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सखी

सहेली; संगिनी

सखीरी

सहेली, हमजोली

सखी हो हम हों राज कुमार

जब कोई शेखी मारे तो उसे बतौर तंबीया कहते हैं

सख़ी

दान करने वाला, बड़े दिल वाला, मुक्तहस्त, वदान्य, दाता, फैयाज़, दानशील, दानी

सख़ी का सर बुलंद, मूज़ी की गोर तंग

उदार व्यक्ति का हमेशा सम्मान होता है मूज़ी हमेशा दुख एवं तकलीफ़ में होता है

सख़ी से राह नहीं सूम से क्यूँ तोड़ियो

अगर अच्छे से मुलाक़ात नहीं तो बुरे से विरोध नहीं कुछ तो फ़ायदा हो ही रहेगा

सख़ी से भेट नहीं दलिद्दर से क्यों तोड़िए

अगर ज़्यादा फ़ायदा नहीं तो थोड़ा ही सही- बड़े से मुलाक़ात ना की छोटे ही से कर ली

सख़ी का ख़ज़ाना कभी ख़ाली नहीं होता

उदार व्यक्ति के पास हमेशा रुपया रहता है

सख़ी से राह नहीं दलिद्दर से क्यों तोड़िए

अगर ज़्यादा फ़ायदा नहीं तो थोड़ा ही सही- बड़े से मुलाक़ात ना की छोटे ही से कर ली

सख़ी-दिल

دریا دل ، فراخ حوصلہ ، فیّاض ، کُشادہ قلب.

सख़ी सूम साल भर में बराबर हो जाते हैं

फ़ी्याज़ और दरिया दिल आदमी का बख़शिश-ओ-सख़ावत के ज़रीये और बख़ील आदमी का बेजा सिर्फ़ के बाइस साल भर में हिसाब बराबर हो जाता है, फ़ी्याज़ आदमी का माल सही जगह सिर्फ़ होता है और बख़ील का ग़लत जगह

सख़ी से सूम भला जो तुरंत दे जवाब

इंतज़ार में रखने से इनकार कर देना बेहतर है

सख़ी का बेरा पार और शूम की मिट्टी ख़राब

दानी सफल रहता है, सूम लोगों की नज़रों में गिरा रहता है

सख़ी से शूम म भला जो तुरंत दे जवाब

इंतज़ार में रखने से इनकार कर देना बेहतर है

सख़ी का बेड़ा पार और सूम की मिट्टी ख़राब

दानी सफल रहता है, सूम लोगों की नज़रों में गिरा रहता है

सख़ी की कमाई में सब का साझा

उदार या दानी सब को देता है

सख़ी से सूम भला जो जल्दी दे जवाब

इंतज़ार में रखने से इनकार कर देना बेहतर है

सख़ी दे और शर्माए बादल बरसे और गर्माए

फ़ी्याज़ आदमी, दे कर एहसान नहीं जताता मगर बादल बरसता है और गरजता भी है, सखी की सख़ावत एहसान रखने के लिए नहीं होती

सख़ी की दूर बला

फ़ी्याज़ या क्रीम-उन-नफ़स आदमी आफ़तों से महफ़ूज़ रहता है

सख़ी की बला दूर

फ़ी्याज़ या क्रीम-उन-नफ़स आदमी आफ़तों से महफ़ूज़ रहता है

सख़ी-दाता

बहुत अधिक उदार और दानी प्रवृत्ति का, बड़ा उदार और दानी

सख़ी से शूम भला जो जल्दी दे जवाब

इंतज़ार में रखने से इनकार कर देना बेहतर है

सख़ी से सूम भला जो तुरत दे जवाब

सख़ी के माल पर पड़े सूम की जान पर

दानशील एवं उदार व्यक्ति के माल का नुकसान होता है और सूम अर्थात कंजूस की जान का

सख़ी का सर बलंद है

उदारता से बड़ा सम्मान है

सख़ी से शूम भला जो तुरत दे जवाब

इंतज़ार में रखने से इनकार कर देना बेहतर है

ज्ञान-सखी

رہس کے دوسرے طرز کی گیارھویں صورت جس میں سکھیاں ایک صف میں کھڑی ہو کر کوئی چیز گائیں.

सख़ी सख़ावत से फलता है 'अदू 'अदावत से जलता है

उदार व्यक्ति सदैव सुखी रहता है और शत्रु हमेशा जलता रहता है

सख़ी का भला

(गदागरी) गदागरों का तकिया-ए-कलाम-ओ-सदा, मुराद : नेक काम में ख़र्च करने वालों की ख़ैर है

सख़ी बन जाना

दरिया दिल होना, बहुत दानी होना, दयालु होना

सात-सखी-कापी

एक नर पक्षी का नाम जिसके साथ सात मादा रहती हैं

सख़ी के माल पर पड़े और सूम की जान पर पड़े

दानशील एवं उदार व्यक्ति के माल का नुकसान होता है और सूम अर्थात कंजूस की जान का

सखियन

महीला मित्र, लड़की सखियाँ

सख़ी का बेड़ा पार है

सखी की मुश्किल आसान है , सखी की आक़िबत सुधर जाती है

सख़ी देवे और शर्मावे बादल बरसे और गर्मावे

फ़ी्याज़ आदमी, दे कर एहसान नहीं जताता मगर बादल बरसता है और गरजता भी है, सखी की सख़ावत एहसान रखने के लिए नहीं होती

सख़ीन

गाढ़ा, गफ़, दृढ़, मज्बूत, पुष्ट, कठोर, सख्त ।

सख़ीफ़

कमज़ोर बोदा, निर्बल, कमज़ोर

सख़ी की नाओ पहाड़ चढ़े

दानी हमेशा सफल रहता है

बरस भर में सखी और सूम बराबर हो जाते हैं

कंजूसी करने से कोई लाभ नहीं होता, अंत में दानवीर और कंजूस का हिसाब बराबर बराबर हो जाता है

सख़ी की नाव पहाड़ चढ़े

दानी कभी असफल नहीं रहता

चली सखी चलिये वहाँ जहाँ बसें बृज-राज, गौ-रस बेचत हरि मिलें एक पंथ दो काज

स्त्रियों का कथन है कि वहाँ अर्थात मथुरा जाने से दूध भी बिक जाता है और कृष्ण जी का दर्शन भी हो जाता है

चलो सखी वहाँ चलें जहाँ बसें बृज राज, गौ-रस बेचत हरि मिलें एक पंथ दो काज

स्त्रियों का कथन है कि वहाँ अर्थात मथुरा जाने से दूध भी बिक जाता है और कृष्ण जी का दर्शन भी हो जाता है

सख़ी देवे और शरमावे बादल बरसे और गरमावे

उदार व्यक्ति अपनी उदारता प्रकट नहीं करता, जिस तरह बादल चुपके से बारिश बरसाता है

साल भर में सख़ी शूम बराबर होते हैं

उदार शीघ्र, कृपण देर से ख़र्च करता है, अंत में दोनों का ख़र्च बराबर हो जाता है या निकलता है

ख़ुदा का सख़ी

sacrificing everything in the name of God

मेरा बाप सख़ी था पराए बर्दे आज़ाद करता था

व्यंगात्मक तौर पर शेखी बघारने वाले के संबंध में बोलते हैं जो आप तो किसी योग्य न हो और बुज़ुर्गों की बातों पर घमंड करे

मेरा बाप सख़ी था बड़े बर्दे आज़ाद करता था

व्यंगात्मक तौर पर शेखी बघारने वाले के संबंध में बोलते हैं जो आप तो किसी योग्य न हो और बुज़ुर्गों की बातों पर घमंड करे

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में बरस भर में सखी और सूम बराबर हो जाते हैं के अर्थदेखिए

बरस भर में सखी और सूम बराबर हो जाते हैं

baras bhar me.n sakhii aur suum baraabar ho jaate hai.nبَرَس بَھر میں سَکھی اور سُوم بَرابَر ہو جاتے ہیں

कहावत

बरस भर में सखी और सूम बराबर हो जाते हैं के हिंदी अर्थ

  • कंजूसी करने से कोई लाभ नहीं होता, अंत में दानवीर और कंजूस का हिसाब बराबर बराबर हो जाता है
  • दानवीर लुटाता रहता है और कंजूस ख़र्च नहीं करता परिणाम एक है कि दानवीर अपने पास ख़र्च करने को कुछ रखता नहीं और कंजूस ख़र्च करता नहीं
  • सूम की किसी न किसी प्रकार हानि होती रहती है और दाता एवं दानवीर को हर प्रकार से प्राप्ति होती है इसी लिए कहते हैं

بَرَس بَھر میں سَکھی اور سُوم بَرابَر ہو جاتے ہیں کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu
  • کنجوسی کرنے سے کوئی فائدہ نہیں ہوتا، انجام کار سخی اور کنجوس کا حساب برابر برابر ہو جاتا ہے
  • سخی لٹاتا رہتا ہے اور کنجوس خرچ نہیں کرتا نتیجہ ایک ہے کہ سخی اپنے پاس خرچ کرنے کو کچھ رکھتا نہیں اور کنجوس خرچ کرتا نہیں
  • سوم یعنی کنجوس کی کسی نہ کسی طور سے نقصان ہوتا رہتا ہے اور سخی کو ہر طرح سے حصولیابی ہوتی ہے اسی لیے کہتے ہیں

Urdu meaning of baras bhar me.n sakhii aur suum baraabar ho jaate hai.n

  • Roman
  • Urdu

  • kanjuusii karne se ko.ii faaydaa nahii.n hotaa, anjaam kaar sakhii aur kanjuus ka hisaab baraabar baraabar ho jaataa hai
  • sakhii luTaataa rahtaa hai aur kanjuus Kharch nahii.n kartaa natiija ek hai ki sakhii apne paas Kharch karne ko kuchh rakhtaa nahii.n aur kanjuus Kharch kartaa nahii.n
  • som yaanii kanjuus kii kisii na kisii taur se nuqsaan hotaa rahtaa hai aur sakhii ko har tarah se husuulyaabii hotii hai isii li.e kahte hai.n

खोजे गए शब्द से संबंधित

सखी

सहेली; संगिनी

सखीरी

सहेली, हमजोली

सखी हो हम हों राज कुमार

जब कोई शेखी मारे तो उसे बतौर तंबीया कहते हैं

सख़ी

दान करने वाला, बड़े दिल वाला, मुक्तहस्त, वदान्य, दाता, फैयाज़, दानशील, दानी

सख़ी का सर बुलंद, मूज़ी की गोर तंग

उदार व्यक्ति का हमेशा सम्मान होता है मूज़ी हमेशा दुख एवं तकलीफ़ में होता है

सख़ी से राह नहीं सूम से क्यूँ तोड़ियो

अगर अच्छे से मुलाक़ात नहीं तो बुरे से विरोध नहीं कुछ तो फ़ायदा हो ही रहेगा

सख़ी से भेट नहीं दलिद्दर से क्यों तोड़िए

अगर ज़्यादा फ़ायदा नहीं तो थोड़ा ही सही- बड़े से मुलाक़ात ना की छोटे ही से कर ली

सख़ी का ख़ज़ाना कभी ख़ाली नहीं होता

उदार व्यक्ति के पास हमेशा रुपया रहता है

सख़ी से राह नहीं दलिद्दर से क्यों तोड़िए

अगर ज़्यादा फ़ायदा नहीं तो थोड़ा ही सही- बड़े से मुलाक़ात ना की छोटे ही से कर ली

सख़ी-दिल

دریا دل ، فراخ حوصلہ ، فیّاض ، کُشادہ قلب.

सख़ी सूम साल भर में बराबर हो जाते हैं

फ़ी्याज़ और दरिया दिल आदमी का बख़शिश-ओ-सख़ावत के ज़रीये और बख़ील आदमी का बेजा सिर्फ़ के बाइस साल भर में हिसाब बराबर हो जाता है, फ़ी्याज़ आदमी का माल सही जगह सिर्फ़ होता है और बख़ील का ग़लत जगह

सख़ी से सूम भला जो तुरंत दे जवाब

इंतज़ार में रखने से इनकार कर देना बेहतर है

सख़ी का बेरा पार और शूम की मिट्टी ख़राब

दानी सफल रहता है, सूम लोगों की नज़रों में गिरा रहता है

सख़ी से शूम म भला जो तुरंत दे जवाब

इंतज़ार में रखने से इनकार कर देना बेहतर है

सख़ी का बेड़ा पार और सूम की मिट्टी ख़राब

दानी सफल रहता है, सूम लोगों की नज़रों में गिरा रहता है

सख़ी की कमाई में सब का साझा

उदार या दानी सब को देता है

सख़ी से सूम भला जो जल्दी दे जवाब

इंतज़ार में रखने से इनकार कर देना बेहतर है

सख़ी दे और शर्माए बादल बरसे और गर्माए

फ़ी्याज़ आदमी, दे कर एहसान नहीं जताता मगर बादल बरसता है और गरजता भी है, सखी की सख़ावत एहसान रखने के लिए नहीं होती

सख़ी की दूर बला

फ़ी्याज़ या क्रीम-उन-नफ़स आदमी आफ़तों से महफ़ूज़ रहता है

सख़ी की बला दूर

फ़ी्याज़ या क्रीम-उन-नफ़स आदमी आफ़तों से महफ़ूज़ रहता है

सख़ी-दाता

बहुत अधिक उदार और दानी प्रवृत्ति का, बड़ा उदार और दानी

सख़ी से शूम भला जो जल्दी दे जवाब

इंतज़ार में रखने से इनकार कर देना बेहतर है

सख़ी से सूम भला जो तुरत दे जवाब

सख़ी के माल पर पड़े सूम की जान पर

दानशील एवं उदार व्यक्ति के माल का नुकसान होता है और सूम अर्थात कंजूस की जान का

सख़ी का सर बलंद है

उदारता से बड़ा सम्मान है

सख़ी से शूम भला जो तुरत दे जवाब

इंतज़ार में रखने से इनकार कर देना बेहतर है

ज्ञान-सखी

رہس کے دوسرے طرز کی گیارھویں صورت جس میں سکھیاں ایک صف میں کھڑی ہو کر کوئی چیز گائیں.

सख़ी सख़ावत से फलता है 'अदू 'अदावत से जलता है

उदार व्यक्ति सदैव सुखी रहता है और शत्रु हमेशा जलता रहता है

सख़ी का भला

(गदागरी) गदागरों का तकिया-ए-कलाम-ओ-सदा, मुराद : नेक काम में ख़र्च करने वालों की ख़ैर है

सख़ी बन जाना

दरिया दिल होना, बहुत दानी होना, दयालु होना

सात-सखी-कापी

एक नर पक्षी का नाम जिसके साथ सात मादा रहती हैं

सख़ी के माल पर पड़े और सूम की जान पर पड़े

दानशील एवं उदार व्यक्ति के माल का नुकसान होता है और सूम अर्थात कंजूस की जान का

सखियन

महीला मित्र, लड़की सखियाँ

सख़ी का बेड़ा पार है

सखी की मुश्किल आसान है , सखी की आक़िबत सुधर जाती है

सख़ी देवे और शर्मावे बादल बरसे और गर्मावे

फ़ी्याज़ आदमी, दे कर एहसान नहीं जताता मगर बादल बरसता है और गरजता भी है, सखी की सख़ावत एहसान रखने के लिए नहीं होती

सख़ीन

गाढ़ा, गफ़, दृढ़, मज्बूत, पुष्ट, कठोर, सख्त ।

सख़ीफ़

कमज़ोर बोदा, निर्बल, कमज़ोर

सख़ी की नाओ पहाड़ चढ़े

दानी हमेशा सफल रहता है

बरस भर में सखी और सूम बराबर हो जाते हैं

कंजूसी करने से कोई लाभ नहीं होता, अंत में दानवीर और कंजूस का हिसाब बराबर बराबर हो जाता है

सख़ी की नाव पहाड़ चढ़े

दानी कभी असफल नहीं रहता

चली सखी चलिये वहाँ जहाँ बसें बृज-राज, गौ-रस बेचत हरि मिलें एक पंथ दो काज

स्त्रियों का कथन है कि वहाँ अर्थात मथुरा जाने से दूध भी बिक जाता है और कृष्ण जी का दर्शन भी हो जाता है

चलो सखी वहाँ चलें जहाँ बसें बृज राज, गौ-रस बेचत हरि मिलें एक पंथ दो काज

स्त्रियों का कथन है कि वहाँ अर्थात मथुरा जाने से दूध भी बिक जाता है और कृष्ण जी का दर्शन भी हो जाता है

सख़ी देवे और शरमावे बादल बरसे और गरमावे

उदार व्यक्ति अपनी उदारता प्रकट नहीं करता, जिस तरह बादल चुपके से बारिश बरसाता है

साल भर में सख़ी शूम बराबर होते हैं

उदार शीघ्र, कृपण देर से ख़र्च करता है, अंत में दोनों का ख़र्च बराबर हो जाता है या निकलता है

ख़ुदा का सख़ी

sacrificing everything in the name of God

मेरा बाप सख़ी था पराए बर्दे आज़ाद करता था

व्यंगात्मक तौर पर शेखी बघारने वाले के संबंध में बोलते हैं जो आप तो किसी योग्य न हो और बुज़ुर्गों की बातों पर घमंड करे

मेरा बाप सख़ी था बड़े बर्दे आज़ाद करता था

व्यंगात्मक तौर पर शेखी बघारने वाले के संबंध में बोलते हैं जो आप तो किसी योग्य न हो और बुज़ुर्गों की बातों पर घमंड करे

संदर्भग्रंथ सूची: रेख़्ता डिक्शनरी में उपयोग किये गये स्रोतों की सूची देखें .

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