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नौ-बहार

नव वसंत, नयी ऋतु, बहार का नया नया मौसम

नौ-बहार-ए-नाज़

महबूब , प्रेमिका

नौ-बहार-ए-हुस्न

वसन्त ऋतु का सौंदर्य, प्रेमिका

नौ-बहारी

نوبہار (رک) سے متعلق یا منسوب ، موسم بہار کا (عموماً باد اور نسیم کے لیے مستعمل) ۔

ग़ाज़ा-ए-नौ-बहार

rouge, ruddiness of adolescence

अब्र-ए-नौ-बहार

नए वसंत के बादल

न भादों हरे , न हाड़ सूखे

रुक : ना असाढ़ सूखे ना साइन हरे

सर डोली पाँव कहार आएँ बीवी नौ-बहार

ज़रासी देर के लिए आकर फ़ौरन चले जाने के मौक़ा पर मुस्तामल

न गाड़ी भर आश्नाई , न जौ भर नाता

कोई ताल्लुक़ नहीं है, रिश्ता ना दोस्ती , रुक : गाड़ी भर आश्नाई नहीं चलती, जौ भर नाता चलता है

सौ गज़ वारों , गज़ भर न फाड़ों

सिर्फ़ ज़बानी हमदर्दी करने वाले की निस्बत बोलते हैं जो दोस्ती और मुहब्बत तो बहुत ज़ाहिर करे मगर अमलन कुछ ना करे बल्कि मुसीबत के वक़्त अलग हो जाये

रत्ती भर नाता, न गाड़ी भर आश्नाई

दूर-दराज़ के नाते को भी बहुत ही क़रीब की मित्रता पर प्रमुखता दी जाती है

गाड़ी भर आश्नाई न जौ भर नाता

۔اتنا راستہ جسمیں سے گاڑی نکل جائے۔ تھوڑا سا راستہ۔

धड़ी भर का सर तो हिला दिया , पैसा भर की ज़बान न हिलाई गई

सर हिला दिया, मुँह से जवाब ना दिया

चंदन की चुटकी भली , न गाड़ी भर अनाज कबाड़

थोड़ी सी अच्छी चीज़, ज़्यादा ख़राब चीज़ से बेहतर होती है

रत्ती भर धन साथ न जावे, जब तू मर कर जीव गँवावे

मृत्यु के समय ज़रा सा धन भी साथ नहीं जाता इस लिए धन-दौलत पर भरोसा और मान नहीं करना चाहिए

साँझ जाए और भोर आए , वो कैसे न छिनाल कहलाए

जो औरत शाम को जाये और सुबह को आए वो बदचलन समझी जाती है जो सरीहन बद हो उसे बद ही कहा जाएगा

ज़र-दार मर्द ना हर घर में रहे कि बाहर

सोने से पुरूष का शासन और प्रताप है घर में भी और बाहर भी

भेड़ पे ऊन किस ने छोड़ी, भेड़ तो जहाँ जाएगी मूँडी जाएगी

जो व्यक्ति हर जगह लूटा जाए उसके प्रति कहते हैं

न ख़ाक अल्ले न ख़ाक पल्ले, ख़ाक धबले में भर ले

कंगाल है, मुफ़लिस है

घर में देखो छलनी न छाज, बाहर मियाँ तीर अंदाज़

ग़रीब शेख़ी बघारने वालों के बारे में कहते हैं

दुम पकड़ी भेड़ की वार हुए न पार

कमज़ोर आदमी की इमदाद से कुछ फ़ायदा नहीं होता , कमज़ोर आदमी का सहारा लेने वाला आदमी नाकाम रहता है

बाल भर का फ़र्क़ न होना

ज़रा सा भी इख़्तिलाफ़ न होना, बिलकुल एक जैसा होना

अमीर ने गू खाया तो दवा के लए और ग़रीब ने खाया तो पेट भर ने के लिए

कोई बुरा काम अगर किसी धनवान से हो तो उसको अच्छा समझा जाता है और वही काम कोई निर्धन व्यक्ति करे तो उस पर लान-तान की जाती है

नींद भर कर न सोना

पूरी नींद न सोना, सही से आराम न करना; कच्ची नींद से उठना

क़दम हुक्म से बाहर न रखना

फ़रमांबरदारी में कोताही ना करना, ऐन हुक्म के मुताबिक़ काम करना

चुल्लू भर पानी में गज़ भर न उछलो

थोड़ी पूँजी पर इतना ग़ुरूर न करो

लड़ें न भिड़ें तरकश बाँधे फिरें

काम धाम कुछ नहीं करते शोर-शराबा मचाते हैं

भोर का मुर्ग़ा बोला पंछी ने मुँह खोला

सुबह हो गई परिंद पंछी बोलने लगे , सुबह का वक़्त हो गया

न सावन सूखे न भादों हरे

۔متوکل ہر وقت یکساں ہیں دیکھو ساون ہرے۔

न सावन हरे, न भादों सूखा

रुक : ना साइन सूखे ना भादों हरे

न सावन हरे, न भादों सूखे

रुक : ना साइन सूखे ना भादों हरे

न सावन हरा, न भादों सूखा

रुक : ना साइन सूखे ना भादों हरे

भीड़ न ठट्ठा मार नुहटा

ना मजमा, ना मौक़ा, बेमहल बात करने के मौक़ा पर बोलते हैं, ख़्वाहमख़्वाह लड़ने वाली औरत के मुताल्लिक़ कहते हैं

सावन बरसे न भादों सूखे

रुक : साइन हरे ना भादों सूओखे

सावन हरे न भादों सूखे

दुबले आदमी या सदैव एक हालत पर नज़र आने वाले व्यक्ति के बारे में कहते हैं

न ख़ाक अल्ले न ख़ाक पल्ले, ख़ाक थैले में भर ले

कंगाल है, मुफ़लिस है

न सावन सूखे , न भादूँ हरे

हर स्थिति में एक समान होने के अवसर पर कहते हैं

नाप न तोल भर दे झोल

बिना अंदाज़ा और बे-हिसाब दे दे, बहुत ज़्यादा माँगने वाले के लिए प्रयुक्त है

तिल भर जगह न होना

ज़रा सी भी गुंजाइश या क्षमता न होना

किसी तरह बाहर न होना

कामिल मुतीअ होना

जिस बहूड़ की बैरन सास, वाका कधी न हो घर वास

जिस बहू की सास दुश्मन हो, उस का बसना मुश्किल हो जाता है

मन भर का सर हिलाए टके की ज़बान न हिलाए

nod rather than talk

न पूछो, बयान से बाहर है

क़ाबिल अबियान नहीं, ज़िक्र के काबिल नहीं, निहायत तकलीफ़देह ज़िक्र है

सूरत न शक्ल भाड़ में से निकल

हर तरह बुरा, अतियंत कुरूप अथवा बे-हुनर

घर का और दिल का भेद हर एक के सामने न कहें

अपने दिल और घर की बात हर एक से नहीं कहनी चाहिए, गोपनीयता से काम लेना चाहिए

गज़ भर हँसिया न निगलते बने न उगलते

जब किसी काम के करने में भी नुक़्सान, न करने में भी नुक़्सान हो तो कहते हैं

मो को न तो को, ले भाड़ में झोको

ना ख़ुद अपने काम में য৒ब लाएंगेगे ना तुम्हें काम में लाने देंगे चाहे ज़ाए हो जाये तो हो जाये

बहर-ए-म'आनी

अर्थ का समुन्दर

मूकू न तूकू भाड़ में झोंकू

ना मेरे काम का ना तुम्हारे काम का, ऐसी चीज़ का क्या करना है दूर करो

बाहर न होना

(किसी काम के) करने में झिझक, हिचकिचाहट या इनकार न होना

घर से बाहर न जाना

चारदीवारी से बाहर न जाना, घर में बैठे रहना, घर के अंदर बैठा रहना

घर से बाहर न निकलना

दुनिया न देखना ,यात्रा न करना, सैर न करना, गोशा-नशीनी तर्क ना करना, घर न छोड़ना, वतन न छोड़ना, परदेश न जाना

घर की आधी न बाहर की सारी

۔مثل۔ گھر کی آمدنی باہر کی زیادہ آمدنی سے بہتر ہے۔ وطن کی آدھی روٹی پردیس کی ساری سے اچھّی ہے۔

घर की आधी न बाहर की सारी

अपने देश में रह कर अगर कम आमदनी भी हो तो विदेश की अधिक आमदनी से बेहतर है, घर की कम आमदनी बाहर की ज़्यादा आमदनी से बेहतर है

मर मर न जाते तो भर घर होते

मृत्यु ने ख़ानदान को बर्बाद कर दिया वर्ना घर भरा होता

घर आए पीर न पूजे बाहर पूजन जा

क़ाबू के वक़्त काम ना करे फिर तदबीर करता फिरे, वक़्त पर काम ना करना फिर तदबीरें करते फिरना, घर आई दौलत को छोड़कर दूसरी जगह तलाश करना

उस पुरखा की बात पर न भरोसा रख, बर-बर झूट बोले जो दिन भर माँ सो लख

झूठे व्यक्ति पर कभी भरोसा नहीं करना चाहिए अर्थात जो हमेशा ही झूठ बोलता रहा हो उसका विश्वास न करें

ये तो सिक्षा साध की निहचे चित में ला, भेद न अपने जियो का औरों को बतला

अपना भेद किसी से नहीं कहना चाहिये

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में सर डोली पाँव कहार आएँ बीवी नौ-बहार के अर्थदेखिए

सर डोली पाँव कहार आएँ बीवी नौ-बहार

sar Dolii paa.nv kahaar aa.e.n biivii nau-bahaarسَر ڈولی پاؤں کَہار آئیں بِیوی نَو بَہار

कहावत

सर डोली पाँव कहार आएँ बीवी नौ-बहार के हिंदी अर्थ

  • ज़रासी देर के लिए आकर फ़ौरन चले जाने के मौक़ा पर मुस्तामल

سَر ڈولی پاؤں کَہار آئیں بِیوی نَو بَہار کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu
  • ذراسی دیر کے لیے آکر فوراً چلے جانے کے موقع پر مستعمل.

Urdu meaning of sar Dolii paa.nv kahaar aa.e.n biivii nau-bahaar

  • Roman
  • Urdu

  • zaraasii der ke li.e aakar fauran chale jaane ke mauqaa par mustaamal

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नौ-बहार

नव वसंत, नयी ऋतु, बहार का नया नया मौसम

नौ-बहार-ए-नाज़

महबूब , प्रेमिका

नौ-बहार-ए-हुस्न

वसन्त ऋतु का सौंदर्य, प्रेमिका

नौ-बहारी

نوبہار (رک) سے متعلق یا منسوب ، موسم بہار کا (عموماً باد اور نسیم کے لیے مستعمل) ۔

ग़ाज़ा-ए-नौ-बहार

rouge, ruddiness of adolescence

अब्र-ए-नौ-बहार

नए वसंत के बादल

न भादों हरे , न हाड़ सूखे

रुक : ना असाढ़ सूखे ना साइन हरे

सर डोली पाँव कहार आएँ बीवी नौ-बहार

ज़रासी देर के लिए आकर फ़ौरन चले जाने के मौक़ा पर मुस्तामल

न गाड़ी भर आश्नाई , न जौ भर नाता

कोई ताल्लुक़ नहीं है, रिश्ता ना दोस्ती , रुक : गाड़ी भर आश्नाई नहीं चलती, जौ भर नाता चलता है

सौ गज़ वारों , गज़ भर न फाड़ों

सिर्फ़ ज़बानी हमदर्दी करने वाले की निस्बत बोलते हैं जो दोस्ती और मुहब्बत तो बहुत ज़ाहिर करे मगर अमलन कुछ ना करे बल्कि मुसीबत के वक़्त अलग हो जाये

रत्ती भर नाता, न गाड़ी भर आश्नाई

दूर-दराज़ के नाते को भी बहुत ही क़रीब की मित्रता पर प्रमुखता दी जाती है

गाड़ी भर आश्नाई न जौ भर नाता

۔اتنا راستہ جسمیں سے گاڑی نکل جائے۔ تھوڑا سا راستہ۔

धड़ी भर का सर तो हिला दिया , पैसा भर की ज़बान न हिलाई गई

सर हिला दिया, मुँह से जवाब ना दिया

चंदन की चुटकी भली , न गाड़ी भर अनाज कबाड़

थोड़ी सी अच्छी चीज़, ज़्यादा ख़राब चीज़ से बेहतर होती है

रत्ती भर धन साथ न जावे, जब तू मर कर जीव गँवावे

मृत्यु के समय ज़रा सा धन भी साथ नहीं जाता इस लिए धन-दौलत पर भरोसा और मान नहीं करना चाहिए

साँझ जाए और भोर आए , वो कैसे न छिनाल कहलाए

जो औरत शाम को जाये और सुबह को आए वो बदचलन समझी जाती है जो सरीहन बद हो उसे बद ही कहा जाएगा

ज़र-दार मर्द ना हर घर में रहे कि बाहर

सोने से पुरूष का शासन और प्रताप है घर में भी और बाहर भी

भेड़ पे ऊन किस ने छोड़ी, भेड़ तो जहाँ जाएगी मूँडी जाएगी

जो व्यक्ति हर जगह लूटा जाए उसके प्रति कहते हैं

न ख़ाक अल्ले न ख़ाक पल्ले, ख़ाक धबले में भर ले

कंगाल है, मुफ़लिस है

घर में देखो छलनी न छाज, बाहर मियाँ तीर अंदाज़

ग़रीब शेख़ी बघारने वालों के बारे में कहते हैं

दुम पकड़ी भेड़ की वार हुए न पार

कमज़ोर आदमी की इमदाद से कुछ फ़ायदा नहीं होता , कमज़ोर आदमी का सहारा लेने वाला आदमी नाकाम रहता है

बाल भर का फ़र्क़ न होना

ज़रा सा भी इख़्तिलाफ़ न होना, बिलकुल एक जैसा होना

अमीर ने गू खाया तो दवा के लए और ग़रीब ने खाया तो पेट भर ने के लिए

कोई बुरा काम अगर किसी धनवान से हो तो उसको अच्छा समझा जाता है और वही काम कोई निर्धन व्यक्ति करे तो उस पर लान-तान की जाती है

नींद भर कर न सोना

पूरी नींद न सोना, सही से आराम न करना; कच्ची नींद से उठना

क़दम हुक्म से बाहर न रखना

फ़रमांबरदारी में कोताही ना करना, ऐन हुक्म के मुताबिक़ काम करना

चुल्लू भर पानी में गज़ भर न उछलो

थोड़ी पूँजी पर इतना ग़ुरूर न करो

लड़ें न भिड़ें तरकश बाँधे फिरें

काम धाम कुछ नहीं करते शोर-शराबा मचाते हैं

भोर का मुर्ग़ा बोला पंछी ने मुँह खोला

सुबह हो गई परिंद पंछी बोलने लगे , सुबह का वक़्त हो गया

न सावन सूखे न भादों हरे

۔متوکل ہر وقت یکساں ہیں دیکھو ساون ہرے۔

न सावन हरे, न भादों सूखा

रुक : ना साइन सूखे ना भादों हरे

न सावन हरे, न भादों सूखे

रुक : ना साइन सूखे ना भादों हरे

न सावन हरा, न भादों सूखा

रुक : ना साइन सूखे ना भादों हरे

भीड़ न ठट्ठा मार नुहटा

ना मजमा, ना मौक़ा, बेमहल बात करने के मौक़ा पर बोलते हैं, ख़्वाहमख़्वाह लड़ने वाली औरत के मुताल्लिक़ कहते हैं

सावन बरसे न भादों सूखे

रुक : साइन हरे ना भादों सूओखे

सावन हरे न भादों सूखे

दुबले आदमी या सदैव एक हालत पर नज़र आने वाले व्यक्ति के बारे में कहते हैं

न ख़ाक अल्ले न ख़ाक पल्ले, ख़ाक थैले में भर ले

कंगाल है, मुफ़लिस है

न सावन सूखे , न भादूँ हरे

हर स्थिति में एक समान होने के अवसर पर कहते हैं

नाप न तोल भर दे झोल

बिना अंदाज़ा और बे-हिसाब दे दे, बहुत ज़्यादा माँगने वाले के लिए प्रयुक्त है

तिल भर जगह न होना

ज़रा सी भी गुंजाइश या क्षमता न होना

किसी तरह बाहर न होना

कामिल मुतीअ होना

जिस बहूड़ की बैरन सास, वाका कधी न हो घर वास

जिस बहू की सास दुश्मन हो, उस का बसना मुश्किल हो जाता है

मन भर का सर हिलाए टके की ज़बान न हिलाए

nod rather than talk

न पूछो, बयान से बाहर है

क़ाबिल अबियान नहीं, ज़िक्र के काबिल नहीं, निहायत तकलीफ़देह ज़िक्र है

सूरत न शक्ल भाड़ में से निकल

हर तरह बुरा, अतियंत कुरूप अथवा बे-हुनर

घर का और दिल का भेद हर एक के सामने न कहें

अपने दिल और घर की बात हर एक से नहीं कहनी चाहिए, गोपनीयता से काम लेना चाहिए

गज़ भर हँसिया न निगलते बने न उगलते

जब किसी काम के करने में भी नुक़्सान, न करने में भी नुक़्सान हो तो कहते हैं

मो को न तो को, ले भाड़ में झोको

ना ख़ुद अपने काम में য৒ब लाएंगेगे ना तुम्हें काम में लाने देंगे चाहे ज़ाए हो जाये तो हो जाये

बहर-ए-म'आनी

अर्थ का समुन्दर

मूकू न तूकू भाड़ में झोंकू

ना मेरे काम का ना तुम्हारे काम का, ऐसी चीज़ का क्या करना है दूर करो

बाहर न होना

(किसी काम के) करने में झिझक, हिचकिचाहट या इनकार न होना

घर से बाहर न जाना

चारदीवारी से बाहर न जाना, घर में बैठे रहना, घर के अंदर बैठा रहना

घर से बाहर न निकलना

दुनिया न देखना ,यात्रा न करना, सैर न करना, गोशा-नशीनी तर्क ना करना, घर न छोड़ना, वतन न छोड़ना, परदेश न जाना

घर की आधी न बाहर की सारी

۔مثل۔ گھر کی آمدنی باہر کی زیادہ آمدنی سے بہتر ہے۔ وطن کی آدھی روٹی پردیس کی ساری سے اچھّی ہے۔

घर की आधी न बाहर की सारी

अपने देश में रह कर अगर कम आमदनी भी हो तो विदेश की अधिक आमदनी से बेहतर है, घर की कम आमदनी बाहर की ज़्यादा आमदनी से बेहतर है

मर मर न जाते तो भर घर होते

मृत्यु ने ख़ानदान को बर्बाद कर दिया वर्ना घर भरा होता

घर आए पीर न पूजे बाहर पूजन जा

क़ाबू के वक़्त काम ना करे फिर तदबीर करता फिरे, वक़्त पर काम ना करना फिर तदबीरें करते फिरना, घर आई दौलत को छोड़कर दूसरी जगह तलाश करना

उस पुरखा की बात पर न भरोसा रख, बर-बर झूट बोले जो दिन भर माँ सो लख

झूठे व्यक्ति पर कभी भरोसा नहीं करना चाहिए अर्थात जो हमेशा ही झूठ बोलता रहा हो उसका विश्वास न करें

ये तो सिक्षा साध की निहचे चित में ला, भेद न अपने जियो का औरों को बतला

अपना भेद किसी से नहीं कहना चाहिये

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