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बखान

बखानने की क्रिया या भाव

बखानी

رک: بکھان ۔

बखानना

तारीफ या प्रशंसा करना।

बखान करना

व्याख्या करना, विस्तार से वर्णन करना

बखान डालना

अपमानित करने की ग़रज़ से किसी का पोशीदा और छिपी हुई बातों को बयान करना

मूरख के बखान सहावे

नादान को नसीहत सुनने की आदत होजाती है

नानी के आगे नन्हियाल का बखान

किसी के प्रिय की शिकायत उसी के सामने करना, जब कोई व्यक्ती किसी से किसी व्यक्ति या वस्तु के विषय में ऐसी बातें जिसके विषय में उससे अधिक जानकारी रखता हो तब व्यंग में ऐसा कहते हैं

दिन दस आदर पाय के करनी आप बखान, जो लग काग सराध पख तो लग तो सनमान

थोड़े दिनों का सम्मान, तू प्रसन्न हो ऐ कौवे सराध के दिनों में तेरा सम्मान होगा

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में ज़रूरी के अर्थदेखिए

ज़रूरी

zaruuriiضَرُوری

स्रोत: अरबी

वज़्न : 122

शब्द व्युत्पत्ति: ज़-र-र

ज़रूरी के हिंदी अर्थ

विशेषण

  • जिसके बिना किसी का काम ठीक प्रकार से न चले। जैसे-रोगी को नींद आना जरूरी है।
  • जिसका होना या घटित होना रुकने को न हो। जैसे-मृत्यु जरूरी है।
  • आवश्यक, महत्वपूर्ण, यक़ीनी, अनिवार्य, लाज़िमी, प्रयोजनीय
  • जो आवश्यक हो; महत्वपूर्ण
  • जो अवश्य होना चाहिए, जिसकी अवहेलना न की जा सके, जिसके बिना काम न चले।
  • प्रयोजनीय; अनिवार्य
  • जो अवश्य होना चाहिए; जिसकी अवहेलना न की जा सके; जिसके बिना काम न चले।

शे'र

English meaning of zaruurii

Adjective

  • necessary, indispensable, essential, unavoidable, obligatory, requisite, needful, urgent
  • A necessity, a thing needful

ضَرُوری کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu

صفت

  • واجب، لازمی، تاکید، اہم
  • لازمی طور پر، یقیناً

Urdu meaning of zaruurii

  • Roman
  • Urdu

  • vaajib, laazimii, taakiid, aham
  • laazimii taur par, yaqiinan

ज़रूरी के पर्यायवाची शब्द

खोजे गए शब्द से संबंधित

बखान

बखानने की क्रिया या भाव

बखानी

رک: بکھان ۔

बखानना

तारीफ या प्रशंसा करना।

बखान करना

व्याख्या करना, विस्तार से वर्णन करना

बखान डालना

अपमानित करने की ग़रज़ से किसी का पोशीदा और छिपी हुई बातों को बयान करना

मूरख के बखान सहावे

नादान को नसीहत सुनने की आदत होजाती है

नानी के आगे नन्हियाल का बखान

किसी के प्रिय की शिकायत उसी के सामने करना, जब कोई व्यक्ती किसी से किसी व्यक्ति या वस्तु के विषय में ऐसी बातें जिसके विषय में उससे अधिक जानकारी रखता हो तब व्यंग में ऐसा कहते हैं

दिन दस आदर पाय के करनी आप बखान, जो लग काग सराध पख तो लग तो सनमान

थोड़े दिनों का सम्मान, तू प्रसन्न हो ऐ कौवे सराध के दिनों में तेरा सम्मान होगा

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