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man-hour

मज़दूओरी साअत

मन हरना

मन हारना

हिम्मत हार जाना, हौसला हारना, दिल में उत्साह और उमंग न रहना

मन-हारी

= मनोहारी

मन-हाराक

मैं हारा तुम जीते

बेहस में आजिज़ी ज़ाहिर करने को कहते हैं नीज़ तंज़न भी कहते हैं जब कोई फ़ुज़ूल बेहस करे

पत्थर पूजे हर मिले तो मैं पूजूँ पहाड़

अगर ख़ुशामद से कार बरारी होसके तो में निहायत ख़ुशामदी बिन जाऊं

जुवा बड़ा ब्योपार जो न होती इस में हार

जुए में क्षण भर में हज़ारों के वारे न्यारे हो जाते हैं यदि इस में जीत ही जीत होती तो इस से बढ़ कर कोई रोज़गार न था

साईं के दरबार में बड़े बड़े हैं ढेर, अपना दाना बीन ले जिस में हेर न फेर

अपनी क़िस्मत पर शुक्र करना चाहिए और जो मिले उस पर संतोष करना चाहिए

ज़र-दार मर्द ना हर घर में रहे कि बाहर

सोने से पुरूष का शासन और प्रताप है घर में भी और बाहर भी

'अहद में

ज़माना में, समय में, वक़्त में

हर फ़न में अधूरे , किसी फ़न में न उतरे पूरे

कोई हुनर पूरा नहीं जानते

हर हाल में हर तरह

हाड़-हाड़ में

हर चे बर ख़रे बाशद मन पालानम

(फ़ारसी कहावत उर्दू में मुस्तामल) चाहे गधे पे कुछ हो में तो पालान हूँ , मुझे हरकिस-ओ-नाक्स से पाला पड़ता है , अपने काम से काम रखना चाहिए (ऐसे मौके़ पर कहा जाता है जब किसी को अपनी मंसबी मजबूरी के सबब ग़लत या हमाक़त का काम करना पड़ता है , जैसे : पालान के ऊपर अच्छा बुरा, क़ीमती सस्ता हर तरह का सामान लदा होता है

हर वक़्त पाँचों घी में

रुक : पांचों उंगलियां घी में अलख

हार में हार न घर में खेती

नुक़्सान ही नुक़्सान है

हीरा-जवाहिर-मन

एक गहने का नाम जिसमें मूल्यवान पत्थर और नग लगे होते थे

दो ही बात में हार जीत है

बहुत जल्द निर्णय होता है, जल्द इधर या उधर हो कर रहता है

चूचियों में हाड़ टटोलना

हर रंग में

हद में रहना

मुक़र्ररा मुक़ाम पर रहना, क़ाबू में रहना, इख़तियार के मुताबिक़ अमल करना, हैसियत के मुताबिक़ काम करना

हर हाल में ख़ुश रहना

आराम और कष्ट दोनों में ख़ुश रहना, हर स्तिथि में ख़ुश रहना

हैं मर्द वही पूरे जो हर हाल में ख़ुश हैं

मर्द वही है जो तकालीफ़ की पर्वा ना करे, मर्द कामिल वही है जो हर हाल में ख़ुश रहे , नज़ीर अकबराबादी का मिसरा (पूरे हैं वही मर्द, जो हर हाल में ख़ुश हैं) तक़दीम ताख़ीर के साथ बतौर ज़रब-उल-मसल मुस्तामल

हर रंग में पानी

हर हाल में

हार में रहना

ख़सारे में रहना, नुक़्सान उठाना

हीरों में तौलने का आदमी है

रुक : हीरा आदमी है

हार जीत सब में रहे हारे न दतार

नफ़ा नुक़्सान सब को होता है मगर फ़य्याज़ आदमी कभी नुक़्सान नहीं उठाता

चूचियों में हार टटोलते हो

पत्थर में से ख़ून निकालते हो, नाहक़ बालू बल्लूते हो, इन हुई बात के लिए कोशिश करते हो, नामुमकिन उल-हसूल बात के लिए कोशिश करते हो (चूचियों में हड्डियां नहीं होतीं

हादी-उल-ईमान

हार में पिरोया जाना

तर्तीब दिया जाना , मुत्तहिद किया जाना

हीरों में तोलना

बहुत ज़्यादा क़दर-ओ-मंजिलत करना नीज़ बहुत बड़ी क़ीमत लगाना

क़ाज़ी जी बहुत हराएँ मैं हारता ही नहीं

कोई व्यक्ति समझाने के अतिरिक्त न समझे और जो कुछ उसके दिमाग़ में जम जाये उसी पर सदृढ़ रहे

हार मान लेना

मास सब कोई खाता है हाड़ गले में कोई नहीं बाँधता

लायक़ से सब मुहब्बत करते हैं नालायक़ को कोई नहीं पूछता

हद्द-ए-सियासत में

अधिकार में, इख़्तियार में

मु'आहदा-ए-अम्न

पार्टियों के बीच लड़ाई न करने का समझौता

हर एक के कान में शैतान ने फूँक मार दी है कि तेरे बराबर कोई नहीं

हर एक अपने आप को लासानी समझता है

बंदर के गले में मोतियों का हार

अयोग्य या क़द्र न करने वाले को कोई ऊँची वस्तु मिल जाने की परिस्थिति

सब गहनों में चंदन हार

चंदन हार सब गहनों में बेहतर है

साठ सास नंद हों सौं, माँ की होर न अनसों हो

चाहे साठ सास / सासें और नंद हूँ माँ के बराबर नहीं हो सकतीं

साठ सास नंद हों सौं, माँ की होर न अनसों हो

चाहे साठ सास / सासें और नंद हूँ माँ के बराबर नहीं हो सकतीं

man-hour के लिए उर्दू शब्द

man-hour

man-hour के उर्दू अर्थ

संज्ञा

  • मज़दूओरी साअत
  • एक आदमी के काम का एक घंटा
  • पैमाना मज़दूओरी

man-hour کے اردو معانی

اسم

  • مَزدُوری ساعَت
  • ايک آدمی کے کام کا ايک گھنٹہ
  • پيمانَہ مَزدُوری

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man-hour

मज़दूओरी साअत

मन हरना

मन हारना

हिम्मत हार जाना, हौसला हारना, दिल में उत्साह और उमंग न रहना

मन-हारी

= मनोहारी

मन-हाराक

मैं हारा तुम जीते

बेहस में आजिज़ी ज़ाहिर करने को कहते हैं नीज़ तंज़न भी कहते हैं जब कोई फ़ुज़ूल बेहस करे

पत्थर पूजे हर मिले तो मैं पूजूँ पहाड़

अगर ख़ुशामद से कार बरारी होसके तो में निहायत ख़ुशामदी बिन जाऊं

जुवा बड़ा ब्योपार जो न होती इस में हार

जुए में क्षण भर में हज़ारों के वारे न्यारे हो जाते हैं यदि इस में जीत ही जीत होती तो इस से बढ़ कर कोई रोज़गार न था

साईं के दरबार में बड़े बड़े हैं ढेर, अपना दाना बीन ले जिस में हेर न फेर

अपनी क़िस्मत पर शुक्र करना चाहिए और जो मिले उस पर संतोष करना चाहिए

ज़र-दार मर्द ना हर घर में रहे कि बाहर

सोने से पुरूष का शासन और प्रताप है घर में भी और बाहर भी

'अहद में

ज़माना में, समय में, वक़्त में

हर फ़न में अधूरे , किसी फ़न में न उतरे पूरे

कोई हुनर पूरा नहीं जानते

हर हाल में हर तरह

हाड़-हाड़ में

हर चे बर ख़रे बाशद मन पालानम

(फ़ारसी कहावत उर्दू में मुस्तामल) चाहे गधे पे कुछ हो में तो पालान हूँ , मुझे हरकिस-ओ-नाक्स से पाला पड़ता है , अपने काम से काम रखना चाहिए (ऐसे मौके़ पर कहा जाता है जब किसी को अपनी मंसबी मजबूरी के सबब ग़लत या हमाक़त का काम करना पड़ता है , जैसे : पालान के ऊपर अच्छा बुरा, क़ीमती सस्ता हर तरह का सामान लदा होता है

हर वक़्त पाँचों घी में

रुक : पांचों उंगलियां घी में अलख

हार में हार न घर में खेती

नुक़्सान ही नुक़्सान है

हीरा-जवाहिर-मन

एक गहने का नाम जिसमें मूल्यवान पत्थर और नग लगे होते थे

दो ही बात में हार जीत है

बहुत जल्द निर्णय होता है, जल्द इधर या उधर हो कर रहता है

चूचियों में हाड़ टटोलना

हर रंग में

हद में रहना

मुक़र्ररा मुक़ाम पर रहना, क़ाबू में रहना, इख़तियार के मुताबिक़ अमल करना, हैसियत के मुताबिक़ काम करना

हर हाल में ख़ुश रहना

आराम और कष्ट दोनों में ख़ुश रहना, हर स्तिथि में ख़ुश रहना

हैं मर्द वही पूरे जो हर हाल में ख़ुश हैं

मर्द वही है जो तकालीफ़ की पर्वा ना करे, मर्द कामिल वही है जो हर हाल में ख़ुश रहे , नज़ीर अकबराबादी का मिसरा (पूरे हैं वही मर्द, जो हर हाल में ख़ुश हैं) तक़दीम ताख़ीर के साथ बतौर ज़रब-उल-मसल मुस्तामल

हर रंग में पानी

हर हाल में

हार में रहना

ख़सारे में रहना, नुक़्सान उठाना

हीरों में तौलने का आदमी है

रुक : हीरा आदमी है

हार जीत सब में रहे हारे न दतार

नफ़ा नुक़्सान सब को होता है मगर फ़य्याज़ आदमी कभी नुक़्सान नहीं उठाता

चूचियों में हार टटोलते हो

पत्थर में से ख़ून निकालते हो, नाहक़ बालू बल्लूते हो, इन हुई बात के लिए कोशिश करते हो, नामुमकिन उल-हसूल बात के लिए कोशिश करते हो (चूचियों में हड्डियां नहीं होतीं

हादी-उल-ईमान

हार में पिरोया जाना

तर्तीब दिया जाना , मुत्तहिद किया जाना

हीरों में तोलना

बहुत ज़्यादा क़दर-ओ-मंजिलत करना नीज़ बहुत बड़ी क़ीमत लगाना

क़ाज़ी जी बहुत हराएँ मैं हारता ही नहीं

कोई व्यक्ति समझाने के अतिरिक्त न समझे और जो कुछ उसके दिमाग़ में जम जाये उसी पर सदृढ़ रहे

हार मान लेना

मास सब कोई खाता है हाड़ गले में कोई नहीं बाँधता

लायक़ से सब मुहब्बत करते हैं नालायक़ को कोई नहीं पूछता

हद्द-ए-सियासत में

अधिकार में, इख़्तियार में

मु'आहदा-ए-अम्न

पार्टियों के बीच लड़ाई न करने का समझौता

हर एक के कान में शैतान ने फूँक मार दी है कि तेरे बराबर कोई नहीं

हर एक अपने आप को लासानी समझता है

बंदर के गले में मोतियों का हार

अयोग्य या क़द्र न करने वाले को कोई ऊँची वस्तु मिल जाने की परिस्थिति

सब गहनों में चंदन हार

चंदन हार सब गहनों में बेहतर है

साठ सास नंद हों सौं, माँ की होर न अनसों हो

चाहे साठ सास / सासें और नंद हूँ माँ के बराबर नहीं हो सकतीं

साठ सास नंद हों सौं, माँ की होर न अनसों हो

चाहे साठ सास / सासें और नंद हूँ माँ के बराबर नहीं हो सकतीं

संदर्भग्रंथ सूची: रेख़्ता डिक्शनरी में उपयोग किये गये स्रोतों की सूची देखें .

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