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कसे

tight

कसेरू

एक औषधीय वनस्पति,एक प्रकार के मोथे की गाँठदार जड़ जो मीठी तथा स्वादिष्ट होने के कारण खाई जाती है

कसेंडी

پانی گرم کرنے کا تنگ من٘ھ کی ٹھلیا کی وضع کا تان٘بے یا پیتل کا بنا ہوا ظرف ، تتیڑا ، تتیڑی گگری.

कसेर

पीतल ताँबे, काँसी इत्यादि के बर्तन बनाने या बेचने वाला

कसे-बाशद

कोई आदमी हो, कोई हो, कोई क्यों न हो, चाहे कोई हो

कसेरा

तांबे, पीतल या कांसे के बर्तन बनाने वाला और बेचने वाला, बर्तन बेचने वाला

कसेरन

कसेरा की पत्नी, बर्तन बनाने और बेचने वाली

हर-कसे

رک : ہر کس ۔

सब कसे

پر ایک کو ، سب کو.

हर कसे कि बाशद

कोई शख़्स क्यों ना हो

कार दुनिया कसे तमाम नकर्द

(फ़ारसी कहावत उर्दू में मुस्तामल) दुनिया का काम किसी ने ख़त्म नहीं क्या, हर काम में इख़तिसार पर नज़र रखू, ज़्यादा हवस ना करो

न दीद नक़्द बा नसबा कसे

कोई नक़द के बदले उधार नहीं देता

कमर कसे होना

जंग के लिए ती्यार रहना

हर कसे रा बहर कारे साख़तंद

(फ़ारसी मिसरा बतौर कहावत उर्दू में मुस्तामल) हर एक ख़ास काम के लिए मौज़ूं है, हर शख़्स को किसी काम के लिए बनाया गया है और इस काम का इशक़ इस के दिल में डाल दिया है

'ऐब-ए-ख़ुद हर कसे नमी बीनद

(फ़ारसी कहावत उर्दू में प्रयुक्त) अपना दोष किसी को मालूम नहीं होता

हर-कसे पंज-रोज़ नौबत-ए-ऊस्त

(फ़ारसी कहावत उर्दू में प्रयुक्त) हर किसी की बारी पाँच रोज़ की है अर्थात जीवन क्षणिक है स्थायी नहीं है

आदमी जाने बसे सोना जाने कसे

आदमी की अच्छाई बुराई उस को परखने से मालूम होती है जिस तरह सोने का खरा-खोटा आग पर तपने से मालूम होता है

सोना जाने कसे आदमी जाने बसे

man is known by association and gold is known by touchstone, fact is known only after first-hand experience

हर कसे मस्लहत-ए-ख़्वेश नको मी दानद

(फ़ारसी कहावत उर्दू में प्रयुक्त) अपनी मस्लिहत हर शख़्स ख़ूब जानता है

हर रोज़ 'ईद नीस्त कि हल्वा ख़ूरद कसे

(फ़ारसी कहावत उर्दू में मुस्तामल) हर रोज़ ईद नहीं है कि कोई हलवा खाए , रोज़ रोज़ उम्दा मौक़ा हाथ नहीं आता , हर रोज़ ख़ुशी हासिल नहीं होती, ज़माना एक सा नहीं रहता, (बिलउमूम ऐसे मौके़ पर मुस्तामल जब कोई एक बार कुछ पाने के बाद फिर फ़ायदे की उम्मीद रखे)

सोना जाने कसे और आदमी जाने बसे

सोने की पहचान कसौटी पर परखने से और आदमी की पहचान पास रहने से होती है, सत्य तो अनुभव से ही जाना जाता है, खोटे खरे का परखने से पता चलता है

क़द्र-ए-'आफ़ियत कसे दानद कि मुसीबते गिरफ़्तार आयद

(फ़ारसी कहावत उर्दू में मुस्तामल) अच्छाई की क़दर वो जानता है जो किसी मुसीबत में गिरफ़्तार होचुका हो

हमसाया बद मबाद कसे रा

(फ़ारसी कहावत) ख़ुदा करे किसी का हमसाया बुरा ना हो

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में कसे के अर्थदेखिए

कसे

kaseکَسے

वज़्न : 12

English meaning of kase

  • tight
  • whom

کَسے کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu
  • کوئی ایک شخص، چیز یا بات

Urdu meaning of kase

  • Roman
  • Urdu

  • ko.ii ek shaKhs, chiiz ya baat

कसे के यौगिक शब्द

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कसे

tight

कसेरू

एक औषधीय वनस्पति,एक प्रकार के मोथे की गाँठदार जड़ जो मीठी तथा स्वादिष्ट होने के कारण खाई जाती है

कसेंडी

پانی گرم کرنے کا تنگ من٘ھ کی ٹھلیا کی وضع کا تان٘بے یا پیتل کا بنا ہوا ظرف ، تتیڑا ، تتیڑی گگری.

कसेर

पीतल ताँबे, काँसी इत्यादि के बर्तन बनाने या बेचने वाला

कसे-बाशद

कोई आदमी हो, कोई हो, कोई क्यों न हो, चाहे कोई हो

कसेरा

तांबे, पीतल या कांसे के बर्तन बनाने वाला और बेचने वाला, बर्तन बेचने वाला

कसेरन

कसेरा की पत्नी, बर्तन बनाने और बेचने वाली

हर-कसे

رک : ہر کس ۔

सब कसे

پر ایک کو ، سب کو.

हर कसे कि बाशद

कोई शख़्स क्यों ना हो

कार दुनिया कसे तमाम नकर्द

(फ़ारसी कहावत उर्दू में मुस्तामल) दुनिया का काम किसी ने ख़त्म नहीं क्या, हर काम में इख़तिसार पर नज़र रखू, ज़्यादा हवस ना करो

न दीद नक़्द बा नसबा कसे

कोई नक़द के बदले उधार नहीं देता

कमर कसे होना

जंग के लिए ती्यार रहना

हर कसे रा बहर कारे साख़तंद

(फ़ारसी मिसरा बतौर कहावत उर्दू में मुस्तामल) हर एक ख़ास काम के लिए मौज़ूं है, हर शख़्स को किसी काम के लिए बनाया गया है और इस काम का इशक़ इस के दिल में डाल दिया है

'ऐब-ए-ख़ुद हर कसे नमी बीनद

(फ़ारसी कहावत उर्दू में प्रयुक्त) अपना दोष किसी को मालूम नहीं होता

हर-कसे पंज-रोज़ नौबत-ए-ऊस्त

(फ़ारसी कहावत उर्दू में प्रयुक्त) हर किसी की बारी पाँच रोज़ की है अर्थात जीवन क्षणिक है स्थायी नहीं है

आदमी जाने बसे सोना जाने कसे

आदमी की अच्छाई बुराई उस को परखने से मालूम होती है जिस तरह सोने का खरा-खोटा आग पर तपने से मालूम होता है

सोना जाने कसे आदमी जाने बसे

man is known by association and gold is known by touchstone, fact is known only after first-hand experience

हर कसे मस्लहत-ए-ख़्वेश नको मी दानद

(फ़ारसी कहावत उर्दू में प्रयुक्त) अपनी मस्लिहत हर शख़्स ख़ूब जानता है

हर रोज़ 'ईद नीस्त कि हल्वा ख़ूरद कसे

(फ़ारसी कहावत उर्दू में मुस्तामल) हर रोज़ ईद नहीं है कि कोई हलवा खाए , रोज़ रोज़ उम्दा मौक़ा हाथ नहीं आता , हर रोज़ ख़ुशी हासिल नहीं होती, ज़माना एक सा नहीं रहता, (बिलउमूम ऐसे मौके़ पर मुस्तामल जब कोई एक बार कुछ पाने के बाद फिर फ़ायदे की उम्मीद रखे)

सोना जाने कसे और आदमी जाने बसे

सोने की पहचान कसौटी पर परखने से और आदमी की पहचान पास रहने से होती है, सत्य तो अनुभव से ही जाना जाता है, खोटे खरे का परखने से पता चलता है

क़द्र-ए-'आफ़ियत कसे दानद कि मुसीबते गिरफ़्तार आयद

(फ़ारसी कहावत उर्दू में मुस्तामल) अच्छाई की क़दर वो जानता है जो किसी मुसीबत में गिरफ़्तार होचुका हो

हमसाया बद मबाद कसे रा

(फ़ारसी कहावत) ख़ुदा करे किसी का हमसाया बुरा ना हो

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