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वाह

बहने वाला। (यौ० के अन्त में) पुं०१. वाहन। सवारी। जैसे-गाड़ी, रथ आदि। २. बोझ खींचने या ढोनेवाला पशु। जैसे-घोड़ा, बैल आदि।

वाह-री

आश्चर्य है, वाह क्या कहना, अफ़सोस है, हाय हाय

वाह-वाह

धन्य, साधु-साधु, खूब-खूब, शाबाश, क्या बात है, (उत्साह बढ़ाने के लिए) वाह क्या कहना है, क्या बात है, क्या ख़ूब, आश्चर्य प्रकट करने के लिए कभी कटाक्ष के तौर पर भी उपयोगित

वाह-रे

(व्यंग और आश्चर्य प्रकट करने के लिए ) बहुत ख़ूब, शाबाश, धन्य हो, क्या कहना आदि

वाही

निकम्मा। निरर्थक। उदा० अजी बस जाओ भी, कुछ तुम तो बड़े वाही हो।-इन्शा०। वाहियात इसी का बहु० रूप है।

वाह-वा

किसी की प्रशंसा और तारिफ़ का शब्द, क्या कहना, क्या बात है, तथा आश्चर्य प्रकट करने के लिए, ख़ूब, अच्छा, शाबाश

वाहिमा

भ्रम, भ्रांति, वम, कल्पना शक्ति

वाहिद

अपने ढंग का एक, अद्वितीय, अकेला, तन्हा

वाह-जी-वाह

वाह भई वाह, बहुत अच्छे, क्या कहना, सुबहानल्लाह

वाह-वाट

किसी बात पर इंतिहाई हैरत के इज़हार के लिए, इंतिहा होगई इस से बढ़ कर अब क्या होगा

वाहिनी

प्राचीन भारतीय सेना की एक इकाई या विभाग जो तीन गुल्मों के योग से बनती थी

वाह-गुरू

بڑا گرو ؛ سکھوں کے گرو نانک کا نام نیز اس نام کا نعرہ جو سکھ کام شروع کرنے سے پہلے لگاتے ہیں ؛ مراد : گرونانک ، واہگورو ۔

वाहिबी

بخشش و عنایات، فیاضی

वाह-वारे

वाह वा की जगह अब ज़्यादातर व्यंग्य के रूप में इस्तेमाल किया जाता है, क्या कहना, वाह रे की जगह

वाह-वा-वाह

आश्चर्य और अचंभे का कलमा तथा प्रशंसा के रूप में प्रयुक्त सुभान अल्लाह; माशा अल्लाह

वाहिगा

میدان ، بڑی جگہ ۔

वाहिया

useless, nonsensical, absurd

वाहिबा

भेंट करने वाली, बहुत उपहार देने वाली, (लाक्षणिक) उदार, धनाढ्य, धनी

वाह मियाँ

वाह भाई, वाह जी, वाह साहब

वाहिदा

इकाई, यूनिट।

वाहिब

देनेवाला, प्रदान करनेवाला, दाता ।

वाहिम

भ्रमी, वहम करनेवाला, वहमी, शक्की।

वाह-भई

(किसी चीज़ या किसी बात की तारीफ़ के लिए), वाह, क्या कहने, ख़ूब

वाह क़िस्मत

अफ़सोस के वक़्त बोलते हैं, वाह रे या वाह री क़िस्मत बोला जाता है

वाह-वाह रहना

(लाक्षणिक) प्रसिद्ध होना, मशहूर होना, चर्चा होना

वाहगूरू

name and slogan of Guru Nanak, the founder of Sikhism

वाह संसकार

मुर्दे को जलाने की रस्म, क्रियाकर्म

वाह गुरू जी

बड़े उस्ताद हो, बहुत ख़ूब, क्या कहना, किसी को तान-ओ-तंज़िया ताज़ीम से मुख़ातब करने के मौके़ पर मुस्तामल

वाह रे मैं

अपने किसी फे़अल पर फ़ख़र या तारीफ़ के लिए मुस्तामल, हमारा क्या कहना, आफ़रीन है, मेरा क्या कहना, मेरी क्या बात है (बाअज़ वक़्त मज़ाक़न या तंज़न भी कहते हैं)

वाहियात

(बात) जो बे-सिर-पैर का, अश्लील या बेहूदी हो

वाह री क़िस्मत

what a good/ bad luck!

वाँह

بازو ، بانھ

वाह तेरी छाती

आफ़रीन तेरे हौसले और तहम्मुल पर

वाह-वाह मचना

धूम मचना, बहुत प्रशंसा होना, प्रशंसा और वाहवाही की आवाज़

वाहिदन

solely, individually

वाह क्या बात

सुबहान अल्लाह, जवाब नहीं, वाह क्या कहना है (व्यंग्य और प्रशंसा दोनों अवसरों पर प्रयुक्त)

वाह रे क़िस्मत

बदक़िस्मती के वक़्त इज़हार-ए-अफ़सोस के लिए नीज़ क़िस्मत पर तंज़ के मौके़ पर मुस्तामल

वाह-वाह हो रही है

बड़ी तारीफ़ें हो रही हैं, बहुत प्रशंसा मिल रही है, (बहुत प्रशंसा, शाबाशी प्राप्त होने के अवसर पर प्रयुक्त)

वाह गुरू जी की फ़त्ह

سکھوں کا نعرہ یا سلام ۔ واہ گروجی کی فتح کے بعد التماس ہے ۔

वाहिदतन

एक ही बार, एक दम, एक साथ

वाह-वाह पड़ना

प्रशंसा होना, तारीफ़ होना

वाह मियाँ काले ख़ूब रंग निकाले

शरारती मक्कार के प्रति या किसी का धोखा और मक्कारी मालूम होने पर कहते हैं

वाही हो

(गाली) वाहियात हो, बेहूदा हो, मूर्ख हो, ख़बती हो, पागल हो (अप्रसन्नता से संबोधन के लिए प्रयुक्त)

वाह रे गिलहरी क्या ख़ूब रंग लाई

हक़ीर चीज़ के मोस्सर या कारआमद होने के मौके़ पर कहते हैं

वाही-वाही

رک : واہی تباہی جو زیادہ مستعمل ہے ، فضول ۔

वाह पुरखा मेरे चातुर ज्ञानी, माँगी आग उठा लाया पानी

मूर्ख के संबंध में कहते हैं जो कहने के उलट काम करे एवं व्यंग में उलट-पलट करने वालों के प्रति कहते हैं

वाहिदिय्यत

किसी वस्तु का इस तरह से अस्तित्व में होना कि उसके सार और गुण में कोई साझा न हो, एक होने की हालत, वहदत, यकताई, अद्वैतवाद

वाह मियाँ नाक वाले

सम्मानित व्यक्ति कोई घटिया काम करे तो व्यंग में कहते हैं

वाही है

मूर्ख है, बेवक़ूफ़ है, पागल है, सौदाई है, अहमक़ है, सिड़ी है

वाह साहिब वाह

तान की जगह और गाहे तारीफ़ में मुस्तामल, वाह भई, वाह जी

वाह क्या कहना

(बतौर प्रशंसा के लिए उपयोगित), क्या बात है, अति उत्कृष्ट!, अत्युत्तम (व्यंगात्मक के तौर पर भी उपयोगित)

वाह मियाँ बाँके तेरे गले में सौ सौ टाँके

बे सर-ओ-सामान बांके की निसबत कहते हैं , बेसर-ओ-सामानी पर शेखी

वाह क्या बात है

how wonderful!

वाह बीवी तेरी चतुराई, देखा मूसा कहे बिलाई

वाह बीवी तेरी चालाकी भी देख ली कि चूहा देख कर बिल्ली बताती है

वाह पुरखा तेरी चतुराई, चून बेच कर गाजर खाई

हे मनुष्य तेरी होशियारी भी देख ली है कि तूने आटा बेच कर गाजरें ख़रीद ली हैं

वाह मुँह तो देखो

बिना किसी औपचारिकता के दोस्त से संबोधन

वाह मियाँ बाँके तेरे दगले में सौ सौ टाँके

बे सर-ओ-सामान बांके की निसबत कहते हैं , बेसर-ओ-सामानी पर शेखी

वाह रे मैं , वाह रे हम

۔اپنے کسی فعل پر فخر وناز کرنے کے لئے مستعمل ۔؎

वाहिदा-कार्ड

(کتب خانہ) ایسا کارڈ جو کیٹلاگ میں کسی تصنیف کے لیے اندراج خاص کی حیثیت رکھتا ہو اور جسے کیٹلاگ میں اسی تصنیف کے تمام اندراجات کے لیے بنیادی حیثیت دی جائے

वाहिबुन-न'अम

दे. ‘वाहिबुलअताया

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में वाह-वा के अर्थदेखिए

वाह-वा

vaah-vaaواہ وا

वज़्न : 212

टैग्ज़: व्यंगात्मक

वाह-वा के हिंदी अर्थ

  • किसी की प्रशंसा और तारिफ़ का शब्द, क्या कहना, क्या बात है, तथा आश्चर्य प्रकट करने के लिए, ख़ूब, अच्छा, शाबाश

शे'र

English meaning of vaah-vaa

واہ وا کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu
  • ۱۔ کلمہء تحسین و تعریف و توصیف ، کیا کہنا ، کیا بات ہے ، کیا خوب نیز حیرت اور تعجب ظاہر کرنے کے لیے ، خوب ، اچھا ، (طنزاً بھی مستعمل) ۔
  • ۲۔ فرطِ لذت یا خوشی میں سبحان اللہ اور ماشاء اللہ کی بجائے مستعمل ، مرحبا کی جگہ مستعمل ۔

Urdu meaning of vaah-vaa

  • Roman
  • Urdu

  • ۱۔ kalmaa-e-tahsiin-o-taariif-o-tausiiph, kyaa kahnaa, kyaa baat hai, kyaa Khuub niiz hairat aur taajjub zaahir karne ke li.e, Khuub, achchhaa, (tanzan bhii mustaamal)
  • ۲۔ phurat-e-lazzat ya Khushii me.n subhaan allaah aur maashaa allaah kii bajaay mustaamal, marhabaa kii jagah mustaamal

खोजे गए शब्द से संबंधित

वाह

बहने वाला। (यौ० के अन्त में) पुं०१. वाहन। सवारी। जैसे-गाड़ी, रथ आदि। २. बोझ खींचने या ढोनेवाला पशु। जैसे-घोड़ा, बैल आदि।

वाह-री

आश्चर्य है, वाह क्या कहना, अफ़सोस है, हाय हाय

वाह-वाह

धन्य, साधु-साधु, खूब-खूब, शाबाश, क्या बात है, (उत्साह बढ़ाने के लिए) वाह क्या कहना है, क्या बात है, क्या ख़ूब, आश्चर्य प्रकट करने के लिए कभी कटाक्ष के तौर पर भी उपयोगित

वाह-रे

(व्यंग और आश्चर्य प्रकट करने के लिए ) बहुत ख़ूब, शाबाश, धन्य हो, क्या कहना आदि

वाही

निकम्मा। निरर्थक। उदा० अजी बस जाओ भी, कुछ तुम तो बड़े वाही हो।-इन्शा०। वाहियात इसी का बहु० रूप है।

वाह-वा

किसी की प्रशंसा और तारिफ़ का शब्द, क्या कहना, क्या बात है, तथा आश्चर्य प्रकट करने के लिए, ख़ूब, अच्छा, शाबाश

वाहिमा

भ्रम, भ्रांति, वम, कल्पना शक्ति

वाहिद

अपने ढंग का एक, अद्वितीय, अकेला, तन्हा

वाह-जी-वाह

वाह भई वाह, बहुत अच्छे, क्या कहना, सुबहानल्लाह

वाह-वाट

किसी बात पर इंतिहाई हैरत के इज़हार के लिए, इंतिहा होगई इस से बढ़ कर अब क्या होगा

वाहिनी

प्राचीन भारतीय सेना की एक इकाई या विभाग जो तीन गुल्मों के योग से बनती थी

वाह-गुरू

بڑا گرو ؛ سکھوں کے گرو نانک کا نام نیز اس نام کا نعرہ جو سکھ کام شروع کرنے سے پہلے لگاتے ہیں ؛ مراد : گرونانک ، واہگورو ۔

वाहिबी

بخشش و عنایات، فیاضی

वाह-वारे

वाह वा की जगह अब ज़्यादातर व्यंग्य के रूप में इस्तेमाल किया जाता है, क्या कहना, वाह रे की जगह

वाह-वा-वाह

आश्चर्य और अचंभे का कलमा तथा प्रशंसा के रूप में प्रयुक्त सुभान अल्लाह; माशा अल्लाह

वाहिगा

میدان ، بڑی جگہ ۔

वाहिया

useless, nonsensical, absurd

वाहिबा

भेंट करने वाली, बहुत उपहार देने वाली, (लाक्षणिक) उदार, धनाढ्य, धनी

वाह मियाँ

वाह भाई, वाह जी, वाह साहब

वाहिदा

इकाई, यूनिट।

वाहिब

देनेवाला, प्रदान करनेवाला, दाता ।

वाहिम

भ्रमी, वहम करनेवाला, वहमी, शक्की।

वाह-भई

(किसी चीज़ या किसी बात की तारीफ़ के लिए), वाह, क्या कहने, ख़ूब

वाह क़िस्मत

अफ़सोस के वक़्त बोलते हैं, वाह रे या वाह री क़िस्मत बोला जाता है

वाह-वाह रहना

(लाक्षणिक) प्रसिद्ध होना, मशहूर होना, चर्चा होना

वाहगूरू

name and slogan of Guru Nanak, the founder of Sikhism

वाह संसकार

मुर्दे को जलाने की रस्म, क्रियाकर्म

वाह गुरू जी

बड़े उस्ताद हो, बहुत ख़ूब, क्या कहना, किसी को तान-ओ-तंज़िया ताज़ीम से मुख़ातब करने के मौके़ पर मुस्तामल

वाह रे मैं

अपने किसी फे़अल पर फ़ख़र या तारीफ़ के लिए मुस्तामल, हमारा क्या कहना, आफ़रीन है, मेरा क्या कहना, मेरी क्या बात है (बाअज़ वक़्त मज़ाक़न या तंज़न भी कहते हैं)

वाहियात

(बात) जो बे-सिर-पैर का, अश्लील या बेहूदी हो

वाह री क़िस्मत

what a good/ bad luck!

वाँह

بازو ، بانھ

वाह तेरी छाती

आफ़रीन तेरे हौसले और तहम्मुल पर

वाह-वाह मचना

धूम मचना, बहुत प्रशंसा होना, प्रशंसा और वाहवाही की आवाज़

वाहिदन

solely, individually

वाह क्या बात

सुबहान अल्लाह, जवाब नहीं, वाह क्या कहना है (व्यंग्य और प्रशंसा दोनों अवसरों पर प्रयुक्त)

वाह रे क़िस्मत

बदक़िस्मती के वक़्त इज़हार-ए-अफ़सोस के लिए नीज़ क़िस्मत पर तंज़ के मौके़ पर मुस्तामल

वाह-वाह हो रही है

बड़ी तारीफ़ें हो रही हैं, बहुत प्रशंसा मिल रही है, (बहुत प्रशंसा, शाबाशी प्राप्त होने के अवसर पर प्रयुक्त)

वाह गुरू जी की फ़त्ह

سکھوں کا نعرہ یا سلام ۔ واہ گروجی کی فتح کے بعد التماس ہے ۔

वाहिदतन

एक ही बार, एक दम, एक साथ

वाह-वाह पड़ना

प्रशंसा होना, तारीफ़ होना

वाह मियाँ काले ख़ूब रंग निकाले

शरारती मक्कार के प्रति या किसी का धोखा और मक्कारी मालूम होने पर कहते हैं

वाही हो

(गाली) वाहियात हो, बेहूदा हो, मूर्ख हो, ख़बती हो, पागल हो (अप्रसन्नता से संबोधन के लिए प्रयुक्त)

वाह रे गिलहरी क्या ख़ूब रंग लाई

हक़ीर चीज़ के मोस्सर या कारआमद होने के मौके़ पर कहते हैं

वाही-वाही

رک : واہی تباہی جو زیادہ مستعمل ہے ، فضول ۔

वाह पुरखा मेरे चातुर ज्ञानी, माँगी आग उठा लाया पानी

मूर्ख के संबंध में कहते हैं जो कहने के उलट काम करे एवं व्यंग में उलट-पलट करने वालों के प्रति कहते हैं

वाहिदिय्यत

किसी वस्तु का इस तरह से अस्तित्व में होना कि उसके सार और गुण में कोई साझा न हो, एक होने की हालत, वहदत, यकताई, अद्वैतवाद

वाह मियाँ नाक वाले

सम्मानित व्यक्ति कोई घटिया काम करे तो व्यंग में कहते हैं

वाही है

मूर्ख है, बेवक़ूफ़ है, पागल है, सौदाई है, अहमक़ है, सिड़ी है

वाह साहिब वाह

तान की जगह और गाहे तारीफ़ में मुस्तामल, वाह भई, वाह जी

वाह क्या कहना

(बतौर प्रशंसा के लिए उपयोगित), क्या बात है, अति उत्कृष्ट!, अत्युत्तम (व्यंगात्मक के तौर पर भी उपयोगित)

वाह मियाँ बाँके तेरे गले में सौ सौ टाँके

बे सर-ओ-सामान बांके की निसबत कहते हैं , बेसर-ओ-सामानी पर शेखी

वाह क्या बात है

how wonderful!

वाह बीवी तेरी चतुराई, देखा मूसा कहे बिलाई

वाह बीवी तेरी चालाकी भी देख ली कि चूहा देख कर बिल्ली बताती है

वाह पुरखा तेरी चतुराई, चून बेच कर गाजर खाई

हे मनुष्य तेरी होशियारी भी देख ली है कि तूने आटा बेच कर गाजरें ख़रीद ली हैं

वाह मुँह तो देखो

बिना किसी औपचारिकता के दोस्त से संबोधन

वाह मियाँ बाँके तेरे दगले में सौ सौ टाँके

बे सर-ओ-सामान बांके की निसबत कहते हैं , बेसर-ओ-सामानी पर शेखी

वाह रे मैं , वाह रे हम

۔اپنے کسی فعل پر فخر وناز کرنے کے لئے مستعمل ۔؎

वाहिदा-कार्ड

(کتب خانہ) ایسا کارڈ جو کیٹلاگ میں کسی تصنیف کے لیے اندراج خاص کی حیثیت رکھتا ہو اور جسے کیٹلاگ میں اسی تصنیف کے تمام اندراجات کے لیے بنیادی حیثیت دی جائے

वाहिबुन-न'अम

दे. ‘वाहिबुलअताया

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