खोजे गए परिणाम

सहेजे गए शब्द

"करो तो सवाब नहीं, न करो तो 'अज़ाब नहीं" शब्द से संबंधित परिणाम

करो तो सवाब नहीं, न करो तो 'अज़ाब नहीं

ऐसा काम जिसके करने या न करने से न कुछ भलाई हो न बुराई, व्यर्थ काम के संबंधित कहते हैं कि उसके न करने में कोई हानि या हरज नहीं होता

पढ़ो तो पढ़ो नहीं पिंजरा ख़ाली करो

मजहूल सुस्त या काम चोर मुलाज़िम से कहते हैं कि चुसती से काम करो तो ख़ैर वर्ना चले जाओ (ये कहावत तोते के पढ़ने से मुस्तआर है)

नहीं तो नहीं

इनकार सही, नहीं सही, कुछ डर नहीं, क्या डर है

कभी शरमाया तो करो

दोस्त के ना आने का शिकवा

जान नहीं तो जहान नहीं

सारा मज़ा जिंदगी के साथ है

नहीं-तो

वर्ना, यदि, अन्यथा, बसूरत-ए-दीगर

दाँत थे तो चने न थे , चने हुए तो दाँत नहीं

जब जवानी थी तो कुछ मक़दूर ना था और जब मक़दूर हुआ तो जवानी ना रही, बेवक़त मुराद हासिल होने पर बोलते हैं

जस लेना हो तो हमदर्दी करो

नेकनामी हासिल करना चाहते हो तो लोगों की तकलीफों में इमदाद करो

नमाज़ नहीं रोज़ा नहीं सहरी भी न हो तो निरे काफ़िर बन जाएँगे

अगर बहुत सा असंभव हो तो थोड़ा सा सही, ऐसे अवसर पर उपयोगित जब किसी धार्मिक शिक्षा पर प्रक्रिया अपने पक्ष में हो

हुई करो अन-होई न करो

हो सकने वाली बात करो, मुम्किन बात करो , अक़ल से काम लो, ऐसी बात ना कहो जो अक़लन मुम्किन ना हो

ये तो नहीं

۔ये अमर वाक़िया नहीं।

आया तो नोश नहीं तो फ़रामोश

बहुत आत्मसंतोषी होना

आई तो नोश नहीं तो फ़रामोश

कुछ मिला तो अच्छी बात नहीं तो सब्र के सिवा कोई चारा नहीं, आई तो रोज़ी नहीं तो रोज़ा

जब चने न थे तो दाँत थे , जब चने हुए तो दाँत नहीं

रुक : जब चुने थे अलख , बेवक़त किसी चीज़ का हासिल होना

भंग तो नहीं खाई

होश में तो हो, कुछ बावले तो नहीं हो गए

खाएँ तो घी से नहीं तो जाएँ जी से

ज़िद्दी और हटीले आदमी के मुताल्लिक़ कहते हैं, हो तो अच्छा हो नहीं तो भूका मरना मंज़ूर

रूपया तो शैख़, नहीं तो जुलाहा

रुपया से आदमी की इज़्ज़त होती है, ज़र है तो नर है वर्ना ख़र है

रूपया तो शैख़, नहीं तो जुलाहा

रुपया से आदमी की इज़्ज़त होती है, ज़र है तो नर है वर्ना ख़र है

कहीं रास्ता तो नहीं भूल गए

बवक़्त मुलाक़ात दोस्त से इज़हार-ए-इश्तियाक़-ओ-शकाएतके लिए इसी किस्म की इबारत मुस्तामल

कहीं रस्ता तो नहीं भूल गए

बवक़्त मुलाक़ात दोस्त से इज़हार-ए-इश्तियाक़-ओ-शकाएतके लिए इसी किस्म की इबारत मुस्तामल

पैसा नहीं पास तो कैसे सूँघें बास

बगै़र पैसे के कोई चीज़ मयस्सर नहीं होती

आया तो नोश नहीं फ़रामोश

कुछ मिल गया तो खा लिया अन्यथा उपवास ही से पड़ रहे

'औरत रहे तो आप से नहीं तो सगे बाप से

'औरत किसी के बस में नहीं रह सकती, अगर दुश्चरित्र हो जाए तो बाप की भी परवाह नहीं करती

रूठे को मनाए नहीं , फटे को सिलाए नहीं तो काम कैसे चले

रूओठे को मनाना और फटे को सुलाना चाहीए वर्ना दुनिया में गुज़ारा नहीं

शम' ले कर ढूँढिए तो पता नहीं

कमाल जुस्तजू के बाद भी दस्तयाब नहीं होता, कमयाब चीज़ या शख़्स की निसबत कहते हैं

आप कहीं रस्ता तो नहीं भूल गए

आप से हम नहीं बोलते

बसे तो गूजर , नहीं तो ऊजड़

वो बस्ती जो वीरान पड़ी रहे या निचले तबक़े के लोगों से आबाद होजाए (निज़ाम उद्दीन औलिया की बददुआ जो उन्हों ने फ़िरोज़ तुग़ल्लुक़ से नाराज़ होकर इस के क़िले को दी थी अब ज़रब-उल-मसल

सर तो नहीं कुझाता

(तंज़न) शामत आई है, मार खाने को जी चाहता है

सर तो नहीं फिरा

(तंज़न) शामत तो नहीं आई, अक़ल में फ़ुतूर तो नहीं पड़ा

प्रजा नहीं तो राजा कहाँ

जनता नहीं तो हाकिम भी नहीं

कहें तो माँ मारी जाए , नहीं तो बाप कुत्ता खाए

रुक : कहूं तो माँ मारी जाये अलख

छुरी पाता हूँ तो आप को नहीं पाता, आप को पाता हूँ तो छुरी नहीं पाता

किसी के प्रति अपना तीव्र रोष और विद्वेष प्रकट करना

पैसा नहीं पास तो क्यों कर सूँघें बास

बगै़र पैसे के कोई चीज़ मयस्सर नहीं होती

कमबख़्ती तो नहीं आई

क्या शामत आई है, खोए दिन तो नहीं आए, पिटने को तो जी नहीं चाह रहा

पढ़े तो हैं पर गुनें नहीं

तालीम तो हासिल कर ली है मगर तजुर्बा नहीं

बनी तो बनी, नहीं तो दाऊद ख़ाँ पनी

अगर ज़्यादा फ़ायदा हुआ तो हुआ नहीं तो क़दीमी मआश कहीं नहीं गई, या जब फ़ायदा जाता रहेगा अलग हो जाऐंगे

मेंहदी तो पाँव में नहीं लगी है

आते क्यों नहीं बहाने बनाते हो

खाएँ तो घी से नहीं जाएँ जी से

काटो तो ख़ून नहीं बदन में

ख़ौफ़ या सदमे से हुक्का बिका रह जाने से रंग उड़ जाने के मौक़ा पर मुस्तामल, मुतरादिफ़ : हुक्का बिका रह गया, चेहरे का रंग उड़ गया, ख़ामोश हो कर मुंह तकने लगा, होश-ओ-हवास उड़ गए वग़ैरा

काटो तो ख़ून नहीं

ख़ौफ़ या सदमे से हुक्का बिका रह जाने से रंग उड़ जाने के मौक़ा पर मुस्तामल, मुतरादिफ़ : हुक्का बिका रह गया, चेहरे का रंग उड़ गया, ख़ामोश हो कर मुंह तकने लगा, होश-ओ-हवास उड़ गए वग़ैरा

मियाँ मिट्ठू पढ़ो तो पढ़ो नहीं पिंजरा ख़ाली करो

काम करना है तो करो नहीं तो जाओ

मानो तो देव नहीं तो भेंट कालियो

रुक : मानव तो देवता अलख

हाँ करो या नाँ करो

एक बात करो, इक़रार करो या इनकार, टालो नहीं

कहे तो कहे नहीं जाता, कहे बिन रहे नहीं जाता

बड़ी मुश्किल में फन॒से हैं, गोहम मुश्किल-ओ-गिरना गोयम मुश्किल, जान अज़ाब में है

कूटो तो चूना, नहीं तो ख़ाक से दूना

चूना जितना अदिक कूटा जाएगा उतना ही मज़बूत होगा, इसी तरह जितनी मेहनत की जाए मेहनत से उतना ही लाभ हो सकता है

आप को तो मैं नहीं पहचानता

रुक : आप से हम नहीं बोलते

घर मिलता है तो बर नहीं मिलता बर मिलता है तो घर नहीं मिलता

बेटियों के लिए अच्छा रिश्ता न मिलने पर कहती हैं यानी अमीर है तो लड़का अच्छा नहीं, लड़का अच्छा है तो ग़रीबी है

'औरत आप से, नहीं तो सगे बाप से

औरत की पाक दामनी उस की अपनी तबीयत से होती है किसी की तहदीद-ओ-नसीहत पर मबनी नहीं होती

कातना तो आता नहीं पोनियाँ तो बनाने लगी

चर्ख़ा कातना आसान है पूनी बनाना मुश्किल है, ऐसी औरतों की निसबत बोलते हैं जिन को आसान सा काम नहीं आता लेकिन मुश्किल काम करने का दावा करती हैं

आप बिल्ली नाँघ के तो नहीं आए हैं

इस मौक़ा पर मुस्तामल जब कोई किसी बात पर झल्ला के जवाब दे बाबे तके पन से उलझने लगे

आ बैल मुझे भकोस नहीं तो मैं तुझे भकोसूँ

मुसीबत को आमंत्रित करना

कहूँ तो माँ मारी जाए और नहीं तो बाप कुत्ता खाए

चोंच बंद करो

आया तो नोश नहीं वर्ना ख़ामोश

रुक : आया तो नोश नहीं (तो) फ़रामोश

काटो तो लहू नहीं बदन में

ख़ौफ़ या सदमे से हुक्का बिका रह जाने से रंग उड़ जाने के मौक़ा पर मुस्तामल, मुतरादिफ़ : हुक्का बिका रह गया, चेहरे का रंग उड़ गया, ख़ामोश हो कर मुंह तकने लगा, होश-ओ-हवास उड़ गए वग़ैरा

पाँचों उँगलियाँ घी में नहीं तो सर कढ़ाई में

अगर काम हसब दिलख़वाह किया तो इनाम मिलेगा नहीं तो सज़ा मिलेगी

बिल्ली खाएगी नहीं तो फैलाएगी

गाँठ में ज़र है तो नर है , नहीं तो ख़र है

दौलत है तो आदमी सब पर ग़ालिब है वर्ना गधे से बदतर है

जब पर्जा नहीं तो राजा कहाँ

हाकिम को ज़ुलम नहीं करना चाहिए, अगर रईयत ना रहे तो हाकिम कहाँ रह सकता है

बुझना तो रोज़ी , नहीं तो रोज़ा

इंतिहाई इफ़लास ज़ाहिर करने के लिए मुस्तामल

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में करो तो सवाब नहीं, न करो तो 'अज़ाब नहीं के अर्थदेखिए

करो तो सवाब नहीं, न करो तो 'अज़ाब नहीं

karo to savaab nahii.n, na karo to 'azaab nahii.nکَرو تو ثَوَاب نَہیں، نہ کَرو تو عَذاب نَہیں

कहावत

करो तो सवाब नहीं, न करो तो 'अज़ाब नहीं के हिंदी अर्थ

  • ऐसा काम जिसके करने या न करने से न कुछ भलाई हो न बुराई
  • व्यर्थ काम के प्रति कहते हैं क्यूँकि उसके न करने में कोई हानि या हरज नहीं होता
rd-app-promo-desktop rd-app-promo-mobile

کَرو تو ثَوَاب نَہیں، نہ کَرو تو عَذاب نَہیں کے اردو معانی

  • ایسا کام جس کے کرنے یا نہ کرنے سے نہ کچھ بھلائی ہو نہ برائی
  • فضول کام کے متعلق کہتے ہیں کہ اس کے نہ کرنے میں کوئی حرج نہیں ہوتا

संदर्भग्रंथ सूची: रेख़्ता डिक्शनरी में उपयोग किये गये स्रोतों की सूची देखें .

सुझाव दीजिए (करो तो सवाब नहीं, न करो तो 'अज़ाब नहीं)

नाम

ई-मेल

प्रतिक्रिया

करो तो सवाब नहीं, न करो तो 'अज़ाब नहीं

चित्र अपलोड कीजिएअधिक जानिए

नाम

ई-मेल

प्रदर्शित नाम

चित्र संलग्न कीजिए

चित्र चुनिए
(format .png, .jpg, .jpeg & max size 4MB and upto 4 images)
बोलिए

Delete 44 saved words?

क्या आप वास्तव में इन प्रविष्टियों को हटा रहे हैं? इन्हें पुन: पूर्ववत् करना संभव नहीं होगा

Want to show word meaning

Do you really want to Show these meaning? This process cannot be undone

Recent Words