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yet के लिए उर्दू शब्द
yet के देवनागरी में उर्दू अर्थ
क्रिया-विशेषण
- अभी
- बाबुजूद ईं
- ताहम
- मा-सिवा
- और ज़ियादा
- ता-हाल
- अब भी
- हुनूज़
- अभी तक
- अब तक
- किसी आइंदा वक़्त पर या उससे क़ब्ल
- सब कुछ किए जाने से पहले
- अभी, ख़ुसूसन मुतक़ाबिल के साथ मुस्ता'मल है
- 'इलावा-अज़ीं
- मज़ीद-बर-आँ
- मज़ीद
- बावुजूद इसके
- बावुजूदे-कि
- फिर भी
- इस पर भी
- ('अत्फ़) लेकिन
- बावुजूदे-कि
- गो कि
- मगर
- पर
- इल्ला
- बावुजूद इस अम्र के
- ताहम, फिर भी
yet کے اردو معانی
فعل متعلق
- ابھی
- باوجود ایں
- تاہم
- ما سوا
- اور زیادہ
- تا حال
- اب بھی
- ہنوز
- ابھی تک
- اب تک
- کسی آئندہ وقت پر یا اس سے قبل
- سب کچھ کیے جانے سے پہلے
- ابھی، خصوصاً متقابل کے ساتھ مستعمل ہے
- علاوہ ازیں
- مزید برآں
- مزید
- باوجود اس کے
- باوجودیکہ
- پھر بھی
- اس پر بھی
- (عطف) لیکن
- باجودیکہ
- گو کہ
- مگر
- پَر
- اِلّا
- باوجود اس امر کے
- تاہم، پھر بھی
खोजे गए शब्द से संबंधित
यती
छंदों के चरणों में वह स्थान जहाँ पढ़ते समय उनकी लय ठीक रखने के लिए थोड़ा सा विश्राम होता है, विराति, विश्राम
ये तो
کسی صورت حال کی وضاحت یا اصل بتانے کے لیے مستعمل ۔ یہ تو رخصت ہوکر گھر آیا خبرداروں نے اس حال کا خاص و عام میں چرچا مچایا۔
yttrium
कीमिया: एक सुरमई धाती अंसर जो यूरेनियम की कुच धात में पाया जाता है और आला मूसिल बनाने में काम आता है (अलामत: Y)
यिह तो होना ही था
इस तरह तो होना ही था, यह तय था, हम जानते थे इस तरह होगा, यह तो होना ही था आख़िर ये शहर ख़ाली बादशाहों की राजधानी तो नहीं था
ये टाँग खोलो तो लाज, वो टाँग खोलो तो लाज
जब दोनों बातों में तिरस्कार एवं अपमान हो उस समय प्रयुक्त है
ये टाँग खोलो तो लाज है वो टाँग खोलो तो लाज है
जब दोनों बातों में बदनामी और तिरस्कार हो उस समय प्रयुक्त है अर्थात दोनों तरह बदनामी है
ये तक न पूछा कि तेरे मुँह में कै दाँत
जहाँ किसी की कोई पूछ-गछ और सेवा-सत्कार न हो वहाँ ये मुहावरा बोलते हैं
यतीम-ओ-यसीर
वह बालक जिसके माता-पिता दोनों मर गये हों, बिन माँ बाप का बच्चा या व्यक्ति, यह शब्द उर्दूवालों ने बनाया है
ये टाँग खोलूँ तो लाज है वो टाँग खोलूँ तो लाज है
जब दोनों बातों में अपमान एवं तिरस्कार हो उस समय प्रयुक्त है अर्थात दोनों तरह बदनामी है
यत्तम
कुएँ से पानी निकालने की बल्ली जिसके एक किनारे पर डोल लटका होता है और दूसरे किनारे पर वज़न बँधा होता है, ढेकली
ये तो कबीर भी कह गए हैं
ये तो मुस्लिमा बात है, ये बात तो और सब बुज़ुर्गों की तस्लीम की हुई है, उसे तो आरिफ़ बिल्लाह भी मानते हैं ये तो मानी हुई और तस्लीम की हुई बात है
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