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आठ बार नौ त्योहार
सुख-सुविधा और आराम का शौक़ या लगन ऐसा बढ़ा हुआ है कि युग और समय उसको अल्प व्यय नहीं करने देता
चमनिस्तान
ऐसा बाग़ जहाँ फूल ही फूल हों, ऐसी जगह जहाँ दूर तक फूल ही फूल और हरा भरा नज़र आए, वाटिका, चमन, बाग़
दादरा
संगीत में एक प्रकार का चलता गाना (पक्के या शास्त्रीय गानों से भिन्न), एक प्रकार का गान, एक ताल
मज़दूर
शारीरिक श्रम के द्वारा जीविका कमाने वाला कोई व्यक्ति, जैसे: इमारत बनाने, कल-कारख़ानों में काम करने वाला, श्रमिक, कर्मकार, भृतक, मजूर
दूध-शरीक बहन
ऐसी बालिका जो किसी ऐसी स्त्री का दूध पीकर पली हो जिसका दूध पीकर और कोई बालिका या बालक भी पला हो, धाय संतान, दूधबहिन, दूधबहन
"तजवीद" टैग से संबंधित शब्द
"तजवीद" से संबंधित उर्दू शब्द, परिभाषाओं, विवरणों, व्याख्याओं और वर्गीकरणों की सूची
इदग़ाम-ए-शफ़वी
(तजवीद अरबी) मीम साकन के बाद मीम मुतहर्रिक आने पर पहली मीम को दूसरी मीम में मुदग़म करना, जैसे विकम मन
'इल्म-ए-औक़ाफ़
(तजवीद) इस बात का ज्ञान कि वाक्य पर किस तरह रुकना चाहिए और किस तरह नहीं रुकना चाहिए और कहाँ के अर्थ के हिसाब से रुकना दोषपूर्ण है या सही और कहाँ ज़रूरी और कहाँ ज़रूरी नहीं और कहाँ विकार आदि है
'इल्म-ए-रस्म-ए-ख़त
(तजवीद) वो इलम जिस में ख़ुश खितबी के उसूल से बेहस की जाती है कि किस कलिमा को कहाँ पर किस तरह लिखना चाहिए
क़िसार-ए-मुफ़स्सल
(पठन) पवित्र क़ुरआन की छोटे अंतराल वाले अध्यायों अर्थात 'लमयकुन' से क़ुरआन के समापन तक
तमतीत
शब्दों या ध्वनियों को खींचना (खास तौर पर कुरान के पाठ में ), किसी शब्द को लंबा करके और सजा कर (ख़ास अंदाज़ के साथ) अदा करना जो त्रुटि में शामिल है
तर्क़ीस
(तजवीद) आवाज़ को नचाना यानी कभी बुलंद करना और कभी नीची करना, ये तिलावत के उयूब में से एक ऐब है
तवस्सुत
ज़रिया, संतुलन, वसीला, वास्ता, बीच का रास्ता, माध्यम, तुम्हारा तवस्सुत इस मुआमले में मुझ को पसंद नहीं, मध्यस्थता, बिचवई
नून-क़ुतिनी
(तजवीद) वो छोटा नून जो अरबी में साकन या मुशद्दद हर्फ़ से पहले तनवीन वाले हर्फ़ पर लिखा जाता है इस से पहले जहां कहीं अलिफ़ आए वो पढ़ा नहीं जाता
मज़
एक वज़न , एक बहर , (तजवीद) मद, ऐसे हुरूफ़ जो दूसरे हुरूफ़ की आवाज़ों को लंबा कर दें '' ए,-ओ-, य '' माक़बल मफ़तूह, मज़मूम
महमूसा
(तजवीद) वो हुरूफ़ इतहजी जो नरमी और आहिस्तगी से बोले जाएं, वो ये हैं : त, स, ह्, ख, स, श, स, फ, क, ह
यर्मलून
अरबी के छः अक्षरों का समाहार, जब हल् न (न्) के बाद इनमें से कोई अक्षर आता है। तो वह ‘न’ वही अक्षर बन जाता है, जैसे - ‘मिन् रब्बी' का । मिरब्बी, ‘मिन्लबन' का मिल्लबन, हो गया।
वक़्फ़-ए-इख़्तिबारी
(तजवीद) वक़्फ़ जिस में उस्ताद शागिर्द को इमतिहानन ठहराए कि ये मौक़ूफ़ को कैसे पढ़ता है
वक़्फ़-ए-इज़्तिरारी
(तजवीद) क़ुरआन की तिलावत के दौरान किया जाने वाला वक़फ़ा जो मजबूरन हो, वक़्फ़ जो उसूलन नहीं होना चाहिए मगर मजबूरी के सबब ख़ुद ही हो जाये (मसलन खांसी आने या सांस टूटने से)
वक़्फ़-ए-क़बीह
(तजवीद) क़ुरआन मजीद की तिलावत के दौरान ऐसे मुक़ाम पर ठहरना जहां ना तो वक़्फ़ ताम हो और ना वक़्फ़ हुस्न (जैसे : बिसमिल्लाह में बिस्म पर वक़्फ़ करना), वक़्फ़ जिस में मौक़ूफ़ को अपने माबाद कलिमे से लफ़्ज़ी और माअनवी दोनों ताल्लुक़ हूँ, वक़्फ़ इज़तिरारी
वक़्फ़-ए-काफ़ी
(तजवीद) क़ुरआन मजीद में दौरान तिलावत ठहरने का वो मुक़ाम जहां लफ़ज़न तो इन्क़िता वाक़्य हो जाये लेकिन मानी माबाद का ताल्लुक़ माक़बल से मौजूद हो
वक़्फ़-ए-जाएज़
(तजवीद) क़ुरआन मजीद में वो मुक़ामात जहां दौरान तिलावत रुकना और ना रुकना दोनों जायज़ हूँ, वक़्फ़ जिस में वक़्फ़ और वस्ल दोनों जायज़ हैं
वक़्फ़-ए-तजव्वुज़
(तजवीद) वक़्फ़ जिस में अलामत वक़्फ़ (ज़) पर वक़्फ़ करके कलमा-ए-माबाद से इबतिदा करना भी जायज़ है लेकिन ना ठहरना बेहतर है
वक़्फ़-ए-ताम
(तजवीद) क़ुरआन मजीद के वो मुक़ामात जहां पर ठहर कर सांस लेना और फिर इस के बाद इबतिदा करना अच्छा हो, वक़्फ़ जिस में मौक़ूफ़ कलिमे को अपने बाद आने वाले कलिमे से ना तो ताल्लुक़ लफ़्ज़ी हो ना माअनवी
वक़्फ़-ए-मुरख़्ख़स
(तजवीद) वक़्फ़ जिस में बात पूरी ना होने और कलिमे के तवील होने के बाइस बजाय दूसरे मुक़ामात के सांस लेना बेहतर होता है
वक़्फ़-ए-हसन
(तजवीद) क़ुरआन में वह स्थान जहाँ पढ़ते समय ठहरन तो ठीक हो लेकिन ठहर कर तुरंत उसके बाद से बिना दोहराए पढ़ाई शुरू करना ठीक न हो (क्योंकि जिस शब्द पर ठहराव किया जाता है उसका शाब्दिक संबंध अगले शब्द से होता है; जैसे: अल्हम्दुलिल्लाह के बाद रब्बिलआलमीन)
वस्ल-ए-कुल
(क़रआनी भाषा के पठन-पाठन की पद्धति) धर्मग्रंथ का पाठ करते समय क़ुरआन के दो श्लोकों को बिना रुके अर्थात मिला कर पढ़ना
सिला
प्रतिकार, बदला, प्रत्यपकार, बुराई का बदला, प्रत्युपकार, भलाई का बदला, पुरस्कार, इन्आम, उपहार, तोहफ़ा, किसी परिश्रम का फल या बदला, धन के रूप में हो या किसी दूसरे रूप में
हुरूफ़-ए-ग़ैर-मुतशाबिह
(क़वाइद, तजवीद) वो हुरूफ़ जिन की शक्ल एक दूसरे से मिलती जलती ना हो जैसे : ब, ज वग़ैरा
हुरूफ़-ए-तर्फ़िय्या
(तजवीद) वो हुरूफ़ जिन का मख़ज़ज ज़बान का किनारा है, ज़बान के किनारे से अदा होने वाले हुरूफ़
हुरूफ़-ए-तहतानी
(तजवीद) वो नुक़्तादार हुरूफ़ जिन का नुक़्ता या नुक़्ते उन के नीचे लिखे जाते हैं, मसलन : ब, प वग़ैरा
हर्फ़-ए-बहरी
(तजवीद) वो हुरूफ़ जिन का मख़रज होन की तिरी है .हर्फ़-ए-बहरी वो हर्फ़ जो होंटों की तिरी से निकले जैसेब
हुरूफ़-ए-मुतवस्सिता
(तजवीद) वस्त में नुक़्ता रखने वाले हुरूफ़, दरमयानी नुक़्ता के हुरूफ़, मसलन ज, चे, नून
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