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आठ बार नौ त्योहार
सुख-सुविधा और आराम का शौक़ या लगन ऐसा बढ़ा हुआ है कि युग और समय उसको अल्प व्यय नहीं करने देता
चमनिस्तान
ऐसा बाग़ जहाँ फूल ही फूल हों, ऐसी जगह जहाँ दूर तक फूल ही फूल और हरा भरा नज़र आए, वाटिका, चमन, बाग़
दादरा
संगीत में एक प्रकार का चलता गाना (पक्के या शास्त्रीय गानों से भिन्न), एक प्रकार का गान, एक ताल
मज़दूर
शारीरिक श्रम के द्वारा जीविका कमाने वाला कोई व्यक्ति, जैसे: इमारत बनाने, कल-कारख़ानों में काम करने वाला, श्रमिक, कर्मकार, भृतक, मजूर
दूध-शरीक बहन
ऐसी बालिका जो किसी ऐसी स्त्री का दूध पीकर पली हो जिसका दूध पीकर और कोई बालिका या बालक भी पला हो, धाय संतान, दूधबहिन, दूधबहन
"शिकार" टैग से संबंधित शब्द
"शिकार" से संबंधित उर्दू शब्द, परिभाषाओं, विवरणों, व्याख्याओं और वर्गीकरणों की सूची
चाँचर
खेती: परती छोड़ी हुई जमीन, एक प्रकार की परती भूमी जिसमें चना या और कोई साधारण चीज़ बोई जा सके, कुछ साल से बिना खेती पड़ी हुई भूमी या ख़ाली पड़ा हुआ खेत, पुड़ती, चंचर
चाँडी
(कृषि) बीज बोने का (खुले मुँह का) छोटा नल जो पुल की फली वाले भाग के साथ खड़ा बाँध दिया जाता है (इसका निचला भाग नोकदार बाँस का और ऊपरी भाग फैले हुए मुँह के प्याले के समान होता है), उखरी, बाँसा, परनाल
थूँथी
(काशतकारी) चने का ख़ौल जिस के बढ़ने और फूलने को दाने की उम्दगी ख़्याल किया जाता है, ठीन, ढोन, ढेरी, ढील बॉस या ढियावान, घीगर, घीन
अख्रा
वो खेत जिस में से फ़स्ली पैदावार काट कर उस की जड़ें ज़मीन में लगी छोड़ दी गई हों, बिना सँवारा और साफ़ किया हुआ खेत
अखराली
(शिकार) वहशी चौपाइयों के सुनसान मुक़ाम पर आने और खड़े होने की अलामत जिसको शिकारी इनकी मेंगनियों से और खुरों के निशानों से पहचानते हैं
अगोट का माला
(शिकारी) वन से निकलने के रास्ते पर जंगली चौपायों के शिकार की घात में बैठने के लिए बनाया हुआ स्थान
ऊग
(काशतकारी) हिर्स और नाक़ल के जोड़ पर ऊपर के रुख़ से बतौर डाट फंसी हुई एक लंबी चोबी फ़ॉन्ट जो इन दोनों हिस्सों को आपस में गोंधे रखती है, इस ले ईस्तलाहन उस को गंधेल भी कहते हैं (ऊगी, हिन्दी में ऐसी चीज़ को कहते हैं जो किसी चीज़ के ऊपर बह तौर एहरा चढ़ाई जाये और वो नीचे के हिस्से पर जमी रहे
कच्ची-ज़मीन
(काशतकारी) वो पड़ती अराज़ी जो लगान पर ना हो और ज़रूरतमंद को आरिज़ी तौर पर किराए पर दे दी जाती हो
क़ैंची चढ़ाना
(शिकार) जानवर का शिकार पर हमला करने के समय या दुश्मन की आहट पा कर कान खड़े करना जो उस के सतर्क होने और कोई तेज़ हरकत करने का संकेत समझा जाता है
कठ-फाँवरी
(कृषि) खेत की जड़ें खोदने और घास साफ़ करने का हल जिसकी फार दाँतेदार होती है, दँतीला, कठ-फाँवड़ी
कपटा
तमाकू के पत्तों में लगनेवाला एक प्रकार का कीड़ा, धान की फसल को नुकसान पहुँचाने वाला एक कीड़ा, जिसके मन में कपट हो, कपटी
कुब्सा
(काशतकारी) स्याही माइल भूरे रंग की मिट्टी का क़ताह-ए-अराज़ी ये पैदावार में दोमट से अच्छी समझी जाती है, कसटया
कुर
पानी का याक पैमाना जो शिरा में साढे़ तीस वजिब (बालिशत) लाम्बा, चौड़ा और गहिरा होता है और इस में तक़रीबन ३५० लीटर पानी समाता है
कुर्रा
(गला बानी) ख़ुशक चारा मसलन भूसा और बाला वग़ैरा जो ख़िज़ां और गर्मी कर मौसम में ढोरों को ख़िलालने के लिए जमा कर लेना जाता है
कायू
(कृषि) खेत की ज़मीन समतल करने को हल में लगाईं हुई लकड़ी की सिल्ली (मोटा और भारी तख़्ता या स्लेब) लकड़ी का भारी घीसा जैसा घोड़े को सधाने के लिए प्रयोग किया जाता है
काहना
(काशतकारी) खेत की जड़ें खोदने और घास साफ़ करने का हल जिस की फॉर दांतेदार होती है, दनतयाला, गाहन, गाहना या गाहन का दूसरा तलफ़्फ़ुज़
खोंपा
(काशतकारी) हल के आहनी भल (भार) की चोबी बशती जिस बर फल चढ़ा रहता ये तलीटी ज़मीन की खुदाई में बड़ी मदद देता है, चोबन
गारा बाँधना
(शिकारबाज़ी) शेर के शिकार के लिए गाय या भैंस का पाड़ा या बकरा रस्सी से बाँध कर एक विशेष स्थान पर रखना ताकि शेर शिकार करने आए तो उस पर गोली चलाई जा सके
चट्टी
वो राशि जो जुर्म या आरोप की सज़ा में या सरकार की सख्ती के दबाओ में भरना पड़े, तावान, जुर्माना, दंड
चालानी
(काशतकारी) वो खेत जो एक गांव से मुताल्लिक़ और दूसरे गांव के रक़बे में शरीक किया जाता हो, दाख़िली ख़ारिजी
चाही-डाल
(आबपाशी) वो चौबचा (जल हुदा) जो नहर के पानी की सतह से ऊंची जगह बना हो जिस में पानी चढ़ा कर ऊंचे क़ताह-ए-आराज़ी में पहुंचाया जाये, डाल, तोड़
चाही-तोड़
(आबपाशी) वो जो बच्चा (जल हुदा) जो नहर के पानी की सतह से ऊंची जगह बना हो जिस में पानी चढ़ा कर ऊंचे क़ताह-ए-आराज़ी में पहुंचाया जाये, डाल, तोड़
चिक्कन
(खेती बारी) ऐसी ज़मीन जिस की ऊपर की सतह गाद की बनी हो जिस में बीज ना फूटे, भबरा, बज मार, इस क़िस्म की मिट्टी शुमाली हिंद और पंजाब में मुल्तानी मिट्टी के नाम से मशहूर है
छक्का
(आतिशबाज़ी) एक आतिशबाज़ी का नाम जो मोटे मज़बूत बाँसों की लंबी लंबी पर यूं पर तांत लपेट कर ऊपर से झिल्ली चढ़ा और अंदर ख़ूब ठूंस ठूंस कर बारूद भर कर बनाई जाती है
छींटा
(काशतकारी) किसी एक जिन्स की खेती के दरमयान दूसरी जिन्स के बीज की बिखेर, जैसे धान में अलसी, गेहूं में जो वग़ैरा
जम'-गुज़ार
(कृषी) जमा वसूल करके खज़ाने के मद में डालने वाला सरकारी करमचारी जो ज़मींदार की तरफ़ से कृषक से (राशि) वसूल करने के लिए अधिकृत होता है
जम'-धारा
(कृषी) वह राशि या दान जो आधिकारिक रूप से गाँव के सामान्य खर्चों के लिए प्रत्येक घर और खेत के हिसाब से लिया जाता है
जरई
(कश्तकारी) एक किस्म का कपड़ा जो गेहूं की बालों और चने के पौदे को नुक़्सान पहुंचाता है, जोई, घोंगी, घुनगी, गणधर, गिंदर
ज़ैली-काश्तकार
(काशतकारी) शिकमी रईयत, शिकमी असामी, वो काश्तकार जो बावजूद मौरूसी होजाने के ज़्यादा लगान देने वाले के मुक़ाबले में बेदख़ल क्यू जा सकता है जब कि इस का सिवाए काशतकारी के दूसरा कोई हक़ ज़मीन पर ना हो
जौनार
वह भूमि जिसमें लगातार खेती की जती हो, वह भूमि जिसमें एक बार गेहूँ और जौ बोए जाएँ और और बाद में दूसरा अनाज बोया जाय, कोई और अनाज बोया जाये
झड़ोई
(काशतकारी) अनाज ख़ुसूसन अरहर, माश और तिल की फलियों को झा नुक्कड़ों में से झाड़ने और उन का छिलका उतारने की छिड़
तुख़्म-दान
(हैव इनयात) जिस्म के अंदाज़ वो थैली जिस में अंडे या तौलीदी जर सौम़्य होते हैं, बैज़ा दान कैसा-ए-करम मनी, सा-ए-तुख़्म
थाक
एक के ऊपर एक करके रखी हुई चीजों का ढेर। राशि। जैसे-कपड़ों या किताबों का थाक। स्त्रिी० = थकन (थकावट)। क्रि० प्र०-लगना।
धबास
(काशतकारी) करबयाद, बस्ती के क़रीब की ज़मीन जिस में खाद डाली जाती रही हो हर किस्म की खेती के लिए निहायत उम्दा होती है
निकासी
निराई, नलाई, छुटकारा, नजात, ख़लासी, खपत,बिक्री, आमदनी, चुंगी, महसूल, राहदारी, परमिट निकलने या निकालने की क्रिया, ढंग या भाव, किसी से रुपया वसूल करना, शहर से बाहर जाना, पानी के बाहर निकलने का अमल
पंटार
(काशतकारी) खेत में पौदों की नलाई यानी उन की जड़ों के पास की घास निकालने और मिट्टी पोली करने का अमल, साड़ी, खोद
पत्ता बोलना
मुँह में एक मुड़ी हुई पत्ती डालना और उस जानवर की तरह बोलना या ध्वनि निकालना जिसको जाल में फँसाना हो
परती-क़दीम
वह भूमि जिसमें लंबे समय से खेती नहीं की गई हो, वह ज़मीन जो लंबे समय से बिना खेती किए पड़ी हो
परती-जदीद
(कृषि) वह भूमि जो एक दो फ़सल तक अप्रयुक्त रखी जाये, वह भूमि जो हाल ही में अप्रयुक्त हो गई हो
पाछोर
(कृषि) कुँए के चाक (घिरनी) का अड्डा जिस पर चाक लगाया जाता है, मिट्टी का बना हुआ घेरा, पारछा, पाड़, डंडा
पिलौता
(काशतकारी) पीली मिट्टी की ज़मीन जो रीत और चिकनी मिट्टी की मिलवां और क़ुव्वत में अव्वल दर्जे की होती है
पौधारी
(कृषि) बीज बोने एवं पौध तैयार करने की क्यारी जिसमें ऐसे बीज बोए जायें जिनकी पौध एक स्थान से दूसरे स्थान लगानी आवश्यक हो, पनेहरी
फेरा
परिक्रमा; चक्कर, तवाफ़, गश्त करना, गशत, चक्कर, फेरा, हेराफेरी, हलक़ा, दायरा, अहाता घेरा, घर घर जा कर सामान बेचना, देवी-देवता आदि की की जाने वाली परिक्रमा, प्रदक्षिणा
बैठक
(क्षति) हरीफ़ के लंगोट को एक हाथ से पकड़ कर दूसरे हाथ से दोनों टांगों के बल उस को उठा लेने का अमल
बाग़ी-पैदावार
(काशतकारी) वो ज़रई पैदावार जो फल फूल की तरह बाग़ों में काशत की जाती है जैसे: अद्रक अलसी कपास वग़ैरा
बोकारा
(शिकार) शिकार करने की एक विधि जिसमें शिकारी किसी रास्ते के दोनों ओर थोड़ी दूरी पर घात लगाकर बैठते हैं और फिर हिरण घेरकर उन की तरफ़ लाए जाते हैं
मुरब्बा'
वह समकोण चतुर्भुज जिसकी सब रेखाएँ बराबर हों, वर्गाकार, चौखटा, चौकोर ठोस जिसके चारों कोण समान हों और चारों कोण स्थायी हों.(गणित)
मैल
कोई ऐसी चीज जिसके पड़ने या लगने से दूसरी चीजें खराब, गंदी या मैली होती हों अथवा उनकी चमक-दमक, सफाई आदि कम होती या बिगड़ जाती हो। मलिन या मैला करने वाला तत्त्व या वस्तु। जैसे-किट्ट, गर्दा, धूल आदि। पद-हाथ-पैर की मैल = बहुत ही उपेक्ष्य और तुच्छ वस्तु। जैसे-वह रुपए-पैसे को तो हाथ-पैर की मैल समझता था।
माला
(कताई स्वत) खड़ी थाड़ी का सिरा टिकाने का पियालानुमा ज़र्फ़ जिस में थाड़ी घुमाते वक़्त सिरा जगह पर क़ायम रहता है
रखौंत
(काशतकारी) महफ़ूत खेती जो किसी ख़ास ज़रूरीयात के लिए लगी रखी जाये और आख़िर फ़सल या ज़रूरत के वक़्त काती जाये
रतवा
(कृषि) खर नाम की घास जो घोड़ों के लिये बहुत अच्छी समझी जाती है, जो बरसात के दिनों या ठंढी जगहों में अधिकता से होती है
रोखर
कृषी: भूमी का वो टुकड़ा जिस पर नदी की लहर आने से बालू की तह जम गई हो और वो खेती के योग्य न रही हो, वह भूमि जिसकी मिट्टी बाढ़ के कारण बलुई हो गई हो
वारा-बंदी
(काशतकारी) खेतों को नहरी पानी देने के लिए मुख़्तलिफ़ काश्तकारों की बारी मुक़र्रर करना, महकमा-ए-नहर की एक इस्तिलाह, वारा बंदी
शब-दारी
(शिकार) शिकारी परिंदे को रात के वक़्त रोशनी में मजमा के सामने हाथ पर पहर रात तक बिठाना ताकि इस का ख़ौफ़ दूर होजाए और वो शिकार केलिए दिलेर होजाए
सेत-वारी
कृषी: दरिया के किनारे की ऐसी ज़मीन जिसमें सतह के नीचे के पानी का प्रभाव हो, हरापन लिए हुए बलुई चिकनी मिट्टी
सुध-कार
(कृषि) ज़मीन का वह कर जो कृषि करने पर लिया जाए, कभी कभार का लगान जो ज़मीन के इस्तेमाल पर लिया जाए
सरदही
कृषी: वह नजर या भेंट जो मध्य युग में जमींदार या उसका कारिंदा किसानों से हर फसल पर लेता था, वो रुपया जो प्रतिशत के हिसाब के गाँव का स्वामी सरकार को अदा करता है
सरावल
(काशतकारी) गांव वालों की मुशतर्का ज़रवयात का इंतज़ाम करने वाला शख़्स, सरबराह नीज़ गांव में सरकारी ओहदे दारों के क़ियाम-ओ-ताम के सामान की फ़राहमी का मुनतज़म
सल्ख़ून
(शिकार) टिड्डी जो बुलबुल पालने वाले बुलबुल के बच्चों को ग़िज़ा के तौर पर उन के पान तोड़ कर खिलाते थे
सेहून
कृषी: गेहूं का दाना जो पूरा न बने और बाल के अंदर सूख कर काला हो जाए, ज़मीन की कमज़ोरी से दाने में नमी की शक्ति नहीं रहती और वो कच्चा ही सूख जाता है
सिलक होना
(शिकार) बटेर के शिकार में जब जाल की आवाज़ सुनकर बटेर गिरने लगते हैं तो कहते हैं सिलक हो रही है
सोहास
(काशतकारी) धान जिस से चावल होता है, इस की बेशुमार इक़साम में से एक जो ख़ुशबूदार भी होता है नीज़ कम क़ीमत भी, उस॒वास का चावल
हक़्क़ुत-तहसील
(काशतकारी) वो हक़ जो नंबरदार को लगान वसूल करने और मालगुज़ारी अदा करने की वजह से मिलता है
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