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आठ बार नौ त्योहार
सुख-सुविधा और आराम का शौक़ या लगन ऐसा बढ़ा हुआ है कि युग और समय उसको अल्प व्यय नहीं करने देता
चमनिस्तान
ऐसा बाग़ जहाँ फूल ही फूल हों, ऐसी जगह जहाँ दूर तक फूल ही फूल और हरा भरा नज़र आए, वाटिका, चमन, बाग़
दादरा
संगीत में एक प्रकार का चलता गाना (पक्के या शास्त्रीय गानों से भिन्न), एक प्रकार का गान, एक ताल
मज़दूर
शारीरिक श्रम के द्वारा जीविका कमाने वाला कोई व्यक्ति, जैसे: इमारत बनाने, कल-कारख़ानों में काम करने वाला, श्रमिक, कर्मकार, भृतक, मजूर
दूध-शरीक बहन
ऐसी बालिका जो किसी ऐसी स्त्री का दूध पीकर पली हो जिसका दूध पीकर और कोई बालिका या बालक भी पला हो, धाय संतान, दूधबहिन, दूधबहन
"हदीस" टैग से संबंधित शब्द
"हदीस" से संबंधित उर्दू शब्द, परिभाषाओं, विवरणों, व्याख्याओं और वर्गीकरणों की सूची
जफ़्फ़-उल-क़लम
शाब्दिक: क़लम सूख गया, मशहूर हदीस "जफ्फ़-उल-कलम बीमा होव कइन" का एक भाग जिसका अर्थ हैं कि भाग्य का कलम सभी चीजें लिख चुका अब बदलाव संभव नहीं
तज़'ईफ़ करना
(इतिहास और हदीस आदि में) वर्णन या वणनकर्ता को कमज़ोर मानना या प्रमाणित श्रेणी में निन्म समझना
तलाक़-ए-बत्ता
(फ़िक़्ह) बाक़ौल तिरमिज़ी इख़तिलाफ़ किया है अहल-ए-इलम ने तलाक़ बता में कि हज़रत अली से मर्वी है कि वो तीन तलाक़ हैं और हज़रत अमरओ से कि वो एक तलाक़ है जबकि हज़रत रुका ना की हदीस से ये बात बातफ़ाक़ साबित है कि हज़रत रुका ना की तलाक़ को हुज़ूर सिल्ली अल्लाह अलैहि वसल्लम ने एक उस वक़्त क़रार दिया जब कि उन्हों ने हलफ़ के साथ बयान दिया कि मेरी नीयत तीन तलाक़ की नहीं थी
तवातुर
(लफ़ज़न) किसी बात या वाक़िया को बहुत से लोगों का नक़ल करना या कसरत और तसलसुल से नक़ल किया जाना कि बाइस यक़ीन हो
ता'न
कटाक्ष, व्यंग, ता'नः, तीर मारना, हदीस: झूटे वर्णन करने वाले की हदीस, वो हदीस जिस का वर्णन करने वाला झूटा हो
ताबि'ई
वह मुसलमान जिसने पैगंबर मुहम्मद के किसी साथी (निकट जन) को देखा हो और उसकी एक मुसलमान के रूप में मृत्यु हो गई हो
दिरायत
(इल्म-ए-रिजाल, हदीस) किसी बात या वाक़्य की तहक़ीक़ या तसदीक़ तबीअत-ए-इंसानी के इफ़्तिज़ा, ज़माने और मंसूब अलैह के ख़ुसूसी हालात और दूसरे क़राइन से अकली तौर पर करना
नहवा
(इलम हदीस) हदीस अमिता बह की एक क़िस्म, वो हदीस जो सिर्फ़ मानी में दूसरी हदीस के मुताबिक़ हो लेकिन लफ़ज़न मुवाफ़िक़ ना हो
मु'अन'अन
(हदीस) वो हदीस जो ऐसे लोगों से सुनी गई हो जिन का सिलसिला रिवायत में मज़कूर ना हो और सिलसिला-ए-रिवायत को इन लगा कर नक़ल किया गया हो, वो हदीस जिस की रिवायत फ़ुलां इबन फ़ुलां के अलफ़ाज़ से की गई हो और सर अहित से समाव का ज़िक्र ना हो
मु'अल्लल
(हदीस) हदीस की एक क़िस्म जिस में बज़ाहिर सेहत की तमाम शर्तें पाई जाती हैं मगर वो काबिल इस्तिदलाल नहीं होती
मुंकर
۔(ए। बालज़म वफ़तह सोम) सिफ़त। ख़राब खोटा। मकरूह। नामशरू जैसे ख़ताए मुन॒कर॒। २।मुज़क्कर। इन दो फ़रिश्तों में से एक का नाम जो क़ब्र में मर्दों से बाज़पुर्स करते हैं। इस मानी में तन्हा मुस्तामल नहीं मुनकिर नकीर की तरकीब से मुस्तामल है। ३।मुअन्नस। हदीस की एक क़िस्म। देखो मारूफ़। ४।बक्स
मुतवातिर
वो छंदोबद्ध जिसमें एक गतिशील अक्षर दो गतिहीन अक्षरों की मध्य में आएं, जैसे मफाएलीन में 'ऐन और लाम
मुद्रज
आपस में लिपटा हुआ , (हदीस) ऐसी हदीस जिस में रावी ने अपना या किसी और का कलाम भी तशरीह या मानी वग़ैरा की ग़रज़ से शामिल कर दिया हो
मुदल्लिस
(हदीस) वो रावी जिस ने सिलसिला-ए-रिवायत में अपने शेख़ का नाम छोड़ दिया हो , मदलस (रुक) का मुर्तक़िब
मन-कुंतु-मौला
(हदीस) (अरबी वाक्य उर्दू में प्रयुक्त) मैं जिसका मित्र हूँ, मैं जिसका स्वामी हूँ, अर्थात: अली (पैग़म्बर मोहम्मद साहब के दामाद)
मनक़ूल
उल्लेखित, उद्धृत, हवाला देना, उद्धरण करना, प्रतिलिपित, नक़ल या रिवायत किया गया, एक जगह से दूसरी जगह ले जाया गया, नक़ल की हुई इबारत या तस्वीर
मो'ज़ल
समझने में कठिन, पैग़म्बरे-इस्लाम का वह कथन (हदीस), जिसके प्रमाण में दो या इससे अधिक बयान करने वाले (रावी) अस्वीकृत हों
ला-युम्लक
जिस को मलकी्यत ना बनाया जा सके, जिस पर तसर्रुफ़ ना हो सके, जो ममलूक ना हो सके (हदीस अलोक़फ़ लाएमलक) (= माले वक़्फ़ की मिल्कियत नहीं बनाया जा सकता) से माख़ोद)
सनद-ए-मनादिला
(फ़िक्ह) फ़ज़ीलत की सनद जिस के साथ दस्तार बंदी होती है, उलूम-ए-हदीस-ओ-फ़िक़्ह के हामिल के एक अह्द, दस्तार-ए-फ़ज़ीलत
सरय्या
पैग़म्बर मोहम्मद साहब के समय की वे लड़ाइयाँ जिनमें आप स्वयं सम्मिलित न थे, और किसी सहाबी को सेनापति बना कर भेज दिया हो
सहीह
जिसमें किसी प्रकार का झूठ या मिथ्यात्व न हो, यथार्थ, वास्तविक, सच, सत्य, ठीक, उचित, त्रुटि रहित, निर्दोष, चंगा, अच्छा, सेहत मंद, स्वस्थ, पूर्ण, पूरा, साबित, समूचा
साबित-उल-अस्ल
हदीस के सिद्धांत: वो हदीस जिसे वास्तव में सबसे विश्वसनीय हदीस (सही, सुसंगत, मजबूत, आदि) में से एक माना जाता है
सिक़ाहत
शांत स्वभाव, गंभीरता, श्रेष्ठता, बुजुर्गी, विश्व- स्तता, मोंतबरी, (हदीस) रावी की सीरत में इन शर्तों का पाया जाना जो इस का बयान मोतबर होने के लिए ज़रूरी हैं
हदीस-ए-'अज़ीज़
(हदीस) वो हदीस जो (रिवायत के हर मरहले में) कम अज़ कम दो रावियों से मनक़ूल हो लेकिन उसे मुतवातिर या मशहूर अहादीस की तरह रिवाज आम हासिल ना हो
हदीस-ए-'आली
(हदीस) वो हदीस जिस में अस्नाद मुकम्मल हूँ लेकिन बहुत मुख़्तसर हो. इस लिए कि आख़िरी रावी ने इस रिवायत को इबतिदाई रावी से सिर्फ़ चंद अश्ख़ास के वास्ते से हासिल किया है
हदीस-ए-आहाद
(हदीस) वो हदीस नबवीऐ*.*+, जिस की रिवायत शख़्स-ए-वाहिद से शख़्स-ए-वाहिद तक होती हुई पहुंची हो, बरख़िलाफ़ ऐसी हदीसों के जिन्हें एक रावी ने कई आदमीयों से बयान क्या हो
हदीस-ए-क़ुदसी
हदीस: ऐसी हदीस जिसमें शब्द ईश्वर के होते हैं लेकिन वो पैग़म्बर मोहम्मद साहब के पवित्र जीव्हा से अदा होते हैं
हदीस-ए-क़ौली
(हदीस) इस काम या बात का बयान या ज़िक्र जो पैग़ंबर ख़ुदा सिल्ली अलल्ले अलैहि वसल्लम ने अपनी ज़बान मुबारक से इरशाद फ़रमाया हो
हदीस-ए-मु'अन'अन
(हदीस) वो हदीस जो ऐसे लोगों से सुनी गई हो जिन का सिलसिला-ए-रिवायत में मज़कूर ना हो, और इस सिलसिला-ए-रिवायत को ''इन'' लगा कर नक़ल किया गया हो
हदीस-ए-मक़्तू'
(हदीस) वो हदीस जो रसूल अलल्ले सिल्ली अल्लाह अलैहि वसल्लम के बाद मुस्लमानों की पहली नसल से आगे ना जाती हो यानी जिस का अस्नाद सिर्फ़ किसी ताबई तक पहुंचता हो या जिस में सिर्फ़ ताबईन के अक़्वाल-ओ-अफ़आल का ज़िक्र हो
हदीस-ए-मुंकर
(हदीस) वो हदीस जिस का रावी बहुत ग़लती करता हो, ग़ाफ़िल हो या उस को वहम हो या उस की रिवायत सच्चे लोगों की रिवायत के मुख़ालिफ़ हो या फ़ासिक़ हो या बिद्दती
हदीस-ए-मत्रूक
(हदीस) वो हदीस जिसे सिर्फ़ एक रावी ने नक़ल क्या हो और इलावा बरीं वो हदीस मैन मुत्तहम बालकज़ब हो या किसीरालग़फ़लत हो या कसेरा लो हम हो
हदीस-ए-मुतवातिर
वह हदीस जिसका वर्णन हर काल या समय में उतने लोगों ने किया हो कि उसके ग़लत होने की कोई संभावना न हो
हदीस-ए-मुद्रज
(हदीस) वो हदीस जिस में रावी के अपने अलफ़ाज़ रसूल अलल्ले सिल्ली अलल्ले अलैहि वसल्लम के अलफ़ाज़ के दरमयान दाख़िल हो गए हूँ और मतन के इन दोनों हिस्सों को सिया तौर पर अलग करना मुम्किन ना हो
हदीस-ए-मुदल्लस
(हदीस) वो हदीस जिस में रावी अपने शेख़ का जिस से इस ने हदीस सुनी हो, नाम ले बल्कि इस के ऊपर के रावी से उन अलफ़ाज़ में रिवायत करे जिस से वहम पैदा होता हो कि इस ने इसी ऊपर वाले रावी से सुना है
हदीस-ए-मश्हूर
(हदीस) वो हदीस जिसे हर ज़माने में तीन या तीन से ज़्यादा रावियों ने रिवायत किया हो, यह हदीस-ए-अहाद की एक क़िस्म है
हदीस-ए-मुस्नद
(हदीस) वो हदीस जो सका रावियों के ग़ैर मक़तू सिलसिले के ज़रीये रसूल अलल्ले तक पहुंचाई जा सके
हदीस-ए-मुसलसल
(हदीस) वो हदीस जिस की सनद में अव़्वल से आख़िर तक एक रावी भी साक़ित ना हुआ हो और सब के रावियों के मुताल्लिक़ इस में खास मिला हज़ात हूँ (मसलन रिवायत करने वक़्त सब रावियों ने क़सम खाई हो)
हदीस-ए-मो'ज़ल
(हदीस) वह हदीस जिसमें वर्णित बातों में दो या दो से अधिक कहने वाले अनुपस्थित हों या कुछ विद्वानों के निकट दो कहने वाले ग़ायब हों
हदीस-ए-शाहिद
(हदीस) अगर एक वर्णनकर्ता ने एक हदीस दूसरे वर्णनकर्ता के अनुसार लिखी तो उसको 'हदीस-ए-शाहिद' कहते हैं
हदीस-ए-सहीह
वह हदीस जिसमें निरंतर शृंखलाबद्ध प्रमाण संलंग हों और न्यायपूर्ण एवं निष्पक्ष कथावाचक द्वारा वर्णित हो, इसमें कोई दोष न हो और हदीस विद्वानों के बहुमत का खंडन न करती हो
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क्या आप वास्तव में इन प्रविष्टियों को हटा रहे हैं? इन्हें पुन: पूर्ववत् करना संभव नहीं होगा