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करें नानी भरें नवासी

ग़लती कोई करे, पकड़ा कोई जाए

करें कल्लू, भरें लल्लू

करे कोई पकड़ा कोई जाए, करे कोई दण्ड कोई भोगे

करें कल्लू, भरे लल्लू

करे कोई पकड़ा कोई जाए, करे कोई दण्ड कोई भोगे

क्या करें

कैसे करें, नहीं कर सकते, मजबूरी है

हुआ करें

कुछ पर्वा नहीं, बला से, हमें क्या, बेनियाज़ी या बेपर्वाई या बेज़ारी ज़ाहिर करने के लिए

नियाव करें

इंसाफ़ से कहो, अदल करो

आराम करें

भेंट या बात-चीत समाप्त करने एवं जाने की इच्छा का एक सभ्य वर्णन, पर्यायवाची: अब तशरीफ़ ले जाईए, अधिक परेशानी गवारा न कीजिए

काैवे कोसा करें खेत पक्का करें

۔मिसल। जब कोई शख़्स किसी को नाहक़ बददुआ दे इस महल पर बोलते हैं यानी नाहक़ की बददुआ का कुछ असर नहीं

थोड़ा करें ग़ाज़ी मियाँ , बहुत करें दफ़ाली

तारीफ़ करने वाले बेबुनियाद शौहरत देते हैं, ख़ुशामदी बढ़ चढ़ कर बातें बनाते और झूटी तारीफ़ें करते हैं, पैरों से बढ़ कर मुरीद चालाक होते हैं

क्या हाल करें

कैसा सुलूक करूं, किस तरह पेश आऊं , कैसी दुरगत बनाऊं

दाम करें काम

रुपये से हर काम निकल आता है

कहें कुछ करें कुछ

उनकी बात का भरोसा नहीं कहते कुछ हैं और करते कुछ हैं, अविश्वसनीय आदमी है

इन के दुश्मन चोरी करें

may his enemies steal! (i.e. he is never to steal)

गूड़ खाएँ पुवे में छेद करें

रुक : गौड़ खाईं गुलगुलों से परहेज़

शिकारी शिकार करें अहमक़ साथ फिरें

इस के मुताल्लिक़ कहते हैं जो दूसरों के साथ ख़्वाहमख़्वाह मारा मारा फिरता है, जब काम वाले लोगों के साथ बेकार लोग अपना वक़्त ख़राब करने के लिए साथ हो लेते हैं तो ऐसे मौक़ा पर बोलते हैं

शिकारी शिकार करें चूतिया साथ फिरें

इस के मुताल्लिक़ कहते हैं जो दूसरों के साथ ख़्वाहमख़्वाह मारा मारा फिरता है, जब काम वाले लोगों के साथ बेकार लोग अपना वक़्त ख़राब करने के लिए साथ हो लेते हैं तो ऐसे मौक़ा पर बोलते हैं

घर नहीं अनाज, बालक करें राज

निर्धनता में भी बड़ी बड़ी इच्छाएँ करना

दामन निचोड़ दें तो फ़रिश्ते वुज़ू करें

ख़्वाजा मीर दर्द की एक ग़ज़ल क मशहूर मिस्रा या एक पंकति, स्वयं को बहुत पूनीत, सज्जन और प्रतिष्ठित दिखाने के अवसर पर अतिश्योक्ति के रूप में बोलते हैं

गाँठ में दाम तो सब करें सलाम

पैसा पास हो तो सब इज़्ज़त करते हैं

मूसल करें जहाँ सींक न समाए

कमाल मुबालग़ा करने के मौक़ा पर मुस्तामल (जहां सोई ना समाय वहां मोसुल घुसेड़ दें)

आप रहें उत्तर काम करें पच्छिम

लापरवाह व्यक्ति

या तो हँसा मोती चुगें या करें उपास

या तो नक़द माल उड़ाईं नहीं तो रोज़ा रखें / फ़ाक़ा करें

घर में अनाज नहीं मुल्क का करें राज

पास कुछ नहीं, बड़ाई बहुत

जिस बर्तन में खाएँ उसी में छेद करें

जिस से लाभ प्राप्त हो उसी को हानि पहुँचाना, जिस पर आश्रित रहे उसी का बुरा चाहना

जिस हाँडी में खाएँ उसी में छेद करें

जिस से लाभ प्राप्त हो उसी को हानि पहुँचाना, जिस पर आश्रित रहे उसी का बुरा चाहना

घर में नहीं अनाज, मुल्क का करें राज

निर्धनता में भी बड़ी बड़ी इच्छाएँ करना

पीर आप दर-माँदा हैं, शफ़ा'अत किस की करें

जो स्वयं आश्रित हो वो किस के काम आएगा

ये वो फ़क़ीर नहीं जो खा कर दु'आ करें

यह बड़े अकृतज्ञय व्यक्ति हैं किसी का उपकार नहीं मानते

जिस पत्तल में खाएँ उसी में छेद करें

जिस से लाभ प्राप्त हो उसी को हानि पहुँचाना, जिस पर आश्रित रहे उसी का बुरा चाहना

कोई काम करे दाम से, हम दाम करें काम से

कोई रुपय से रुपया कमाता है, हम काम कर के कमाते हैं

सब से भले मूसल चंद , करें न खेती भरे न डंड

चोर और क़ज़्ज़ाक़ सब से अच्छे, ना कोई काम करते हैं ना महसूल देते हैं , तंज़न मुस्तामल

शाम के मुर्दे को कहाँ तक रोए शेवन करें

हिंदू अपने मर्दे को शाम को आग नहीं देते, सुबह चलाते हैं

शाम के मुर्दे का कब तक रोए शेवन करें

हिंदू अपने मर्दे को शाम को आग नहीं देते, सुबह चलाते हैं

शाम के मुर्दे को कब तक रोए शेवन करें

उम्र भर के झगड़े की कहाँ तक शिकायत की जाये

पढ़े भी मरें , बिन पढ़े भी मरें , दाँता किलकिल क्यों करें

आख़िर सब को मौत है फिर मशक़्क़त क्यों करें या इस काम से रस्तगारी नहीं तो तदबीर ही किया

मापा कन्नया और पटवारी, भेंट लिए बिन करें न यारी

खेत नापने वाला क़ानूनगो और पटवारी बिना रिश्वत लिए काम नहीं करते

बंजी और बटाउना सुख पावें जिस गाम, वा को तो चौखूंट में करें नेक सरनाम

सौदागर अर्थात व्यापारी और मुसाफ़िर जिस किसी से लाभ उठाएँ उसे सारे मुल्क में सुप्रसिद्ध कर देते हैं

भट भटयारी बेसवा तीनों जात कुजात आते का आदर करें जात न पूछें बात

ये (भट्ट, भटियारी, बेसवा) सब अपने स्वार्थ के यार होते हैं, ये तीनों स्वार्थी होते हैं

सार सरावत न करें ब्याह काज के बीच इसमें धन को यूँ समझ जैसा कंकर-कीच

ब्राह्मणों का कहना है कि विवाह के अवसर पर मितव्ययिता नहीं करनी चाहिए, धन-संपत्ति को महत्व नहीं देना चाहिए

रोटी ही के कार ने दर दर माँगें भीक , रोटी ही के वास्ते करें कार सब ठीक

रोटी की ख़ातिर भीक मांगते फिरते हैं और रोटी ही के लिए नौकरी करते हैं

साईं अखियाँ फेरियाँ बैरी मुल्क जहान, टुक इक झाँकी महर दी लक्खाँ करें सलाम

ईश्वर नाराज़ हो तो सारा संसार नाराज़ हो जाता है और यदि मेहरबानी की एक नज़र कर ले तो लाखों सलाम करते हैं

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में जिस हाँडी में खाएँ उसी में छेद करें के अर्थदेखिए

जिस हाँडी में खाएँ उसी में छेद करें

jis haa.nDii me.n khaa.e.n usii me.n chhed kare.nجس ہانڈی میں کھائیں اُسی میں چھید کریں

अथवा : जिस बर्तन में खाएँ उसी में छेद करें, जिस पत्तल में खाएँ उसी में छेद करें

कहावत, कहावत, कहावत

जिस हाँडी में खाएँ उसी में छेद करें के हिंदी अर्थ

  • जिस से लाभ प्राप्त हो उसी को हानि पहुँचाना, जिस पर आश्रित रहे उसी का बुरा चाहना
  • किसी वस्तु से लाभ होने पर भी जब कोई व्यक्ति उसे मूर्खतावश नष्ट कर देना चाहता हो तो उस के प्रति कहते हैं
  • नमक हराम के लिए भी बोलते हैं

    विशेष हाँडी की जगह बर्तन या पत्तल भी बोलते हैं।

English meaning of jis haa.nDii me.n khaa.e.n usii me.n chhed kare.n

  • to bite the hand that feeds one, an ungrateful person harms his benefactor

جس ہانڈی میں کھائیں اُسی میں چھید کریں کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu
  • جس سے فائدہ حاصل کرے اسی کو نقصان پہنچائے، جس پر منحصر ہو اسی کا بُرا چاہنا
  • کسی چیز سے فائدہ ہونے کے باوجود کوئی شخص اپنی بے وقوفی کے چلتے اُس کو برباد کر دینا چاہتا ہو تو اس کے متعلق کہتے ہیں
  • محسن کش، نمک حرام کی نسبت بولتے ہیں

    مثال ہانڈی کی جگہ برتن یا پَتَّل بھی بولتے ہیں

Urdu meaning of jis haa.nDii me.n khaa.e.n usii me.n chhed kare.n

  • Roman
  • Urdu

  • jis se faaydaa haasil kare usii ko nuqsaan pahunchaa.e, jis par munhasir ho usii ka buraa chaahnaa
  • kisii chiiz se faaydaa hone ke baavjuud ko.ii shaKhs apnii bevaquufii ke chalte us ko barbaad kar denaa chaahtaa ho to is ke mutaalliq kahte hai.n
  • muhsinkush, namak haraam kii nisbat bolte hai.n

खोजे गए शब्द से संबंधित

करें नानी भरें नवासी

ग़लती कोई करे, पकड़ा कोई जाए

करें कल्लू, भरें लल्लू

करे कोई पकड़ा कोई जाए, करे कोई दण्ड कोई भोगे

करें कल्लू, भरे लल्लू

करे कोई पकड़ा कोई जाए, करे कोई दण्ड कोई भोगे

क्या करें

कैसे करें, नहीं कर सकते, मजबूरी है

हुआ करें

कुछ पर्वा नहीं, बला से, हमें क्या, बेनियाज़ी या बेपर्वाई या बेज़ारी ज़ाहिर करने के लिए

नियाव करें

इंसाफ़ से कहो, अदल करो

आराम करें

भेंट या बात-चीत समाप्त करने एवं जाने की इच्छा का एक सभ्य वर्णन, पर्यायवाची: अब तशरीफ़ ले जाईए, अधिक परेशानी गवारा न कीजिए

काैवे कोसा करें खेत पक्का करें

۔मिसल। जब कोई शख़्स किसी को नाहक़ बददुआ दे इस महल पर बोलते हैं यानी नाहक़ की बददुआ का कुछ असर नहीं

थोड़ा करें ग़ाज़ी मियाँ , बहुत करें दफ़ाली

तारीफ़ करने वाले बेबुनियाद शौहरत देते हैं, ख़ुशामदी बढ़ चढ़ कर बातें बनाते और झूटी तारीफ़ें करते हैं, पैरों से बढ़ कर मुरीद चालाक होते हैं

क्या हाल करें

कैसा सुलूक करूं, किस तरह पेश आऊं , कैसी दुरगत बनाऊं

दाम करें काम

रुपये से हर काम निकल आता है

कहें कुछ करें कुछ

उनकी बात का भरोसा नहीं कहते कुछ हैं और करते कुछ हैं, अविश्वसनीय आदमी है

इन के दुश्मन चोरी करें

may his enemies steal! (i.e. he is never to steal)

गूड़ खाएँ पुवे में छेद करें

रुक : गौड़ खाईं गुलगुलों से परहेज़

शिकारी शिकार करें अहमक़ साथ फिरें

इस के मुताल्लिक़ कहते हैं जो दूसरों के साथ ख़्वाहमख़्वाह मारा मारा फिरता है, जब काम वाले लोगों के साथ बेकार लोग अपना वक़्त ख़राब करने के लिए साथ हो लेते हैं तो ऐसे मौक़ा पर बोलते हैं

शिकारी शिकार करें चूतिया साथ फिरें

इस के मुताल्लिक़ कहते हैं जो दूसरों के साथ ख़्वाहमख़्वाह मारा मारा फिरता है, जब काम वाले लोगों के साथ बेकार लोग अपना वक़्त ख़राब करने के लिए साथ हो लेते हैं तो ऐसे मौक़ा पर बोलते हैं

घर नहीं अनाज, बालक करें राज

निर्धनता में भी बड़ी बड़ी इच्छाएँ करना

दामन निचोड़ दें तो फ़रिश्ते वुज़ू करें

ख़्वाजा मीर दर्द की एक ग़ज़ल क मशहूर मिस्रा या एक पंकति, स्वयं को बहुत पूनीत, सज्जन और प्रतिष्ठित दिखाने के अवसर पर अतिश्योक्ति के रूप में बोलते हैं

गाँठ में दाम तो सब करें सलाम

पैसा पास हो तो सब इज़्ज़त करते हैं

मूसल करें जहाँ सींक न समाए

कमाल मुबालग़ा करने के मौक़ा पर मुस्तामल (जहां सोई ना समाय वहां मोसुल घुसेड़ दें)

आप रहें उत्तर काम करें पच्छिम

लापरवाह व्यक्ति

या तो हँसा मोती चुगें या करें उपास

या तो नक़द माल उड़ाईं नहीं तो रोज़ा रखें / फ़ाक़ा करें

घर में अनाज नहीं मुल्क का करें राज

पास कुछ नहीं, बड़ाई बहुत

जिस बर्तन में खाएँ उसी में छेद करें

जिस से लाभ प्राप्त हो उसी को हानि पहुँचाना, जिस पर आश्रित रहे उसी का बुरा चाहना

जिस हाँडी में खाएँ उसी में छेद करें

जिस से लाभ प्राप्त हो उसी को हानि पहुँचाना, जिस पर आश्रित रहे उसी का बुरा चाहना

घर में नहीं अनाज, मुल्क का करें राज

निर्धनता में भी बड़ी बड़ी इच्छाएँ करना

पीर आप दर-माँदा हैं, शफ़ा'अत किस की करें

जो स्वयं आश्रित हो वो किस के काम आएगा

ये वो फ़क़ीर नहीं जो खा कर दु'आ करें

यह बड़े अकृतज्ञय व्यक्ति हैं किसी का उपकार नहीं मानते

जिस पत्तल में खाएँ उसी में छेद करें

जिस से लाभ प्राप्त हो उसी को हानि पहुँचाना, जिस पर आश्रित रहे उसी का बुरा चाहना

कोई काम करे दाम से, हम दाम करें काम से

कोई रुपय से रुपया कमाता है, हम काम कर के कमाते हैं

सब से भले मूसल चंद , करें न खेती भरे न डंड

चोर और क़ज़्ज़ाक़ सब से अच्छे, ना कोई काम करते हैं ना महसूल देते हैं , तंज़न मुस्तामल

शाम के मुर्दे को कहाँ तक रोए शेवन करें

हिंदू अपने मर्दे को शाम को आग नहीं देते, सुबह चलाते हैं

शाम के मुर्दे का कब तक रोए शेवन करें

हिंदू अपने मर्दे को शाम को आग नहीं देते, सुबह चलाते हैं

शाम के मुर्दे को कब तक रोए शेवन करें

उम्र भर के झगड़े की कहाँ तक शिकायत की जाये

पढ़े भी मरें , बिन पढ़े भी मरें , दाँता किलकिल क्यों करें

आख़िर सब को मौत है फिर मशक़्क़त क्यों करें या इस काम से रस्तगारी नहीं तो तदबीर ही किया

मापा कन्नया और पटवारी, भेंट लिए बिन करें न यारी

खेत नापने वाला क़ानूनगो और पटवारी बिना रिश्वत लिए काम नहीं करते

बंजी और बटाउना सुख पावें जिस गाम, वा को तो चौखूंट में करें नेक सरनाम

सौदागर अर्थात व्यापारी और मुसाफ़िर जिस किसी से लाभ उठाएँ उसे सारे मुल्क में सुप्रसिद्ध कर देते हैं

भट भटयारी बेसवा तीनों जात कुजात आते का आदर करें जात न पूछें बात

ये (भट्ट, भटियारी, बेसवा) सब अपने स्वार्थ के यार होते हैं, ये तीनों स्वार्थी होते हैं

सार सरावत न करें ब्याह काज के बीच इसमें धन को यूँ समझ जैसा कंकर-कीच

ब्राह्मणों का कहना है कि विवाह के अवसर पर मितव्ययिता नहीं करनी चाहिए, धन-संपत्ति को महत्व नहीं देना चाहिए

रोटी ही के कार ने दर दर माँगें भीक , रोटी ही के वास्ते करें कार सब ठीक

रोटी की ख़ातिर भीक मांगते फिरते हैं और रोटी ही के लिए नौकरी करते हैं

साईं अखियाँ फेरियाँ बैरी मुल्क जहान, टुक इक झाँकी महर दी लक्खाँ करें सलाम

ईश्वर नाराज़ हो तो सारा संसार नाराज़ हो जाता है और यदि मेहरबानी की एक नज़र कर ले तो लाखों सलाम करते हैं

संदर्भग्रंथ सूची: रेख़्ता डिक्शनरी में उपयोग किये गये स्रोतों की सूची देखें .

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