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क़हर ढाना
किसी के लिए संकट पैदा करना, संकटग्रस्त बनाना, किसी पर कोई आफ़त लाना, ज़ुल्म करना, क़हर तोड़ना
मज़दूर
शारीरिक श्रम के द्वारा जीविका कमाने वाला कोई व्यक्ति, जैसे: इमारत बनाने, कल-कारख़ानों में काम करने वाला, श्रमिक, कर्मकार, भृतक, मजूर
हुस्न-ए-तलब
माँगने का अच्छा ढंग, कोई चीज़ इशारे इशारे में माँगना, ऐसे ढंग से चीज़ माँगना कि देने वाला देते हुए ख़ुशी महसूस करे
"प्रथा" टैग से संबंधित शब्द
"प्रथा" से संबंधित उर्दू शब्द, परिभाषाओं, विवरणों, व्याख्याओं और वर्गीकरणों की सूची
उबटन खेलना
दूल्हा-दुल्हन के उबटन लगाए जाने के अवसर पर लड़के वालों का हंसी दिल-लगी में एक दूसरे के मुँह या बदन पर उबटन मल देना
डोली
स्त्रियों के बैठने की एक सवारी जिसे कहार कंधों पर उठाकर ले चलते हैं, उक्त सवारी में बैठकर दुल्हन अपने पति के घर जाती है, एक प्रकार की सवारी, पालकी, शिविका
ता'ज़िया
इमाम हसन और इमाम हुसैन (पैग़म्बर मोहम्मद साहब के नवासे) की तुर्बतों की नक़ल जो काग़ज़ और बाँस के हौदों में मुहर्रम के दिनों में दस दिन तक उनका शोका मनाया जाता है और मातम किया जाता है और उनकी अत्मा की शांति के लिए प्राथनाएँ आदि की जाती हैं, अमीर तैमूर लंग को कुछ तबर्रुकात (संतों या पूर्वजों के अवशेष जो पुण्य और शुभ होने की दृष्टि से रखे जाएं) मिल गए थे, वह उनको हौदों में सेना के आगे रखता था, जब कभी आपत्ति और कर्बला की घटनाओं को सुनता तो हौदों को तख़्तों पर आगे रखवा लेता, इसी कारण ताज़ीए प्रायः हौदों के समान होते हैं
दम-मदार
<< दम ना लेने दे >> (एक रस्म) ज़मींदारों और कमीन लोगों में आग को रौंदते हैं और बुझाते हैं और दम मदार दम मदार कहते हैं
बाग-पकड़ाई
वह अधिकार या नेग जो बारात के चलने के समय दूल्हा के घोड़े की बाग पकड़ने पर उसके बहनोई को दिया जाता है
बाँधना
जिस वस्तु के दोनों सिरों में धागा, डोरी, चमड़ा या कमरबंद आदि हो उसे उसके निश्चित स्थान पर लपेट कर या रखकर उसके सिरों में गाँठ लगाना या दोनों सिरे किसी हुक आदि के द्वारा अटकाना
भ
उर्दू हरूफ़-ए-तहज्जी का तीसरा और देवनागरी लिपि (रस्म ख़त) का चौबीसवां हर्फ़ ' भुज ' जो एक मुस्तक़िल हाईआ सौतिया है, इस हर्फ़ की आवाज़ देवनागरी में ' भा ' और उर्दू में 'भय' से अदा की जाती है
महमिल
उठाने का आला, उठाने का यंत्र, एक प्रकार की डोली जो ऊंट पर बांधते हैं, ऊँट पर बाँधने का कजावा जिसमें स्त्रियाँ बैठती हैं, , ऊंट का हौदा, ऊंट पर किसी जाने वाली काठी, छतरीदार कजावा जिसे रहल भी कहते हैं
रस्म-ए-जोड़ा
(पठानों की प्रथा) विदाई से कुछ दिन पहले दूलहा वालों का दुल्हन के लिए बहुमूल्य कपड़े के जोड़े और गहना आदि लेकर जाना
लौलासी
फूलों की छड़ियाँ (मारने का रिवाज) जो सालियाँ दूल्हा को उस समय मारती हैं जब वह शादी के बाद पहली बार स्त्रीयों में जाता है
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