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घर में घर अच्छा नहीं होता

घर के अंदर दूसरा घर बनाने को अशुभ समझते हैं

घर आई लछमी को लात मारना अच्छा नहीं होता

अनायास मिलते हुए धन या मिलती हुई सुख-सुविधा को छोड़ना

रहतों का घर नहीं होता

असल आबादी मालिक ही से होती है

बिजली मेहमान, घर में नहीं तिनका

जब कोई निर्धन किसी धनवान व्यक्ति की दा'वत करे तो व्यंग में कहते हैं

घर में कानी चिड़िया नहीं

घर में कोई उपस्थित नहीं, ख़ाली पड़ा है

जंगल में खेती नहीं, बस्ती में नहीं घर

कहीं कुछ न होना, अत्यंत निर्धन है

घर में नहीं तागा, अलबेला माँगे पागा

निर्धनता में बड़ी बड़ी इच्छाएं रखना, चाहे पिता निर्धन हो परंतु पुत्र को छैला बनना अनिवार्य है

घर में चिराग़ नहीं बाहर मश'अल

निर्धन आदमी दिखावे के लिए ख़र्च करे तो उस समय कहते हैं

घर में ख़र्च नहीं और डेवढ़ी पर नाच

निर्धन डींग हाँकने वाले के प्रति कहते हैं कि अपनी सामर्थ से बढ़ कर ख़र्च करता है

कुत्ता भी अपने घर में शेर होता है

अहने इलाक़े में हर शख़्स की जुर्रत बढ़ जाती है , हिमायतों को देख कर सब के हौसले बढ़ जाते हैं, अपने ठिकाने पर मौजूद हो तो इंसान का हौसला बढ़ा हुआ होता है

घर में नहीं कौड़ी गट्टे वाले होत

निर्धन डींग मारने वाले के प्रति कहते हैं

ख़ुदा के घर में क्या इंसाफ़ नहीं

भगवान न्याय करता है वह अत्याचार की सज़ा ज़रूर देता है

ख़ुदा के घर में कमी नहीं है

अल्लाह हर चीज़ पर क़ादिर है

ख़ुदा के घर में कौनसी शय नहीं

अल्लाह हर चीज़ पर क़ादिर है

घर में नहीं दाने अम्माँ चलीं भुनाने

ग़रीब डींग मारने वाले के बारे में कहते हैं

पैग़म्बर अपने घर के सिवा कहीं बे क़द्र नहीं होता

साहिब कमाल की मुख़ालिफ़त सब से ज़्यादा घर वाले ही करते हैं

घर में अनाज नहीं मुल्क का करें राज

पास कुछ नहीं, बड़ाई बहुत

कौनसा घर है जिस में मौत नहीं आती

मौत हर जगह आती है, हर जगह रहने वाले मरते हैं

घर में नहीं बूर, बेटा माँगे मोती चूर

बच्चा अपने बाप के सामर्थ से अधिक कुछ माँगे तो कहते हैं

घर में नहीं अनाज, मुल्क का करें राज

निर्धनता में भी बड़ी बड़ी इच्छाएँ करना

घर में खाने को नहीं, अटारी पर धुवाँ

शेख़ी करने वाले के संबंध में कहते हैं, घर में खाने को नहीं, फिर भी अटारी पर धुआँ कर रहे हैं, जिस से कोई समझे कि भोजन बन रहा है

कौन सा घर है जिस में मौत नहीं आई

मुसीबत और तकलीफ़ से कोई जगह ख़ाली नहीं

जिस घर में सन्पत नहीं ता से भला बदेस

(हिंदू) इस वतन से परदेस बेहतर है जहां रोटी मयस्सर ना आए, या इस घर से निघरा रहना अच्छा जहां ना इत्तिफ़ाक़ी हो वार हो वक़्त लड़ाई रहे

बाहर मियाँ अब्बे-तब्बे घर में भूनी भंग नहीं

मुफ़लिस और ज़ाहिरी नमूद वाले हैं

घर में भोनी भाँग नहीं और उल्फ़त सब्ज़ रंगों से

कोई निर्धनता की हालात में बड़ी बड़ी आशाएँ या ग़रीबी में अमीरों की रेस करे तो उस के प्रति कहते हैं

गर्मी सब्ज़ा रंगों से और घर में भूनी भंग नहीं

निर्धनता में अय्याशी का शौक़

घर में चने का चून नहीं, गेहूँ की दो पो लाइयो

ग़रीब बड़बोले के संबंध में कहते हैं

घर में जोरू का नाम बहू बेगम रख लेने से क्या होता है

अपना सम्मान अपने मुँह से नहीं हुआ करता

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में घर में घर अच्छा नहीं होता के अर्थदेखिए

घर में घर अच्छा नहीं होता

ghar me.n ghar achchhaa nahii.n hotaaگھر میں گھر اچھا نہیں ہوتا

कहावत

मूल शब्द: घर

घर में घर अच्छा नहीं होता के हिंदी अर्थ

  • घर के अंदर दूसरा घर बनाने को अशुभ समझते हैं
  • घर के अंदर दूसरा घर बनाना हानिकारक होता है, घर में घर होने से लड़ाई झगड़े की संभावना अधिक होती है

گھر میں گھر اچھا نہیں ہوتا کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu
  • گھر کے اندر دوسرا گھر بنانے کو منحوس سمجھتے ہیں
  • گھر کے اندر دوسرا گھر بنانا نقصان دہ ہوتا ہے، گھر میں گھر ہونے سے لڑائی جھگڑے کا زیادہ امکان ہوتا ہے

Urdu meaning of ghar me.n ghar achchhaa nahii.n hotaa

  • Roman
  • Urdu

  • ghar ke andar duusraa ghar banaane ko manhuus samajhte hai.n
  • ghar ke andar duusraa ghar banaanaa nuqsaandeh hotaa hai, ghar me.n ghar hone se la.Daa.ii jhag.De ka zyaadaa imkaan hotaa hai

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घर में घर अच्छा नहीं होता

घर के अंदर दूसरा घर बनाने को अशुभ समझते हैं

घर आई लछमी को लात मारना अच्छा नहीं होता

अनायास मिलते हुए धन या मिलती हुई सुख-सुविधा को छोड़ना

रहतों का घर नहीं होता

असल आबादी मालिक ही से होती है

बिजली मेहमान, घर में नहीं तिनका

जब कोई निर्धन किसी धनवान व्यक्ति की दा'वत करे तो व्यंग में कहते हैं

घर में कानी चिड़िया नहीं

घर में कोई उपस्थित नहीं, ख़ाली पड़ा है

जंगल में खेती नहीं, बस्ती में नहीं घर

कहीं कुछ न होना, अत्यंत निर्धन है

घर में नहीं तागा, अलबेला माँगे पागा

निर्धनता में बड़ी बड़ी इच्छाएं रखना, चाहे पिता निर्धन हो परंतु पुत्र को छैला बनना अनिवार्य है

घर में चिराग़ नहीं बाहर मश'अल

निर्धन आदमी दिखावे के लिए ख़र्च करे तो उस समय कहते हैं

घर में ख़र्च नहीं और डेवढ़ी पर नाच

निर्धन डींग हाँकने वाले के प्रति कहते हैं कि अपनी सामर्थ से बढ़ कर ख़र्च करता है

कुत्ता भी अपने घर में शेर होता है

अहने इलाक़े में हर शख़्स की जुर्रत बढ़ जाती है , हिमायतों को देख कर सब के हौसले बढ़ जाते हैं, अपने ठिकाने पर मौजूद हो तो इंसान का हौसला बढ़ा हुआ होता है

घर में नहीं कौड़ी गट्टे वाले होत

निर्धन डींग मारने वाले के प्रति कहते हैं

ख़ुदा के घर में क्या इंसाफ़ नहीं

भगवान न्याय करता है वह अत्याचार की सज़ा ज़रूर देता है

ख़ुदा के घर में कमी नहीं है

अल्लाह हर चीज़ पर क़ादिर है

ख़ुदा के घर में कौनसी शय नहीं

अल्लाह हर चीज़ पर क़ादिर है

घर में नहीं दाने अम्माँ चलीं भुनाने

ग़रीब डींग मारने वाले के बारे में कहते हैं

पैग़म्बर अपने घर के सिवा कहीं बे क़द्र नहीं होता

साहिब कमाल की मुख़ालिफ़त सब से ज़्यादा घर वाले ही करते हैं

घर में अनाज नहीं मुल्क का करें राज

पास कुछ नहीं, बड़ाई बहुत

कौनसा घर है जिस में मौत नहीं आती

मौत हर जगह आती है, हर जगह रहने वाले मरते हैं

घर में नहीं बूर, बेटा माँगे मोती चूर

बच्चा अपने बाप के सामर्थ से अधिक कुछ माँगे तो कहते हैं

घर में नहीं अनाज, मुल्क का करें राज

निर्धनता में भी बड़ी बड़ी इच्छाएँ करना

घर में खाने को नहीं, अटारी पर धुवाँ

शेख़ी करने वाले के संबंध में कहते हैं, घर में खाने को नहीं, फिर भी अटारी पर धुआँ कर रहे हैं, जिस से कोई समझे कि भोजन बन रहा है

कौन सा घर है जिस में मौत नहीं आई

मुसीबत और तकलीफ़ से कोई जगह ख़ाली नहीं

जिस घर में सन्पत नहीं ता से भला बदेस

(हिंदू) इस वतन से परदेस बेहतर है जहां रोटी मयस्सर ना आए, या इस घर से निघरा रहना अच्छा जहां ना इत्तिफ़ाक़ी हो वार हो वक़्त लड़ाई रहे

बाहर मियाँ अब्बे-तब्बे घर में भूनी भंग नहीं

मुफ़लिस और ज़ाहिरी नमूद वाले हैं

घर में भोनी भाँग नहीं और उल्फ़त सब्ज़ रंगों से

कोई निर्धनता की हालात में बड़ी बड़ी आशाएँ या ग़रीबी में अमीरों की रेस करे तो उस के प्रति कहते हैं

गर्मी सब्ज़ा रंगों से और घर में भूनी भंग नहीं

निर्धनता में अय्याशी का शौक़

घर में चने का चून नहीं, गेहूँ की दो पो लाइयो

ग़रीब बड़बोले के संबंध में कहते हैं

घर में जोरू का नाम बहू बेगम रख लेने से क्या होता है

अपना सम्मान अपने मुँह से नहीं हुआ करता

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