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हाथ चले न पैयाँ , बैठा दे गुसियाँ

ख़ुदा ताला अपाहजों को घर बैठे रोज़ी पहुंचाता है, काम काज हो या ना हो मगर रज़्ज़ाक़ भूका नहीं रखता और घर बैठे देता है

हथिया चले न पय्या , बैठे दे गुसिय्याँ

काम करता नहीं और चाहता है कि बैठे को ख़ुदा खाने को दे, निकम्मे, काम चोर आदमी के मुताल्लिक़ कहते हैं

किसी का हाथ चले किसी की मुँह चले

ज़बरदस्त मारता है, कमज़ोर गालियां देता है

हाथ का चूहा बिल में बैठा

जो पास था वो भी जाता रहा

हल्दी की गाँठ हाथ लगी तो चूहा पंसारी बन बैठा

रुक : हल्दी की गिरह लेकर पंसारी बिन बैठना , कमीने को थोड़ी सी चीज़ मिल जाये तो वो इस पर बहुत नाज़ करता है

किसी का हाथ चले किसी की ज़बान चले

ज़बरदस्त मारता है, कमज़ोर गालियां देता है

चलता-फिरता न मरे बैठा मर जाए

काहिल आदमी जल्दी मरता है, चलने फिरने वाला जल्द नहीं मरता, बहुत एहतियात करने वाला कभी कभी मर जाता है और एहतियात न करने वाला ज़िंदा रहता है

किसी का मुँह चले किसी का हाथ

बदज़ुबानी का नतीजा मार खाना है

न अपनी ख़ुशी आए , न ख़ुशी चले

दे दाल में पानी पैगाबा चले चहानी

जब खाने वाले अधिक आ गए हों, और शाक भाजी कम पड़ रही हो तब हँसी में कहते हैं, दाल में इतना पानी डालो कि इस में लट्ठा बहने लगे

न अपनी ख़ुशी आए , न अपनी ख़ुशी चले

अपना बस ना चलना, दूसरों के बस में होना (अपनी मजबूरी या बेबसी ज़ाहिर करने के मौक़ा पर कहते हैं)

चूहे के हाथ हल्दी की गिरह लगी वो पंसारी बन बैठा

थोड़ी सी पूंजी हाथ लगने पर इतराना

इस हाथ दे उस हाथ ले

दुश्मन सोए न सोने दे

शत्रु न आराम से बैठता है और न ही दूसरों को आराम से रहने देता है

न मैं दूं , न ख़ुदा दे

इस की बाबत कहते हैं जो ना ख़ुद फ़ायदा दे ना फ़ायदा पहुंचने दे

हाथ में दे देना

हाथ में पकड़ाना, हाथ में थमाना , हाथ पर रखना

चले न जाए आँगन टेढ़ा

काम का सलीक़ा न होने के कारण दूसरे को दोष देना

न मैं दूँ न ख़ुदा दे

ख़ुदा गंजे को पंजे न दे

ईश्वर एक कम उत्साही और नीच आदमी को हाकिम न बनाए

हाथ में दे रोटी और सर में मारे जूती

ऐसा कमज़र्फ़ है कि अगर एहसान करता है तो बार बार बताए बगै़र नहीं रहता, कमज़र्फ़ का एहसान बुरा होता है

रानों पर हाथ दे मारना

अफ़सोस करना, निहायत अफ़सोस करना, मातम करना

वहाँ तक हँसिये जो रो न दे

हंसी ठट्ठा वहीं तक बेहतर है जहां तक फ़साद ना हो जाये

नंगा घेरे घाट , न नहाए , न नहाने दे

शरारती आदमी ना ख़ुद फ़ायदा उठाता है ना दूसरों को फ़ायदा उठाने देता है

वहाँ तक हँसाइए जो रो न दे

रुक : वहां तक गदगदईए अलख

गँवार गन्ना न दे भेली दे

मूर्ख साधारण से व्यय में कंजूसी कर के हानि उठाता है, मूर्ख थोड़ा नहीं देता, बहुत दे देता है, ऐसे अवसर पर बोलते हैं जब कोई व्यक्ति किसी साधारण व्यय में कंजूसी करे और बड़े ख़र्च के लिए तैयार रहे

नंगी घेरे घाट , न आप नहाए , न औरों को नहाने दे

रुक : नंगा घेरे घाट, ना आप नहाए, ना औरों को नहाने दे

कुम्हार का कुम्हारी पर बस न चले गधी के कान अमेठे

रुक : कुम्हार पर बस ना चला अलख

हाथ में दे रोटी और सर पर मारे जूती

मरे न माँझा दे

रुक : मरे ना पीछा छोड़े

क्या ख़ूब सौदा नक़्द है इस हाथ दे उस हाथ ले

जैसा करोगे वैसा भरोगे, हर कार्य का परिणाम निकल कर रहता है, इस दुनिया में हर काम का बदला तुरंत मिलता है

ख़ुदा गंजे को नाख़ुन न दे

भगवान एक कम उत्साही और नीच आदमी को कोई अधिकार या सत्ता न दे, अयोग्य को ईश्वर अधिकार न दे अन्यथा वह ग़लत काम करता है

गर्दन में हाथ दे के निकालना

गर्दन पकड़ कर निकाल देना, बहुत बेइज़्ज़ती से निकाल देना

गंजे को ख़ुदा नाख़ुन न दे जो सर खुजाए

ख़ुदा ज़ुलम को साहब-ए-इख़तियार और कमीने को साहब-ए-स्रोत ना करे (वर्ना वो ग़रीबों को बहुत सताएगा

अपनी मुर्ग़ी बुरी न हो तो हमसाए में अंडा क्यों दे

नुक़्सान अपने ही हाथों होता है

हाथ-पाओं न हिलाना

परिश्रम या मेहनत न करना, बेकार बैठे रहना

गंजे को ख़ुदा नाख़ुन न दे

हाथ से दे बैठना

खो बैठना, गँवा देना, नष्ट करना

या ख़ुदा तू दे न मैं दूँ

۔मक़ूला। जो शख़्स निहायत हासिद और बख़ील होताहै उस की निसबत बोलते हैं।यानी ये शख़्स ऐसा हासिद है कि ना तो ख़ुद ही कुछ देता है।और ना ख़ुदा का देना गवारा करता है

मौला हाथ बड़ाइयाँ जिस चाहे तिस दे

इज़्ज़त अल्लाह ताला के क़बज़े में है, जिसे चाहे उसे दे

मौला हाथ बड़ाइयाँ, जिस चाहे तस दे

तमाम इज़्ज़तें और बड़ाईआं ख़ुदा के हाथ में हैं जिसे चाहता है देता है

न दौड़ के चले, न गिरे

रुक : ना दौड़ चलो ना गिर पढ़ो

चीज़ न रखे आपनी चोरों गाली दे

जो शख़्स अपनी चीज़ को सेंत सिनहाल कर ना रखे और दूसरों पर इल्ज़ाम लगाए उस की निसबत कहते हैं

हाथ-पाओं कहने में न होना

ज़ोफ़ की वजह से हाथ पाँव क़ाबू में ना होना , कमज़ोरी की वजह से हाथ पाँव का काम ना देना

हाथ न पहुँचना

किसी काम में कामयाबी ना होना , मक़सद हासिल ना होना , किसी जगह हाथ ना जा सकना, (जगह तंग होने या ऊंची होने के सबब) हाथ की रसाई ना होना

सूम का कुता जाए न जाने दे

बेफ़ैज़ बख़ील का साथी भी किसी को फ़ैज़ नहीं पहुंचने देता है

नाक न दे सकना

न सूँघ पाना, बदबू को बर्दाश्त से बाहर पाना, सख़्त बदबू के मौक़ा पर बोला जाता है

हाथ से दूसरे हाथ को ख़बर न हो

किसी को कानों कान ख़बर नहप हो कि क्या दिया और किस को दिया

साख गए फिर हाथ न आए

एतबार एक दफ़ा जाता है तो फिर नहीं आता

हाथ पाँव कहने में न होना

हाथ पाँव जवाब दे जाना

हाथ पाँव नाकारा हो जाना, हाथ पाँव में ताक़त ना रहना, चलने फिरने या काम करने से माज़ूर हो जाना

चौधरी हो या राव जब काम न दे ऐसी तैसी में जाओ

कोई बड़े से बड़ा हो जब काम ना आया तो निकम्मा है

गंजे को ख़ुदा नाख़ुन न दे जो खुजाते खुजाते मर जाए

ख़ुदा ज़ुलम को साहब-ए-इख़तियार और कमीने को साहब-ए-स्रोत ना करे (वर्ना वो ग़रीबों को बहुत सताएगा

क़लम हाथ में न उठाना

हाथ में न गात में मैं धनववंती जात में

मुफ़लिस जो आला ख़ानदान होने का दावा करे

हाथ माँ न गात माँ मैं धनवंती जात माँ

रुक : हाथ में ना गात में अलख

हाथ गर्दन में दे कर निकाल देना

गर्दन पकड़ के किसी जगह से बाहर निकाल देना, बेइज़्ज़ती से निकालना

रूपया हाथ में न ठहरना

पैसा हाथ आते ही ख़र्च हो जाना

रूपया हाथ में न ठहरना

पैसा हाथ आते ही ख़र्च हो जाना

हाथ को हाथ न सूझना

रुक : हाथ को हाथ सुझाई ना देना

सूम के घर का कुता जाए न जाने दे

बख़ील के कारिंदे भी किसी को देख नहीं सकते

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में हाथ चले न पैयाँ , बैठा दे गुसियाँ के अर्थदेखिए

हाथ चले न पैयाँ , बैठा दे गुसियाँ

haath chale na paiyaa.n , baiThaa de gusiyaa.nہاتھ چَلے نَہ پَیّاں ، بَیٹھا دے گُسیاں

कहावत

हाथ चले न पैयाँ , बैठा दे गुसियाँ के हिंदी अर्थ

  • ख़ुदा ताला अपाहजों को घर बैठे रोज़ी पहुंचाता है, काम काज हो या ना हो मगर रज़्ज़ाक़ भूका नहीं रखता और घर बैठे देता है
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ہاتھ چَلے نَہ پَیّاں ، بَیٹھا دے گُسیاں کے اردو معانی

  • خدا تعالیٰ اپاہجوں کو گھر بیٹھے روزی پہنچاتا ہے ، کام کاج ہو یا نہ ہو مگر رزاق بھوکا نہیں رکھتا اور گھر بیٹھے دیتا ہے

संदर्भग्रंथ सूची: रेख़्ता डिक्शनरी में उपयोग किये गये स्रोतों की सूची देखें .

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