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आठ बार नौ त्योहार
सुख-सुविधा और आराम का शौक़ या लगन ऐसा बढ़ा हुआ है कि युग और समय उसको अल्प व्यय नहीं करने देता
चमनिस्तान
ऐसा बाग़ जहाँ फूल ही फूल हों, ऐसी जगह जहाँ दूर तक फूल ही फूल और हरा भरा नज़र आए, वाटिका, चमन, बाग़
दादरा
संगीत में एक प्रकार का चलता गाना (पक्के या शास्त्रीय गानों से भिन्न), एक प्रकार का गान, एक ताल
मज़दूर
शारीरिक श्रम के द्वारा जीविका कमाने वाला कोई व्यक्ति, जैसे: इमारत बनाने, कल-कारख़ानों में काम करने वाला, श्रमिक, कर्मकार, भृतक, मजूर
दूध-शरीक बहन
ऐसी बालिका जो किसी ऐसी स्त्री का दूध पीकर पली हो जिसका दूध पीकर और कोई बालिका या बालक भी पला हो, धाय संतान, दूधबहिन, दूधबहन
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"दर्शन शास्त्र" से संबंधित उर्दू शब्द, परिभाषाओं, विवरणों, व्याख्याओं और वर्गीकरणों की सूची
'अक़्ल-ए-फ़'आल
ख़ल्लाक़-ए-ज़हानत, बाअमल ज़हानत , (फ़लसफ़ा) वो अक़ल जो अक़ल हयूलानी या अक़ल बालक़ৃ में फ़ालीत पैदा करदेती है या उस को अक़ल बिलफ़ाल का दर्जा देती है, मुराद : दसवीं फ़रिश्ते का नाम , जिब्रील नूर-ए-मुहम्मदी सिल्ली अल्लाह अलैहि वाला वसल्लम , अर्श-ए-आज़म
'अक़्ल-ए-बसीत
(दर्शनशास्त्र) बुद्धि का वह स्तर जिसमें वह उन समस्त ज्ञान, न्यायशास्त्र और विज्ञान से जिनका विलय अंतर्मन में व्यावहारिक रूप से हो चुका होता है, संगठित होती है, इस स्तर पर बुद्धि प्रचुरता और विवरण से मुक्त होती है
अबिद्या
(हिंदू दर्शन) नफ़्स-उल-अमरी के अस्तित्व की अज्ञानता जो पतंजलि के योग शास्त्र के अनुसार मानव दुख और पीड़ा के कारणों में से एक है, बेइल्मी, जहालत
अरस्ता-तालीस
प्रसिद्ध यूनानी विचारक और दार्शनिक जो हुकमा-ए-मश्शाईन का नेतृत्वकर्ता समझा जाता है, सिकन्दर महान का मंत्री एवं सलाहकार था, मुसलमान दार्शनिक उसको मु'अल्लिम-ए-अव्वल के नाम से याद करते हैं (322 से 383 ईसा पूर्व)
अशा'इरा
मशहूर मुतकल्लिम अबुलहसन अली अशअरी (८७३ - ह९३ए) के मुक़ल्लिद और उन के मसलक पर चलने वाले मुतकल्लिमीन का एक गिरोह (जिस ने दलायल के साथ फ़िर्क़ा मोतज़िला के बुनियादी अक़ाइद वसाइल का रद्द किया) , अशअरीया, मा तुरीदी (फ़िरक़े) की ज़िद
'आलम-ए-इब्दा'
(फ़लसफ़ा) दुनियाए ईजाद-ओ-इख़तिरा, ऐसी, दुनिया जहां माद्दे की मदद के बगै़र अश्या का वजूद तस्लीम किया जाता है
आसारियत
(फ़लसफ़ा) वो नज़रिया है जिस में सूरी मवाद इलम एक मज़हर या असर है यानी कोई ऐसी शैय जो अज़रवे मौज़ू-ओ-मारूज़ दोनों तरह से मुक़य्यद और मशरूत है
'इल्म-ए-हुज़ूरी
(फ़लसफ़ा) वो इलम जिस में किसी चीज़ का इन्किशाफ़ ख़ुद इस चीज़ की ज़ात ही से होता है . इल्म-ए-हुज़ूरी में इदराक करने वाले के ज़हन के सामने मुद्रिक की तस्वीर नहीं हुआ करती
इशराक़ीन
वो हुकमा जो सफ़ा य बातिन के बाइस मकाशफ़े और मराक़बे के ज़रीए दूर ही से तालीम-ओ-ताल्लुम करते थे (बर ख़िलाफ़ मश्शाईन के कि वो एक दूसरे के पास जाकर इलमी इसरार-ओ-रमूज़ मालूम करते थे, अफ़लातून और बक्ऱात का शुमार इशराक़ी हुकमा में होता है)
'उलूम-ए-इलाहिया
(फ़लसफ़ा) वो उलूम जो अलाहीअत से मुताल्लिक़ हूँ, वो उलूम जो ज़ात-ओ-सिफ़ात-ए-बारी से बेहस करते हैं
जदलिय्यात
(जदीद फ़लसफ़ा) तन्क़ीद मा बाद अलतबीआत, मा बाद अलतबीअई मसाइल के क़ज़यों की बेहस, बाहम मुख़ालिफ़ समाजी कुव्वतों वग़ैरा का वजूद या अमल
जुनूँ-बशरी
(फ़लसफ़ा) जुनून की दो बुनियादी किस्मों में से एक क़िस्म जिस का ताल्लुक़ इंसान की ज़ात से हता है
ज़ेहन-परस्ती
(फ़लसफ़ा) मसालेत पसंदों का ये नज़रिया कि मादा हक़ीक़ी नहीं बल्कि ज़हन या ख़्याल ही हक़ीक़ी है और मादा महिज़ इस का अक्स है
ज़ेहनिय्यत-पसंद
(फ़लसफ़ा) माद्दी दुनिया के मुकाबले में ज़हन को हक़ीक़ी मानने का नज़रिया रखने वाला, ज़हनीयत पसंदी का क़ाइल
जिस्म-ए-मुत्लक़
(फ़लसफ़ा) माद्दा सानिया, अख़वान उलसफा के मंतक़ी ख़्यालात में आठ बस्तीयों में से एक हो ख़ुदाए वाहिद मुतलक़ को मिला कर जो हर चीज़ में है और हर चीज़ के साथ है आदाद असली के मुसावी नौ असली बस्तीयों का शुमार पूरा करती हैं
तअम्मुली-फ़ल्सफ़ा
उस मनोविज्ञान का दर्शन जिसके आधार पर निरीक्षण व्यक्तित्व पर हो, अन्तर्दर्शन, आत्मनिरिक्षण दर्शन
तंक़ीदी-हक़ीक़िय्यत
(फ़लसफ़ा) वो हक़ीक़ीत जिस का ताल्लुक़ किसी चीज़ के खोटे खरे के परखने से मुताल्लिक़ हो, तन्क़ीदी सच्चाई
तजर्रुद
अकेलापन, तनहाई, स्त्री के बिना जीवन व्यतीत करना, संन्यास, वैराग्य, दरवेशी संसार से विरक्ति, निस्पृहता, नग्नता नंगापन
तस्ख़ीरी-हरकत
(दर्शनशास्त्र) वह गति जो मन के स्रोत से फूटे अर्थात मन प्रकृति को अपना सहायक और हथियार बना कर उस गति को पैदा करता है
तसव्वुरिय्यत
(फ़लसफ़ा) ये अक़ीदा कि सारी दुनिया ज़हन या अज़हान या ज़हनी आमाल पर मुश्तमिल है, ईनीत, अंग : Idealism (माख़ूज़ : असास नफ़सियात, २१) , ये अक़ीदा कि कायनात का वजूद महिज़ बतौर ज़हनी तसव्वुरात के है, अंग : Conceptualism
ता'लील
(क़वाइद) हर्फ़-ए-इल्लत को ज़ाइल करना या बदल देना या किसी लफ़्ज़ के हर्फ़-ए-इल्लत को साकन या हज़फ़ करके इस में तख़फ़ीफ़ करना और तबदीली की वजह बयान करना
दूरी
(तसव़्वुफ) मारुफ-ए-कैफ़यात पुर शऊर हो जा नेको कहते हैं और उसीको आलिम तफ़र्रुक़ा और दुक्का यक भी कहते हैं
नज़रिय्या-'इलल
(फ़लसफ़ा) अरस्तू का एक नज़रिया जिस के तहत हर चीज़ या वाक़े के चार अवामिल या मुहर्रिकात इल्लत माद्दी, इल्लत-ए-सूरी, इल्लत-ए-फाइली और इल्लत-ए-ग़ाई होते हैं और उन चारों की कारफ़रमाई किसी अमर के लिए लाज़िम होती है
नज़रिया
ख़याल या अनुमान जिसके लिए प्रमाण लाए जाएँ, समस्या जिसमें अक़्ल से काम लिया जाए, कोई घटना या हक़ीक़त जिसके स्पष्टीकरण के लिए दलीलें पेश की जाएँ
निर-बिचार
(लफ़ज़न) ग़ौर-ओ-फ़िक्र के बगै़र , (फ़लसफ़ा) किसी शैय का वो तसव्वुर जो उसे ज़मान-ओ-मकान की हदूद-ओ-क़यूद से बाहर रख कर किया जाये
नौ-अफ़लातूनियत
(फ़लसफ़ा) एक फ़िक्री-ओ-मज़हबी निज़ाम जो पल्लू टेनिस (Plotinus) के पैरौओं ने तीसरी सदी ईसवी में अफ़लातूनी और मशरिक़ी तसव्वुफ़ की आमेज़िश से तशकील दिया था जिस में मशरिक़ी तसव्वुफ़ के साथ अफ़लातूनी के अफ़्क़ार की आमेज़िश की गई, इशराक़ीयत, फ़लसफ़ा-ए-इशराक़ (Neo-Platonism)
बसातत
(लफ़ज़न) फैलाव, वुसअत, (फ़लसफ़ा) बसीत या ग़ैर मुरक्कब होने की कैफ़ीयत, नाक़ाबिल तजज़िया होने की सूरत-ए-हाल
बिचार-अनुगत
(फ़लसफ़ा) अभ्यास की मुख़्तलिफ़ सूरतों में से एक सूरत जिस में आठ चीज़ों मसलन प्रकृत, महतत, अहंकार वग़ैरा में से किसी एक चीज़ का तसव्वुर किया जाये
बिछिप्त
(हिंदू फ़लसफ़ा) वो शख़्स जो सत के ग़लबे से मक़सद हासिल कर ले लेकिन फिर रज का ग़लबा हो जाने की वजह से महरूम हो जाये
बो'द-ए-मफ़तूर
(फ़लसफ़ा) वो दूरी जो मौहूम ना हो बल्कि मौजूद और माद्दे से मुजर्रिद और बिज़ाता क़ायम हो, (अशरा क़ैन के नज़दीक) मकान
मु'अल्लक़
(नबातीयात) वो बैज़ा दान जो बैज़ा ख़ाने के रास से नमूदार हो कर इस के कहफ़े में लटकता हुआ वाक़्य हो
मक़ाम-ए-रूह
(फ़लसफ़ा) वो बेहस जिस में कहा गया है कि रूओह मसतद है या ग़ैर मसतद और जिस्म में ना होने की सूरत में इस का कोई महल-ओ-मुक़ाम भी है या नहीं
मख़्लूक़
ईश्वर की सृष्टि, दुनिया, ब्रह्मांड, संसार, हस्ती, विश्व, दुनिया जहाँ चीज़ें बनती-बिगड़ती रहती हैं
मुज़हरियत
ज़ाहिर होने की हालत या कैफ़ीयत, मज़हर होना , (फ़लसफ़ा) एक नज़रिया जो मज़ाहिर की दुनिया से मावरा किसी हक़ीक़त के वजूद का इनकार तो नहीं करता मगर इस के काबिल इलम होने का इनकार करता है और इस तरह इलम के अजाअह को हैसियत और मज़ाहिर के मुम्किना मारूज़ात में महिदूद कर देता है जो ख़ुद नगरी के मारूज़ात हैं (Phenomenalism)
मज़ाहिर-परस्ती
(फ़लसफ़ा) रूह या नफ़स को असल हक़ीक़त मानने का नज़रिया, एक क़दीमी तसव्वुर जिस के मुताबिक़ एक क़ुव्वत जो ग़ैर माद्दी है लेकिन माद्दे से जुदा भी नहीं होती और वही माद्दे को शक्ल और हरकत अता करती है, बेजान चीज़ों में भी रूह होने का एतिक़ाद, रूह परस्ती
मफ़हूमा
फ़हम में आया हुआ, समझा हुआ , (फ़लसफ़ा) इंसान के ताल्लुक़ से वाक़ियात की ताबीर या इज़हार या इलम का वाक़्य होना
महकूमात
पायदार चीज़ें या उमूर् , (फ़लसफ़ा) अरस्तू के महमूलात की वो किस्में जो मौज़ूआत के ताबे हैं (मसलन : नौ, जिन्स, तारीफ़ अवारिज़-ओ-ख़वास वग़ैरा) नीज़ किसी इस्तिलाह की वो ज़ाती सिफ़ात और ख़वास जिन से वो पहचानी जाती है
मिसालीत
(अदब) फ़न या अदब में ज़िंदगी को इस तरह पेश करने के बजाय जैसी कि वो है इस तरह पेश करना जैसी कि उसे होना चाहिए, ईनीत, आदर्श परस्ती, हक़ीक़त को मिसाल के ज़रीये समझने या पेश करने का रवैय्या, मजाज़ पसंदी, कामिल बीनी, कमाल नुमाई
मोनाद
(फ़लसफ़ा) अदद, वाहिद, इकाई , नाक़ाबिल इतक़सीम इकाई, जुज़ु इलाएतजज़ा, जौहर वाहिद (मसलन ऐटम, ख़ुदा, रूह) , (हयातयात) अव्वलीन इकाई या वो (फ़र्ज़ी) अव्वलीन नामियाती वजूद जिस से ज़िंदगी का आग़ाज़ हुआ
याँग
(लफ़ज़न) हाँ (चीनी फ़लसफ़ा) कायनात की दो कुव्वतों में से एक जो मुसबत ख़्याल की जाती है (यन (रुक) का नक़ीज़)
ला-'अक़्लियत
(फ़लसफ़ा) ग़ैर माक़ूलीयत पसंदी, एक नज़रिया जो अक़ल को जबलत, वजदान और ईमान के मुक़ाबले में मुस्तर्द करता है (अंग : Irrationalism)
ला-ज़ातियत
(फ़लसफ़ा अख़लाक़) अख़लाक़ी मक़ासिद का मौज़ू (फ़ाइल) की ज़ात के इलावा दीगर अफ़राद होने की सूरत-ए-हाल, अफ़राद (इंसान) का इजतिमा या उन की मुआशरत
वुजूद-ए-इंतिज़ाई
(फ़लसफ़ा) शैय जिस का तसव्वुर ज़हन में हासिल होता है, वो शैय या ज़ात जिस का ताल्लुक़ माकूलात-ए-सानिया और एतबारी मफ़हूमात से हो
वुजूदियात
(दर्शनशास्त्र) तत्वमीमांसा की वह शाख़ा जो अस्तित्व की प्रकृति से संबंध रखती है, अस्तित्व और प्रकृति की विशेषता और स्वभाव का वैचारिक अध्ययन
वुजूदी
(फ़लसफ़ा) अश्या को इन की मारुज़ी शक्ल में देखने वाला, अश्या को हक़ायक़ ना कि तसव्वुरात की बुनियाद पर देखने वाला, हक़ीक़त परस्त नीज़ ये अक़ीदा रखने वाला कि मुजर्रिद तसव्वुरात मारुज़ी वजूद रखते हैं
वहदत-ए-ख़ालिसा
(फ़लसफ़ा) वहदत की खासियतों में से एक ख़ासीयत यानी इस के मुनफ़रद या अकेले या एक होने की सूरत-ओ-हालत
वहदत-ए-बारी
ज़ात ख़ुदावन्दी का एक होना, (फ़लसफ़ा) यह दृष्टिकोण कि जब ख़ुदा मौजूद था तो उसके अलावा कोई चीज़ मौजूद न थी
वहदत-ए-मुतलक़ा
(फ़लसफ़ा) एक ज़ात जो अपनी सिफ़ात के साथ क़ायम बिलज़ात हो, ज़ात-ए-वाहिद जो मारुज़ी हो ना कि इज़ाफ़ी या मोज़ूई , मुराद : ज़ात-ए-बारी ताला
वहदियत
वहदत की हालत, एक होने की स्थिति, यक्ता अर्थात एक होने का भाव, यगानगत अथवा (दर्शनशास्त्र) यह दृष्टिकोण कि हक़ीक़त बुनियादी तौर पर एक ही है और पदार्थ का प्रकट होना कोवल आँखों का धोखा है (कसरतियत का विलोम)
शु'ऊर-ए-तसलसुल
(दर्शन शास्त्र) चेतना की शक्ति जो लगातर अतीत के सभी (अच्छे और बुरे) अवलोकन और अनुभवों को स्मृति में सुरक्षित रखती है
सुभाव
रंग ढंग, बनाओ, दस्तूर, आदत, मिज़ाज, फ़ित्रत, बेहतरी, ख़ुशअख़लाक़ी, अच्छे अख़लाक़ का, प्रकृति, दृष्टिकोण, चरित्र, शिष्टाचार
संस्कार
जन्म से लेकर मृत्यु तक किये जाने वाले वे सोलह कर्म जो धर्मशास्त्र के अनुसार द्विजातियों के लिए ज़रूरी हैं
हमा-नफ़्सी
(फ़लसफ़ा) लाइबनीज़का फ़लसफ़ा कि सारी कायनात और इस का हर ख़फ़ीफ़ तरीन ज़रा एक नफ़सियाती या ज़हनी पहलू का हामिल होता है नीज़ ये कि कायनात में मौजूद हर शैय और मज़हर शऊर, ज़हन, रूह या ज़िंदगी का हामिल है, बैन अलनफ़सीत
हरकिय्यत
(फ़ौज) नक़ल-ओ-हरकत का गुण अर्थात् प्रतिभा, हर स्थिति में तेज़ गति बनाए रखने की प्रक्रिया अथवा स्थिति
हुलूल-ए-तरयानी
(फ़लसफ़ा) अजज़ाए हाल अजज़ाए महल में ना आवें बल्कि कल, कल में आवे (जैसे नुक़्ता का हलूल ख़त में
हिकमत-उल-इलाहिय्या
(फ़लसफ़ा) हिक्मत की एक क़िस्म जिस में इन उमूर से बेहस की जाती है जो अपने वजूद ख़ारिजी या ज़हनी में मादा के मुहताज ना हूँ (जैसे ख़ुदाए ताला और अक़ूल का इलम) (मुक़ाबिल-ए-हिकमत-ए-तिब्बी
हिक्मत-ए-'अमली
रणनीति, तदबीर (अवसर के अनुसार), परामर्श (स्थिति की आवश्यकताओं के अनुसार), कूटनीति, नीति, राष्ट्रीय रणनीति, पालिसी
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