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तीस-मार-ख़ान बने फिरते हैं

बड़ी बहादुरी दिखाते हैं, बेकार में अकड़े फिरते हैं

कहाँ के तीस मार ख़ाँ हैं

कहाँ के ज़बरदस्त दिलावर हैं

अफ़लातून के नाती बने फिरते हैं

अपनी बुद्धि पर बड़ा घमंड करते हैं, बड़े अहंकारी हैं

तीस-मार-ख़ाँ

(शाब्दिक) वो व्यक्ति जिसने तीस जानवर या आदमी मारे हों

बने हुए हैं

मसखरे हैं

सिपाह-गरी के तीस फ़न हैं

सैनिक बनना बहुत कठिन है

सर से कफ़न बाँधे फिरते हैं

मारते ख़ान से सब डरते हैं

रईस की दुम बने हैं

बड़े रईस बने हैं गुस्से के मौक़ा पर बोलते हैं

बने बैठे हैं

शक्ल बनाए है, सूरत बनाए है

तर्कश में दो तीर नहीं, ख़ान बहादुर आते हैं

किस हल नाम को नहीं बड़े बड़े पहलवानों से लड़ने की डींग हांग रहे हैं, ज़रा सी बात पर अपने आप को बड़ा समझ बैठे हैं

पर कट गए दुम झड़ गई फिरते हैं लंडूरे

बिलकुल बे सर्व सामां हो जाने के मौक़ा पर बोलते हैं

बारह बरस के बा'द घूरे के भी दिन फिरते हैं

तीस-डंका

जैसे बने तैसे

जैसे भी हो इसी तरह, जिस तरह बिन पड़े

सौ बरस बा'द कूड़े घूरे के दिन भी बहोरते फिरते हैं

कोई शैय सदा एक हाल पर नहीं रहती, बुरे दिनों के बाद भले दिन भी आते हैं

ये लच्छन मार खाने के हैं

ऐसी बातों पर इंसान पटता है

तीस-मारख़ानी

सूँठ बने बैठना

ख़ामोशी इख़तियार करना, लाताल्लुक़ रहना

तीस-रोज़

तीस दिन, एक माह, एक महीना

ख़ान-जहाँ

ख़ान-सालार

वो शाही अधिकारी जिसका काम खानों को चखना हो, गोदाम का दारोगा

ख़ान-ख़वास

ख़ान-साहिब

किस सटर-पटर में फिरते हो

किस फ़िक्र में चक्कर लगा रहे हो, किस सोच बिचार और फिक्रो तरद्दुद में हो

जैसे बने

जिस तरह भी संभव हो, जिस तरह भी मुम्किन हो, जैसे हो सके

ख़ान-ए-ख़ानाँ

सरदार, मुग़्लिया वंश के समय में सिपहसालार की उपाधि होती थी, अब बहराम ख़ान और उसके बेटे अबदुर्रहीम ख़ां के लिए उपयोगित है

पाटे-ख़ान

चलते-फिरते

चलने-फिरने वाले, उठने-फिरने के काबिल, सेहतमंद, स्वस्थ

कैसी बने

कैसा मामलाम सामना आए, कैसे मामला ठीक हो

तीस का चाँद नहीं भाना

हर जाई या देर से आने वाले की क़दर नहीं होती

ख़ान-बालीग़

किट्टीबटन काग़ज़ एक उच्च गुणवत्ता वाला चीनी काग़ज़ है जो पुरानी किताबों में प्रयुक्त होता था

ख़ान-ज़मान

जहाँ तक बने

(ये फ़िक़रा थोड़े से रद्द-ओ-बदल के साथ भी मुस्तामल है जैसे : जहां तक बिन पड़े या बिन सके या बनेगा, और इसी तरह जहां तक हो सके या होगा) जितना मुम्किन होगा, जब तक मुम्किन हो, अपने मक़दूर तक

ख़ान-बहादुरी

ख़ान बहादुर का विशेषण

कभी घूरे के दिन भी फिरते हैं

ज़माना बदलता रहता है, कभी ग़रीबों और कमज़ोरों का ज़माना भी बदल जाता है, उन के भी अच्छे दिन आ जाते हैं, ग़रीब और कमज़ोर हमेशा ग़रीब कमज़ोर नहीं रहते, बारह बरस में घूरे के भी दिन फिर जाते हैं

यकुन-तीस

मंढते बने तो ख़ूब बजे

۔ मिसल। काम बिन जाता है तो डींग की सोॗझती है।

उड़े-उड़े फिरते हो

दिखाई नहीं देते, मिलते नहीं

गूड़ भरा हँसियाँ है , न निगलने बने , न उगलते बने

चलते-फिरते मज़ार आओ

अब तो टहलो जब हम मर जाऐंगे उस वक़्त हमारे मज़ार पर आना, दूर हो , दफ़ा हो , सूरत ना दिखाओ

चलते-फिरते नज़र आओ

दूर हो, लम्बे बनो, हुआ खाओ, टहलो, चल दो

फिरते पड़ना

मारे मारे फिरना

चलते-फिरते नज़र आना

काम कराकर चलते बनना

रोते रिज़्क़ बने

रिज़्क मेहनत और मशक़्क़त से मिलता है

खूँटा बने बैठे रहना

अपनी जगह से ना हिलना, जमे बैठे रहना

चलते-फिरते मिलना

कभी कुभार मुलाक़ात होना, आते जाते मिल जाना, राह में मिलना

चलते-फिरते होना

रवाना होना, चले जाना

बे-ख़ान-ओ-ज़मान

तल तीस पड़ना

खलबली या ऊधम मचना, शूरू गोगा होना, अफ़र तफरी होना फिर तो सारे घर में तिल तीस पड़तीस पड़ जाये गी

तले तीस ऊपर बीस

(ओ) ता-ओ-बाला या दिरहम ब्रहम होने के मौक़ा पर कहते हैं

गड़ भरा हँसिया खाते बने न उगलते

गुड़ भरा हँसया, खाते बने न उगलते

हर तरह मुश्किल है ना करते बनती है ना छोड़ते

सा'दुल्लाह बने और मन से उतरा रहे

अच्छा भी बने और क़दर नहू, खरी बात ख़ैर अल्लाह कहीं अलख

कमाएँ मियाँ ख़ान-ए-ख़ानाँ उड़ाएँ मियाँ फ़हीम

गए विचारे रोज़े रहे, एक कम तीस

पहला उपवास रख लिया तो बाक़ी उपवास आसान हो जाते हैं, जब कोई कठिन काम प्रारंभ कर दिया तो फिर उस का पूरा करना सरल हो जाता है

लाए दाम बने काम

रुपय से हर काम हो जाता है

बारह बरस बा'द कूड़े के भी दिन फिरते हैं

रुक : बारह बरस के बाद ख़ोरे के भी दिन फिरते हैं

सेंध-मार

घर में सेंध लगा कर प्रवेश करने वाला चोर, सेंध चोर

मारों-मार

फ़ौरन, तरंत, जल्दी से, फुर्ती से, तेज़ी से

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में तीस-मार-ख़ान बने फिरते हैं के अर्थदेखिए

तीस-मार-ख़ान बने फिरते हैं

tiis-maar-KHaan bane phirte hai.nتیس مار خان بنے پھرتے ہیں

अथवा - तीस-मार-ख़ाँ बने फिरते हैं

कहावत

तीस-मार-ख़ान बने फिरते हैं के हिंदी अर्थ

  • बड़ी बहादुरी दिखाते हैं, बेकार में अकड़े फिरते हैं
  • झूठी शेख़ी हाँकने वाले के संबंध में भी कहते हैं

    विशेष - कथा है कि किसी स्त्री का पति बड़ा निकम्मा और आलसी था। वह उससे रोज़ कहा करती थी कि तुम घर बैठे रहते हो, कुछ काम-धंधा क्यों नहीं करते। स्त्री की बातों से तंग आकर उसने एक दिन नौकरी की तलाश में बाहर जाने का इरादा किया। उसकी स्त्री ने एक महीने के खाने लायक़ लड्डू बना दिए, पर गलती से उनमें कोई ज़हरीला कीड़ा मिल गया, जिससे सब लड्डू ज़हरीले हो गए। घर से चल कर जब वो पहली ही मंज़िल में ठहरा तो उसे तीस चोरों ने घेर लिया, पर उसके पास तीस लड्डुओं के सिवाय और कुछ न निकला। चोरों ने तीसों लड्डू आपस में एक-एक बाँट कर खा लिया। उन लड्डुओं को खाते ही वो सब के सब मर गए। जब उस व्यक्ति ने उन सब को मरा देखा तो उन सब की नाक काट कर अपने पास रख ली। सुबह होते ही यह बात चारों ओर फैल गई कि किसी ने तीस चोरों को मार डाला है, जब उस देश के राजा ने यह बात सुनी तो पूरे क़िस्से की छान-बीन की, पता चला कि वही तीस चोर थे जिन्हों ने बहुत दिनों से राज्य में उपद्रव मचा रखा था और जो पकड़ाई नहीं दे रहे थे। जब उस व्यक्ति ने राजा से जा कर कहा कि उन चोरों को मैं ने मारा है और ये उनकी नाकें हैं जो मैंने काट ली थीं तो राजा उसकी बहादुरी से बहुत ख़ुश हुआ और तीस-मार-ख़ाँ की उपाधि दे कर अपना वज़ीर बना लिया।

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تیس مار خان بنے پھرتے ہیں کے اردو معانی

  • بڑی جواں مردی دکھاتے ہیں، خواہ مخواہ اکڑتے پھرتے ہیں
  • جھوٹی شیخی بگھارنے والے کے متعلق بھی کہتے ہیں

संदर्भग्रंथ सूची: रेख़्ता डिक्शनरी में उपयोग किये गये स्रोतों की सूची देखें .

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तीस-मार-ख़ान बने फिरते हैं

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