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duello के लिए उर्दू शब्द
duello के देवनागरी में उर्दू अर्थ
संज्ञा
- मुबारिज़त आराई
- यकीकी का अमल
- डोईल करने का अमल
- यकीकी के क़वाइद-ओ-ज़वाबत
duello کے اردو معانی
اسم
- مبارزت آرائی
- یکیکی کا عمل
- ڈوئیل کرنے کا عمل
- یکیکی کے قواعد و ضوابط
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दिल्ला
दरवाज़े के पल्ले के ढाँचे में कसा तथा जड़ा हुआ लकड़ी का एक चौकोर टुकड़ा जो दरवाज़े में शोभा बढ़ाने के लिए लगाया जाता है; दिलहा।
दिल्ली की कमाई भंग के भाड़े में गँवाई
सारी उम्र की मेहनत बेकार गई, या मुफ़्त में माल बर्बाद करने की बात कहते हैं
दिल्ली में बारह बरस रह कर भाड़ झोंका
जब कोई अच्छे स्थान या वातावरण में काफ़ी दिनों तक रह कर भी कुछ न सीख सके तो उसके प्रती व्यंग में ऐसा कहते हैं. अनाड़ी ही रहा, अच्छी जगह रह कर भी कुशलता नहीं प्राप्त कर सका, अनभिज्ञ व्यक्ति कभी उन्नति नहीं कर सकता
दिल्ली में रह कर भाड़ झोंका
जब कोई अच्छे स्थान या वातावरण में काफ़ी दिनों तक रह कर भी कुछ न सीख सके तो उसके प्रती व्यंग में ऐसा कहते हैं. अनाड़ी ही रहा, अच्छी जगह रह कर भी कुशलता नहीं प्राप्त कर सका, अनभिज्ञ व्यक्ति कभी उन्नति नहीं कर सकता
दिल्ली में रह कर क्या भाड़ झोंका
जब कोई अच्छे स्थान या वातावरण में काफ़ी दिनों तक रह कर भी कुछ न सीख सके तो उसके प्रती व्यंग में ऐसा कहते हैं. अनाड़ी ही रहा, अच्छी जगह रह कर भी कुशलता नहीं प्राप्त कर सका, अनभिज्ञ व्यक्ति कभी उन्नति नहीं कर सकता
दिल्ली में रह कर भी भाड़ झोंका
जब कोई अच्छे स्थान या वातावरण में काफ़ी दिनों तक रह कर भी कुछ न सीख सके तो उसके प्रती व्यंग में ऐसा कहते हैं. अनाड़ी ही रहा, अच्छी जगह रह कर भी कुशलता नहीं प्राप्त कर सका, अनभिज्ञ व्यक्ति कभी उन्नति नहीं कर सकता
डल्लो का दसहरा
एक हास्य चरित्र; पुराने समय में बारात के आगे सजावट के लिए अजीब सी सूरत-शक्ल वाला आदमी होता था जिसके साथ हँसाने वाली चीज़ें होती थीं, अतिरिक्त चीज़
दिल्ली से मैं आऊँ ख़बर कहे मेरा भाई, घर से आए कोई संदेसा दे कोई
ये कहावत उन लोगों के प्रति बोलते हैं जिन को किसी बात का ज्ञान होना आवश्यक समझा जाता है मगर वो लापरवाही या मूर्खता के कारण इस बात से अनभिज्ञ या अज्ञानी हों
दिल्ली में रहे और भाड़ ही झोंका
जब कोई अच्छे स्थान या वातावरण में काफ़ी दिनों तक रह कर भी कुछ न सीख सके तो उसके प्रती व्यंग में ऐसा कहते हैं. अनाड़ी ही रहा, अच्छी जगह रह कर भी कुशलता नहीं प्राप्त कर सका, अनभिज्ञ व्यक्ति कभी उन्नति नहीं कर सकता
दिल्ली की कमाई काँदू के नाले में बहाई
उस जगह पर बोलते हैं कि जब कोई व्यक्ति बाहर पैसा कमा कर वहीं ख़र्च कर दे और घर ख़ाली हाथ जैसा गया था वैसा ही लौट आए
दिल्ली की कमाई बारा बंकी में गँवाई
किसी का मेहनत से पैदा क्या हो माल जब बुरी तरह ख़र्च हो जाता है तो सुनने वाला कहता है
दिल्ली में रह कर भाड़ ही झोंका किए
जब कोई अच्छे स्थान या वातावरण में काफ़ी दिनों तक रह कर भी कुछ न सीख सके तो उसके प्रती व्यंग में ऐसा कहते हैं. अनाड़ी ही रहा, अच्छी जगह रह कर भी कुशलता नहीं प्राप्त कर सका, अनभिज्ञ व्यक्ति कभी उन्नति नहीं कर सकता
दिल्ली दिखाना
(अवाम की भाषा) '' बच्चे को खिलाते हुए बच्चे को सर और कानों से पकड़ कर या बग़लों में हाथ दे कर सर से ऊँचा उठा लेते हैं इस कार्य को दिल्ली दिखाना कहते हैं ''
della cruscan
फ्लोरेंस में वाक़्य ज़बान की छानबीन की अकादमी Accademia della Crusca से मुताल्लिक़ जो इतालवी ज़बान की पाकीज़गी पर नज़र रखती है।
दिल्ली से मैं आऊँ ख़बर कहे मेरा भाई
ये कहावत उन लोगों के प्रति बोलते हैं जिन को किसी बात का ज्ञान होना आवश्यक समझा जाता है मगर वो लापरवाही या मूर्खता के कारण इस बात से अनभिज्ञ या अज्ञानी हों
दिल्ली के दीवाली, मुँह चिकना पेट ख़ाली
दिल्ली के निवासी बहुत ही सुसज्जतापूर्वक रहते हैं जबकि प्राय: भूखे मरते हैं
दिल्ली की दाल वाली मुँह चिकना पेट ख़ाली
दिल्ली की दाल बेचने वाली की बिक्री बहुत कम होती है, इस लिए ख़सताहाल रहती है , दिल्ली में उमूमन गोश्त खाया जाता है इस लिए दाल के ख़रीदार कम हैं
दिल्ली की दिल वाली मुँह चिकना पेट ख़ाली
ऐसे अवसर पर प्रयुक्त कि पैसा पास न हो और सफ़ेद पोशी या ज़ाहिरी रख रखाव बाक़ी हो, वास्तव में कुछ न मगर ज़ाहिरी टीम-टाम हो
क़हबा चूँ पीर शवद पेशा कार कुनद दलाली
(फ़ारसी कहावत उर्दू में मुस्तामल) फ़ाहिशा औरत जो बूढ़ी होजाती है तो कटना पा या दलाली करने लगती है , बदमाश जब ख़ुद बदमाशी नहीं करसकता तो दूसरे बदमाशों का मुशीर बिन जाता है
बारह बरस दिल्ली में रहे भाड़ झोंका
उस अवसर पर प्रयुक्त है जब कोई निरंतर अवसर मिलने पर भी विकास न करे या न सीखे
चाहे कोदों दलाले , चाहे मंडवा पिसाले
दमी से एक वक़्त में एक ही काम होसकता है , जो काम मर्ज़ी है कराले में तेरे इख़तियार में हूँ औरत ख़ावंद से कहती है
बारह बरस दिल्ली में रहे और भाड़ वही झोंका
उस अवसर पर प्रयुक्त है जब कोई निरंतर अवसर मिलने पर भी विकास न करे या न सीखे
बारह बरस दिल्ली में रहे, भाड़ ही झोंका
उस अवसर पर प्रयुक्त है जब कोई निरंतर अवसर मिलने पर भी विकास न करे या न सीखे
कोइलों की दलाली में मुँह भी काला कपड़े भी काले
बुरे कामों में पड़ने का परिणाम अपकीर्ति एवं बदनामी है
बारह बरस दिल्ली में रहे और भाड़ ही झोंका
उस अवसर पर प्रयुक्त है जब कोई निरंतर अवसर मिलने पर भी विकास न करे या न सीखे
कोइलों की दलाली में हाथ काले
बुरे काम में प्रणय का अंजाम बदनामी है, जिस काम के करने से नाहक़ बदनामी हो उस की निसबत बोलते हैं
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