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आर-पार

(चुराए जाने की वजह से) ग़ायब, गुम, खोया हुआ, जैसे कोई चीज़ आरपार हुई तो तुम ज़िम्मादार होगे

आड़-पाड़

निभाने भर दायित्व एवं विश्वास

आर पार करना

छेद करना

आर का पार होना

आर पार होना, इस ओर से उस ओर तक होना

आर होना न पार होना

(हानि या लाभ पर) अंत न होना, (हार या जीत का) फ़ैसला न होना, इधर उधर में लटका रहना

आर करना न पार करना

आर होना ना पार होना (रुक) का तादिया, जैसे : आप इस मुआमले को आर करते हैं ना पार

अरी-परी उड़ा देना

दुर्बल कर देना

'अदू-परेशाँ

(बाँग बनौट) तीसरे प्रकार की घाई (चोट करना एवं रोकना एक साथ) की छट्टी घाई का नाम

अड़ पर्दा

गाड़ीबान और सवारियों के बैठने के स्थान के बीच की आड़ या पर्दा

अरे-परे

اس طرف یا اس طرف ِ دائیں یا بایئں

आड़-पर्दा

गाड़ीबान एवं सवारियों के बैठने के स्थान के मध्य की आड़ या पर्दा

ad presonam

फ़र्द मख़सूस के लिए, ज़ाती, निजी , शख़्सी।

आड़ पड़ना

झुक जाना

अड़ी-पड़ी

परेशानी, कठिन

उड़ा-पुड़ा

اکھڑا اکھڑا سا ، انمل بے جوڑ باتوں پر مشتمل ؛ غیر دلچسپ.

उड़ी-पुड़ी

सुनी सुनाई, नाक़ाबिल एतबार, अविश्वसनीय

कभी गाड़ी नाव पर और कभी नाव गाड़ी पर

कभी पदोन्नति होती है और कभी गिरावट, इन्क़िलाब होता ही रहता है, हालात बदलते रहते हैं

चिकने घड़े पर बूँद पड़ी और फिसल पड़ी

रुक : चिकना घड़ा बोन पड़ी अलख

पर लग जाएँ और उड़ कर पहुँच जाऊँ

कहीं जाने की बहुत ज़्यादा ख़ाहिश हो तो कहते हैं

ख़र्च घना और पैदा थोड़ी, किस पर बाँधूँ घोड़ा घोड़ी

आय कम और ख़र्च अधिक है क्या करूँ, बिना आमदनी के कोई शौक़ भला कैसे किया जा सकता है

मुर्दों पर कफ़न है और ज़िंदों पर क़बा

तही दस्ती ज़ाहिर करने के लिए मुस्तामल

पर लग जाएँ और उड़ कर पहुँचूँ

कहीं जाने की बहुत ज़्यादा ख़ाहिश हो तो कहते हैं

डेढ़ पाव आटा और पुल पर रसोई

थोड़े से काम का बड़ा प्रबंध

नई फ़ौजदारी और मुर्ग़ी पर नक़्क़ारा

उस व्यक्ति के संबंध में कहते हैं जो सत्ता मिलने पर नए नए नियम लगाए, नई संपत्ति पाने वाले ऐसे व्यक्ति के प्रति कहते हैं जो अदभुत बातें ग्रहण करे अर्थात प्रयोग में लाए

खेत खाए चिड़ी और नौल के सर पर पड़ी

नुक़्सान करे कोई और तावा भुगते कोई

सख़ी के माल पर पड़े और सूम की जान पर पड़े

दानशील एवं उदार व्यक्ति के माल का नुकसान होता है और सूम अर्थात कंजूस की जान का

पार कहें सो वार है वार कहें सो पार है, पकड़ किनारा बैठ रह यही वार और पार है

पार और वार रिश्ला एवं संबंधी शब्द हैं उधर वालों के लिए दूसरी तरफ़ पार है और इधर वालों के लिए यह पार है सो बेकार में झगड़े नहीं करने चाहियें

पार कहें सो वार है वार कहें सो पार, पकड़ किनारा बैठ रह यही वार और पार

पार और वार रिश्ला एवं संबंधी शब्द हैं उधर वालों के लिए दूसरी तरफ़ पार है और इधर वालों के लिए यह पार है सो बेकार में झगड़े नहीं करने चाहियें

अपनी हाई और पर गँवाई

अपना पाप दूसरे के सर मंढ दिया, अपनी पराई और पर थोप दी

खेत खाए चिड़ी और नौल के सर पर बदी

नुक़्सान करे कोई और तावा भुगते कोई

पैर कहीं डालना और पड़ना कहींं

अधिक बेचैनी, फ़िक्र या रंज व्यक्त करने को कहते हैं, इश्क़ में भी यह हालत होती है

माँगे पर ताँगा और बुढ़िया की बरात

ख़ुद मुहताज हैं और इधर उधर से काम निकाल लेते हैं, जब कोई शख़्स एक चीज़ कूद मांग कर लाया हो और दूसरा इस से वही चीज़ मांग कर काम निकाले तो उस वक़्त कहते हैं, जो मांग कर लाया हो इस से माँगना फ़ुज़ूल है

घर में ख़र्च नहीं और डेवढ़ी पर नाच

निर्धन डींग हाँकने वाले के प्रति कहते हैं कि अपनी सामर्थ से बढ़ कर ख़र्च करता है

लौंडी और के पैर धोए , अपने पैर धोती लजाए

دوسروں کے کام کرنا اور اپنا کام کرتے شرمانا ، اوروں کے کام میں چُستی اپنے میں سُستی

क़ंद लुटे और कोयलों पर मोहर

बेशक़ीमत चीज़ के ज़ाए होने का अफ़सोस नहीं करते और अदना कम क़ीमत चीज़ पर इतना ख़्याल और एहतिमाम करते हैं, क़ंद के बजाय अशर्फ़ियां लुटीं भी बोलते हैं

साईं साईं जीभ पर और किब्र कपट मन बीच, वह न डाले जाएँगे पकड़ नरक में खींच

जिन की जीभ पर ईश्वर का नाम है और उन के दिल में घमंड और धोका कपट और हसद है उन को अंत में नरक ही मिलेगा

उस दिन भूलें चौकड़ी, वली, नबी और पीर, लेखा होवे जिन दिनाँ, क़ादिर पाक क़दीर

क़यामत या प्रलय के दिन जब ईश्वर हिसाब करेगा तो वली, संत, नबी, पीर सब चिंतित या परेशान होंगे

उस दिन भूलें चौकड़ी, वली, नबी और पीर, लेखा लेवे जिस दिना, क़ादिर पाक क़दीर

क़यामत या प्रलय के दिन जब ईश्वर हिसाब करेगा तो वली, संत, नबी, पीर सब चिंतित या परेशान होंगे

साँप और चोर दबे पर चोट करते हैं

बचाओ की सूरत ना रहे तो ये हमला करते हैं वर्ना उमूमन भाग जाने की कोशिश करे हैं

साईं तुझ बिन कौन है जो करे नवड़िया पार, तू ही आवत है नज़र चहूँ ओर करतार

ऐ ईश्वर तेरे सिवा कौन है जो बेड़ा पार करे, जिधर देखता हूँ तू ही दिखाई देता है

मुँह पर और, पीठ पीछे और

ज़ाहिर में दोस्त बातिन में दुश्मन, मुनाफ़िक़ है

समंद-ए-नाज़ पर इक और ताज़ियाना होना

शोख़ी और शरारत के लिए मज़ीद बहाना हाथ आना

भुस पर छटी और बाव पर बरात

ख़्याली पुलाव पकाने की निसबत बोलते हैं

मुँह पर राम-राम और बग़ल में छुरी

कहता कुछ है करता कुछ है मुनाफ़िक़ों की निसबत कहते हैं

द्वार धनी के पड़ रहे और धके धनी के खाए

अमीर के दर को ना छोड़े चाहे धक्के मिलें आख़िर कभी ना कभी फ़ायदा होगा

सख़ी का बेड़ा पार और सूम की मिट्टी ख़राब

दानी सफल रहता है, सूम लोगों की नज़रों में गिरा रहता है

देखे को बोरिया और आवे पाँवों पैर

मालूम तो पागल हो मगर अपने मतलब का पक्का हो (दीवाना बकार-ए-ख़ेश होशियार)

ना मर्द मरे नान पर और मर्द मरे नाम पर

बुज़दिल और कम हौसला आदमी की हिम्मत माल-ओ-दौलत तक महिदूद होती है लेकिन शरीफ़ और बहादुर आदमी अपनी इज़्ज़त के लिए जान देने में भी दरेग़ नहीं करता

मुँह पर फ़ाख़्ता उड़ जाना

चेहरे का रंग बदल जाना, चेहरा फ़क़ होना, चेहरे पर हवाईयां उड़ना

मुँह पर फ़ाख़्ता उड़ जाना

(दिल्ली) मुह पीला पड़ जाना, चेहरा पर हवाईयां उड़ने लगना

वही मानस दे सके राजों को सीख ज्ञान जो ना राखे लाभ धन और धरे हाथ पर जान

राजों को मश्वरा वही दे सकता है जिसे दौलत का लालच ना हो और जान की पर्वा ना करे

तीन पेड़ बकाइन के और मियाँ चले बाग़ में

रुक : तीन पेड़ बकाएं के मियां बाग़बान

'औरत पर जहाँ हाथ फिरा और वो फैली

'औरत को मर्द का हाथ लगे तो वह बहुत जल्द बढ़ती है

अशर्फ़ियों की लूट और कोयलों पर मोहर

रुक : अशर्फ़ियां लटें अलख

जवानी और उस पर शराब दूनी आग लगती है

जवानी में शराब पीना सख़्त ग़ज़ब ढाता है

पर को कुँवाँ खोदे और आप ही डूब मरे

पराए व्यक्ति की बुराई चाहने में अपनी ही हानि होती है

कब मरे और कब कीड़े पड़ें

बहुत लंबा काम है, जल्दी नहीं हो सकता

चोर और साँप दबे पर चोट करता है

चोर और साँप घिर जाएँ अथवा दब जाएँ तो हमला करते हैं वर्ना भाग जाते हैं

ख़ुदा की ख़ुदाई और मोहम्मद की बादशाही मैं कहूँ पर कहूँ

(ओ) ये हक़ बात है इस के कहने में किसी जगह पाक नावं

कोएले पर मुहर और अशरफ़ियाँ लुटीं

penny wise pound foolish

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में डेढ़ पाव आटा और पुल पर रसोई के अर्थदेखिए

डेढ़ पाव आटा और पुल पर रसोई

De.Dh paav aaTaa aur pul par raso.iiڈیڑھ پاؤ آٹا اور پُل پَر رَسوئی

कहावत

डेढ़ पाव आटा और पुल पर रसोई के हिंदी अर्थ

  • थोड़े से काम का बड़ा प्रबंध

ڈیڑھ پاؤ آٹا اور پُل پَر رَسوئی کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu
  • ذرا سے کام کا بڑا اہتمام

Urdu meaning of De.Dh paav aaTaa aur pul par raso.ii

  • Roman
  • Urdu

  • zaraa se kaam ka ba.Daa ehtimaam

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आर-पार

(चुराए जाने की वजह से) ग़ायब, गुम, खोया हुआ, जैसे कोई चीज़ आरपार हुई तो तुम ज़िम्मादार होगे

आड़-पाड़

निभाने भर दायित्व एवं विश्वास

आर पार करना

छेद करना

आर का पार होना

आर पार होना, इस ओर से उस ओर तक होना

आर होना न पार होना

(हानि या लाभ पर) अंत न होना, (हार या जीत का) फ़ैसला न होना, इधर उधर में लटका रहना

आर करना न पार करना

आर होना ना पार होना (रुक) का तादिया, जैसे : आप इस मुआमले को आर करते हैं ना पार

अरी-परी उड़ा देना

दुर्बल कर देना

'अदू-परेशाँ

(बाँग बनौट) तीसरे प्रकार की घाई (चोट करना एवं रोकना एक साथ) की छट्टी घाई का नाम

अड़ पर्दा

गाड़ीबान और सवारियों के बैठने के स्थान के बीच की आड़ या पर्दा

अरे-परे

اس طرف یا اس طرف ِ دائیں یا بایئں

आड़-पर्दा

गाड़ीबान एवं सवारियों के बैठने के स्थान के मध्य की आड़ या पर्दा

ad presonam

फ़र्द मख़सूस के लिए, ज़ाती, निजी , शख़्सी।

आड़ पड़ना

झुक जाना

अड़ी-पड़ी

परेशानी, कठिन

उड़ा-पुड़ा

اکھڑا اکھڑا سا ، انمل بے جوڑ باتوں پر مشتمل ؛ غیر دلچسپ.

उड़ी-पुड़ी

सुनी सुनाई, नाक़ाबिल एतबार, अविश्वसनीय

कभी गाड़ी नाव पर और कभी नाव गाड़ी पर

कभी पदोन्नति होती है और कभी गिरावट, इन्क़िलाब होता ही रहता है, हालात बदलते रहते हैं

चिकने घड़े पर बूँद पड़ी और फिसल पड़ी

रुक : चिकना घड़ा बोन पड़ी अलख

पर लग जाएँ और उड़ कर पहुँच जाऊँ

कहीं जाने की बहुत ज़्यादा ख़ाहिश हो तो कहते हैं

ख़र्च घना और पैदा थोड़ी, किस पर बाँधूँ घोड़ा घोड़ी

आय कम और ख़र्च अधिक है क्या करूँ, बिना आमदनी के कोई शौक़ भला कैसे किया जा सकता है

मुर्दों पर कफ़न है और ज़िंदों पर क़बा

तही दस्ती ज़ाहिर करने के लिए मुस्तामल

पर लग जाएँ और उड़ कर पहुँचूँ

कहीं जाने की बहुत ज़्यादा ख़ाहिश हो तो कहते हैं

डेढ़ पाव आटा और पुल पर रसोई

थोड़े से काम का बड़ा प्रबंध

नई फ़ौजदारी और मुर्ग़ी पर नक़्क़ारा

उस व्यक्ति के संबंध में कहते हैं जो सत्ता मिलने पर नए नए नियम लगाए, नई संपत्ति पाने वाले ऐसे व्यक्ति के प्रति कहते हैं जो अदभुत बातें ग्रहण करे अर्थात प्रयोग में लाए

खेत खाए चिड़ी और नौल के सर पर पड़ी

नुक़्सान करे कोई और तावा भुगते कोई

सख़ी के माल पर पड़े और सूम की जान पर पड़े

दानशील एवं उदार व्यक्ति के माल का नुकसान होता है और सूम अर्थात कंजूस की जान का

पार कहें सो वार है वार कहें सो पार है, पकड़ किनारा बैठ रह यही वार और पार है

पार और वार रिश्ला एवं संबंधी शब्द हैं उधर वालों के लिए दूसरी तरफ़ पार है और इधर वालों के लिए यह पार है सो बेकार में झगड़े नहीं करने चाहियें

पार कहें सो वार है वार कहें सो पार, पकड़ किनारा बैठ रह यही वार और पार

पार और वार रिश्ला एवं संबंधी शब्द हैं उधर वालों के लिए दूसरी तरफ़ पार है और इधर वालों के लिए यह पार है सो बेकार में झगड़े नहीं करने चाहियें

अपनी हाई और पर गँवाई

अपना पाप दूसरे के सर मंढ दिया, अपनी पराई और पर थोप दी

खेत खाए चिड़ी और नौल के सर पर बदी

नुक़्सान करे कोई और तावा भुगते कोई

पैर कहीं डालना और पड़ना कहींं

अधिक बेचैनी, फ़िक्र या रंज व्यक्त करने को कहते हैं, इश्क़ में भी यह हालत होती है

माँगे पर ताँगा और बुढ़िया की बरात

ख़ुद मुहताज हैं और इधर उधर से काम निकाल लेते हैं, जब कोई शख़्स एक चीज़ कूद मांग कर लाया हो और दूसरा इस से वही चीज़ मांग कर काम निकाले तो उस वक़्त कहते हैं, जो मांग कर लाया हो इस से माँगना फ़ुज़ूल है

घर में ख़र्च नहीं और डेवढ़ी पर नाच

निर्धन डींग हाँकने वाले के प्रति कहते हैं कि अपनी सामर्थ से बढ़ कर ख़र्च करता है

लौंडी और के पैर धोए , अपने पैर धोती लजाए

دوسروں کے کام کرنا اور اپنا کام کرتے شرمانا ، اوروں کے کام میں چُستی اپنے میں سُستی

क़ंद लुटे और कोयलों पर मोहर

बेशक़ीमत चीज़ के ज़ाए होने का अफ़सोस नहीं करते और अदना कम क़ीमत चीज़ पर इतना ख़्याल और एहतिमाम करते हैं, क़ंद के बजाय अशर्फ़ियां लुटीं भी बोलते हैं

साईं साईं जीभ पर और किब्र कपट मन बीच, वह न डाले जाएँगे पकड़ नरक में खींच

जिन की जीभ पर ईश्वर का नाम है और उन के दिल में घमंड और धोका कपट और हसद है उन को अंत में नरक ही मिलेगा

उस दिन भूलें चौकड़ी, वली, नबी और पीर, लेखा होवे जिन दिनाँ, क़ादिर पाक क़दीर

क़यामत या प्रलय के दिन जब ईश्वर हिसाब करेगा तो वली, संत, नबी, पीर सब चिंतित या परेशान होंगे

उस दिन भूलें चौकड़ी, वली, नबी और पीर, लेखा लेवे जिस दिना, क़ादिर पाक क़दीर

क़यामत या प्रलय के दिन जब ईश्वर हिसाब करेगा तो वली, संत, नबी, पीर सब चिंतित या परेशान होंगे

साँप और चोर दबे पर चोट करते हैं

बचाओ की सूरत ना रहे तो ये हमला करते हैं वर्ना उमूमन भाग जाने की कोशिश करे हैं

साईं तुझ बिन कौन है जो करे नवड़िया पार, तू ही आवत है नज़र चहूँ ओर करतार

ऐ ईश्वर तेरे सिवा कौन है जो बेड़ा पार करे, जिधर देखता हूँ तू ही दिखाई देता है

मुँह पर और, पीठ पीछे और

ज़ाहिर में दोस्त बातिन में दुश्मन, मुनाफ़िक़ है

समंद-ए-नाज़ पर इक और ताज़ियाना होना

शोख़ी और शरारत के लिए मज़ीद बहाना हाथ आना

भुस पर छटी और बाव पर बरात

ख़्याली पुलाव पकाने की निसबत बोलते हैं

मुँह पर राम-राम और बग़ल में छुरी

कहता कुछ है करता कुछ है मुनाफ़िक़ों की निसबत कहते हैं

द्वार धनी के पड़ रहे और धके धनी के खाए

अमीर के दर को ना छोड़े चाहे धक्के मिलें आख़िर कभी ना कभी फ़ायदा होगा

सख़ी का बेड़ा पार और सूम की मिट्टी ख़राब

दानी सफल रहता है, सूम लोगों की नज़रों में गिरा रहता है

देखे को बोरिया और आवे पाँवों पैर

मालूम तो पागल हो मगर अपने मतलब का पक्का हो (दीवाना बकार-ए-ख़ेश होशियार)

ना मर्द मरे नान पर और मर्द मरे नाम पर

बुज़दिल और कम हौसला आदमी की हिम्मत माल-ओ-दौलत तक महिदूद होती है लेकिन शरीफ़ और बहादुर आदमी अपनी इज़्ज़त के लिए जान देने में भी दरेग़ नहीं करता

मुँह पर फ़ाख़्ता उड़ जाना

चेहरे का रंग बदल जाना, चेहरा फ़क़ होना, चेहरे पर हवाईयां उड़ना

मुँह पर फ़ाख़्ता उड़ जाना

(दिल्ली) मुह पीला पड़ जाना, चेहरा पर हवाईयां उड़ने लगना

वही मानस दे सके राजों को सीख ज्ञान जो ना राखे लाभ धन और धरे हाथ पर जान

राजों को मश्वरा वही दे सकता है जिसे दौलत का लालच ना हो और जान की पर्वा ना करे

तीन पेड़ बकाइन के और मियाँ चले बाग़ में

रुक : तीन पेड़ बकाएं के मियां बाग़बान

'औरत पर जहाँ हाथ फिरा और वो फैली

'औरत को मर्द का हाथ लगे तो वह बहुत जल्द बढ़ती है

अशर्फ़ियों की लूट और कोयलों पर मोहर

रुक : अशर्फ़ियां लटें अलख

जवानी और उस पर शराब दूनी आग लगती है

जवानी में शराब पीना सख़्त ग़ज़ब ढाता है

पर को कुँवाँ खोदे और आप ही डूब मरे

पराए व्यक्ति की बुराई चाहने में अपनी ही हानि होती है

कब मरे और कब कीड़े पड़ें

बहुत लंबा काम है, जल्दी नहीं हो सकता

चोर और साँप दबे पर चोट करता है

चोर और साँप घिर जाएँ अथवा दब जाएँ तो हमला करते हैं वर्ना भाग जाते हैं

ख़ुदा की ख़ुदाई और मोहम्मद की बादशाही मैं कहूँ पर कहूँ

(ओ) ये हक़ बात है इस के कहने में किसी जगह पाक नावं

कोएले पर मुहर और अशरफ़ियाँ लुटीं

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