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हाज़िर को हुज्जत नहीं ग़ैर की तलाश नहीं

जो मौजूद है लीजिए या जो मिले उस को ग़नीमत समझना चाहिए

हाज़िर में हुज्जत नहीं ग़ैर की तलाश नहीं

जो मौजूद है इस के देने में इनकार नहीं, नज़र है, जो चीज़ मौजूद नहीं उसे ला कर देने का इक़रार नहीं

हाज़िर में हुज्जत नहीं ग़ैर हाज़िर की तलाश नहीं

हाज़िर में हुज्जत नहीं ग़ाइब की तलाश नहीं

जो मौजूद है इस के देने में इनकार नहीं, नज़र है, जो चीज़ मौजूद नहीं उसे ला कर देने का इक़रार नहीं

हाज़िर को हुज्जत नहीं

हाज़िर में हुज्जत नहीं

जो उपलब्ध है उसे देने में कोई आपत्ति नहीं, जो प्राप्त है उसे देने के लिए तैयार हैं

किसी की किसी को ख़बर नहीं

किसी गिरोह या जमात पर बेहोशी और ग़फ़लत का आलम तारी होने पर बोलते हैं

किसी को किसी की ख़बर नहीं

۔बेहोशी और ग़फ़लत का आलम किसी जमात में होने की जगह।

संदल की लकड़ी को नहीं जलाते

हुनरमंद को तकलीफ़ नहीं देते , अच्छी चीज़ को ज़ाए नहीं करते

जिस को गेहों की नहीं , वो चने ही की से राज़ी

जैसे अच्छी चीज़ नहीं मिल सकती वो बरी पर ही गुज़ारा कर लेता है

सूँघने को नहीं

बिलकुल नहीं, नाम को भी नहीं , किसी चीज़ के बिलकुल ख़त्म हो जाने के मौक़ा पर बोलते हैं

पेट को टिकिया नहीं , सोने को खटिया नहीं

रुक : पेट को टुकड़ा ना तन को चीथड़ा

साँच को आँच नहीं

मियाँ घर नहीं, बीवी को डर नहीं

ख़ावंद घर मौजूद ना हो और बीवी खुल खेले तो कहा जाता है

जिस की आँख नहीं उस की साख नहीं

जिस को तजुर्बा और हया नहीं उस की बात का एतबार नहीं

भूका को दे नहीं सकते , रजे को देख नहीं सकते

हासिद की निसबत बोलते हैं

सोहे की रीत नहीं की तौफ़ीक़ नहीं

बहुत ग़रीब है जब कोई शख़्स किसी तक़रीब के पूओरा करने की हैसियत ना रखता हो इस के मुताल्लिक़ कहते हैं. वज़ा का लिहाज़ मगर हैसियत के मुताबिक़ काम करने की इस्तिताअत नहीं

रूठे को मनाए नहीं , फटे को सिलाए नहीं तो काम कैसे चले

रूओठे को मनाना और फटे को सुलाना चाहीए वर्ना दुनिया में गुज़ारा नहीं

आँख में लगाने को नहीं

(ये चीज़) इतनी भी नहीं कि आंख में सुरम्य की हरा लगाई जा सके, ज़र्रा भर नहीं

चाँदी की रीत नहीं सोने की तौफ़ीक़ नहीं

न यह हो सके न वह, एक का नियम नहीं दूसरे की क्षमता नहीं

दाना को दान नहीं, भिकारी को भीक नहीं

बख़ील की निसबत कहते हैं

बासी फूलों बास नहीं परदेसी बलम की आस नहीं

जिस तरह बासी फूलों में ख़ुशबू नहीं होती इस तरह परदेसी आशिक़ में वफ़ा नहीं होती

तेरे फ़रिशतों को मा'लूम नहीं

तुझे कुछ ख़बर नहीं

कौड़ी पास नहीं और चले बाग़ की सैर को

निर्धनता पर धनवानों वली आदत

तुम्हारे फ़रिश्तों को भी ख़बर नहीं

तुम्हें कुछ पता नहीं है, तुम्हें मालूम ही नहीं हुआ है

हाथ की लकीरें नहीं टलतीं

रुक : हाथ की लकीरें कहीं मिट्टी हैं / नहीं मिटतीं

हाथ की लकीरें नहीं मिटतीं

एल्ची को ज़वाल नहीं

भैंस को अपनी सींग भारी नहीं होते

किसी को अपने अहल-ओ-अयाल गिरां नहीं गुज़रते

किसी की नहीं सुनता

किसी की बात नहीं मानता, बेपर्वा है, किसी के समझाने पर अमल नहीं करता

हमाहमी फ़रिश्तों को भी ख़बर नहीं

हमें ज़रा भी मालूम नहीं, हम को मुतलक़ मालूम नहीं, हम बिलकुल बेख़बर हैं

हमारे फ़रिश्तों को भी ख़बर नहीं

गाय को अपने सींग भारी नहीं

असील घोड़े को चाबुक की ज़रूरत नहीं

पत्थर को जोंक नहीं लगती

(लाक्षणिक) कंजूस पैसा नहीं ख़र्च करता, बद्दू पर नसीहत का असर नहीं होता

गाय को सींग दूभर नहीं होते

गाय को अपने सींग भारी नहीं होते, इंसान को अपनी अहल-ओ-अयाल बूओझ महसूस नहीं होते

छुरी पाता हूँ तो आप को नहीं पाता, आप को पाता हूँ तो छुरी नहीं पाता

किसी के प्रति अपना तीव्र रोष और विद्वेष प्रकट करना

ज़ोर नहीं ज़ुल्म नहीं, 'अक़्ल की कोताही

बेअक़ल आदमी उमूमन ज़ालिम होते हैं किसी के जबर या सख़्ती से नुकसान नहीं पहुंचा अपनी बेवक़ूफ़ी की वजह से पहुंचा है

'इनायत-ए-शाही किसी की मीरास नहीं

गंजे को ख़ुदा नाख़ुन नहीं देता

नाअहल को ख़ुदा बाइख़तियार नहीं करता

क़ज़ा के तीर को ढाल की हाजत नहीं

मौत आती हो तो मनुष्य किसी भी तरह से बच नहीं सकता

सर उठाने की फ़ुर्सत नहीं

ज़रा भी फ़ुर्सत नहीं, बहुत व्यस्त है

रात को नाम नहीं लेते हैं

कज़ा से किसी को चारा नहीं

मौत से बचना असंभव है, मौत पर किसी का वश नहीं

गाय को अपने सींग भारी नहीं होते

मनुष्य को अपने सगे संबंधी और परिवार बोझ नहीं लगते

शेर को माँड में बैठे शिकार नहीं मिलता

बगै़र तग-ओ-दो और मेहनत के कुछ हासिल नहीं होता

घुस लगाने को नहीं

۔किसी चीज़ के मादूम और मफ़क़ूद होने के लिए मुस्तामल है। ज़रा नहीं। मुतलक़ नहीं। कमयाब है। नापैद है। ज़रा नहीं बचा। सब सिर्फ़ होगया

फ़रिश्ते की भी नहीं सुनता

किसी की बात नहीं सुनता

आप को तो मैं नहीं पहचानता

रुक : आप से हम नहीं बोलते

फ़रिश्तों की दाल नहीं गलती

ख़ुदा किसी को लाठी से नहीं मारता

अल्लाह ताला को अगर किसी को सज़ा देती हो तो मुसीबत भेज देता है

बाप की नाव आज नहीं कल और कल नहीं परसों डूबे और डूबे

पापी को दण्ड अवश्य मीलता है, बुराई को अवश्य पतन है

पाप की नाव आज नहीं , कल कल नहीं , परसों डूबे और डूबे

ज़ालिम को सज़ा ज़रूर मिलती है

लहू की छींट तक कहीं नहीं

चेहरे पर लाली का निशान तक नहीं यानी चेहरे का रंग सफ़ैद पड़ गया

पेट किसी की नहीं सुनता

ज़ंगी की सियाही किसी रंग नहीं जाती

पैदाइशी ऐब मिटाए नहीं मिटता

कफ़न को तार नहीं

रुक: कफ़न को कोड़ी नहीं जो ज़्यादा मुस्तामल है

ज़बान को लगाम नहीं

मुंहफट है, जो मुंह में आया बक दिया, बात चीत में कोई पास लिहाज़ नहीं

म'आश की तलाश

की सही नहीं

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में हाज़िर को हुज्जत नहीं ग़ैर की तलाश नहीं के अर्थदेखिए

हाज़िर को हुज्जत नहीं ग़ैर की तलाश नहीं

haazir ko hujjat nahii.n Gair kii talaash nahii.nحاضِر کو حُجَّت نَہِیں غَیر کی تَلاش نَہِیں

कहावत

हाज़िर को हुज्जत नहीं ग़ैर की तलाश नहीं के हिंदी अर्थ

  • जो मौजूद है लीजिए या जो मिले उस को ग़नीमत समझना चाहिए
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حاضِر کو حُجَّت نَہِیں غَیر کی تَلاش نَہِیں کے اردو معانی

  • جو موجود ہے لیجئے یا جو ملے اس کو غنیمت سمجھنا چاہیے.

संदर्भग्रंथ सूची: रेख़्ता डिक्शनरी में उपयोग किये गये स्रोतों की सूची देखें .

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हाज़िर को हुज्जत नहीं ग़ैर की तलाश नहीं

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