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दिन भले ही न हो जाएँ या फिर भी न जाएँ

अगर काम हो जाये तो नसीबा ही ना जाग जाये

साहू बहे न जाएँ , गों से जाएँ

साहूकार जो कुछ करता है किसी ख़ास मतलब लिए करता है अगर दरिया में बपा जाये तो इस में भी इसका कोई मतलब होगा

उल्टे लिये जाएँ न सीधे

किसी तरह क़ाबू में ना आएं, हरगिज़ ना मानें

आँखें पटम हो जाएँ

(कोसना) अंधा हो जाए, दीदे या आँखें फूट जाएँ

उल्टी ली जाएँ न सीधी

किसी तरह क़ाबू में ना आएं, हरगिज़ ना मानें

होंट हिले न जीबा खोली , फिर भी सास कहे बड़ बोली

ना होंट हिलते हैं ना ज़बान हरकत करती है फिर भी सास बोलने का इल्ज़ाम लगा देती है, जहां ख़्वाहमख़्वाह का इल्ज़ाम लगे वहां बोलते हैं

सहरी भी न खाऊँ तो काफ़िर न हो जाऊँ

जाएँ माएँ

भूक में भजन भी न हो

भूखे आदमी से इबादत और पूजा भी नहीं हो सकती

सदा न फूली केतकी सदा न सावन हो, सदा न जोबन फिर रहे सदा न जीवे को

कोई चीज़ हमेशा नहीं रहती, हर शैय फ़ानी है

आँखें फूट जाएँ

कोसने के तौर पर

चौधरी हो या राव जब काम न दे ऐसी तैसी में जाओ

कोई बड़े से बड़ा हो जब काम ना आया तो निकम्मा है

सब से भले मूसल चंद , करें न खेती भरे न डंड

चोर और क़ज़्ज़ाक़ सब से अच्छे, ना कोई काम करते हैं ना महसूल देते हैं , तंज़न मुस्तामल

अमीर के पास क़ब्र भी न हो

रुक: अमीर के पड़ोस में ख़ुदा क़ब्र भी ना बनवाए

किसी ने ये भी न पूछा कि तुम किस बाग़ की मूली हो

किसी ने परवाह भी नहीं की, रास्ते सुरक्षित हैं कहीं लूट मार नहीं होती, उस सल्तनत के बारे में कहते हैं जिस में सुख-शाँति हो

मरने जाएँ मलारें गाएँ

मरे जाएँ मलहारें गाएँ

पेट से फ़ाक़ा मगर कोई पर्वा नहीं

मरते जाएँ मलहारें गाएँ

मुश्किलों में भी ज़िंदगी से लुतफ़ लें

नमाज़ नहीं रोज़ा नहीं सहरी भी न हो तो निरे काफ़िर बन जाएँगे

अगर बहुत सा असंभव हो तो थोड़ा सा सही, ऐसे अवसर पर उपयोगित जब किसी धार्मिक शिक्षा पर प्रक्रिया अपने पक्ष में हो

आएँ तो जाएँ कहाँ

रुक : आव तो जाऐ कहाँ

मरने जाएँ , मलारें गाएँ

ऐसे बेफ़िकर आदमी हैं कि मरने को भी खेल समझ कर गीत गाते हैं, बेपर्वा और आज़ाद तबा नीज़ शेखी ख़ोरे की निसबत बोलते हैं

रोज़े रखें न नमाज़ पढ़ें, सहरी भी न खाएं तो काफ़िर हो जाएं

आज बरस के फिर न बरसूँ

मीना की झड़ी लगी है, बराबर से जा रहा है

सब से भले हम, न रहे की शादी न गए का ग़म

निश्चिंत आज़ाद व्यक्ति को न किसी की ख़ुशी न दुख या चिंता, वह हर चीज़ से निस्पृह होता है

जहाँ सींग समाएँ निकल जाएँ

फिर के पस-ए-पुश्त न देखना

भनंग भी न पहुँचना

कानों कान ख़बर ना होना

साख गए फिर हाथ न आए

एतबार एक दफ़ा जाता है तो फिर नहीं आता

पासंग भी न होना

रुक : पासिंग बराबर (भी) ना होना

एक न एक दिन

बुरे की बुराई में न भले की भलाई में

सब से आज़ाद

मरे जाएँ मलहार गाएँ

पेट से फ़ाक़ा मगर कोई पर्वा नहीं

भूका भले मानस और पेट भरे गँवार से न बोले

ये दोनों उन हालतों में बेबाक और मग़लूब-उल-ग़ज़ब होते हैं

आँखों में ख़ाक भी न डालूँ

(ओ)कुछ भी ना दूं (कुछ देने से इनकार में मुबालग़ा ज़ाहिर करने के लिए मुस्तामल)

पासंग भी न चढ़ना

(मुक़ाबलतन) हमवज़न या हमक़दर ना होना, कुछ भी बराबरी की निसबत ना रखना

'अशर-ए-'अशीर भी न होना

मर जाएँ तो मक्खी और निकल जाएँ तो शेर

अगर कोई क़ैदी जेल में मर जाये तो एक मक्खी के मर जाने से ज़्यादा एहमीयत नहीं दी जाएगी लेकिन अगर कोई क़ैदी भाग निकलने में कामयाब हुआ तो उसे एक शेर के कटहरे से निकल जाने के बराबर अहम वाक़िया समझा जाएगा

मेंह कहता है आज बरस के फिर न बरसूँगा

मुतवातिर देर तक बहुत तेज़ बारिश होना

किसी न किसी दिन

भले दिन

अच्छे दिन, उदय का ज़माना, ख़ुशहाली के दिन

कहाँ हो कहाँ न हो

सास न नंदी , आप ही आनंदी

ना सास ना नंद, मज़े में है वो औरत जिस के सास नंद ना हो

साँप भी मरे , लाठी भी न टूटे

साख गई फिर हाथ न आए

एतबार एक दफ़ा जाता है तो फिर नहीं आता

पा-पोश भी न मारना

(किसी वस्तु को) अत्यधिक तिरस्कृत एवं तुच्छ समझना, ज़रा भी सम्मान न करना, अस्वीकार करना, ठुकराना

भूलों भी न पूछना

भूले से भी किसी का हाल न पूछना,संयोग से भी हाल चाल और ख़बर खै़रियत न मालूम करना, नज़रअंदाज़ करना

दिन को ऊँट न सूझना

वाज़े बात अलानिया और जानबूझ कर इनकार करना, बिलकुल कमअक़्ल होना, अंधा होना, बीनाई कमज़ोर होना

मुँह भी सामने न किया

शर्मा गया नीज़ अस्लन मुतवज्जा ना हुआ

मुँह भी सामने न करना

असलन मुतवज्जा ना होना , शक्ल ना दिखाना

पश्म-कंदा न हो सकना

कुछ ना बिगड़ सकना, ज़र्रा भर नुक़्सान ना पहुंचना, कुछ ना हो सकना

ख़्वाब में भी नसीब न होना

बिलकुल न मिलना

साख गए फिर हाथ न आवे

एतबार एक दफ़ा जाता है तो फिर नहीं आता

साधू जन रम्ते भले वाक न लागे को

साधूओ कि हमेशा फिरते रहना चाहिए ताकि इस पर किसी किस्म का इलज़ाम ना आए

कहीं ऐसा न हो जाए

ख़िलाफ़-ए-तवक़्क़ो बात ना हो जाये उमूमन अंदेशे के मौक़ा पर बोलते हैं

आन से मारूँ , तान से मारूँ , फिर न मरे तो रान से मारूँ

बाज़ारी औरतें किसी ना किसी प्रकार मर्दों को जाल में फंसा कर के लूट ही लेती हैं, किसी ना किसी ढब से अपना काम निकालने और स्वार्थ पूरा करने के अवसर पर प्रयुक्त

शराबियों से दूर ही भले

शराब पीने वालों के पास भी नहीं जाना चाहिए

हुदाइयों भी न होना

हरगिज़ ना होना, कभी ना होना

हाँसी में खाँसी न हो जाए

ख़ुशी में रंज ना हो जाये

आब-दसत का भी सलीक़ा न होना

भाप भी मुँह से न निकालना

अत्यंत गोपनीयता से काम लेना, बहुत गोपनीयता बरतना

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में दिन भले ही न हो जाएँ या फिर भी न जाएँ के अर्थदेखिए

दिन भले ही न हो जाएँ या फिर भी न जाएँ

din bhale hii na ho jaa.e.n yaa phir bhii na jaa.e.nدِن بَھلے ہی نَہ ہو جائیں یا پِھر بھی نَہ جائیں

कहावत

दिन भले ही न हो जाएँ या फिर भी न जाएँ के हिंदी अर्थ

  • अगर काम हो जाये तो नसीबा ही ना जाग जाये
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دِن بَھلے ہی نَہ ہو جائیں یا پِھر بھی نَہ جائیں کے اردو معانی

  • اگر کام ہو جائے تو نصیبہ ہی نہ جاگ جائے .

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