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अहमक़

जिसमें बात को समझने का गुण कम हो या न हो, बेवक़ूफ़, नासमझ (पुरुष या स्त्री)

अहमक़-पना

मूर्खता, गधापन, नादानपन, मूर्खपन

अहमक़ बनना

पागल बनना, मूर्ख बनना, उल्लू बनना, धोखा खाना, चाल में फँसना, छला जाना

अहमक़-पन

मूर्खता, गधापन, नादानपन, मूर्खपन

अहमक़ बनाना

चालाकी से फ़रेब देना और मतलब निकालना

अहमक़ाई

मूर्ख

अहमक़ी

बुद्धिमत्ता या सभ्यता के विरुद्ध कार्य करना, मूर्खता, बेवक़ूफ़ी

अहमक़ा-पन

मूर्खता, गधापन, नादानपन, मूर्खपन, अहमक़ पन

अहमक़ाना

मूर्खतापूर्ण, मूर्खता या बेवक़ूफ़ी पर आधारित, जाहिल और बेवक़ूफ़ों का सा (काम या बात)

अहमक़ुल्लज़ी

बहुत बेवक़ूफ़, निहायत दर्जा अहमक़

अहमक़ाना-जसारत

foolish escapade, innovative job

अहमक़ुन्नास

इंसानों में सबसे मूर्ख

कुर्सी का अहमक़

an arrant fool

लम्बरी-अहमक़

ऐसा मूर्ख जिसकी मूर्खता में किसी को आपत्ति न हो

क़ज़ा के आगे हकीम अहमक़

मौत आए तो वैद्य से ग़लती हो जाती है

हक़ कहने से अहमक़ बेज़ार

मूर्ख सच्ची बात से नाराज़ हो जाता है

कुल्लु तवीलिन अहमक़ इल्ला 'उमर

(अरबी कहावत उर्दू में प्रयुक्त) हज़रत उमर के अलावा हर लंबे डील-डौल वाला व्यक्ति का आदमी मूर्ख है

बिन बुलाई अहमक़ ले दौड़ी सहनक

बिन-पूछे किसी मामले में हस्तक्षेप देने वाले और बिन बुलाए किसी के घर जाने वाले के लिए प्रयुक्त

शिकारी शिकार करें अहमक़ साथ फिरें

इस के मुताल्लिक़ कहते हैं जो दूसरों के साथ ख़्वाहमख़्वाह मारा मारा फिरता है, जब काम वाले लोगों के साथ बेकार लोग अपना वक़्त ख़राब करने के लिए साथ हो लेते हैं तो ऐसे मौक़ा पर बोलते हैं

कुल्लु तवीलिन अहमक़ व कुल्लु क़सीरिन फ़ित्नतुन

हर लंबे क़द वाला मूर्ख होता है और हर नाटे क़द वाला आदमी फ़सादी होता है (अरबी कहावत उर्दू में प्रचलित)

सद्रा पढ़ कर अहमक़ रहे

मंतिक़ पढ़ कर भी अक़्ल न आई

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में तफ़्ज़ील-ए-बा'ज़ के अर्थदेखिए

तफ़्ज़ील-ए-बा'ज़

tafziil-e-baa'zتَفضِیْلِ بَعْض

स्रोत: अरबी

वज़्न : 22221

टैग्ज़: व्याकरण व्याकरण

तफ़्ज़ील-ए-बा'ज़ के हिंदी अर्थ

संज्ञा, स्त्रीलिंग

  • शाब्दिक: कुछ को प्राथमिकता देना, व्याकरण: तुलनात्मक डिग्री (विशेषण की), विशेषण का वो दर्जा जिसके द्वारा एक वर्णित की कुछ पर प्राथमिकता प्रकट की जाये

English meaning of tafziil-e-baa'z

Noun, Feminine

  • comparative degree (of adjectives)

تَفضِیْلِ بَعْض کے اردو معانی

Roman

اسم، مؤنث

  • لفظاً: بعض پر فضلیت دینا، قواعد: صفت کا وہ درجہ جس کے ذریعے ایک موصوف کی بعض پر ترجیح ظاہر کی جائے (فارسی میں صفت کے بعد ’ تر‘ لگا کر ظاہر کرتے ہیں، جیسے: بہتر = بہت اچھا).

Urdu meaning of tafziil-e-baa'z

Roman

  • lafaznah baaaz par fazliit denaa, qavaa.idah sifat ka vo darja jis ke zariiye ek mausuuf kii baaaz par tarjiih zaahir kii jaaye (faarsii me.n sifat ke baad ' tar' laga kar zaahir karte hain, jaiseh behtar = bahut achchhaa)

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अहमक़

जिसमें बात को समझने का गुण कम हो या न हो, बेवक़ूफ़, नासमझ (पुरुष या स्त्री)

अहमक़-पना

मूर्खता, गधापन, नादानपन, मूर्खपन

अहमक़ बनना

पागल बनना, मूर्ख बनना, उल्लू बनना, धोखा खाना, चाल में फँसना, छला जाना

अहमक़-पन

मूर्खता, गधापन, नादानपन, मूर्खपन

अहमक़ बनाना

चालाकी से फ़रेब देना और मतलब निकालना

अहमक़ाई

मूर्ख

अहमक़ी

बुद्धिमत्ता या सभ्यता के विरुद्ध कार्य करना, मूर्खता, बेवक़ूफ़ी

अहमक़ा-पन

मूर्खता, गधापन, नादानपन, मूर्खपन, अहमक़ पन

अहमक़ाना

मूर्खतापूर्ण, मूर्खता या बेवक़ूफ़ी पर आधारित, जाहिल और बेवक़ूफ़ों का सा (काम या बात)

अहमक़ुल्लज़ी

बहुत बेवक़ूफ़, निहायत दर्जा अहमक़

अहमक़ाना-जसारत

foolish escapade, innovative job

अहमक़ुन्नास

इंसानों में सबसे मूर्ख

कुर्सी का अहमक़

an arrant fool

लम्बरी-अहमक़

ऐसा मूर्ख जिसकी मूर्खता में किसी को आपत्ति न हो

क़ज़ा के आगे हकीम अहमक़

मौत आए तो वैद्य से ग़लती हो जाती है

हक़ कहने से अहमक़ बेज़ार

मूर्ख सच्ची बात से नाराज़ हो जाता है

कुल्लु तवीलिन अहमक़ इल्ला 'उमर

(अरबी कहावत उर्दू में प्रयुक्त) हज़रत उमर के अलावा हर लंबे डील-डौल वाला व्यक्ति का आदमी मूर्ख है

बिन बुलाई अहमक़ ले दौड़ी सहनक

बिन-पूछे किसी मामले में हस्तक्षेप देने वाले और बिन बुलाए किसी के घर जाने वाले के लिए प्रयुक्त

शिकारी शिकार करें अहमक़ साथ फिरें

इस के मुताल्लिक़ कहते हैं जो दूसरों के साथ ख़्वाहमख़्वाह मारा मारा फिरता है, जब काम वाले लोगों के साथ बेकार लोग अपना वक़्त ख़राब करने के लिए साथ हो लेते हैं तो ऐसे मौक़ा पर बोलते हैं

कुल्लु तवीलिन अहमक़ व कुल्लु क़सीरिन फ़ित्नतुन

हर लंबे क़द वाला मूर्ख होता है और हर नाटे क़द वाला आदमी फ़सादी होता है (अरबी कहावत उर्दू में प्रचलित)

सद्रा पढ़ कर अहमक़ रहे

मंतिक़ पढ़ कर भी अक़्ल न आई

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