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अलिफ़

सीधी खड़ी लकीर या ख़त वग़ैरा

अलिफ़-बे

अलिफ़ से ये तक की वर्णमाला जो प्रारंभ में बच्चों को पढ़ाई लिखाई जाती है

अलिफ़ बे

अलिफ़ से ये तक की वर्णमाला जो प्रारंभ में बच्चों को पढ़ाई लिखाई जाती है

अलिफ़-ए-तेग़

हलका सा सीधा चीरा

अलिफ़ बे ते

'अलिफ़' से 'य' तक अक्षरों को मिलाने की विधि जो आरंभ में बच्चों को पढ़ाई लिखाई जाती है

अलिफ़-बा

अलिफ़ से ये तक की वर्णमाला जो प्रारंभ में बच्चों को पढ़ाई लिखाई जाती है

अलिफ़-ए-वस्ल

وہ الف جو دو مکرریا مختلف کلموں کو ملانے کے لیے لایا جاتا ہے ، الف اتصال ، جیسے : شبا شب ، شہاروز ، وغیرہ .

अलिफ़-ए-ज़ख़्म

तलवार या किसी धारदार आले के चरके का निशान

अलिफ़-लाम

प्रारंभिक शिक्षा-दीक्षा, मबादियात

अलिफ़ मीम

कलाम-उल-ल्लाह की पहली सूरत या पहला पारा

अलिफ़-लाम-मीम

قرآن پاک کے پہلے پارے کا نام جو الم سے شروع ہوتا ہے ، حرف مقطعات (رک) میں سے ایک کلمہ .

अलिफ़ बाई

अलिफ़ से ये तक की वर्णमाला जो प्रारंभ में बच्चों को पढ़ाई लिखाई जाती है

अलिफ़-कूफ़ी

टेढ़ी वस्तु ।।

अलिफ़-ख़ंजरिया

small form of alif, (as in رحمٰن ،زکوٰۃ)

अलिफ़ करना

(तलवार आदि) उठाना

अलिफ़-ख़ाली

'ا' अर्थात "अलिफ़" वर्ण जो नुक़्ते और मरकज़ अर्थात केंद्र इत्यादि से ख़ाली है

अलिफ़ बे ते से

अलिफ़ से ये तक की वर्णमाला जो प्रारंभ में बच्चों को पढ़ाई लिखाई जाती है

अलिफ़ से ये तक

from A to Z, from beginning to end

अलिफ़-बतनी

वो छोटा सा अलिफ़ जो अरबी के कुछ शब्दों के लिपि में किसी अक्षर के ऊपर एक विशेष उच्चारण के लिए लिखा जाता है, जैसे इसहाक़, ज़कात

अलिफ़-बा-ता

'अलिफ़' से 'य' तक अक्षरों को मिलाने की विधि जो आरंभ में बच्चों को पढ़ाई लिखाई जाती है

अलिफ़-हिलाली

लाम अलिफ़ में का पहला अंश या अलिफ (नस्ख़ लिपी में) जो चंद्राकार (ए) लिखा होता है

अलिफ़-ममदूदा

वह अलिफ़ जिसका उच्चारण दीर्घ-स्वर के साथ हिंदी अक्षर 'आ' के समान हो

अलिफ़-लैला-ओ-लैला

the famous Arabic classic, the Arabian Nights, also known as One Thousand and One Nights

अलिफ़-ए-आज़ादी

God, Allah

अलिफ़-ए-इश्बा'

وہ الف جو فتحے کی حرکت کو کھینچ کر پڑھنے سے پیدا ہو ، جیسے : پیرہن سے پیراہن ، دامن سے دامان.

अलिफ़-ए-फ़ख़ीम

(تجوید) وہ الف جو حرف استعلا (رک) کے بعد پُر (یعنی بہ اشباع فتحہ) ادا کیا جائے .

अलिफ़-ए-ममदूद

फ़ारसी अक्षर का वह अलिफ़ जिसे खींच कर पढ़ने के लिए उसपर ख़ंजर की आकृति की एक छोटी रेखा खींच देते हैं, लम्बी ध्वमी वाला अलिफ़, अलिफ़ का दीर्घ रूप, दो अलिफ़ से यौगिक फ़ारसी का पहला अक्षर और हिंदी का दोसरा (आ) योगफल के हिसाब से इसकी संख्या एक है जबकि कुछ दो भी मानते हैं, आधुनिक भाषाविदों के अनुसार प्रथम दीर्घ स्वर, उच्चारन के समय चुँकि मुँह पूर्ण रूप से खुला रहता है इस्लिए उसे खुला दीर्घ-स्वर भी कहते हैं, इसके उच्चारण का स्थान, कंठ का अंतिम सिरा है, शब्द के शुरू या मध्य में आता है, जैसे: आदम, आम, आटा, आफ़त, मआल आदि का अलिफ़

अलिफ़-ए-तासीस

(छन्द शास्त्र) क़ाफ़ीए(कविता या पद्य में अंतिम चरणों में मिलाया जानेवाला अनुप्रास) में हर्फ़-ए- रवी (अनुप्रास में जिस अक्षर की बारंबारता) से पूर्व का अलिफ़, जैसे, ग़ालिब, तालिब, आक़िल, ग़ाफ़िल आदि का अलिफ

अलिफ़ हो जाना

(घोड़े की) पिछली टाँगों पर सीधा खड़े हो जाने की स्थिथि या प्रस्थिति (होना के साथ प्रयुक्त)

अलिफ़-क़ामताँ

पलके, निगाह।

अलिफ़-ए-ममदूदा

رک : ا .

अलिफ़-ए-मुंहनी

हमज़ा

अलिफ़-ए-मक़्सूरा

वह अलिफ जिस पर मद न हो

अलिफ़-ए-मुरक़्क़क़

(تجوید) وہ الف جو حرف استفال (رک) بعد پُر (یعنی بہ اشباع فتحہ) نہ پڑھا جائے بلکہ بلا کشش پڑھا جائے.

अलिफ़ आज़ाद का

वह सीधी रेखा जो आज़ाद फ़क़ीर अपने माथे पर माँग के किनारे से नाक तक खींचते हैं (कहा जाता है कि उससे आशय अद्वैतवाद लिया जाता है)

अलिफ़ ख़ींचना

वह सीधी रेखा जो स्वतंत्र फ़क़ीर अपने माथे पर माँग के किनारे से नाक तक खींचते हैं (कहा जाता है कि ये संकेत भगवान के एक होने उद्देश्य को इंगित करता है)

अलिफ़-ए-ताज़ियाना

शरीर पर कोड़ा लगने का चिह्न

अलिफ़ ख़ानी सियाही

a fine bright ink named after its inventor Alif Khan

अलिफ़ बे ते पढ़ाना

(मूर्ख और अज्ञानी को कुछ) समझाना या सिखाना

अलिफ़ से बे करना

आपत्ति के अक्षर ज़बान पर लाना, क्यों और क्या करना

अलिफ़ से बे कहना

आपत्ति के अक्षर ज़बान पर लाना, क्यों और क्या करना

अलिफ़ से बे न सुनना

बुरी बात सुन कर बर्दाश्त न करना, अपने बारे में कुछ भी बुरा न सुनना

अलिफ़ के नाम लठ न जानना

अनपढ़ या जाहिल होना, बिल्कुल जानकारी न होना

अलिफ़ के नाम भाला न जानना

अनपढ़ या जाहिल होना, बिल्कुल जानकारी न होना

अलिफ़ के नाम बे न आना

अनपढ़ या जाहिल होना, बिल्कुल जानकारी न होना

अलिफ़ के नाम बे न जानना

अनपढ़ या जाहिल होना, बिल्कुल जानकारी न होना

अलिफ़ के नाम ख़ुत्तक न जानना

अनपढ़ या जाहिल होना, बिल्कुल जानकारी न होना

अलिफ़ बे हव्वा, माँ चील बाप कव्वा

पढ़ाई से बचाव या घृणा प्रकट करने के लिए बच्चों का विरोधी नारा

अलिफ़ बे नगाड़ा मुल्ला जी को चने के खेत में पछाड़ा

पाठशाला या पाठ से छुट्टी मिलने पर बच्चों का प्रसन्नता में उछल कूद कर नारा

कीमियाई-अलिफ़

chemical affinity.

नत्थी-अलिफ़

ऐसे अभिलेखों की फ़ाइल जिन पर मुक़दमे की निर्भरता हो, जैसे दावे या वाद की अर्ज़ी, गवाहियाँ, मुक़दमे के पक्षों के वे काग़ज़ अथवा अभिलेख जो प्रमाण के रूप में पेश किए गए हों, आधारभूत महत्व के अभिलेखों की नत्थी

लाम-अलिफ़

the compound character لا lā (which some arabian grammarians consider the twenty-ninth letter of the alphabet)

अल्लाह का अलिफ़

वह सीधी रेखा जो आज़ाद फ़क़ीर अपने माथे पर माँग के किनारे से नाक तक खींचते हैं (कहा जाता है कि उससे आशय अद्वैतवाद लिया जाता है)

आज़ाद का अलिफ़

वह सीधी लकीर जो आज़ाद फ़क़ीर अपने माथे पर खींचने और उसको अल्लाह का अलिफ़ जानते हैं

माथे का अलिफ़

اہلِ اسلام میں ایک گروہ فقراء کا ہے، جو آزاد کہلاتا ہے، یہ لوگ بے قید ہوتے ہیں ،منہیَاتِ شرعیہ سے کم پرہیز کرتے ہیں اور ایک لکیر ماتھے سے ناک تک بناتے ہیں اسی کو الف آزاد کا کہتے ہیں

लाम अलिफ़ लिखना

नौसिखिया होना, अलिफ़ बा से परिचित होना, आरंभ करना

माथे पर अलिफ़ खींचना

साधु, संत हो जाना, मुक्त होना, आज़ाद हो जाना

वाव-मा-क़ब्ल-अलिफ़-ओ-लाम-'अरबी

وہ عربی واو جس کے بعد الف اور لام ہوتا ہے اور یہ پڑھا نہیں جاتا (جیسے ، ذوالجناح میں) ۔

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में अलिफ़ के अर्थदेखिए

अलिफ़

alifاَلِفْ

स्रोत: अरबी

वज़्न : 12

टैग्ज़: गणित

शब्द व्युत्पत्ति: अ-ल-फ़

अलिफ़ के हिंदी अर्थ

पुल्लिंग

  • सीधी खड़ी लकीर या ख़त वग़ैरा
  • (रियाज़ी वग़ैरा) मफ़रूज़ा शख़्स शैय मिक़दार या अदद वग़ैरा
  • उनवानात या औराक़ वग़ैरा की तर्तीब का नंबर १
  • मर्द मुजर्रिद
  • अरबी, फ़ारसी और उर्दू के हरूफ़-ए-तहज्जी का पहला हर्फ़
  • अल्लाह का मुख़फ़्फ़फ़ जो उमूमन ख़तों ए नुस्ख़ों या दस्तावेज़ों के शुरू में लिखा जाता है(बेशतर इस तरह : ए )
  • उर्दू वर्णमाला का पहला अक्षर जो अ, इ और उ का काम देता है।
  • उर्दू वर्णमाला का पहला अक्षर, जो अ, इ और उ का काम देता है, चिह्न ।
  • छड़ी वग़ैरा की मार का निशान, बट
  • सीधा, रास्त

शे'र

English meaning of alif

Masculine

  • first letter corresponding to "a" in english

اَلِفْ کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu

مذکر

  • عربی، فارسی اور اردو کے حروف تہجی کا پہلا حرف
  • اللہ کا مخفف جو عموماً خطوں، نسخوں یا دستاویزوں کے شروع میں لکھا جاتا ہے(بیشتر اس طرح : ا )
  • سیدھی کھڑی لکیر یا خط وغیرہ
  • چھڑی وغیرہ کی مار کا نشان، بٹ
  • عنوانات یا اوراق وغیرہ کی ترتیب کا نمبر
  • مرد مجرد
  • (ریاضی وغیرہ) مفروضہ شخص شے مقدار یا عدد وغیرہ
  • سیدھا، راست

Urdu meaning of alif

  • Roman
  • Urdu

  • arbii, faarsii aur urduu ke haruuf-e-tahajjii ka pahlaa harf
  • allaah ka muKhaffaf jo umuuman Khaton, nusKho.n ya dastaavezo.n ke shuruu me.n likhaa jaataa hai(beshatar is tarah ha e
  • siidhii kha.Dii lakiir ya Khat vaGaira
  • chha.Dii vaGaira kii maar ka nishaan, baT
  • unvaanaat ya auraaq vaGaira kii tartiib ka nambar
  • mard mujarrid
  • (riyaazii vaGaira) mafruuza shaKhs shaiy miqdaar ya adad vaGaira
  • siidhaa, raast

अलिफ़ से संबंधित रोचक जानकारी

الف الف کی تعریف عربی میں یہ ہے کہ یہ متحرک کبھی نہیں آتا، اور یا تو یہ ممدودہ ہوگا یا مقصورہ۔ ممدودہ سے مراد وہ الف ہے جسے کھینچ کر پڑھیں اور جو اصولاً دو الف کے برابر سمجھا جاتا ہے۔ مقصورہ وہ الف ہے جو کھینچ کر نہیں پڑھا جاتا اور جسے اصولاً ایک الف کے برابر سمجھا جاتاہے۔ جیسے قرآن پاک کی آیت ووجدک ضآلّاً فہدیٰ میں ضآ کا الف ممدودہ ہے اور فہدیٰ کا الف مقصورہ۔ اردو کے لئے یہ تعریفیں زیادہ کارآمد نہیں۔ اس کی وجہ یہ ہے کہ عربی میں چونکہ الف کو متحرک نہیں قرار دیتے، اس لئے عربی لفظوں میں جہاں جہاں الف متحرک آتا ہے وہاں اسے ہمزہ فرض کرتے ہیں۔ اور جہاں الف کو ہمزہ سے بدلنا ممکن ہوتا ہے، وہاں الف کی جگہ ہمزہ ہی لکھا اور پڑھا جاتا ہے۔ چونکہ عربی میں بے شمار الفاظ الف سے شروع ہوتے ہیں، لہٰذا عربی والے ان تمام الفوں کو ہمزہ کہتے ہیں۔ مثلاً الیٰ الآخر میں پہلے الف کو ہمزہ کہیں گے، ’’یٰ‘‘ کو الف مقصورہ کہیں گے، اور’’ آ‘‘ کو الف ممدودہ کہیں گے۔ اگر ہمزہ نہ ہوتا تو مندرجہ ذیل طرح کے تمام الفاظ الف کے ساتھ لکھے جاتے: آرائش [آرااِش]، پیمائش [پیمااِش]، تزئین [تزاین]، جائیے [جااِیے] رئیس [رَایس]، کائی [کاای]، کوئی [کوای]، مطمئن[مطمََ اِن]، مئی [مَ ای]وغیرہ۔ عربی کے زور میں بعض لوگ اردو میں بھی وہاں ہمزہ لگا دیتے ہیں جہاں اب اردو نے اسے ترک کردیا ہے لیکن عربی میں وہ موجود ہے: تأ مل [تَ اَمّل] اردو میں صرف تامل، مؤ رخ [مُ ارّخ] اردو میں صرف مورخ، اور اس طرح کے تمام الفاظ، متأثر [مُ تَ اَثّر] اردو میں صرف متاثر۔ ہمزہ سے غیر ضروری لگاؤ ہی اس بات کی وجہ ہے کہ بعض عربی داں لوگ اردو میں لفظ کے شروع میں آنے والے الف پر بھی ہمزہ لگا دیتے ہیں، یا لگانا چاہتے ہیں۔ ظاہر ہے کہ یہ سب غلط ہے اور عربی کے الف / ہمزہ کو اردو پر لادنے کی احمقانہ کوشش کا نتیجہ ہے۔ اردو کے لئے ہر وہ الف ممدودہ ہے جو کھینچ کر پڑھا جائے، چاہے وہ لفظ کے شروع میں ہو یا بیچ میں یا آخر میں۔ اور الف مقصورہ وہ الف ہے جو عربی کے بعض الفاظ، مثلاً ’’حسنیٰ، عقبیٰ، عیسیٰ، لیلیٰ‘‘ وغیرہ میں ہے۔ جو الف کھینچ کر نہ پڑھا جائے وہ محض الف ہے، نہ مقصورہ نہ ممدودہ۔ ’’اردو لغت، تاریخی اصول پر‘‘، اور بعض دوسرے لغات میں لفظ کے شروع میں آنے والے غیر ممدودہ الف کو ’’مقصورہ‘‘ کہا گیا ہے، لیکن اس کی کوئی وجہ نہیں معلوم ہوتی۔ عربی کے لحاظ سے ایسا الف ہمزہ ہے، اور اردو کے لحاظ سے محض الف، نہ مقصورہ نہ ممدودہ۔ یہ بات بھی ملحوظ رہے کہ عربی کے الف مقصورہ کو سیدھے الف میں بدل لینے کا رجحان اردو فارسی میں ایک عرصے تک رہا، لیکن اب بہت کم ہوگیا ہے بلکہ اردو میں اب رجحان اس کے خلاف ہی ہے، کیونکہ ’’دعوا [دعویٰ]، اعلا [اعلیٰ]، استعفا [استعفیٰ]‘‘ وغیرہ مقبول نہیں ہوسکے ہیں۔ فی الحال الف مقصورہ والے حسب ذیل الفاظ عموماً سیدھے الف یا چھوٹی ہ سے لکھے جاتے ہیں: بلوہ [بلویٰ]، تولا [تولیٰ]، حمقا [حمقیٰ] حیات [حیواۃ]، دنیا [دنییٰ]، سوا [سویٰ]، شکوہ [شکویٰ]، صحارا [صحاریٰ]، عاشورہ [عاشوریٰ]، ماسوا [ماسویٰ]، ماوا [ماویٰ]، مربہ [مربیٰ]، ملجا [ملجیٰ]، منتہا [منتہیٰ]، مولا [مولیٰ]، ہوا [ہویٰ، بمعنی ’’ہوس‘‘] وغیرہ۔ الف مقصورہ اگر لفظ کے آخرمیں ہواور اس لفظ پر یائے نسبتی لگانی ہو تو الف مقصورہ کو واؤ میں بدل دیتے ہیں۔ مثلاً: اخریٰ/اخروی دنییٰ/دنیوی، عیسیٰ/عیسوی، کسریٰ/کسروی، مصطفیٰ/مصطفوی، موسیٰ/ موسوی، وغیرہ۔ ملحوظ رہے کہ ’’مطبع مجتبائی‘‘ اور ’’مطبع مصطفائی‘‘ کی صورت دیگر ہے۔ چونکہ ’’مجتبوی، مصطفوی‘‘ اردو میں خاص پیغمبرؑ کی ذات سے منسوب اشیا کے لئے مختص ہوگئے ہیں۔ لہٰذا ان مالکان مطبع نے اپنے ادارے کو ’’مجتبائی /مصطفائی‘‘ لکھ کر پیغمبرؐ کی نسبت سے التباس کو زائل کردیا، یعنی یہ واضح کر دیا کہ اس ادارے کے بارے میں ایسا کوئی دعویٰ نہیں ہے کہ اسے ذات نبوی سے کوئی نسبت ہے۔ یہ احتیاط کا تقاضا تھا، اور خوب ادا ہوا۔ یہ بھی ملحوظ رہے کہ ’’عیسائی‘‘ اور ’’موسائی‘‘ مخصوص معنوں میں ہیں، یعنی ’’دین عیسیٰؑ /دین موسیٰؑ کا ماننے والا‘‘۔ اگر اور کوئی نسبت ظاہر کرنی ہو تو حسب معمول ’’عیسوی/موسوی‘‘ کہیں گے۔ ’’موسائی‘‘ اب بہت شا ذ ہے۔’’نور اللغات‘‘ میں علی اوسط رشک کا یہ شعر سند میں مرقوم ہے ؎ موسائیوں کوطور کے جلوے سے کم نہیں جو دلگی ہے اس بت روشن ضمیر کی غالب نے بھی اپنے ایک خط میں ’’موسائی‘‘ لکھا ہے۔’’تولائی‘‘ بھی مستثنیات میں ہے۔ چونکہ اصل لفظ کا آخری حرف الف مقصورہ ہے، اس لئے اس پر یائے نسبتی لگاتے وقت الف مقصورہ کو واؤ میں بدل جانا چاہئے تھا۔ لیکن ایسا نہیں ہوا، شاید اس لئے کہ اس لفظ کو ’’تبرا‘‘ کے مقابل قیاس کرلیا گیا۔ ’’تبرا‘‘ میں الف مقصورہ نہیں، اس کا آخری حرف ہمزہ ہے اور اصل عربی میں یہ ’’تَبَرُّء‘‘ ہے۔ اس طرح کے دیگرلفظوں کی طرح یہاں بھی اردو والوں نے ہمزہ حذف کر دیا ہے، اور پھر اس کے قیاس پر’’تولا/تولائی‘‘ کرلیا۔ ناسخ ؎ خدایا مجھ کو اس سے ہے تولا اور اس کے دشمنوں سے ہے تبرا غالب ؎ ان کو غالب یہ سال اچھا ہے جو ائمہ کے ہیں تولائی لفظ کے آخر میں الف مقصورہ والے ناموں (اعشیٰ، عیسیٰ، لیلیٰ، مرتضیٰ، مصطفیٰ، موسیٰ، وغیرہ) میں الف مقصورہ کو کھڑے الف سے لکھنا اردو یا فارسی میں بالکل ہی قبول نہیں کیا جاسکا ہے۔ ’’صغریٰ‘‘ کو کہیں کہیں ’’صغرا‘‘ لکھا ہوا دیکھا گیا ہے، مثلاً صغرا ہمایوں مرزا اپنا نام الف ہی سے لکھتی تھیں۔ لیکن میری رائے میں اس املا کا ترک انسب ہے۔ ترکیب کی صورت میں البتہ کبھی الف مقصورہ کو چھوٹی ی سے بدل لیتے ہیں، یا الف سے بدل لیتے ہیں۔ دونوں صورتیں صحیح ہیں، لیکن جو رائج ہو وہ انسب ہے: تقوی جوانی، تقوائے جوانی، دعویٰ تمکیں، دعوائے تمکیں، عیسی دوراں، لیلیٰ شب، لیلائے شب، موسیٰ عمراں، وغیرہ۔ آخر میں الف مقصورہ رکھنے والے ناموں اور الفاظ کو فارسی والے کبھی کبھی یوں برتتے تھے گویا آخری حرف، الف مقصورہ نہیں، چھوٹی ی ہے۔ غالب نے اسی وجہ سے لکھا ہے ؎ دل گذر گاہ خیال مے و ساغر ہی سہی گر نفس جادۂ سر منزل تقویٰ نہ ہوا مر گیا صدمۂ یک جنبش لب سے غالب نا توانی سے حریف دم عیسی نہ ہوا یہاں ’’تقویٰ، عیسیٰ‘‘ مع یائے تحتانی، یعنی بروزن ’’خالی، سردی‘‘ وغیرہ پڑھے جائیں گے۔ جیسا کہ خیال میں ہوگا، اس غزل کا مطلع ہے ؎ دہر میں نقش وفا وجہ تسلی نہ ہوا ہے یہ وہ لفظ کہ شرمندۂ معنی نہ ہوا ’’افعی‘‘ اور ’’معنی‘‘ دو لفظ ایسے ہیں جن میں الف مقصورہ چھوٹی ی کی طرح پڑھا جاتا ہے، یعنی اصلاً یہ الفاظ ’’افعیٰ‘‘ اور ’’معنیٰ‘‘ ہیں۔ دہلی میں’’معنیٰ‘‘ بروزن ’’پیدا‘‘ اب بھی کبھی کبھی سنائی دے جاتا ہے، لیکن اب اس لفظ کو شاید ہی کوئی ’’پیدا، ایسا، ہوا‘‘ وغیرہ کا قافیہ کرتا ہو۔ اب ’’معنی‘‘ کا قافیہ ہمیشہ ہی چھوٹی ی والے الفاظ کے ساتھ ہوتا ہے۔ واضح رہے کہ ’’اللہ، رحمٰن، زکواۃ، صلواۃ‘‘ جیسے لفظوں میں تیسرا حرف الف ہی ہے جسے قاعدۂ کتابت کی رو سے دوسرے یا تیسرے حرف کے اوپر، یا واؤ کی شکل میں لکھا جاتا ہے۔ یہ الف مقصورہ نہیں ہے۔ یہی وجہ ہے کہ ’’رحمان، زکات، صلات‘‘ وغیرہ بھی لکھنا درست مانا جاتا ہے۔ ’’اللہ‘‘ کے بارے میں البتہ یہ مانا ہوا اصول ہے کہ اردو میں اسے ’’اللٰہ‘‘ یا ’’الاہ‘‘ لکھنا صحیح نہیں، عربی میں کچھ بھی ہو۔ دیکھئے، ’’ہمزہ‘‘ ’’ہمزہ کا غیر ضروری استعمال‘‘۔

ماخذ: لغات روز مرہ    
مصنف: شمس الرحمن فاروقی

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खोजे गए शब्द से संबंधित

अलिफ़

सीधी खड़ी लकीर या ख़त वग़ैरा

अलिफ़-बे

अलिफ़ से ये तक की वर्णमाला जो प्रारंभ में बच्चों को पढ़ाई लिखाई जाती है

अलिफ़ बे

अलिफ़ से ये तक की वर्णमाला जो प्रारंभ में बच्चों को पढ़ाई लिखाई जाती है

अलिफ़-ए-तेग़

हलका सा सीधा चीरा

अलिफ़ बे ते

'अलिफ़' से 'य' तक अक्षरों को मिलाने की विधि जो आरंभ में बच्चों को पढ़ाई लिखाई जाती है

अलिफ़-बा

अलिफ़ से ये तक की वर्णमाला जो प्रारंभ में बच्चों को पढ़ाई लिखाई जाती है

अलिफ़-ए-वस्ल

وہ الف جو دو مکرریا مختلف کلموں کو ملانے کے لیے لایا جاتا ہے ، الف اتصال ، جیسے : شبا شب ، شہاروز ، وغیرہ .

अलिफ़-ए-ज़ख़्म

तलवार या किसी धारदार आले के चरके का निशान

अलिफ़-लाम

प्रारंभिक शिक्षा-दीक्षा, मबादियात

अलिफ़ मीम

कलाम-उल-ल्लाह की पहली सूरत या पहला पारा

अलिफ़-लाम-मीम

قرآن پاک کے پہلے پارے کا نام جو الم سے شروع ہوتا ہے ، حرف مقطعات (رک) میں سے ایک کلمہ .

अलिफ़ बाई

अलिफ़ से ये तक की वर्णमाला जो प्रारंभ में बच्चों को पढ़ाई लिखाई जाती है

अलिफ़-कूफ़ी

टेढ़ी वस्तु ।।

अलिफ़-ख़ंजरिया

small form of alif, (as in رحمٰن ،زکوٰۃ)

अलिफ़ करना

(तलवार आदि) उठाना

अलिफ़-ख़ाली

'ا' अर्थात "अलिफ़" वर्ण जो नुक़्ते और मरकज़ अर्थात केंद्र इत्यादि से ख़ाली है

अलिफ़ बे ते से

अलिफ़ से ये तक की वर्णमाला जो प्रारंभ में बच्चों को पढ़ाई लिखाई जाती है

अलिफ़ से ये तक

from A to Z, from beginning to end

अलिफ़-बतनी

वो छोटा सा अलिफ़ जो अरबी के कुछ शब्दों के लिपि में किसी अक्षर के ऊपर एक विशेष उच्चारण के लिए लिखा जाता है, जैसे इसहाक़, ज़कात

अलिफ़-बा-ता

'अलिफ़' से 'य' तक अक्षरों को मिलाने की विधि जो आरंभ में बच्चों को पढ़ाई लिखाई जाती है

अलिफ़-हिलाली

लाम अलिफ़ में का पहला अंश या अलिफ (नस्ख़ लिपी में) जो चंद्राकार (ए) लिखा होता है

अलिफ़-ममदूदा

वह अलिफ़ जिसका उच्चारण दीर्घ-स्वर के साथ हिंदी अक्षर 'आ' के समान हो

अलिफ़-लैला-ओ-लैला

the famous Arabic classic, the Arabian Nights, also known as One Thousand and One Nights

अलिफ़-ए-आज़ादी

God, Allah

अलिफ़-ए-इश्बा'

وہ الف جو فتحے کی حرکت کو کھینچ کر پڑھنے سے پیدا ہو ، جیسے : پیرہن سے پیراہن ، دامن سے دامان.

अलिफ़-ए-फ़ख़ीम

(تجوید) وہ الف جو حرف استعلا (رک) کے بعد پُر (یعنی بہ اشباع فتحہ) ادا کیا جائے .

अलिफ़-ए-ममदूद

फ़ारसी अक्षर का वह अलिफ़ जिसे खींच कर पढ़ने के लिए उसपर ख़ंजर की आकृति की एक छोटी रेखा खींच देते हैं, लम्बी ध्वमी वाला अलिफ़, अलिफ़ का दीर्घ रूप, दो अलिफ़ से यौगिक फ़ारसी का पहला अक्षर और हिंदी का दोसरा (आ) योगफल के हिसाब से इसकी संख्या एक है जबकि कुछ दो भी मानते हैं, आधुनिक भाषाविदों के अनुसार प्रथम दीर्घ स्वर, उच्चारन के समय चुँकि मुँह पूर्ण रूप से खुला रहता है इस्लिए उसे खुला दीर्घ-स्वर भी कहते हैं, इसके उच्चारण का स्थान, कंठ का अंतिम सिरा है, शब्द के शुरू या मध्य में आता है, जैसे: आदम, आम, आटा, आफ़त, मआल आदि का अलिफ़

अलिफ़-ए-तासीस

(छन्द शास्त्र) क़ाफ़ीए(कविता या पद्य में अंतिम चरणों में मिलाया जानेवाला अनुप्रास) में हर्फ़-ए- रवी (अनुप्रास में जिस अक्षर की बारंबारता) से पूर्व का अलिफ़, जैसे, ग़ालिब, तालिब, आक़िल, ग़ाफ़िल आदि का अलिफ

अलिफ़ हो जाना

(घोड़े की) पिछली टाँगों पर सीधा खड़े हो जाने की स्थिथि या प्रस्थिति (होना के साथ प्रयुक्त)

अलिफ़-क़ामताँ

पलके, निगाह।

अलिफ़-ए-ममदूदा

رک : ا .

अलिफ़-ए-मुंहनी

हमज़ा

अलिफ़-ए-मक़्सूरा

वह अलिफ जिस पर मद न हो

अलिफ़-ए-मुरक़्क़क़

(تجوید) وہ الف جو حرف استفال (رک) بعد پُر (یعنی بہ اشباع فتحہ) نہ پڑھا جائے بلکہ بلا کشش پڑھا جائے.

अलिफ़ आज़ाद का

वह सीधी रेखा जो आज़ाद फ़क़ीर अपने माथे पर माँग के किनारे से नाक तक खींचते हैं (कहा जाता है कि उससे आशय अद्वैतवाद लिया जाता है)

अलिफ़ ख़ींचना

वह सीधी रेखा जो स्वतंत्र फ़क़ीर अपने माथे पर माँग के किनारे से नाक तक खींचते हैं (कहा जाता है कि ये संकेत भगवान के एक होने उद्देश्य को इंगित करता है)

अलिफ़-ए-ताज़ियाना

शरीर पर कोड़ा लगने का चिह्न

अलिफ़ ख़ानी सियाही

a fine bright ink named after its inventor Alif Khan

अलिफ़ बे ते पढ़ाना

(मूर्ख और अज्ञानी को कुछ) समझाना या सिखाना

अलिफ़ से बे करना

आपत्ति के अक्षर ज़बान पर लाना, क्यों और क्या करना

अलिफ़ से बे कहना

आपत्ति के अक्षर ज़बान पर लाना, क्यों और क्या करना

अलिफ़ से बे न सुनना

बुरी बात सुन कर बर्दाश्त न करना, अपने बारे में कुछ भी बुरा न सुनना

अलिफ़ के नाम लठ न जानना

अनपढ़ या जाहिल होना, बिल्कुल जानकारी न होना

अलिफ़ के नाम भाला न जानना

अनपढ़ या जाहिल होना, बिल्कुल जानकारी न होना

अलिफ़ के नाम बे न आना

अनपढ़ या जाहिल होना, बिल्कुल जानकारी न होना

अलिफ़ के नाम बे न जानना

अनपढ़ या जाहिल होना, बिल्कुल जानकारी न होना

अलिफ़ के नाम ख़ुत्तक न जानना

अनपढ़ या जाहिल होना, बिल्कुल जानकारी न होना

अलिफ़ बे हव्वा, माँ चील बाप कव्वा

पढ़ाई से बचाव या घृणा प्रकट करने के लिए बच्चों का विरोधी नारा

अलिफ़ बे नगाड़ा मुल्ला जी को चने के खेत में पछाड़ा

पाठशाला या पाठ से छुट्टी मिलने पर बच्चों का प्रसन्नता में उछल कूद कर नारा

कीमियाई-अलिफ़

chemical affinity.

नत्थी-अलिफ़

ऐसे अभिलेखों की फ़ाइल जिन पर मुक़दमे की निर्भरता हो, जैसे दावे या वाद की अर्ज़ी, गवाहियाँ, मुक़दमे के पक्षों के वे काग़ज़ अथवा अभिलेख जो प्रमाण के रूप में पेश किए गए हों, आधारभूत महत्व के अभिलेखों की नत्थी

लाम-अलिफ़

the compound character لا lā (which some arabian grammarians consider the twenty-ninth letter of the alphabet)

अल्लाह का अलिफ़

वह सीधी रेखा जो आज़ाद फ़क़ीर अपने माथे पर माँग के किनारे से नाक तक खींचते हैं (कहा जाता है कि उससे आशय अद्वैतवाद लिया जाता है)

आज़ाद का अलिफ़

वह सीधी लकीर जो आज़ाद फ़क़ीर अपने माथे पर खींचने और उसको अल्लाह का अलिफ़ जानते हैं

माथे का अलिफ़

اہلِ اسلام میں ایک گروہ فقراء کا ہے، جو آزاد کہلاتا ہے، یہ لوگ بے قید ہوتے ہیں ،منہیَاتِ شرعیہ سے کم پرہیز کرتے ہیں اور ایک لکیر ماتھے سے ناک تک بناتے ہیں اسی کو الف آزاد کا کہتے ہیں

लाम अलिफ़ लिखना

नौसिखिया होना, अलिफ़ बा से परिचित होना, आरंभ करना

माथे पर अलिफ़ खींचना

साधु, संत हो जाना, मुक्त होना, आज़ाद हो जाना

वाव-मा-क़ब्ल-अलिफ़-ओ-लाम-'अरबी

وہ عربی واو جس کے بعد الف اور لام ہوتا ہے اور یہ پڑھا نہیں جاتا (جیسے ، ذوالجناح میں) ۔

संदर्भग्रंथ सूची: रेख़्ता डिक्शनरी में उपयोग किये गये स्रोतों की सूची देखें .

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