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ख़ैर है ख़ैर तो है

है तो

अगर है, अगर कुछ है तो सिर्फ़, केवल, बस

ख़ैर है

उस अवसर पर उपयोग किया जाता है जब कोई व्यक्ति बेमौका या नामुनासिब कार्य करे या कोई मामला आशा खिलाफ हो जाय

ख़ैर तो है

है तो ये

۔ असल बात ये है ।

है तो यूँ

अस्ल बात ये है, दरअस्ल, वास्तव में

ज़र है तो घर है नहीं खंडर है

रुपया पैसा हो तो घर अच्छ्াी हालत में नज़र आता है नहीं तो खंडर बिन जाता है

गाँठ में ज़र है तो नर है , नहीं तो ख़र है

दौलत है तो आदमी सब पर ग़ालिब है वर्ना गधे से बदतर है

सच तो ये है

वास्तविकता ये है, सच्च बात ये है

मज़ा तो ये है

आनंद इस में है, आनंद की ये बात है, अजीब बात ये है

हक़ तो ये है

सच्च बात ये है

ख़ुदा तो है

۔ख़ुदा तू मददगार है।

मंढते बनती है तो ख़ूब बजती है

रुक : मंढते बने अलख

ख़ैरिय्यत तो है

कोई फ़िक्र की बात तो नहीं है, ख़ैर बाशद ! हैरत-ओ-ताज्जुब के मौक़ा पर बोलते हैं

ईमान है तो सब कुछ है

रोना तो ये है

अफ़सोस तो इस बात का है, फ़िक्र तो ये है

बात तो ये है

मूल ये है, वास्विकता ये है

बाँह टूटती है तो गले में आती है

मुसीबत में अपने ख़ास क़रीबी लोगों ही का सहारा होता है

वाक़ि'आ तो ये है

रुक : वाक़िया ये है

हक़ तो यूँ है

ख़ुदा है तो क्या ग़म है

ख़ुदा भरोसा हो तो मुश्किल आसान हो जाती है

दम है तो क्या ग़म है

जान है तो कोई चिंता नहीं, जान है तो कठिनाइयां दूर हो सकती हैं, जान है तो जहान है

ज़र हे तो नर है नहीं तो कुम्हार का ख़र है

सम्मान रुपये पैसे से होता है, अगर आदमी के पास पैसा न हो तो उस का कोई सम्मान नहीं होता

बन्या भूलता है तो ज़्यादा बनाता है

शातिर और चालाक आदमी सहोन भी अपना नुक़्सान नहीं होने देता, होशयार आदमी भूल कर भी अपना मतलब नहीं देता।

बाँदी जब शादी करती है तो ऐसी ही करती है

तुच्छ या डींगें मारने वाला व्यक्ति शादी आदि में अपनी स्थिति या क्षमता से अधिक काम करता है

मज़ा तो ये है

लुतफ़ इस बात में है, मज़े की बात तो ये है, अजीब बात तो ये है

ये टाँग खोलूँ तो लाज है वो टाँग खोलूँ तो लाज है

जब दोनों बातों में बदनामी और रुसवाई हो उस वक़्त मुस्तामल है यानी दोनों तरह बदनामी है

ये टाँग खोलो तो लाज है वो टाँग खोलो तो लाज है

जब दोनों बातों में बदनामी और रुसवाई हो उस वक़्त मुस्तामल है यानी दोनों तरह बदनामी है

मुँह का निवाला तो नहीं है

सहज कार्य नहीं है

कुछ ख़लल तो है जिस से ये ख़लल है

इस ख़राबी या कमी का कोई कारण है

ज़िंदा है तो क्या मरी तो क्या

अस्तित्व बेकार है, जीवित रहना या न रहना सब समान है

यही तो मसअला है

असल मसला ये है

ये बात तो है

रुक: ये बात है, ये बात ठीक है, ये बात सच्च है (किसी बात की तसदीक़ के लिए मुस्तामल

ख़ुदा तो देखता है

अल्लाह से कुछ पोशीदा नहीं

तक़दीर सीधी है तो सब कुछ

भाग्य अनुकूल होने से सब काम बनते हैं

घर मिलता है तो बर नहीं मिलता, बर मिलता है तो घर नहीं मिलता

बेटियों के लिए अच्छा रिश्ता न मिलने पर कहती हैं अर्थात अमीर है तो लड़का अच्छा नहीं, लड़का अच्छा है तो ग़रीबी है

ख़ुदा देता है तो नहीं पूछ्ता तू कौन है

ईश्वर अच्छे या बुरे की जाँच कर के नहीं देता, ईश्वर की कृपा सामान्य है, ईश्वर को जिसे देना होता है उसे देता है, फिर वह कोई भी हो

कुछ शामत तो आई नहीं है

ज़बान दराज़-ओ-बेअदब से रंजिश के अंदाज़ में गुफ़्तगु , दोस्त से फ़र्त मुहब्बत और तपाक के इज़हार के मौक़ा पर मुस्तामल

मिज़ाज अच्छा तो है

स्वस्थ की स्थिती का कलिमा, ख़ैरीयत मालूम करने के लिए मुस्तामल

सुख मानो तो सुख है , दुख मानो तो दुख है , सच्चा सुखिया वो है जो सुख माने न दुख

अगर समझो तो ख़ुशी है अगर तकलीफ़ समझो तो तकलीफ़ ख़ुशी होती है . असल में ख़ुशी वो है जो आराम और तकलीफ़ की पर्वा ना करे क्योंकि आराम और ख़ुशी एतबारी कैफ़यात हैं

है तो सिड़ी मगर बात पते की कहता है

है तो बेग़ैरत या पागल मगर बात सही कर रहा है, तजरबाकार तो है मगर बेग़ैरत है

सिड़ी है तो क्या बात ठिकाने की कहता है

है तो मूर्ख परंतु बात ठिकाने की कहता है

मेंहदी तो पाँव में नहीं लगी है

आते क्यों नहीं बहाने बनाते हो

मोर नाचता है जब अपने पाँव देखता है तो रो देता है

सारी उमनगीं, हौसले, ख़ुशीयां, लज़्ज़तें, नेअमतें, औसाफ़ ज़रा से ऐब के बाइस तकलीफ़-ओ-तकद्दुर बिन जाते हैं, ऐब ज़रा सा भी ुबरा

रोना तो 'उम्र भर का है

सारी उम्र की मुसीबत है, सारी उम्र का रोना है

मेहर तो है पर दूध नहीं

ख़ाली खातिरदारी है लेना देना कुछ नहीं, रूखी फीकी मुहब्बत है

आज इस का दौर है तो कल उस का दौर है

ज़माना एक हाल पर रहता है, आज किसी का दरोज है तो कल किसी का, दुनिया की हर हालत आरिज़ी वार ना पाएदार है

सर सलामत है तो बहुत मिल जाएंगे

जीवित रहे तो बहुत कुछ प्राप्त होगा, ज़िंदा रहे तो बहुत कुछ हासिल होगा

मेहर तो बहुत है पर छातियों में दूध नहीं

ज़बानी आवभगत है देने लेने को कुछ नहीं

बिल्ली भी लड़ती है तो मुँह पर पंजा रख लेती है

झगड़ालू व्यक्ति को शर्म दिलाने के लिए कहते हैं

सर सलामत है तो बहुत मिल रहेंगे

ज़िंदा रहे तो बहुत कुछ प्राप्त होगा

यहाँ तो जग ही डूबा है

एक व्यक्ति ग़लती या भूल-चूक करे तो दूसरे उसे समझाएँ, जब सब ही ग़लती करें तो कौन समझाए

मज़े की बात तो ये है

रोचक बात, अद्भुत स्थान, आश्चर्य का स्थान, आनंद की बात

तुम्हारे ही तो सुर्ख़ाब का पर है

(व्यंग्यात्मक) आप बहुत शक्तिशाली हैं

दबे तो च्यूँटी भी काटती है

आजिज़ आकर कमज़ोर भी हमला कर बैठता है

लाग गई तो लाज कहाँ है

जब दिल किसी पर आजाता है तो श्रम-ओ-हया का लिहाज़ कम रहता है

ऊँट जब पहाड़ के नीचे आता है तो आप को समझता है

अपने से ज़्यादा ज़बरदस्त का मुक़ाबला होने पर अपनी हक़ीक़त खुलती है, मुतकब्बिर आदमी अपने से ज़्यादा ज़बरदस्त के आगे ठीक होजाता है

शेर मारता है तो सौ लोमड़ियाँ खाती हैं

बलंद हिम्मत और आली ज़र्फ़ लोग अपनी कमाई का बेशतर हिस्सा ज़रूरतमंदों पर सिर्फ़ करदेते हैं

दो प्याले पी तो लें हरम-ज़दगी तो पेट में है

दिल में खोट है, फिर भी फ़ायदा उठाते हैं

आँख ही फूटी तो भौं कब भाती है

जो बात या विषय ही संबंध का कारण था जब वही न रहा तो फिर संबंध कैसा, जड़ न हो तो शाख़ें बेकार हैं

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में ख़ैर है ख़ैर तो है के अर्थदेखिए

ख़ैर है ख़ैर तो है

KHair hai KHair to haiخَیر ہے خَیر تو ہے

خَیر ہے خَیر تو ہے کے اردو معانی

  • ۔اس جگہ بولتے ہیں جب کوئی کسی کے پاس بیوقت آتا ہے یا بے محل کوئی کام کرتا ہے۔ ؎

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