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दो कोड़ी को न पूछ्ना

बिलकुल इज़्ज़त न करना, बिलकुल ध्यान में न रखना, बिलकुल न पूछना

टके को न पूछ्ना

ज़रा भी वक़ात या एहमीयत ना देना, पुर्साने हाल ना होना

मेहमान और बुख़ार को अगर खाना न दो तो फि नहीं आते

फ़ाक़े से बुख़ार में फ़ायदा रहता है और मेहमान को खाना ना मिले तो बार बार नहीं आता

दो कोड़ी का न रखना

किसी लायक़ न रखना, नाकारा कर देना

साजन हम तुम ऐक हैं देखत के हैं दो, मन से मन को तौल दो मन कदी न हो

हम तुम असल में एक हैं भले ही दो दिखाई देते हैं

परदेसी की पीत को सब का जी ललचाय, दो ही बातों का खोट है रहे न संग ले जाय

परदेसी के प्रेम में दो बातों का खोट अथवा नुक़्सान है कि न तो वो रहता है न साथ ले जाता है

हाथ से कोड़ी के दो बेर भी न खाना

बड़ी नाक़द्री करना

मियाँ कमाते क्या हो एक से दस, सास नंद को छोड़ दो, हमें तुम्हें बस

जो कुछ तुम कमाते हो वो हमारे लिए बहुत है, सास-नंद को छोड़ कर अलग हो जाओ

अपने सूई न जाने दो, दूसरे के भाले कोंचो

स्वयं थोड़ी पीड़ा भी गवारा नहीं दूसरे पर बड़ी बड़ी विपत्तियाँ ढाई जाती हैं

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में दो कोड़ी को न पूछ्ना के अर्थदेखिए

दो कोड़ी को न पूछ्ना

do ko.Dii ko na puuchhnaaدو کوڑی کو نَہ پُوچْھنا

मुहावरा

दो कोड़ी को न पूछ्ना के हिंदी अर्थ

  • बिलकुल इज़्ज़त न करना, बिलकुल ध्यान में न रखना, बिलकुल न पूछना

دو کوڑی کو نَہ پُوچْھنا کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu
  • بالکل قدر نہ کرنا ، ذرا خاطر میں نہ لانا ، بالکل نہ پوچھنا .

Urdu meaning of do ko.Dii ko na puuchhnaa

  • Roman
  • Urdu

  • bilkul qadar na karnaa, zaraa Khaatir me.n na laanaa, bilkul na puuchhnaa

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दो कोड़ी को न पूछ्ना

बिलकुल इज़्ज़त न करना, बिलकुल ध्यान में न रखना, बिलकुल न पूछना

टके को न पूछ्ना

ज़रा भी वक़ात या एहमीयत ना देना, पुर्साने हाल ना होना

मेहमान और बुख़ार को अगर खाना न दो तो फि नहीं आते

फ़ाक़े से बुख़ार में फ़ायदा रहता है और मेहमान को खाना ना मिले तो बार बार नहीं आता

दो कोड़ी का न रखना

किसी लायक़ न रखना, नाकारा कर देना

साजन हम तुम ऐक हैं देखत के हैं दो, मन से मन को तौल दो मन कदी न हो

हम तुम असल में एक हैं भले ही दो दिखाई देते हैं

परदेसी की पीत को सब का जी ललचाय, दो ही बातों का खोट है रहे न संग ले जाय

परदेसी के प्रेम में दो बातों का खोट अथवा नुक़्सान है कि न तो वो रहता है न साथ ले जाता है

हाथ से कोड़ी के दो बेर भी न खाना

बड़ी नाक़द्री करना

मियाँ कमाते क्या हो एक से दस, सास नंद को छोड़ दो, हमें तुम्हें बस

जो कुछ तुम कमाते हो वो हमारे लिए बहुत है, सास-नंद को छोड़ कर अलग हो जाओ

अपने सूई न जाने दो, दूसरे के भाले कोंचो

स्वयं थोड़ी पीड़ा भी गवारा नहीं दूसरे पर बड़ी बड़ी विपत्तियाँ ढाई जाती हैं

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