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सख़ी सूम साल भर में बराबर हो जाते हैं

फ़ी्याज़ और दरिया दिल आदमी का बख़शिश-ओ-सख़ावत के ज़रीये और बख़ील आदमी का बेजा सिर्फ़ के बाइस साल भर में हिसाब बराबर हो जाता है, फ़ी्याज़ आदमी का माल सही जगह सिर्फ़ होता है और बख़ील का ग़लत जगह

साल भर में सख़ी शूम बराबर हो जाते हैं

सखी जलद, शिवम देर से ख़र्च करता है, आख़िर में दोनों का ख़र्च बराबर हो जाता है या निकलता है

साल भर में सख़ी शूम बराबर होते हैं

सखी जलद, शिवम देर से ख़र्च करता है, आख़िर में दोनों का ख़र्च बराबर हो जाता है या निकलता है

बरस भर में सख़ी और सूम बराबर हो जाते हैं

कंजूसी करने से कोई लाभ नहीं होता, अंत में दानवीर और कंजूस का हिसाब बराबर बराबर हो जाता है

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में सख़ी सूम साल भर में बराबर हो जाते हैं के अर्थदेखिए

सख़ी सूम साल भर में बराबर हो जाते हैं

saKHii suum saal bhar me.n baraabar ho jaate hai.nسَخی سُوم سال بَھر میں بَرابَر ہو جاتے ہَیں

कहावत

सख़ी सूम साल भर में बराबर हो जाते हैं के हिंदी अर्थ

  • फ़ी्याज़ और दरिया दिल आदमी का बख़शिश-ओ-सख़ावत के ज़रीये और बख़ील आदमी का बेजा सिर्फ़ के बाइस साल भर में हिसाब बराबर हो जाता है, फ़ी्याज़ आदमी का माल सही जगह सिर्फ़ होता है और बख़ील का ग़लत जगह

سَخی سُوم سال بَھر میں بَرابَر ہو جاتے ہَیں کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu
  • فیّاض اور دریا دل آدمی کا بخشش و سخاوت کے ذریعے اور بخیل آدمی کا بے جا صرف کے باعث سال بھر میں حساب برابر ہو جاتا ہے ، فیّاض آدمی کا مال صحیح جگہ صرف ہوتا ہے اور بخیل کا غلط جگہ.

Urdu meaning of saKHii suum saal bhar me.n baraabar ho jaate hai.n

  • Roman
  • Urdu

  • fiiXyaaz aur dariyaa dil aadamii ka baKhshish-o-saKhaavat ke zariiye aur baKhiil aadamii ka bejaa sirf ke baa.is saal bhar me.n hisaab baraabar ho jaataa hai, fiiXyaaz aadamii ka maal sahii jagah sirf hotaa hai aur baKhiil ka Galat jagah

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सख़ी सूम साल भर में बराबर हो जाते हैं

फ़ी्याज़ और दरिया दिल आदमी का बख़शिश-ओ-सख़ावत के ज़रीये और बख़ील आदमी का बेजा सिर्फ़ के बाइस साल भर में हिसाब बराबर हो जाता है, फ़ी्याज़ आदमी का माल सही जगह सिर्फ़ होता है और बख़ील का ग़लत जगह

साल भर में सख़ी शूम बराबर हो जाते हैं

सखी जलद, शिवम देर से ख़र्च करता है, आख़िर में दोनों का ख़र्च बराबर हो जाता है या निकलता है

साल भर में सख़ी शूम बराबर होते हैं

सखी जलद, शिवम देर से ख़र्च करता है, आख़िर में दोनों का ख़र्च बराबर हो जाता है या निकलता है

बरस भर में सख़ी और सूम बराबर हो जाते हैं

कंजूसी करने से कोई लाभ नहीं होता, अंत में दानवीर और कंजूस का हिसाब बराबर बराबर हो जाता है

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