िया की तरफ़ इशारा है, हज़रत जबराईलऑ पैग़ंबर सिल्ली अल्लाह अलैहि वालही वसल्लम के हमराह थे एक मौक़ा पर जा के उन्हों ने कहा कि वो इस से आगे नहीं जा सकते पैग़ंबर सिल्ली अल्लाह अलैहि वालही वसल्लम आगे तन्हा रवाना हुए

दिन अछे होते हैं तो कंकर जवाहर बन जाते हैं

जब भाग्य अच्छा होता है तो नेक काम स्वयं बन जाता है

हम भी हैं वो भी हैं

हमारा उन का मुक़ाबला है देखें कौन बढ़ता है

ये भी अपने वक़्त के हातिम ताई हैं

(व्यंग्यात्मक) बहुत दानी हैं

साल भर में सख़ी शूम बराबर होते हैं

सखी जलद, शिवम देर से ख़र्च करता है, आख़िर में दोनों का ख़र्च बराबर हो जाता है या निकलता है

अपने बछड़े के दाँत सब को मा'लूम होते हैं

अपने आदमीयों के लच्छनों या गुणों से सब बा ख़बर होते हैं

बारह बरस के बा'द घूरे के भी दिन फिरते हैं

बारह बरस के बा'द घूरे के भी दिन फिरे हैं

तंगदस्ती या परेशांहाली हमेशा नहीं रहती

ज़बान से बेटा बेटी पराए होते हैं

इंसान को ज़बान का बड़ा पास रखना चाहिए, बिअतों से आदमी औलाद को भी अपना मुख़ालिफ़ बनालेता है इस लिए ख़्याल रखना चाहिए कि ज़बान से किया बात निकलती है

दो चून के बुरे होते हैं

एक के मुक़ाबले में दो शख़्स अगर ज़ईफ़ भी हूँ तब भी एक को अकेला होने की विजय से उन से डरना चाहिए, दो कमज़ोर भी मिल को क़वी हो जाते हैं

झूट के पाँव नहीं होते

झूट के पाँव नहीं होते

झूट बहुत जल्द खुल जाता है, झूट बहरहाल खुल कर रहता है

झूटे के पाँव नहीं होते

झूटे आदमी में दिलेरी नहीं होती, झूटा आदमी जल्द घबरा जाता है

क़ब्र में तीन दिन भारी होते हैं

क़ब्र में तीन दिन तक मुर्दे का हिसाब किताब होता है (जो बहुत कठिन माना जाता है), हर काम के शुरू में परेशानी आती है

झूटे के पाँव कहाँ होते

झूटे आदमी में दिलेरी नहीं होती, झूटा आदमी जल्द घबरा जाता है

पागल के सर पे सींग नहीं होते

पागलों की कोई बाह्य पहचान की निशानी नहीं होती, वह तो अपनी हरकतों और बातों से पहचाने जाते हैं

हम भी हैं पाँचवें सवारों में

शेखी ख़ोरे की निसबत कहते हैं जिस की कुछ हक़ीक़त ना हो और वो ख़ुद को ख़्वामख़्वाह बड़े लोगों में शामिल करे

लातों के भूत बातों से नहीं सीधे होते

रुक : लातों के भूत बातों से नहीं मानते जो ज़्यादा मुस्तामल और फ़सीह है

यहाँ सब कान पकड़ते हैं

यहाँ सब का सर झुका हुआ है, इस जगह किसी की उस्तादी नहीं चलती, यहाँ कोई दावा नहीं कर सकता, इस जगह सब मजबूर हैं

निकले दाँत भी कहीं पैठे हैं

मिसल मशहूर है जो भेद खुल जाये वो फिर नहीं छुपता (रुक : निकले हुए दाँत अलख)

कहीं डूबे भी तिरे हैं

बिगड़ी हुई चीज़ नहीं सँवरती, बिगड़ी हुई चीज़ों का सँवरना कठिन है

कहीं हाथों की लकीरें भी मिटी हैं

कहीं हाथों की लकीरें भी मिटती हैं

कहीं तक़दीर भी ख़ता करती है, कहीं रिश्ते भी छूओटते हैं, अपनों का अपनों को छोड़ना मुम्किन नहीं, अपनों का छूओटना और रिश्ता टूटना दुशवार है

कहीं हाथों की लकीरें भी टलती हैं

कहीं तक़दीर भी ख़ता करती है, कहीं रिश्ते भी छूओटते हैं, अपनों का अपनों को छोड़ना मुम्किन नहीं, अपनों का छूओटना और रिश्ता टूटना दुशवार है

कान में तेल डाले बैठे हैं

कहीं थूक से भी सत्तू सनते हैं

ज़रूरी सामान के बगै़र काम नहीं हो सकता, छोटी पूंजी से बड़ा काम नहीं हो सकता

हम भी ज़बाँ रखते हैं

हम भी बोल सकते हैं, हम भी मुँह में ज़बान रखते हैं

आप भी 'अजब ज़ात-ए-शरीफ़ हैं

रुक : आप बहुत दूर हैं

शेरों के शेर हैं

बहुत ज़्यादा बहादुर, बहुत जरी

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में भीत के भी कान होते हैं के अर्थदेखिए

भीत के भी कान होते हैं

bhiit ke bhii kaan hote hai.nبِھیت کے بھی کان ہوتے ہیں

कहावत

भीत के भी कान होते हैं के हिंदी अर्थ

  • अपना भेद किसी से नहीं कहना चाहिए वर्ना पूरी दुनिया में मशहूर हो जाएगा
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بِھیت کے بھی کان ہوتے ہیں کے اردو معانی

  • دیوار ہم گوش دارد ، اپنا بھید کسی سے نہیں کہنا چاہیے ورنہ تمام جہاں میں مشہور ہو جائے گا.

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