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ग़दीर

वह पानी जो नदी में बाढ़ आन के समय नदी से निकलकर कहीं जमा हो जाय, इस पानी के एकत्र होने का स्थान, जलाशय, तालाब, झील

ग़दीरा

गुंधी हुई चोटी, गुंधे हुए बाल ।।

ग़दीर-ए-ख़ुम

मक्का-मदीना के मध्य एक जगह का नाम 'ख़ुम' है जहाँ एक तालाब है इस कारण यह ग़दीर-ए-ख़ुम कहलाता है, जब पैग़म्बर मोहम्मद साहब हज करके मदीने जा रहे थे तो उस जगह आप ठहरे थे और ज़िल-हिज्जा की 18 तारीख़ को हज़रत अली के संबंध में कहा था "जिसको मैं प्यारा हूँ अली भी उसको प्यारा होना चाहिए"

'ईद-ए-ग़दीर

शिया मुसलमानों का एक प्रमुख और महत्वपूर्ण त्यौहार, जो अरबी पंचांग के महीने ज़िल-हिज्जा की 18 दीनांक को मनाया जाता है, इस दिन पग़म्बर मोहम्मद साहब ने 'ग़दीर-ए-ख़ुम' पर अली (पैग़म्बर मोहम्मद के दामाद और चौथे ख़लीफ़ा) की ओर संकेत करते हुए लोगों से कहा था 'मन कुंतु मौलाहु फ़-अलीयुन मौला'

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में यही गो यही मैदान के अर्थदेखिए

यही गो यही मैदान

yahii go yahii maidaanیَہی گو یَہی مَیدان

कहावत

यही गो यही मैदान के हिंदी अर्थ

  • ۔ यही वक़्त इम्तिहां का है।
  • यानी अगर दावा है तो उसी जगह समझ लो, यही वक़्त इमतिहान का है, आज़माईश का यही ज़माना है, जब कोई हैसियत से बढ़ कर दावे करता है तो उसे नीचा दिखाने के वास्ते कहते हैं

یَہی گو یَہی مَیدان کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu
  • ۔ یہی وقت امتحاں کا ہے۔؎
  • یعنی اگر دعویٰ ہے تو اسی جگہ سمجھ لو ، یہی وقت امتحان کا ہے ، آزمائش کا یہی زمانہ ہے ، جب کوئی حیثیت سے بڑھ کر دعوے کرتا ہے تو اسے نیچا دکھانے کے واسطے کہتے ہیں ۔

Urdu meaning of yahii go yahii maidaan

  • Roman
  • Urdu

  • ۔ yahii vaqt imtihaa.n ka hai।
  • yaanii agar daavaa hai to usii jagah samajh lo, yahii vaqt imatihaan ka hai, aazmaa.iish ka yahii zamaana hai, jab ko.ii haisiyat se ba.Dh kar daave kartaa hai to use niichaa dikhaane ke vaaste kahte hai.n

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ग़दीर

वह पानी जो नदी में बाढ़ आन के समय नदी से निकलकर कहीं जमा हो जाय, इस पानी के एकत्र होने का स्थान, जलाशय, तालाब, झील

ग़दीरा

गुंधी हुई चोटी, गुंधे हुए बाल ।।

ग़दीर-ए-ख़ुम

मक्का-मदीना के मध्य एक जगह का नाम 'ख़ुम' है जहाँ एक तालाब है इस कारण यह ग़दीर-ए-ख़ुम कहलाता है, जब पैग़म्बर मोहम्मद साहब हज करके मदीने जा रहे थे तो उस जगह आप ठहरे थे और ज़िल-हिज्जा की 18 तारीख़ को हज़रत अली के संबंध में कहा था "जिसको मैं प्यारा हूँ अली भी उसको प्यारा होना चाहिए"

'ईद-ए-ग़दीर

शिया मुसलमानों का एक प्रमुख और महत्वपूर्ण त्यौहार, जो अरबी पंचांग के महीने ज़िल-हिज्जा की 18 दीनांक को मनाया जाता है, इस दिन पग़म्बर मोहम्मद साहब ने 'ग़दीर-ए-ख़ुम' पर अली (पैग़म्बर मोहम्मद के दामाद और चौथे ख़लीफ़ा) की ओर संकेत करते हुए लोगों से कहा था 'मन कुंतु मौलाहु फ़-अलीयुन मौला'

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