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आठ बार नौ त्योहार

सुख-सुविधा और आराम का शौक़ या लगन ऐसा बढ़ा हुआ है कि युग और समय उसको अल्प व्यय नहीं करने देता

चमनिस्तान

ऐसा बाग़ जहाँ फूल ही फूल हों, ऐसी जगह जहाँ दूर तक फूल ही फूल और हरा भरा नज़र आए, वाटिका, चमन, बाग़

'औरत

जाया, भार्या, पत्नी, जोरू

ताग़ूत

शैतान, अत्यन्त निर्दय और अत्याचारी व्यक्ति

मन-भावन

मन को भाने या अच्छा लगने वाला

दादरा

संगीत में एक प्रकार का चलता गाना (पक्के या शास्त्रीय गानों से भिन्न), एक प्रकार का गान, एक ताल

मज़दूर

शारीरिक श्रम के द्वारा जीविका कमाने वाला कोई व्यक्ति, जैसे: इमारत बनाने, कल-कारख़ानों में काम करने वाला, श्रमिक, कर्मकार, भृतक, मजूर

ख़ैर-अंदेश

भलाई की बात सोचने वाला, वह शख़्स जो किसी की भलाई चाहे, शुभचिंतक

दूध-शरीक बहन

ऐसी बालिका जो किसी ऐसी स्त्री का दूध पीकर पली हो जिसका दूध पीकर और कोई बालिका या बालक भी पला हो, धाय संतान, दूधबहिन, दूधबहन

रिसाई

दुख और मौत से संबंधित, शोकयुक्त

ज़र्फ़

बर्तन

तिहाई

किसी वस्तु के तीन समान भागों में कोई एक भाग, तीसरा अंश, भाग या हिस्सा, तीसरा हिस्सा

ला'नत

धिक्कार, फटकार, भर्त्सना, अभिशाप, शाप

क़हर ढाना

किसी के लिए संकट पैदा करना, संकटग्रस्त बनाना, किसी पर कोई आफ़त लाना, ज़ुल्म करना, क़हर तोड़ना

चले न जाए आँगन टेढ़ा

काम में कुशल न होने पर दूसरे पर आरोप मढ़ना

आगे नाथ न पीछे पगा

जिसके आगे-पीछे कोई न हो, जिसका अपना कोई न हो, असहाय, लावारिस, अकेला

साहिर

जादूगर, वह व्यक्ति जो जादू दिखाता हो

कुड़माई

शादी के पूर्व रिश्ता पक्का करने के लिए की जाने वाली रस्म, सगाई, शादी तै करना, रिश्ता करना

नज़र-भर देखना

पूरी तरह से देखना, ध्यान से देखना

ख़्वाजा-ताश

एक स्वामी के दास, जो आपस में ख्वाजःताश कहलाते हैं

"पशुचिकित्सा" टैग से संबंधित शब्द

"पशुचिकित्सा" से संबंधित उर्दू शब्द, परिभाषाओं, विवरणों, व्याख्याओं और वर्गीकरणों की सूची

अख़गरिया

वह घोड़ा जिसके शरीर को मलने से चिनगारियां निकलती हों

अरबल

भौंरी (या भौरियाँ) जो घोड़ों के कानों की जड़ में ऊपर के रुख़ खोपड़ी की तरफ़ हो

आज़ाद-रौ

प्रतिबंधों से मुक्त, स्वतंत्र स्वभाव वाला

उखाड़

. (सालो तिरी) खोड़े की अगली टांग की भू निरी जिस का मन ऊपर को हो (ये मनहूस समझी जाती है

उलंखा

(सालो तिरी) वो घोड़ा या घोड़ी जिस के दाँत मुतफ़र्रिक़ या दूर दूर हूँ

उलंखी

(सालो तिरी) वो घोड़ा या घोड़ी जिस के तमाम दाँत चसबीदा और मिले मिले हूँ

क़ैंची

कतरनी, कपड़ा काटने का यंत्र

कंठ

۔(ह) मुज़क्कर गले की वो हड्डी जो मर्द के बालिग़ होने पर उभर आती है और इस से आवाज़ में किसी क़दर भारी पन होजाता है। २। कुंठा का मुख़फ़्फ़फ़। जैसे नील कंठ वो परिंद जिस के गले में नीला तविक है।

कंठ-माला

गले में होनेवाला एक प्रकार का रोग, जिससे जगह-जगह गिल्टियाँ निकल आती हैं, गिल़्टियों का हार सा बन जाता है

कुप्पक

घोड़ों का एक रोग जिसमें ज्वर आता और नाक से पानी बहता है

कलम-बाद

पशुचिकित्सा) एक रोग जिसमें घोड़े के शरीर पर गाँठें पड़ जाती हैं और उससे पीला पानी टपकता रहता है

काना

ऐब

खुर-फटा

(सलोत्री) घोड़े और मवेशियों के सुम का रोग जिसमें सुम फट जाते हैं और पशु चलने-फिरने से रह जाता है, खुर सेना, खुर चटक

खोरा

लँगड़ाता हुआ, लँगड़ा

गज-चरन

(पशुचिकित्सा) घोड़ों की एक बीमारी जिसमें पैरों पर सूजन आ जाता है

गाना

गीत, गान, राग, गाई जाने वाली रचना, सरोद, सुर से काव्य पाठ, आलाप, सराहना, अपने मतलब की बात कहना, अपनी कहे जाना

गिनार

(सल्लू तिरी) रुक : कुनार, घोड़े की एक बीमारी

घोड़ी भरना

(पशुचिकित्सा) घोड़े का घोड़ी से सम्भोग करना

घोड़ी भराना

(पशुचिकित्सा) घोड़ी को गर्भवती करना

चट-पा

(सल्लू तिरी) वो हमवार हड्डी जो घोड़े की पिछली टांगों के घुटनों के जोड़ में रगों के अंदर पैदा होती है

चाँदनी

चाँद का उजाला, चन्द्रमा का प्रकाश

चोली

स्त्रियों का एक पहनावा जो अँगिया से मिलता जुलता होता है, कमर से ऊपर पहना जाने वाला वस्त्र, सीना को ढाकने के लिए पहनी जाने वाली आसतीनदार या बगै़र आसतीन की पोशाक, स्त्रियों का एक वस्त्र जो उनके ऊपर पहनी जाती है, सामान्यतः साड़ी के साथ, बलाउज़

छोप

छोपने की क्रिया या भाव।

तंग-तोड़

(लफ़ज़न) तन तोड़ने वाला, (सालो तिरी) घोड़े-ए-के पेट की एक भवन का नाम जो मनहूस ख़्याल की जाती है

तबक़

भू-खंड, ज़मीन की सतह का भाग

दीवार-ए-सुम

(सालो तिरी) जानवर बिलख़सूस घोड़े के खुर और तलवों के सच्च का पर्दा या खाल

नाख़ुना

आँख का एक रोग जिसमें उसके तल पर खून की बिंदी या दाग पड़ जाता है।

नाग

अमरीका के बाशिंदे जिन्हें पाताल लोक के बाशिंदे कहते थे

नानक

۔(ह) मुज़क्कर। एक मशहूर ख़ुदा परस्त। दरवेश। कामिल का नाम जो सिखों के फ़िरक़े के बानी बाबर बादशाह के अह्द में गुज़रे हैं

नाभावरत

(सालो तिरी) वो भू निरी जो घोड़े के ज़ेर नाफ़ होती है और मालिक के लिए सख़्त मनहूस ख़्याल की जाती है

नार-क़ैसर

(तिब्ब) नाग केसर की बड़ी किस्म, नाग केसर, एक किस्म का दरख़्त ।

नाली

(जल्द साज़ी) किताब के मुँह पर वर्क़ों का तदरीजी नशेब-ओ-फ़राज़ जो पुश्ते को उभारने और गोलाई देने के लिए बनाया जाता है

नीला

नील गाय ।

पक्छल

घोड़े की एक क़िस्म जिसके पूरे शरीर पर एक ही रंग के बाल हों, बघमरी

पलिया

(छप्पर बंदी) एक रखा ढलवां छप्पर, उसारा, फोन्स और सर कंडे का बना हुआ साइबान

पुश्तक

घोड़े की कमर का आख़िरी अर्थात कोल्हू के ऊपर का भाग (जिसको घोड़ा उपद्रवी या नटखट प्रवृत्ति का होने के कारण सवारी के समय उचका देता है), पुट्ठा

फ़ील-पा

घोड़े के पांव का एक पैदाइशी मर्ज़ जिसमें घोड़ा सूजन के कारण लंगड़ा हो जाता है

फ़ील-पोस्त

(सालो तिरी) घोड़े की एक बीमारी जिस में किसी उज़ू की खाल बाल गिरने के सबब सख़्त और मोटी मिसल हाथी की खाल के हो जाती है और इस पर कभी ख़ारिश और कभी छोटे बड़े आबले पड़ जाते हैं और ख़ुदबख़ुद फूट जाते हैं और पैर पर आमास होता है

बद-मोहरी

(सल्लू तिरी) घोड़े गधे और ऊँट का एक बीमारी

बाग

वह तस्मा जिसका एक सिरा घोड़े या ख़च्चर के मुख में और दूसरा सवार के हाथ में रहता है, रास, इनान, कविका, लगाम

बाद-शिकंजा

(पशुचिकित्सा) एक रोग जिसमें हवा लगने से घोड़े या किसी और जानवर का शरीर अकड़ जाता है

बाव लेना

(सालो तिरी) घोड़े का हुआ को ऊपर खेन जो एक ऐब है

मुखबंद

घोड़ों का एक रोग जिसमें उनका मुँह बंद हो जाता है और जल्दी नहीं खुलता इसमें उसके मुँह से लार भी बहती है

मुख-बाद

(सालोतरी) घोड़े के मुँह पर सूजन आ जाता है

मंगल

(सालो तिरी) घोड़ों का एक रंग

मगस

एक क़िस्म का हिंदुस्तानी अनाज

मुजन्नस

(पशुचिकित्सा) वह घोड़ा जो अरबी नर और तुर्की मादा से पैदा हो

मूंझ

घोड़े और गाय भैंस आदि के एक रोग का नाम जो उनकी आँख की नीचे हो जाता है और फूट कर काला ख़ून निकलने लगता है

मूनहान

(पशुचिकित्सा) घोड़ों की एक बीमारी जिसमें मुँह के अंदर दाने या छाले से पड़ जाते हैं

महताब

चंद्रमा, चाँद, शशि

माह-रू

चाँद-जैसे मुंहवाला (वाली) चंद्रवदन, चंद्रवदना, चंद्रमुख, चंद्रमुखी

मोज़ा

(सालो तिरी) घोड़े के सुम और टख़ने का दरमयानी हिस्सा

रग-ए-ज़ंब

(सालो तिरी) रुक : अर्क़ अलज़ब या अर्क़ ज़नब

रस बहना

(सालो तिरी) रुक : रस उतर आना

रसा

पहुँच रखने वाला

राल

लुआब-ए-धन, थूओक, वो लुआब जो (उमूमन) कमसिन बच्चों या बूओढ़ों के मुंह के किनारे से बे इख़तियार टपकता है

लचका

(बुनाई) मोगा रेशम का ज़नाना पाजामों के लायक़ ती्यार क्यू हुआ कपड़ा

लब-काम

(पशुचिकित्सा) घोड़े की एक बीमारी जिसमें उसका होंठ नीचे के दाँत की जड़ से मिल कर बेर के बराबर फूल जाता है

वहीर

(सालो तिरी) घोड़े के एक रंग का नाम

संग-ताब

(पशुचिकित्सा) गर्म पत्थर या तपाई हुई ईंट वग़ैरा से सेंकने का काम

सुनका

चौपायों का एक रोग जो उनके कंठ में होता है, चौपायों और घोड़े के फीपड़े की बीमारी जिसमें उसका सीना जकड़ जाता है और सांस लेने में हांपता है, साड़ा, गरारा, घुरकवा

सुम-ताप

(घोड़ों का डॉक्टर, जानवरों का डॉक्टर) घोड़े के पैरों की लंगड़ाहट दूर करने का इलाज, जिसमें चार ईंटें गरम करके चारों पैरों के नीचे रखी जाती हैं

सुमफटा

घोड़ों का एक प्रकार का रोग जो उनके खुर के ऊपरी भाग से तलवे तक होता है, यह अधिकतर अगले पाँवों के अंदर तथा पिछले पाँवों के खुरों में होता है, इससे घोड़ों के लँगड़े हो जाने की संभावना रहती है

सूर

ख़ुशी; प्रसन्नता; आनंद; हर्ष

सुरंग-ए-किश्मिश

(सालो तिरी) वो सुरंग घोड़ा जिस का जिस्म मा दम-ओ-अयाल सुरख़ किशमिशी हो

सुरंग-ए-लाखोरी

(सालो तिरी) वो सुरंग घोड़ा जिस का जिस्म मा दम-ओ-अयाल ख़ालिस लाख का हमरंग हो

सुरंग-मिर्गा

(पशुचिकित्सा) वह सुरंग घोड़ा जो हिरन के रंग के जैसा हो

सलावरत

(पशुचिकित्सा) घोड़े की भौंरी जो पीठ के ऊपर ज़ीन के नीचे होती है यह मनहूस ख़याल की जाती है क्योंकि ऐसे घोड़े का मालिक ग़म में मुबतला रहता है

सहादरित

(सालो तर) घोड़े की एक मनहूस भू निरी का नाम जो इस के ख़सीए पर होती है इस भू निरी वाले घोड़े का मालिक सदा लावलद रहता है

सियाह-ख़ाल

(सालो तिरी) वो घोड़ा स के जिस्म पर काले निशान हूँ

सियाह-तालू

ऐसा घोड़ा जिसका मुंह काला हो उसे मनहूस मानाजाता है

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