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इत्तिफ़ाक़ ही में क़ुव्वत है

सहमति हो तो कोई मुक़ाबला नहीं कर सकता

कायथ और कश्मीरी में बड़ा इत्तिफ़ाक़ है

दोनों संप्रादायों में एकरूपता है

ज़ात की बेटी ज़ात ही में जाती है

कुलीन का रिश्ता कुलीन में ही होता है, कुलीन का विवाह कुलीन के साथ ही होता है

फ़क़ीर अपनी कमली ही में मस्त है

ग़रीब थोड़े ही सामान में खुश है (संतोषजनक स्थिति पर कहते हैं)

फूल टहनी ही में ठीक रहता है

हर चीज़ अपनी असली जगह में ही ठीक मालूम होती है

सारे डील में ज़बान ही हलाल है

मनुष्य को अपनी बातों की लाज रखनी चाहिए

कुल्हिया में गुड़ थोड़ा ही फूटता है

बुरा काम छुप कर नहीं हो सकता, भेद छुप नहीं सकता

फूल टहनी ही में अच्छा लगता है

हर वस्तु अपने वास्तविक स्थान में ही ठीक प्रतीत होती है अर्थात हर वस्तु अपने स्थान पर ही शोभा देती है

जग में देखत ही का नाता है

मेल-जोल से संबंध बढ़ते हैं

दो ही बात में हार जीत है

बहुत जल्द निर्णय होता है, जल्द इधर या उधर हो कर रहता है

मेले में झमेला हुआ ही करता है

जहाँ लोग इकट्ठा होते हैं वहाँ कभी कभी बहस हो ही जाती है

फूल बाग़ ही में ख़ूब खिलता है

रुक : फूल अपने ही बाग़ अलख

मियान में से निकले ही पड़े है

बहुत उग्र स्वभाव है, बहुत तेज़ मिज़ाज है, बात बात पर लड़ता है

घोड़ा घुड़साल ही में क़ीमत पाता है

हर चीज़ की क़द्र या क़ीमत उस की निर्धारित जगह पर ही होती है

सारी फ़ौज में ऐक ही सूरमा होता है

सब एक जैसे नहीं होते, बहुत लोगों में कोई एक बहुत अच् होता है

फूल अपने ही बाग़ में ख़ुब खिलता है

प्रसन्नता और प्रसन्न हृदय अपने ही समलैंगिकों से ख़ूब है

कोल्हू के बैल को घर ही में है

ग़रीब मज़दूर को घर में मुसीबत रहती और नसीब की गर्दिश से ग़रीब हीराब-ओ-सरगरदां रहता है, मुसीबत के मारे को घर में भी आराम नहीं मिलता

मोरी का कीड़ा मोरी ही में ख़ुश रहता है

جو بُری جگہ یا صحبت میں رہنے کا عادی ہوجائے اس کا جی دوسری جگہ نہیں لگتا (رک : گو کا کیڑا گو میں خوش رہتا ہے) ۔

मुफ़्त की दा'वत में फ़क़त रोटी ही गोश्त है

मुफ़्त की साधारण वस्तु भी अच्छी होती है

गू का कीड़ा गू ही में ख़ुश रहता है

जो आदमी जैसी संगत में पला होता है वैसी ही संगत उस को भली मालूम होती है

वो पानी में पहुँचने से पहले ही कपड़े उतार लेता है

(पश्तो कहावत उर्दू में प्रयुक्त)बुद्धिमान व्यक्ति, सतर्क व्यक्ति के बारे में कहा जाता है

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में इत्तिफ़ाक़ ही में क़ुव्वत है के अर्थदेखिए

इत्तिफ़ाक़ ही में क़ुव्वत है

ittifaaq hii me.n quvvat haiاَتِّفاق ہی میں قُوَّتْ ہے

वाक्य

इत्तिफ़ाक़ ही में क़ुव्वत है के हिंदी अर्थ

  • सहमति हो तो कोई मुक़ाबला नहीं कर सकता

اَتِّفاق ہی میں قُوَّتْ ہے کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu
  • اتفاق ہو تو کوئی مقابلہ نہیں کرسکتا

Urdu meaning of ittifaaq hii me.n quvvat hai

  • Roman
  • Urdu

  • ittifaaq ho to ko.ii muqaabala nahii.n karasaktaa

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इत्तिफ़ाक़ ही में क़ुव्वत है

सहमति हो तो कोई मुक़ाबला नहीं कर सकता

कायथ और कश्मीरी में बड़ा इत्तिफ़ाक़ है

दोनों संप्रादायों में एकरूपता है

ज़ात की बेटी ज़ात ही में जाती है

कुलीन का रिश्ता कुलीन में ही होता है, कुलीन का विवाह कुलीन के साथ ही होता है

फ़क़ीर अपनी कमली ही में मस्त है

ग़रीब थोड़े ही सामान में खुश है (संतोषजनक स्थिति पर कहते हैं)

फूल टहनी ही में ठीक रहता है

हर चीज़ अपनी असली जगह में ही ठीक मालूम होती है

सारे डील में ज़बान ही हलाल है

मनुष्य को अपनी बातों की लाज रखनी चाहिए

कुल्हिया में गुड़ थोड़ा ही फूटता है

बुरा काम छुप कर नहीं हो सकता, भेद छुप नहीं सकता

फूल टहनी ही में अच्छा लगता है

हर वस्तु अपने वास्तविक स्थान में ही ठीक प्रतीत होती है अर्थात हर वस्तु अपने स्थान पर ही शोभा देती है

जग में देखत ही का नाता है

मेल-जोल से संबंध बढ़ते हैं

दो ही बात में हार जीत है

बहुत जल्द निर्णय होता है, जल्द इधर या उधर हो कर रहता है

मेले में झमेला हुआ ही करता है

जहाँ लोग इकट्ठा होते हैं वहाँ कभी कभी बहस हो ही जाती है

फूल बाग़ ही में ख़ूब खिलता है

रुक : फूल अपने ही बाग़ अलख

मियान में से निकले ही पड़े है

बहुत उग्र स्वभाव है, बहुत तेज़ मिज़ाज है, बात बात पर लड़ता है

घोड़ा घुड़साल ही में क़ीमत पाता है

हर चीज़ की क़द्र या क़ीमत उस की निर्धारित जगह पर ही होती है

सारी फ़ौज में ऐक ही सूरमा होता है

सब एक जैसे नहीं होते, बहुत लोगों में कोई एक बहुत अच् होता है

फूल अपने ही बाग़ में ख़ुब खिलता है

प्रसन्नता और प्रसन्न हृदय अपने ही समलैंगिकों से ख़ूब है

कोल्हू के बैल को घर ही में है

ग़रीब मज़दूर को घर में मुसीबत रहती और नसीब की गर्दिश से ग़रीब हीराब-ओ-सरगरदां रहता है, मुसीबत के मारे को घर में भी आराम नहीं मिलता

मोरी का कीड़ा मोरी ही में ख़ुश रहता है

جو بُری جگہ یا صحبت میں رہنے کا عادی ہوجائے اس کا جی دوسری جگہ نہیں لگتا (رک : گو کا کیڑا گو میں خوش رہتا ہے) ۔

मुफ़्त की दा'वत में फ़क़त रोटी ही गोश्त है

मुफ़्त की साधारण वस्तु भी अच्छी होती है

गू का कीड़ा गू ही में ख़ुश रहता है

जो आदमी जैसी संगत में पला होता है वैसी ही संगत उस को भली मालूम होती है

वो पानी में पहुँचने से पहले ही कपड़े उतार लेता है

(पश्तो कहावत उर्दू में प्रयुक्त)बुद्धिमान व्यक्ति, सतर्क व्यक्ति के बारे में कहा जाता है

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