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कभी का

किसी ज़माने या समय का, पहले का, अतीत का, किसी काल का, बहुत समय पहले का, एक लंबे समय से, बहुत देर से

कभी का दिन बड़ा कभी की रात बड़ी

۔مثل۔ زمانہ ایک حال پر نہیں رہتا۔ ؎

कभी का दिया काम आया

कभी कोई अच्छा काम किया था जिसके कारण बला टल गई

कभी के

(दिल्ली) कब के, अब से बहुत पहले, किसी ज़माने या समय का, पहले का

सय्यद का जना, कभी बिगड़ा कभी बना

सय्यद को मतोन उल-मिज़ाज तसो्वर कर के कहते हैं तंग मिज़ाज

कभी के दिन बड़े कभी की रातें

संसार एक हाल पर स्थिर नहीं, कभी उन्नति है कभी अवनति, ज़माना और हालात बदलते रहते हैं

नौकरी पेशा का घर क्या , कभी यहाँ कभी वहाँ

नौकरी पेशा का तबादला अक्सर एक जगह से दूसरी जगह होता रहता है इस लिए वो कहीं घर नहीं बना सकता, इस का घर आरिज़ी होता है

अल्लाह का दिया नूर कभी न होवे दूर

बालों की सफेदी ख़िज़ाब के बावजूद झलकती रहती है

ख़ुदा का दिया नूर, कभी न होए दूर

(प्राकृतिक सुंदरता को सौंदर्यीकरण की आवश्यकता नहीं) ईश्वर जो देता है वह हमेशा क़ायम रहता है

सख़ी का ख़ज़ाना कभी ख़ाली नहीं होता

उदार व्यक्ति के पास हमेशा रुपया रहता है

लारा लेरी का बार, कभी न उतरे पार

बहाना-बाज़ एवं बकवास करने वाला कभी सफल नहीं होता

सम्धन का तकवा चुभ चुभ जा, हाथ का लपका कभी न जा

इंसान को जब कोई बुरी आदत पड़ जाती है तो चाहे उस की वजह से कैसी ही ज़िल्लत या तकलीफ़ हो वो आदत कभी नहीं जाती. चोरी की आदी एक औरत ने अपनी समधिन के घर से चरखे का तकुला चुरा कर अपने नेफ़े में रख लिया, वो तकुला चुभ चुभ जाता था जिस से वो बेकल थी और बार बार कहती समधिन का तकुला चुभ चुभ जा. मेरे हाथ का लपका कभी ना जा

जुम'आ छोड़ सनीचर नहाए उस का सनीचर कभी न जाए

मुस्लमान प्रायः शुक्रवार को ज़रूर स्नान करते और कपड़े बदलते हैं

साँप का सर भी कभी काम आता है

कोई चीज़ ज़ाए नहीं करनी चाहिए . कभी ना कभी काम आजाती है, दाश्ता आबिद बिकार, गरचा बूद सर मार

लारा लबेरी का यार, कभी न उतरा पार

बहाना-बाज़ एवं बकवास करने वाला कभी सफल नहीं होता

लारा लेरी का यार, कभी न उतरा पार

बहाना-बाज़ एवं बकवास करने वाला कभी सफल नहीं होता

सम्धन का तकला चुभ चुभ जा, हाथ का लपका कभी न जा

इंसान को जब कोई बुरी आदत पड़ जाती है तो चाहे उस की वजह से कैसी ही ज़िल्लत या तकलीफ़ हो वो आदत कभी नहीं जाती. चोरी की आदी एक औरत ने अपनी समधिन के घर से चरखे का तकुला चुरा कर अपने नेफ़े में रख लिया, वो तकुला चुभ चुभ जाता था जिस से वो बेकल थी और बार बार कहती समधिन का तकुला चुभ चुभ जा. मेरे हाथ का लपका कभी ना जा

क़साई का बच्चा कभी न सच्चा जो सच्चा सो हरामी बच्चा

कसाई की बात का एतबार नहीं ये दोस्त को सब से बुरा माल देता है

नाई दाई , धोबी , बेद , क़साई उन का सू तक कभी न जाई

ये चारों हमेशा से कसीफ़ तबीयत होते हैं, ये चारों हमेशा नापाक रहते हैं

क़साई का बच्चा कभी न सच्चा जो सच्चा सो कच्चा

कसाई की बात का एतबार नहीं ये दोस्त को सब से बुरा माल देता है

क़साई का बच्चा कभी न सच्चा जो सच्चा सो हरामी कच्चा

कसाई की बात का एतबार नहीं ये दोस्त को सब से बुरा माल देता है

कभी धोई तिल्ली का तेल भी सर में डाला था

(शेखी ख़ोरे पर तंज़) दाया बहुत कुछ, हक़ीक़त कुछ नहीं

सम्धन का तकला चुभ चुभ जा, चोरी का लपका कभी न जा

इंसान को जब कोई बुरी आदत पड़ जाती है तो चाहे उस की वजह से कैसी ही ज़िल्लत या तकलीफ़ हो वो आदत कभी नहीं जाती. चोरी की आदी एक औरत ने अपनी समधिन के घर से चरखे का तकुला चुरा कर अपने नेफ़े में रख लिया, वो तकुला चुभ चुभ जाता था जिस से वो बेकल थी और बार बार कहती समधिन का तकुला चुभ चुभ जा. मेरे हाथ का लपका कभी ना जा

गूलर का फूल, पीपल का मद, घोड़ी की जुगाली, कभी न पावे और पावे तो रैन दिवाली

ये बातें ना मुम्किन हैं

जिस बहुअर की बहरी सास, उस का कभी न हो घर वास

जिस स्त्री की सास बहरी हो, वह कभी घर में नहीं रुकती

कभी की प्रतीत मर्रन की रीत

कीनावर की दोस्ती में मरने का ताज्जुब नहीं बल्कि रस्म है दोस्ती में जान भी देनी पड़ती है

कभी की प्रीत मर्रन की रीत

कीनावर की दोस्ती में मरने का ताज्जुब नहीं बल्कि रस्म है दोस्ती में जान भी देनी पड़ती है

कोई भी

whoever, whosoever

दही वाला अपने दही को कभी खट्टा नहीं कहता

अपनी चीज़ को कोई बुरा नहीं कहता

कमीन कभी कोंडे के इधर कभी उधर

कम हिम्मत कमीना खाने के गर्द रहता है

कच्चे बाँस को जिधर निवाओ नियो जाए और पक्का कभी टेढ़ा न हो

बच्चों को शुरू में जैसी शिक्षा दी जाती है वे वैसे ही अच्छे या बुरे बन जाते हैं क्योंकि उनकी बुद्धि कोमल होती है, बड़े होने पर सिखाने का कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ता

आप के लड़के भी कभी घुटनों के बल चलेंगे

आपको भी कभी बुद्धि आएगी

दही वाला अपनी दही को कभी खट्टा नहीं कहता

अपनी चीज़ को कोई बुरा नहीं कहता

दर्ज़ी की सूई कभी टाट में कभी ताश में

मनुष्य की हालत सामान्य नहीं रहती इस लिए तुच्छ दर्जे का काम करने में लज्जा नहीं करनी चाहीए

दर्ज़ी की सूई कभी ताश में कभी टाट में

मनुष्य की हालत सामान्य नहीं रहती इस लिए तुच्छ दर्जे का काम करने में लज्जा नहीं करनी चाहीए

जिस को ख़ुदा बचाए उस पर कभी न आफ़त आए

जिस की ईश्वर रक्षा करे उसे कोई हानि नहीं पहुँचा सकता

कभी कूँडे के उस पार कभी इस पार

सख़्त सस्ती और काहिली ज़ाहिर करने को कहते हैं कि एक ही दायरा में रहता है

गिरगिट की तरह कभी काला कभी लाल होना

चेहरे का रंग बदलना

कभी तो हमारे भी कोई थे

पुराना संबंध भुला दिया

दर्ज़ी की सूई कभी टाट में कभी कमख़्वाब में

मनुष्य की हालत सामान्य नहीं रहती इस लिए तुच्छ दर्जे का काम करने में लज्जा नहीं करनी चाहीए

कभी कूँडी के उस पार कभी इस पार

सख़्त सस्ती और काहिली ज़ाहिर करने को कहते हैं कि एक ही दायरा में रहता है, कम हिम्मत की सनबत बोलते हैं

कभी घूरे के दिन भी फिरते हैं

ज़माना बदलता रहता है, कभी ग़रीबों और कमज़ोरों का ज़माना भी बदल जाता है, उन के भी अच्छे दिन आ जाते हैं, ग़रीब और कमज़ोर हमेशा ग़रीब कमज़ोर नहीं रहते, बारह बरस में घूरे के भी दिन फिर जाते हैं

धन जोड़न के ध्यान में यूँही 'उम्र न खो, मोती बर्गे मोल के कभी न ठीकर हो

धन जमा करने के चक्कर में आयु नहीं बितानी चाहिए, ठीकरी मोती के समान नहीं हो सकती

कुत्ते की दुम कभी सीधी नहीं होती

रुक : कुत्ते की पूंछ कभी सीधी नहीं होती

कभी कुंडे के इस पार, कभी कुंडे के उस पार

सख़्त सस्ती और काहिली ज़ाहिर करने को कहते हैं कि एक ही दायरा में रहता है

कभी न पूजी द्वारका कभी न करवे चौत तू गधी कुम्हार की तुझे राम से कोत

ना तजुर्बा कार से काम दरुस्त नहीं होरा, औक़ात से ज़्यादा काम ना करना चाहिए

कभी न पूजी द्वारका कभी न करवा चौत तू गधी कुम्हार की तुझे राम से कोत

ना तजुर्बा कार से काम दरुस्त नहीं होरा, औक़ात से ज़्यादा काम ना करना चाहिए

ज़ुल्म की टहनी कभी फलती नहीं

अत्याचार का परिणाम अच्छा नहीं होता

कुत्ते की पूँछ कभी सीधी नहीं होती

स्वभाव पर संगति का प्रभाव नहीं होता, स्वभाव की विकृति या दुष्टता कभी दूर नहीं होती, लाख प्रयास के बावजूद जब कोई बदलाव न हो तो कहते हैं

लोहार की कूँची, कभी आग में कभी पानी में

सब से एक जैसा व्यवहार, कभी कष्ट होती है कभी राहत

लोहार की कूची, कभी आग में कभी पानी में

सब से एक जैसा व्यवहार, कभी कष्ट होती है कभी राहत

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में कभी घी घना, कभी मुट्ठी भर चना के अर्थदेखिए

कभी घी घना, कभी मुट्ठी भर चना

kabhii ghii ghanaa, kabhii muThii bhar chanaaکَبھی گِھی گَھنا، کَبھی مُٹّھی بَھر چَنا

कहावत

कभी घी घना, कभी मुट्ठी भर चना के हिंदी अर्थ

  • कभी ऐश, कभी कष्ट, कभी अमीर कभी ग़रीब, समय का परिवर्तन है

کَبھی گِھی گَھنا، کَبھی مُٹّھی بَھر چَنا کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu
  • کبھی عیش ، کبھی تکلیف ، کبھی امیر کبھی غریب ، زمانے کا انقلاب ہے .

Urdu meaning of kabhii ghii ghanaa, kabhii muThii bhar chanaa

  • Roman
  • Urdu

  • kabhii a.ish, kabhii takliif, kabhii amiir kabhii Gariib, zamaane ka inqilaab hai

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कभी का

किसी ज़माने या समय का, पहले का, अतीत का, किसी काल का, बहुत समय पहले का, एक लंबे समय से, बहुत देर से

कभी का दिन बड़ा कभी की रात बड़ी

۔مثل۔ زمانہ ایک حال پر نہیں رہتا۔ ؎

कभी का दिया काम आया

कभी कोई अच्छा काम किया था जिसके कारण बला टल गई

कभी के

(दिल्ली) कब के, अब से बहुत पहले, किसी ज़माने या समय का, पहले का

सय्यद का जना, कभी बिगड़ा कभी बना

सय्यद को मतोन उल-मिज़ाज तसो्वर कर के कहते हैं तंग मिज़ाज

कभी के दिन बड़े कभी की रातें

संसार एक हाल पर स्थिर नहीं, कभी उन्नति है कभी अवनति, ज़माना और हालात बदलते रहते हैं

नौकरी पेशा का घर क्या , कभी यहाँ कभी वहाँ

नौकरी पेशा का तबादला अक्सर एक जगह से दूसरी जगह होता रहता है इस लिए वो कहीं घर नहीं बना सकता, इस का घर आरिज़ी होता है

अल्लाह का दिया नूर कभी न होवे दूर

बालों की सफेदी ख़िज़ाब के बावजूद झलकती रहती है

ख़ुदा का दिया नूर, कभी न होए दूर

(प्राकृतिक सुंदरता को सौंदर्यीकरण की आवश्यकता नहीं) ईश्वर जो देता है वह हमेशा क़ायम रहता है

सख़ी का ख़ज़ाना कभी ख़ाली नहीं होता

उदार व्यक्ति के पास हमेशा रुपया रहता है

लारा लेरी का बार, कभी न उतरे पार

बहाना-बाज़ एवं बकवास करने वाला कभी सफल नहीं होता

सम्धन का तकवा चुभ चुभ जा, हाथ का लपका कभी न जा

इंसान को जब कोई बुरी आदत पड़ जाती है तो चाहे उस की वजह से कैसी ही ज़िल्लत या तकलीफ़ हो वो आदत कभी नहीं जाती. चोरी की आदी एक औरत ने अपनी समधिन के घर से चरखे का तकुला चुरा कर अपने नेफ़े में रख लिया, वो तकुला चुभ चुभ जाता था जिस से वो बेकल थी और बार बार कहती समधिन का तकुला चुभ चुभ जा. मेरे हाथ का लपका कभी ना जा

जुम'आ छोड़ सनीचर नहाए उस का सनीचर कभी न जाए

मुस्लमान प्रायः शुक्रवार को ज़रूर स्नान करते और कपड़े बदलते हैं

साँप का सर भी कभी काम आता है

कोई चीज़ ज़ाए नहीं करनी चाहिए . कभी ना कभी काम आजाती है, दाश्ता आबिद बिकार, गरचा बूद सर मार

लारा लबेरी का यार, कभी न उतरा पार

बहाना-बाज़ एवं बकवास करने वाला कभी सफल नहीं होता

लारा लेरी का यार, कभी न उतरा पार

बहाना-बाज़ एवं बकवास करने वाला कभी सफल नहीं होता

सम्धन का तकला चुभ चुभ जा, हाथ का लपका कभी न जा

इंसान को जब कोई बुरी आदत पड़ जाती है तो चाहे उस की वजह से कैसी ही ज़िल्लत या तकलीफ़ हो वो आदत कभी नहीं जाती. चोरी की आदी एक औरत ने अपनी समधिन के घर से चरखे का तकुला चुरा कर अपने नेफ़े में रख लिया, वो तकुला चुभ चुभ जाता था जिस से वो बेकल थी और बार बार कहती समधिन का तकुला चुभ चुभ जा. मेरे हाथ का लपका कभी ना जा

क़साई का बच्चा कभी न सच्चा जो सच्चा सो हरामी बच्चा

कसाई की बात का एतबार नहीं ये दोस्त को सब से बुरा माल देता है

नाई दाई , धोबी , बेद , क़साई उन का सू तक कभी न जाई

ये चारों हमेशा से कसीफ़ तबीयत होते हैं, ये चारों हमेशा नापाक रहते हैं

क़साई का बच्चा कभी न सच्चा जो सच्चा सो कच्चा

कसाई की बात का एतबार नहीं ये दोस्त को सब से बुरा माल देता है

क़साई का बच्चा कभी न सच्चा जो सच्चा सो हरामी कच्चा

कसाई की बात का एतबार नहीं ये दोस्त को सब से बुरा माल देता है

कभी धोई तिल्ली का तेल भी सर में डाला था

(शेखी ख़ोरे पर तंज़) दाया बहुत कुछ, हक़ीक़त कुछ नहीं

सम्धन का तकला चुभ चुभ जा, चोरी का लपका कभी न जा

इंसान को जब कोई बुरी आदत पड़ जाती है तो चाहे उस की वजह से कैसी ही ज़िल्लत या तकलीफ़ हो वो आदत कभी नहीं जाती. चोरी की आदी एक औरत ने अपनी समधिन के घर से चरखे का तकुला चुरा कर अपने नेफ़े में रख लिया, वो तकुला चुभ चुभ जाता था जिस से वो बेकल थी और बार बार कहती समधिन का तकुला चुभ चुभ जा. मेरे हाथ का लपका कभी ना जा

गूलर का फूल, पीपल का मद, घोड़ी की जुगाली, कभी न पावे और पावे तो रैन दिवाली

ये बातें ना मुम्किन हैं

जिस बहुअर की बहरी सास, उस का कभी न हो घर वास

जिस स्त्री की सास बहरी हो, वह कभी घर में नहीं रुकती

कभी की प्रतीत मर्रन की रीत

कीनावर की दोस्ती में मरने का ताज्जुब नहीं बल्कि रस्म है दोस्ती में जान भी देनी पड़ती है

कभी की प्रीत मर्रन की रीत

कीनावर की दोस्ती में मरने का ताज्जुब नहीं बल्कि रस्म है दोस्ती में जान भी देनी पड़ती है

कोई भी

whoever, whosoever

दही वाला अपने दही को कभी खट्टा नहीं कहता

अपनी चीज़ को कोई बुरा नहीं कहता

कमीन कभी कोंडे के इधर कभी उधर

कम हिम्मत कमीना खाने के गर्द रहता है

कच्चे बाँस को जिधर निवाओ नियो जाए और पक्का कभी टेढ़ा न हो

बच्चों को शुरू में जैसी शिक्षा दी जाती है वे वैसे ही अच्छे या बुरे बन जाते हैं क्योंकि उनकी बुद्धि कोमल होती है, बड़े होने पर सिखाने का कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ता

आप के लड़के भी कभी घुटनों के बल चलेंगे

आपको भी कभी बुद्धि आएगी

दही वाला अपनी दही को कभी खट्टा नहीं कहता

अपनी चीज़ को कोई बुरा नहीं कहता

दर्ज़ी की सूई कभी टाट में कभी ताश में

मनुष्य की हालत सामान्य नहीं रहती इस लिए तुच्छ दर्जे का काम करने में लज्जा नहीं करनी चाहीए

दर्ज़ी की सूई कभी ताश में कभी टाट में

मनुष्य की हालत सामान्य नहीं रहती इस लिए तुच्छ दर्जे का काम करने में लज्जा नहीं करनी चाहीए

जिस को ख़ुदा बचाए उस पर कभी न आफ़त आए

जिस की ईश्वर रक्षा करे उसे कोई हानि नहीं पहुँचा सकता

कभी कूँडे के उस पार कभी इस पार

सख़्त सस्ती और काहिली ज़ाहिर करने को कहते हैं कि एक ही दायरा में रहता है

गिरगिट की तरह कभी काला कभी लाल होना

चेहरे का रंग बदलना

कभी तो हमारे भी कोई थे

पुराना संबंध भुला दिया

दर्ज़ी की सूई कभी टाट में कभी कमख़्वाब में

मनुष्य की हालत सामान्य नहीं रहती इस लिए तुच्छ दर्जे का काम करने में लज्जा नहीं करनी चाहीए

कभी कूँडी के उस पार कभी इस पार

सख़्त सस्ती और काहिली ज़ाहिर करने को कहते हैं कि एक ही दायरा में रहता है, कम हिम्मत की सनबत बोलते हैं

कभी घूरे के दिन भी फिरते हैं

ज़माना बदलता रहता है, कभी ग़रीबों और कमज़ोरों का ज़माना भी बदल जाता है, उन के भी अच्छे दिन आ जाते हैं, ग़रीब और कमज़ोर हमेशा ग़रीब कमज़ोर नहीं रहते, बारह बरस में घूरे के भी दिन फिर जाते हैं

धन जोड़न के ध्यान में यूँही 'उम्र न खो, मोती बर्गे मोल के कभी न ठीकर हो

धन जमा करने के चक्कर में आयु नहीं बितानी चाहिए, ठीकरी मोती के समान नहीं हो सकती

कुत्ते की दुम कभी सीधी नहीं होती

रुक : कुत्ते की पूंछ कभी सीधी नहीं होती

कभी कुंडे के इस पार, कभी कुंडे के उस पार

सख़्त सस्ती और काहिली ज़ाहिर करने को कहते हैं कि एक ही दायरा में रहता है

कभी न पूजी द्वारका कभी न करवे चौत तू गधी कुम्हार की तुझे राम से कोत

ना तजुर्बा कार से काम दरुस्त नहीं होरा, औक़ात से ज़्यादा काम ना करना चाहिए

कभी न पूजी द्वारका कभी न करवा चौत तू गधी कुम्हार की तुझे राम से कोत

ना तजुर्बा कार से काम दरुस्त नहीं होरा, औक़ात से ज़्यादा काम ना करना चाहिए

ज़ुल्म की टहनी कभी फलती नहीं

अत्याचार का परिणाम अच्छा नहीं होता

कुत्ते की पूँछ कभी सीधी नहीं होती

स्वभाव पर संगति का प्रभाव नहीं होता, स्वभाव की विकृति या दुष्टता कभी दूर नहीं होती, लाख प्रयास के बावजूद जब कोई बदलाव न हो तो कहते हैं

लोहार की कूँची, कभी आग में कभी पानी में

सब से एक जैसा व्यवहार, कभी कष्ट होती है कभी राहत

लोहार की कूची, कभी आग में कभी पानी में

सब से एक जैसा व्यवहार, कभी कष्ट होती है कभी राहत

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