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रिसाई

दुख और मौत से संबंधित, शोकयुक्त

ज़र्फ़

बर्तन

तिहाई

किसी वस्तु के तीन समान भागों में कोई एक भाग, तीसरा अंश, भाग या हिस्सा, तीसरा हिस्सा

ला'नत

धिक्कार, फटकार, भर्त्सना, अभिशाप, शाप

क़हर ढाना

किसी के लिए संकट पैदा करना, संकटग्रस्त बनाना, किसी पर कोई आफ़त लाना, ज़ुल्म करना, क़हर तोड़ना

मज़दूर

शारीरिक श्रम के द्वारा जीविका कमाने वाला कोई व्यक्ति, जैसे: इमारत बनाने, कल-कारख़ानों में काम करने वाला, श्रमिक, कर्मकार, भृतक, मजूर

चले न जाए आँगन टेढ़ा

काम में कुशल न होने पर दूसरे पर आरोप मढ़ना

आगे नाथ न पीछे पगा

जिसके आगे-पीछे कोई न हो, जिसका अपना कोई न हो, असहाय, लावारिस, अकेला

साहिर

जादूगर, वह व्यक्ति जो जादू दिखाता हो

कुड़माई

शादी के पूर्व रिश्ता पक्का करने के लिए की जाने वाली रस्म, सगाई, शादी तै करना, रिश्ता करना

नज़र-भर देखना

भरपूर नज़र से देखना, ग़ौर से देखना, ध्यान से देखना

ख़्वाजा-ताश

एक स्वामी के दास, जो आपस में ख्वाजःताश कहलाते हैं

मैया

कृपा, करुणा, तरस, ममता, दया

क़फ़स

(पक्षियों का) पिंजरा, कबूतरों का दरबा जो बाँस की खपच्चियों से बनाते हैं

हुस्न-ए-तलब

माँगने का अच्छा ढंग, कोई चीज़ इशारे इशारे में माँगना, ऐसे ढंग से चीज़ माँगना कि देने वाला देते हुए ख़ुशी महसूस करे

बसर

गुज़ारा, निर्वाह, जीवन-यापन, जीविका, निबाहना

बसर-औक़ात

जीवनानिर्वाह का अवलंब, जीवन का सहारा, जीविका साधन, आजीविका, वृत्ति, रोजी, रोजगार

मुंतशिर

बिखरा हुआ, छितरा हुआ, फैला हुआ, तितर-बितर, बिखरने वाला, फैलने वाला

पिनक

अफ़ीमची की वह अवस्था जिमसें वह नशे की अधिकता के कारण सिर झुकाकर बैठे रहने की दशा में बेसुध या सोया हुआ सा रहता है, अफ़ीम के नशे में ऊँघना, अफ़ीम के नशे में धुत्त, अफ़ीम की झोंक

आँख ओट पहाड़ ओट

जो वस्तु आँख के सामने न हो यदि वह निकट हो तब भी दूर है

"धर्मशास्त्र" टैग से संबंधित शब्द

"धर्मशास्त्र" से संबंधित उर्दू शब्द, परिभाषाओं, विवरणों, व्याख्याओं और वर्गीकरणों की सूची

'अक़्द-ए-मुव्वालात

(न्यायशास्त्र) किसी अज्ञात कुल के व्यक्ति का दूसरे को अपना सरदार और उत्तराधिकारि बनाने की प्रतिज्ञा और वचन

अजर-ए-मुसम्मा

जो मज़दूरी निश्चित हुई हो, किसी कार्य का निश्चित वेतन

अल-मबलग़

(धर्मशास्त्र) विरासत के बंटवारे में खिंची हुई रेखाओं के साथ लिखा गया जीवित व्यक्तियों के ऊपर या नीचे छोड़ी हुई संपत्ति की मात्रा के लिए बहुत कम खिंची हुई रेखा के साथ लिखा जाने वाला वाक्य, जिसके नीचे कुल छोड़ी पूँजी लिखी जाती है

अस्ल-ए-क़रीब

(विरासत) पिता (दादा के तुलना में)

अस्ल-ए-ब'ईद

(विरासत) दादा (पिता की तुलना में)

असहाब-उल-फ़राइज़

क़ुरआन के अनुसार एक मृत व्यक्ति का पैतृक सम्पत्ति पानेवाला

अहल-ए-निसाब

फ़िक़्ह: वो शख़्स जिसके पास इतना माल हो जिस पर ज़कात या कर अनिवार्य हो जाती है

अहवत

दो या दो से अधिक वस्तुओं में जो सावधानी के निकट हो, जिसमें त्रुटि से बचने की अधिक संभावना हो,अधिक विवेकपूर्ण क्रिया

आब-ए-क़लील

(फ़िक़्ह) ''कर'' से कम पानी (फ़िक़्ह की शराइत के साथ)

आब-ए-कसीर

(फ़िक़्ह) कर भर या इस से ज़्यादा पाक और ग़ैर मुज़ाफ़ पानी

आमीन-बिल-जहर

नमाज़ में इमाम और दुसरे उपस्थित लोगों का पुकार के 'आमीन' कहना

आमीन-बिस्सिर्र

नमाज़ में इमाम के सूरा हम्द पढ़ने के बाद मुक़तदियों अर्थात दुसरे नमाज़ियों का आहिस्ता से आमीन कहना (जो इमाम अबू हनीफ़ा का पंथ या मस्लक है)

आ'लम

न्यायशास्त्र के न्यायवादी जो ज्ञान, न्याय, तप और धर्मनिष्ठता में अपने समय के अन्य न्यायवादियों से श्रेष्ठ है, सबसे बड़े न्यायवादी

इबाक़

(धर्मशास्त्र) मालिक के यहाँ से बालिग़ ग़ुलाम या लौंडी का भाग जाना

इस्तिहाज़ा

मासिक धर्म अधिक मात्रा में आने का रोग, अति रजस्राव, अत्यार्तव

इसाबत-ए-हक़

(लफ़ज़न) सही नतीजे पर पहुंचना, (दीनयात) इस अमर तक ज़हन की रसाई जो शरीयत के रो से हक़ हो (ख़ित्तए इजतिहादी के बिलमुक़ाबिल), मसले में इस नतीजे तक पहुंचना जो अहकाम अलहाई के मुताबिक़ हो, जैसे : फुक़हा में ये मुस्लिम है कि असाबत-ए-हक़ पर फ़कीह को दोहरा अज्र मिलता है

उम्म-उल-वलद

(लफ़ज़न) बेटे की माँ, (फ़िक़्ह) वो कनीज़ जिस के बतन से इस के आक़ा का बच्चा पैदा हो

'उम्रा

(विधिशास्त्र) इस्लाम में कोई चीज़ किसी को पूरी उम्र के लिए दे देना इस शर्त पे कि मरने के बाद वापस ले लूँगा

एहराम

(सूफ़ीवाद) बड़ी चादर, (प्रायः केसरी रंग की) जो सूफी, संत एवंं फक़ीर आदि आधा लुंगी के तौर पर बाँधते है तथा आधा शरीर के उपरी भाग पर लपेट लेते हैं (प्रायः वारसी अनुयायी)

'औल

दान, बख्शिश

कफ़्फ़ारा

किसी पाप से शुद्धि के लिए किया जाने वाला कृत्य, प्रायश्चित्त

क़स्म

फ़िक़्ह: हिस्सा करना, बांटना, तक़सीम करना

काफ़िर-ए-ज़िम्मी

(फ़िक़्ह) वो काफ़िर जो हुकूमत-ए-इस्लाम को जिज़्या अदा करे और इस बिना पर हुकूमत उस के जान-ओ-माल और आबरू की ज़िम्मेदार हो

काफ़िर-ए-हर्बी

(फ़िक़ह) वह काफ़िर जिसकी वजह से धर्म के मामलों में व्यवधान उत्पन्न हो और इस आधार पर उससे लड़ना अनिवार्य हो जाए

क़ाम

(धर्मशास्त्र) नमाज़ का आरंभ, क़द-क़ामतिस्सलाह, इक़ामत अर्थात नमाज़ के लिए तकबीर

क़ारिन

(फ़िक़्ह) हज और उमरा अखटा अदा करने वाला, वो शख़्स जो हज और उमरे दोनों के लिए एहराम बांधे

किताबत-ए-हाल्ला

(धर्मशास्त्र) किताबत का एक प्रकार, नगद राशि के बदले सेवक या सेविका की आज़ादी

किफ़ालत-बिन्नफ़्स

व्यक्तिगत ज़मानत, व्यक्तिगत गारंटी, व्यक्तिगत सुरक्षा

ख़ुल'

(इस्लाम) मुसलमान स्त्री का अपने पति से तलाक़ चाहना, वो तलाक़ जो स्त्री धन या संतान देकर और मह्र माफ़ करके प्राप्त करे

ख़ियार-उल-बुलूग़

वह विकल्प और अधिकार जो लड़की को बालिग़ और वयस्क होने पर हासिल होता है कि वह वयस्क होने से पहले की अपनी शादी को रद्द करे या बाक़ी रखे

गुज़ारा

खर्च, आजीविका, निर्वाह

ज़कात-ए-इख़्तियारी

(फ़िक़्ह) शरीयत के मुक़र्ररा तरीक़े पर ज़बह करना (मसलन हलक़ पर छुरी फेर कर)

ज़र्ब-ए-तयम्मुम

(फ़िक़्ह) तयम्मुम के लिए दोनों हथेलियों को एक साथ मिट्टी पर मुक़र्रर तरीक़े से मारना

ज़ुल-यद

(धर्मशास्त्र) किसी वस्तु पर अधिकार रखने वाला चाहे वह इसका वास्तविक मालिक हो या न हो

ज़वात-ए-अम्साल

(फ़िक़्ह) वो चीज़ें जिन के तलफ़ कर देने से क़ीमत की अदायगी के बजाय वैसी ही चीज़ें वापिस करना लाज़िम हो

ज़िहार

(शाब्दिक) पीठ, पुश्त, एक जैसी पीठ होना, एक जैसा होना

त'अव्वुज़

(लाक्षणीक) वो काग़ज़ जिस में ख़ाना-पुरी इश्वरीय नामों की हो या कोई मंत्र लिखा हो जिसको उद्देश्श्य प्राप्ति के लिए कभी नदी में बहाते कभी चलाते कभी कुँए में डालते कभी ज़मीन में दफ़न करते हैं

तयम्मुम न जाना

(फ़िक़्ह) तयम्मुम बरक़रार रहना, तयम्मुम ना टूटना

तलब-ए-इश्हाद

(फ़िक़्ह) रुक : तलब-ए-इस्तिशहाद

तलब-ए-ख़ुसूमत

(फ़िक़्ह) वो दावे जो अज़ रोय क़ानून हो, मुक़द्दमा जो कोई मुस्तहिक़ शिफ़ा दायर करे

तलाक़-ए-अहसन

(धर्मशास्त्र) वह तलाक़ जिसमें मर्द अपनी औरत को एक तलाक़ पाकी की हालत में दे दे जिसमें उससे संबंध ना बनाए हों और यह एक तलाक़ देकर छोड़ दे तो इद्दत ख़त्म होने के साथ निकाह टूट जाता है

तलाक़-ए-किनाया

(फ़िक़्ह) रुक : तलाक़ बालकनायात

तलाक़-ए-खुल'

(फ़िक़्ह) तलाक़ जिस में औरत अपने शौहर से बोजोह राज़ी ना हो और महर माफ़ कर के या कुछ और माल दे के तलाक़ ले ले

तलाक़-ए-जब्री

(फ़िक़्ह) वो तलाक़ जो जबरन दी जाये, ये वाक़्य नहीं होती

तलाक़-ए-बत्ता

(फ़िक़्ह) बाक़ौल तिरमिज़ी इख़तिलाफ़ किया है अहल-ए-इलम ने तलाक़ बता में कि हज़रत अली से मर्वी है कि वो तीन तलाक़ हैं और हज़रत अमरओ से कि वो एक तलाक़ है जबकि हज़रत रुका ना की हदीस से ये बात बातफ़ाक़ साबित है कि हज़रत रुका ना की तलाक़ को हुज़ूर सिल्ली अल्लाह अलैहि वसल्लम ने एक उस वक़्त क़रार दिया जब कि उन्हों ने हलफ़ के साथ बयान दिया कि मेरी नीयत तीन तलाक़ की नहीं थी

तलाक़-ए-बाइन

(फ़िक़्ह) क़तई तलाक़, तीन मर्तबा की तलाक़

तलाक़-ए-बिद'अत

(धर्मशास्त्र) इस तलाक़ की तीन दशाएँ हैं; (१) माहवारी के समय तलाक़ दी हो (२) ऐसे शुद्ध समय में तलाक़ दी हो जब मिलन हो चुका था (३) तीन तलाक़ें एक साथ दे दी हों

तलाक़-ए-रज'ई

वह तलाक़ जिसमें पुरुष स्त्री से पुनः विवाह कर सकता है।

तलाक़-ए-सुन्नत

(फ़िक़्ह) रुक : तलाक़ हुस्न

तलाक़-ए-हसन

(धर्मशास्त्र) औरत के तीन विभिन्न मासिक धर्मों के उपरांत अलग-अलग बार तीन तलाक़ें देना, इसे तलाक़-ए-सुन्नत भी कहते हैं

तलाक़-बिल-किनायात

(फ़िक़्ह) ये तलाक़ ऐसे लफ़्ज़ से होती है कि मौज़ू तलाक़ के लिए ना हो मगर तलाक़ का एहतिमाल रखता हो, वो तलाक़ जो साफ़ लफ़्ज़ों में ना हो

तस्मी'

(लफ़ज़न) सुनना, सुनाना, (फ़िक़्ह) नमाज़ में रुकवा से खड़े होते वक़्त सम्अ अललहु लिमन हमिदह कहना

दम-ए-क़िरान

(फ़िक़्ह) रुक: दम तमत्ता

दम-ए-जब्र

(फ़िक़्ह) रुक: दम तमत्तो

दम-ए-शुक्र

(फ़िक़्ह) रुक: दम तमत्ता, बतौर तशक्कुर या शुक्राने में क़ुर्बानी (देना

दीन-ए-क़ाइमा

(धर्मशास्त्र और दर्शनशास्त्र) माना हुआ, हावी, व्यावहारिक, मौजूद, माना हुआ

नकीरैन

(फ़िक़्ह) वे दो फ़िरिश्ते जो मरने वाले से क़ब्र में सवाल-जवाब करते हैं, मुन्कर नकीर

नजिस-उल-'ऐन

(फ़िक़्ह) वह चीज़ जो सिर से पाँव तक अपवित्र हो, जिसका छूना भी वर्जित हो, वो चीज़ जो कभी पवित्र न हो सके जिसका हर एक अंग अपवित्र हो, जैसे, शराब, मदिरा, सूअर, अपवित्र शरीर आदि

नफ़क़ा

बच्चों पर व्यय होने वाला धन, पत्नी का जेब ख़र्च, गुज़ारा भत्ता, बीबी-बच्चों का रोटी-कपड़ा

नफ़ली

(फ़िक़्ह) नफ़ल (रुक) से मंसूब या मुताल्लिक़ , जो फ़र्ज़ या वाजिब ना हो, रज़ाकाराना (इबादत या काम वग़ैरा)

नमाज़ बातिल होना

(फ़िक़ह) नमाज़ में कोई ऐसा कार्य होना जिससे नमाज़ टूट जाती है, नमाज़ का टूट जाना

नवाही

‘नहुइ' का बहु., वे विषय जो धर्मानुसार निषिद्ध हैं, वो कर्म, धर्म ने जिन से मना किया है, नाजायज़ काम

नुसूस

स्पष्ट प्रमाण, साफ़ साफ़ खुली दलील, उचित सबूत

नहि-'अनिल-मुंकर

(मुस्लिम धर्मशास्त्र) उन चीज़ों के करने से रोकना जिनकी धर्म के विधि या नियम के अनुसार मना किया गया हो

ना-जाइज़-औलाद

(अर्थात) असंवैधानिक

नासिबी

हज्रत अली को बुरा कहने वाला संप्रदाय, उक्त संप्रदाय का व्यक्ति

निजासत-ए-ख़फ़ीफ़ा

(फ़िक़्ह) नजासत इहक़ीक़ी की दो किस्मों में से एक, मसलन हलाल जानवरों का पेशाब और हराम जानवरों की बैट वग़ैरा, हल्की किस्म की नजासत, ऐसी नजासत जो ग़लीज़ा ना हो

निजासत-ए-ग़लीज़ा

(फ़िक़्ह) नजासत इहक़ीक़ी की दो किस्मों में से एक, वो नापाकी जो सख़्त हो , जैसे : ख़ून, आदमी का पेशाब, पाख़ाना, मनी , शराब , स्वर का गोश्त वग़ैरा, (नजासत ख़फ़ीफ़ा के मुक़ाबिल)

पाँच-वक़्त

पाँच बार मुसलमानों द्वारा पढ़ी जानी वाली नमाज़

फ़ै

ढलती हुई छाओं

बै'-ए-सलिम

(फ़िक़्ह) नर्ख़ होने के बाद कल या जुज़ु क़ीमत पहले अदा कर देने और सामान बाद में लेने का अमल

बाइन

(लफ़्ज़ा) जुदा होने की वाला, (फ़िक़्ह) की तलाक़ की एक क़िस्म जिस के बाद फिर रुजू करने की इजाज़त नहीं

बाइन होना

(धर्मशास्त्र) तीन तलाक़ के तौर पर विवाह से मुक्त हो जाना

बाज़ि'अ

(शाब्दिक) टुकड़े करने वाला, काट देने वाला (धर्मशास्त्र) वह चोट जिससे खाल फट जाए

मु'अक़्क़िबात

(धर्मशास्त) वह तस्बीह जो नमाज़ के बाद दुआ पूरी होने के लिए पढ़ी जाएँ; तस्बीह जो एक के बाद एक पढ़ी जाएँ जैसे: सुब्हानल्लाह अलहम्दुलिल्लाह और अल्लाहुअकबर

मकरूह-ए-तंज़ीही

(फ़िक़्ह) वो नापसंदीदा फे़अल जिस से बचने में अज्र-ओ-सवाब तो है लेकिन जो शख़्स ना बच्चे वो गुनाहगार भी नहीं, ऐसा मकरूह फे़अल जो हलाल से क़रीब हो (मकरूह तहरीमी के मुक़ाबिल)

मकरूह-ए-तहरीम

(फ़िक़्ह) वो कलिमा / बात जिस से बचना हर मुस्लमान के लिए वाजिब है, वो मकरूह फे़अल जो हराम के क़रीब हो, निहायत नाजायज़ बात या अमल

मक़ामी

मुकाम-संबंधी, ठौर संबंधी, मूल निवासी, स्थानीय, देसी, लोकल, ठहरा हुआ, स्थिर

मूक़िनीन

(धर्मशास्त्र) धार्मिक मामलों में पूर्ण विश्वास रखने वाले

मुख़म्मसा

(फ़िक़्ह) माँ, बहन या दादा के मुताल्लिक़ तक़सीम जायदाद का मसला जिस पर पाँच सहाबा हज़रत अलेऊ, हज़रत इसमाणुओ, हज़रत इबन मसावदओ, हज़रत ज़ेदओ और हज़रत इबन अब्बास ओ में इख़तिलाफ़ था

मुख़्लिफ़

(फ़िक़्ह) हुक्म के ख़िलाफ़ करने वाला, ख़िलाफ़वरज़ी करने वाला

मग़रिब

यूरोप और वो देश जो पश्चिम में स्थित हैं

मुग़ल्लिज़ा

(फ़िक़्ह) तलाक़ की एक क़िस्म जिस में तीनों तलाक़ें वाक़्य हो जाएं और रुजू या निकाह की गुंजाइश ना रहे, औरत अपने साबिक़ा शौहर पर सिर्फ़ हलाला की सूरत में हलाल हो सके

मुग़ीबा

(फ़िक़्ह) वो औरत जिस का शौहर सफ़र में हो

मुज़्तजा'

(फ़िक़्ह) पहलू के बल सोने वाला, जिस पर हालत इज़तिजा तारी हो

मुज़्तरिब

(फ़िक़्ह) वो हदीस या कथन जिसके वर्णन करने वालों में भिन्नता पाई जाए

मुज़दल्फ़ा

एक मुक़ाम का नाम जो मक्के के क़रीब अर्फ़ात और मिना के मध्य स्थित है जहां हाजी शैतान को मारने कंकरीयां चुनते हैं

मुज़व्वजा

(धर्मशास्त्र) जिससे विवाह किया गया हो, विवाहित

मुज़ाज'अत

((न्यायशास्त्र)) एक दूसरे के साथ सोना, आपस में एक जगह सोना, संभोग

मुज़ारबत

(फिक़्ह) किसी को व्यवसाय के लिए इस शर्त पर माल देना कि लाभ में साझा रहेगा, कारोबार में ऐसी साझेदारी कि माल एक का हो और मेहनत दूसरे की

मुन'अक़िद

आयोजित

मुनकर-नकीर

दो फ़िरिश्ते जो मुसलमानों के मतानुसार क़ब्र में मृतकों से पूछताछ करते हैं

मुनकरात

हराम या नाजायज़ बातें, जिन चीजों और कामों को करने से मना किया जाता है, ग़ैरक़ानूनी कार्य

मुफ़्तरज़ात

वह चीज़ें जो कल्पना की गई हों, कल्पित बातें, ख़याली मंसूबे

मुफ़्ती

धर्म शास्त्री, क़ाज़ी के ऊपर का अधिकारी, फ़तवा देने वाला

मुफ़्ती-ए-दीं

धर्म गुरु

मुफ़व्वज़ा

सौंपना, सिपुर्द की हुई वस्तु, प्रेषित किया हुआ, हवाले किया हुआ

मम्नू'

जिसे किसी बात से रोका जाए

मे'राज़

(फ़िक़्ह) एक बेपर का तीर जो निशाने पर अर्ज़ से जा कर लगे तो शिकार (फ़िक़्ह में हराम और अगर उस की नोक में तेज़ी हो और नोक की जानिब से लगे तो शिकार हलाल है)

मुरातलहा

दो वस्तुओं का विनिमय जिसमें भार की समानता को दृष्टिगत रखा जाए (फ़िक़ह)

मुराहिक़ा

(फ़िक़्ह) मुराहिक़ (रुक) की तानीस, ऐसी लड़की कि इस के मिसल और औरतों से जमा हुआ हो और वो सन बलूग़ में मसलन नौ बरस या ज़्यादा की हो लेकिन अलामात बलूग़ ज़ाहिर नहीं

मूरिस-ए-फ़ासिद

नाना, मातामह

मुवाफ़ात

(फ़िक़्ह) हज के लिए जाना , आना, पहुंचना , वफ़ादारी करना, वफ़ादारी, वफ़ा करना

मस्तक़रिज़

(फ़िक़्ह) क़र्ज़ लेने वाला, उधार लेने वाला, क़र्ज़दार, मक़रूज़

मुस्तलज़्ज़ात

वांछित चीज़ें जिनसे स्वाद प्राप्त हो, फ़िक़्ह: वो चीज़ें जिनसे स्वाद प्राप्त कीया जाये, वांछित चीज़ या बातें, मज़ेदार चीज़ें

मुस्तहसन

वह इबादत या प्रार्थना जो पैग़म्बर मोहम्मद साहब ने उत्तम या श्रेष्ठ बताया हो

मंसूस होना

(फ़िक़्ह) प्रमाण पत्र द्वारा प्रमाणित होना, स्पष्ट होना

मुसाफ़िहात

(धर्म शास्त्र) व्यभिचारी स्त्रियाँ, अवैध संभोग करने वाली स्त्रियाँ, खुल्लम-खुल्ला अवैध संभोग करने वाली व्यभिचारी स्त्रियाँ औरतें

मुसालिह

(फ़िक़्ह) वो वारिस या शरीक जो दीन मुश्तर्क या तर्के में से किसी शैय मालूम को लेकर अलैहदा हो जाये और दूसरे वारिस या शरीक इस पर राज़ी हूँ, सुलह करने वाला

मूसिया

वसीयत (मृत्यु से पूर्व दिया गया निर्देश) लिखने वाली स्त्री, वसीयत करने वाली औरत, मृत्यु के समय ये कहने वाली महिला कि मेरी मृत्यु के बाद ऐसा किया जाए

मूसी

(फ़िक़्ह) वसीयतकर्ता, मरने से पहले ये कहने वाला कि मेरी मृत्यु के पश्चात ऐसा करना

मसील

(धर्मशास्त्र) पानी बहने की जगह, वह जगह जहाँ पर बारिश वग़ैरा का पानी हो

महज़ूरात

(फ़िक़्ह) वो बातें या काम जो ममनू हूँ, ममनूआत

महर-ए-मु'अज्जल

(फ़िक़्ह) वो महर जो निकाह के साथ ही ख़लवत से पहले अदा किया जाता है

मा'क़ूद

विवाहित, ब्याह किया हुआ

माल-ए-बिज़ा'अत

(धर्मशास्त्र) कारोबारी सामान जिस पर अपना निजी धन लगाया जाए

माल-ए-मुज़ारबत

(फ़िक़्ह) वो सामान-ए-तिजारत जो एक शख़्स दूसरे को फ़रोख़त करने के लिए दे और इस के नफ़ा में शरीक हो

मो'तक़िद

धर्म विश्वास या एतिक़ाद रखने वाला, श्रद्धालु, श्रद्धावान, मानने वाला, दिल से भरोसा रखने वाला

मो'तिक़

(विधिशास्त्र) नौकरानी या ग़ुलाम को आज़ाद करने वाला

मोहक्कम

(धर्म शास्त्र) वह जिसे न्ययिक बनाया गया हो, पंच

मौक़िफ़ैन

(फ़िक़्ह) अर्फ़ात और मुज़दल्फ़ा दो मुक़ाम जहां हज के दिनों में क़ियाम लाज़िमी होताहै , मवाक़िफ़

मौतूह

(न्यायशास्त्र) संभोग की हुई, मैथुन की हुई, आलिंगन की हुई (स्त्री)

वदी'अत-ए-मु'अय्यन

(धर्मशास्त्र) अमानत जो तय अवधि और शर्तों पर रखी जाए

वसायत

शाब्दिक: जो कुछ कि आज्ञा किया गया, वसीयत, फ़िक़्ह: वकालत, अवयस्क की अभिभावकता, अभिभावक होना (शी'आ), वसी (हज़रत अली) का पद

वसिय्यत बातिल करना

(फ़िक़्ह) वसीयत ख़त्म कर देना, वसीयत पर अमल रोक देना

वाजिब-फ़िल-'अमल

जिसको करना अनिवार्य हो, जिस पर अमल करना लाज़िम हो

वाजिबात तर्क होना

ज़रूरी और अनिवार्य कार्य छूट जाना

शिर्क-ए-महज़

(फ़िक़्ह) जो मुहब्बत ख़ुदा के वास्ते लाज़िम है वो वालदैन के हक़ में मरई रखना शिर्क महिज़ है

शिरकत-ए-मुफ़ावज़ा

(फ़िक़्ह) वो हिस्सादारी जिस में दोनों शरीक माल, उम्र, हैसियत और दीन में बराबर हूँ मसलन मुस्लमान और काफ़िर, आज़ाद और ग़ुलाम में शिरकत जायज़ नहीं

शिरकत-ए-मुशा'ई

(फ़िक़्ह) वो हिस्सादारी जिस में माल मुशतर्का हो और मुनक़सिम ना हो

शिरकत-ए-मिल्क

(फ़िक़्ह) दो शख़्स विरासत की वजह या ख़रीदारी से एक चीज़ के मालिक हो जावें और इस शिरकत में हर एक अन्न में से अजनबी होता है यानी हर एक को दूसरे के हिस्से में तसव्वुफ़ जायज़ नहीं बगै़र उस की इजाज़त के

शिरकत-ए-वुजूह

(धर्मशास्त्र) वह हिस्सेदारी जिसमें दोनों साझेदार माल क़र्ज़ के तौर पर खरीदें और बेचें और नक़द कुछ नहीं लगाएं और असल क़ीमत मालिक के हवाले करके लाभ आपस में बाँट लें और इसमें हर एक दूसरे का वकील और कफ़ील होता है

शिरकत-ए-सनाइ'

(धर्मशास्त्र) एक साझेदारी जिसमें दो कारीगर इस शर्त पर साझेदार हों कि दोनों मिलकर काम किया करें और मज़दूरी जो कुछ मिले उसको दोनों विभाजित कर लिया करें या काम दोनों बराबर करें लेकिन मज़दूरी की राशि में से एक को अधिक मिले और दूसरे को कम

सद-ए-ज़राइ'

(उसूल-ए-फ़िक़्ह) ऐसी जायज़ बातों से रोकना जिन के ज़रीये किसी नाजायज़ काम के इर्तिकाब का ख़तरा हो

सनद-ए-मनादिला

(फ़िक्ह) फ़ज़ीलत की सनद जिस के साथ दस्तार बंदी होती है, उलूम-ए-हदीस-ओ-फ़िक़्ह के हामिल के एक अह्द, दस्तार-ए-फ़ज़ीलत

सुन्नत-ए-इब्राहीमी

बक़रा'ईद पर पैग़म्बर इब्राहीम की प्रथा के अनुसार जानवर की क़ुर्बानी अर्थात बाली देना

सुन्नत-ए-रसूल

पैगंबर मुहम्मद का तरीका और जीने का ढंग

सुन्नती

पैग़ंबर मोहम्मद की सुन्नत का पालन करने वाला

सफ़ीर-ए-महज़

(फ़िक़्ह) गवाह, हाज़िर मुद्दई का वकील, आरज़ी शाहिद

साहिब-ए-फ़र्ज़

(फ़िक़्ह) तर्के के वो वारिस जिस के हिस्से की हद मुक़र्रर हो जैसे : बीवी शौहर या माँ बाप

सिर्री

फ़िक़्ह: सिर्र, जिससे ये मंसूब है, वो नमाज़ जिसमें इमाम शांत हो कर क़ुरआन की आयतें पढ़ता है

हज-ए-मुफ़रद

(फ़िक़्ह) वो हज जो बुला उमरा अदा किया जाये, सिर्फ़ हज, मुतलक़-ए-हज

हज्ज-ए-क़िरान

(फ़िक़्ह) वो हज जिस में उमरा और हज दोनों एक ही एहराम से अदा किए जाएं

हदस-ए-अकबर

बड़ी घटना, बिल्कुल असामान्य बात

हदस-ए-असग़र

(फ़िक़्ह) छोटी नजासत हकमेह, बे वुज़ू होने की हालत, बोल-ओ-बराज़-ओ-रिया के इख़राज से वुज़ू टूट जाने की हालत

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