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no go

(तरकीब वस्फ़ी की सूरत में हाइफ़न /ख़त वसली के साथ) मुहाल , ना मुम्किन।

no good

शरारत , फ़साद

no-go area

इलाक़ा-ए-ममनूआ, जहां बगै़र इजाज़त दाख़िला मना हो

नौ-गुल-ख़ंदाँ

वह कली अथवा कोंपल जो अभी-अभी खिली हो, हँसता हुआ ताज़ा फूल

no-good

तौसीफ़ी: बोल चाल: बे कार, फ़ुज़ूल।

नौ-गुट्टी

भूमि पर कुछ ख़ाने बनाकर 9 ठीकरियों या कोड़ियों से खेला जाने वाला एक खेल

नौ-गुल

प्रेमिका

नौ-ग़ुंचगी

(لفظاً) کلی کے تازہ ہونے یا حال میں کھلنے کی حالت ؛ (مجازاً) تازگی ؛ نوجوانی ، کم عمری ۔

न गूह में ढेला डालो, न छींटें पड़ें

ना बुरुँ से मेल जोल रखू ना तुम पर हर्फ़ आए, ना बुरुँ के मुँह लगू ना बरी बातें सुनो

न गू में ईंट डालो, न छीटें पड़ें

ना बुरुँ से मेल जोल रखू ना तुम पर हर्फ़ आए, ना बुरुँ के मुँह लगू ना बरी बातें सुनो

दरोग़ गो रा हाफ़िज़ा न बाशद

a liar has a bad memory

न चढ़े-गा , न गिरे-गा

ना तरक़्क़ी करेगा ना ज़वाल होगा, ऐसा काम क्यों करे जिस में नुक़्सान हो

लाए गा दारा तो खाए गी दारी, न लाए गा दारा तो पड़े गी ख़्वारी

पति कमा कर लाएगा तो पत्नी खाएगी, पति न कमाएगा तो फ़ाक़े होंगे

ऊत गए न जानिये दे गए बाड़

जिस के घर ढनखर लग गए कोई ना रहा और जो शख़्स अपने बुज़ुर्गों के ख़िलाफ़ बदचलन और बदअतवार हुआ वही ओत है

उठ गए न जानिए जो टट्टी दे गए बाड़

जो द्वार पर ताला लगाकर चले गए हों उन्हें मरा नहीं समझ लेना चाहिए, यदि वापस न आना होता तो खुला छोड़ जाते

भूल गई दिन दिहाड़ा , मुंडो ने सेहरा बाँधा

नीच लोगों के संबंध कहते हैं जो अमीर हो जाएँ और अपनी मूलतः स्थिती भूल जाएँ

ग़रीबों ने रोज़े रखे, दिन बड़े हो गए

कमज़ोर और ग़रीब जो काम करता है उस में नुक़्सान ही होता है या मुसीबत में और मुसीबत घेर लेती है

गोसाला-ए-मन पीर शुद व गाऊ न शुद

फ़ारसी कहात उर्दू में मुस्तामल , बढे होगए मगर बचपना ना गया

गोसाला-ए-मा पीर शुद व गाऊ न शुद

फ़ारसी कहात उर्दू में मुस्तामल , बढे होगए मगर बचपना ना गया

ग़रीब ने रोज़े रखे दिन बड़े हो गए

असमर्थ व्यक्ति जो काम करता है उसमें हानि ही होती है या मुसीबत में और मुसीबत घेरती है

चिड़िया अपनी जान से गई लड़का ख़ुश न हुआ

इस मौक़ा पर कहते हैं जब नौकर काम करते करते मरजाते और मालिक ख़ुश ना हो या बीवी काम करती करती मर जाय और मियां को पसंद ना आए-ए-

चिड़िया अपनी जान से गई खाने वाले ने स्वाद न पाया

इस मौक़ा पर कहते हैं जब नौकर काम करते करते मरजाते और मालिक ख़ुश ना हो या बीवी काम करती करती मर जाय और मियां को पसंद ना आए-ए-

दादे राज न खाए पान , दाँत दिखावत गए परान

जो शख़्स नई चीज़ दिखाता फिरे उस की निस्बत कहते हैं

रस्सी जल गई ऐंठन न गई

तबाह हो गए परंतु घमंड नहीं गया

दोनों तरफ़ से गए पांडे , इधर हल्वा न उधर माँडे

रुक : दोनों दीन से किए पांडे उलुग़

गू में ढेला डालें न छींटें पड़ें

न दुष्ट या कमीने आदमी से मुक़ाबला न अपमानित हों

कुत्ता देखेगा न भौंकेगा

हरीस और लालची को किसी के माल का पता चल जाये तो ज़रूर उसे खसोटने कीता क में लगेगा, इस लिए दुश्मन के सामने से हिट जाना बेहतर होता है

भई छछूँदर सरप गई उगले बने न खात

रुक : सांप के मुंह में छछूंदर

गाए न आवे बछवे लाज

अपने बच्चे कितने भी कुरूप हों बुरे नहीं लगते

गुर गे दहन आलूदा व यूसुफ़ रा न दरीदा

بے خطا ناحق تہمت میں گرفتار ہوا ، بھیٹے کا من٘ھ بھرا مگر اس نے یوسف کو نہیں پھاڑا ، بدنام کچھ کرے یا نہ کرے الزام اسی پر آتا ہے.

न देखा न भाला सदक़ी गई ख़ाला

दिखावे की मुहब्बत

देखा न भाला सदक़े गई ख़ाला

बिना देखे ही किसी की सुनी सुनाई या मात्र कथन के आधार पर किसी की प्रशंसा करना

छेली जान से गई , खाने वालों को स्वाद न आया

जब किसी की मेहनत की कोई दास ना दे तो कहते हैं, हमारी जान गई आप की अदा ठहरी

चिड़िया की जान गई खाने वाले को मज़ा न मिला

रुक : चिड़िया अपनी जान से गई अलख

बहुतेरा गाओ बजाओ, कौड़ी न पाओ

कैसी ही असीम सेवा करो कुछ हासिल नहीं

हगती गई पादती आई , रोई धुनी न गाला लाई

ख़ौफ़ और परेशानी के आलम में होना , जैसी गई वैसी ही आगई कोई काम ना हुआ

धड़ी भर का सर तो हिला दिया , पैसा भर की ज़बान न हिलाई गई

सर हिला दिया, मुँह से जवाब ना दिया

चिड़िया जी से गई और राजा ने कहा अलौनी खाई

रुक : चिड़िया अपनी जान से अलख

रोते बनेगा न गाए , साहो फिरें मुँह दबाए

किसी नुक़्सान हो जाने की हालत में बोलते हैं कि सदमा हो तो ना रोया जा सकता है ना हिंसा, चप लग जाती है

मैं ने चुक़ंदर बोया और गाजर पैदा हो गई

अनहोनी बात , करना कुछ हो कुछ जाना

धी न बेटी , अधल गई सम्धेती

चाहे कुछ नुक़्सान ना हुआ हो, ख़्वामख़्वाह शोर मचाना

मछ्ली अपनी जान से गई , खाने वालों को मज़ा न आया

रुक : मुर्ग़ी अपनी जान से गई, खाने वालों को मज़ा ना आया, जो ज़्यादा मुस्तामल है

सब से भले हम, न रहे की शादी न गए का ग़म

निश्चिंत आज़ाद व्यक्ति को न किसी की ख़ुशी न दुख या चिंता, वह हर चीज़ से निस्पृह होता है

आए की शादी न गए का ग़म

न किसी चीज़ के मिलने की ख़ुशी है न चले जाने का दुख है, सदैव प्रसन्न रहना

फ़ातिहा न दुरूद खा गए मरदूद

अयोग्य लोग चीजों को बर्बाद कर देते हैं

गए का ग़म, न आए की शादी

किसी के आने जाने की कोई पर्वा नहीं, बेपर्वाई या लाताल्लुक़ी ज़ाहिर करने के लिए कहते हैं

लातों का आदमी बातों से न मानेगा

रुक : लातों के भूत बातों से नहीं मानते जो ज़्यादा मुस्तामल है

जान से गई खाने वाले को मज़ा न आया

इस शख़्स के लिए मस्तसमल जो किसी की ख़िदमत में जान की बाज़ी लगा दे फिर भी इस की क़दर ना हो

अमीर ने गू खाया तो दवा के लए और ग़रीब ने खाया तो पेट भर ने के लिए

कोई बुरा काम अगर किसी धनवान से हो तो उसको अच्छा समझा जाता है और वही काम कोई निर्धन व्यक्ति करे तो उस पर लान-तान की जाती है

जान से गई खाने वाले को मज़ा न मिला

इस शख़्स के लिए मस्तसमल जो किसी की ख़िदमत में जान की बाज़ी लगा दे फिर भी इस की क़दर ना हो

सियाही मू की गई आरज़ू न गई

बुढ़ापे के बावजूद संतोष नहीं हुआ, बुढ़ापे में भी जवानी के शौक़ हैं

नाक न हो तो गू खाएँ

महिलाओं की निंदा में प्रयुक्त, अर्थात अगर इज़्ज़त की परवाह न हो तो ख़राब से ख़राब बैठें

गई जवानी फिर न बाहोरे लाख मलीदा खाओ

जवानी एक दफ़ा जा कर फिर नहीं आती चाहे कुछ करो / ख़ाह कैसी ही ग़िज़ा खाओ

गई जवानी फिर न बाहोरे लाख मलीदा खाओ

जवानी एक दफ़ा जा कर फिर नहीं आती चाहे कुछ करो / ख़ाह कैसी ही ग़िज़ा खाओ

फ़ातिहा न दुरूद मर गए मर्दूद

ऐसे निःसंतान की मृत्यु पर बोला जाता है जो दुष्ट एवं दुर्व्यवहारी भी हो

गई जवानी फिर न बाहो रे लाख मलीदा खाओ

जवानी एक दफ़ा जाकर नहीं आती चाहे कुछ करो

मरते मर गए, चोंचलों से न गए

बेइज़्ज़त होकर भी ग़रूर ना गया

पांडे गए दोनों दीन से , हल्वा मिला न माँडे

ज़्यादा फ़ायदे की हवस में इंसान गिरह से खो बैठता है

आछे दिन पाछे गए पर से किया न हेत, अब पछताए क्या होत जब चिड़ियाँ चुग गईं खेत

जवानी में बुरे काम करता रहा अब पछताने से क्या लाभ

मुर्ग़ी जान से गई खाने वाले को मज़ा न आया

जब कोई किसी की तन-मन से सेवा करे और वो उसकी सेवा से संतुष्ट न हो तो कहते हैं

no go के लिए उर्दू शब्द

no go

no go के देवनागरी में उर्दू अर्थ

विशेषण

  • (तरकीब वस्फ़ी की सूरत में हाइफ़न /ख़त वसली के साथ) मुहाल , ना मुम्किन।

no go کے اردو معانی

صفت

  • (ترکیب وصفی کی صورت میں ہائفن /خط وصلی کے ساتھ) محال ، نا ممکن۔.

खोजे गए शब्द से संबंधित

no go

(तरकीब वस्फ़ी की सूरत में हाइफ़न /ख़त वसली के साथ) मुहाल , ना मुम्किन।

no good

शरारत , फ़साद

no-go area

इलाक़ा-ए-ममनूआ, जहां बगै़र इजाज़त दाख़िला मना हो

नौ-गुल-ख़ंदाँ

वह कली अथवा कोंपल जो अभी-अभी खिली हो, हँसता हुआ ताज़ा फूल

no-good

तौसीफ़ी: बोल चाल: बे कार, फ़ुज़ूल।

नौ-गुट्टी

भूमि पर कुछ ख़ाने बनाकर 9 ठीकरियों या कोड़ियों से खेला जाने वाला एक खेल

नौ-गुल

प्रेमिका

नौ-ग़ुंचगी

(لفظاً) کلی کے تازہ ہونے یا حال میں کھلنے کی حالت ؛ (مجازاً) تازگی ؛ نوجوانی ، کم عمری ۔

न गूह में ढेला डालो, न छींटें पड़ें

ना बुरुँ से मेल जोल रखू ना तुम पर हर्फ़ आए, ना बुरुँ के मुँह लगू ना बरी बातें सुनो

न गू में ईंट डालो, न छीटें पड़ें

ना बुरुँ से मेल जोल रखू ना तुम पर हर्फ़ आए, ना बुरुँ के मुँह लगू ना बरी बातें सुनो

दरोग़ गो रा हाफ़िज़ा न बाशद

a liar has a bad memory

न चढ़े-गा , न गिरे-गा

ना तरक़्क़ी करेगा ना ज़वाल होगा, ऐसा काम क्यों करे जिस में नुक़्सान हो

लाए गा दारा तो खाए गी दारी, न लाए गा दारा तो पड़े गी ख़्वारी

पति कमा कर लाएगा तो पत्नी खाएगी, पति न कमाएगा तो फ़ाक़े होंगे

ऊत गए न जानिये दे गए बाड़

जिस के घर ढनखर लग गए कोई ना रहा और जो शख़्स अपने बुज़ुर्गों के ख़िलाफ़ बदचलन और बदअतवार हुआ वही ओत है

उठ गए न जानिए जो टट्टी दे गए बाड़

जो द्वार पर ताला लगाकर चले गए हों उन्हें मरा नहीं समझ लेना चाहिए, यदि वापस न आना होता तो खुला छोड़ जाते

भूल गई दिन दिहाड़ा , मुंडो ने सेहरा बाँधा

नीच लोगों के संबंध कहते हैं जो अमीर हो जाएँ और अपनी मूलतः स्थिती भूल जाएँ

ग़रीबों ने रोज़े रखे, दिन बड़े हो गए

कमज़ोर और ग़रीब जो काम करता है उस में नुक़्सान ही होता है या मुसीबत में और मुसीबत घेर लेती है

गोसाला-ए-मन पीर शुद व गाऊ न शुद

फ़ारसी कहात उर्दू में मुस्तामल , बढे होगए मगर बचपना ना गया

गोसाला-ए-मा पीर शुद व गाऊ न शुद

फ़ारसी कहात उर्दू में मुस्तामल , बढे होगए मगर बचपना ना गया

ग़रीब ने रोज़े रखे दिन बड़े हो गए

असमर्थ व्यक्ति जो काम करता है उसमें हानि ही होती है या मुसीबत में और मुसीबत घेरती है

चिड़िया अपनी जान से गई लड़का ख़ुश न हुआ

इस मौक़ा पर कहते हैं जब नौकर काम करते करते मरजाते और मालिक ख़ुश ना हो या बीवी काम करती करती मर जाय और मियां को पसंद ना आए-ए-

चिड़िया अपनी जान से गई खाने वाले ने स्वाद न पाया

इस मौक़ा पर कहते हैं जब नौकर काम करते करते मरजाते और मालिक ख़ुश ना हो या बीवी काम करती करती मर जाय और मियां को पसंद ना आए-ए-

दादे राज न खाए पान , दाँत दिखावत गए परान

जो शख़्स नई चीज़ दिखाता फिरे उस की निस्बत कहते हैं

रस्सी जल गई ऐंठन न गई

तबाह हो गए परंतु घमंड नहीं गया

दोनों तरफ़ से गए पांडे , इधर हल्वा न उधर माँडे

रुक : दोनों दीन से किए पांडे उलुग़

गू में ढेला डालें न छींटें पड़ें

न दुष्ट या कमीने आदमी से मुक़ाबला न अपमानित हों

कुत्ता देखेगा न भौंकेगा

हरीस और लालची को किसी के माल का पता चल जाये तो ज़रूर उसे खसोटने कीता क में लगेगा, इस लिए दुश्मन के सामने से हिट जाना बेहतर होता है

भई छछूँदर सरप गई उगले बने न खात

रुक : सांप के मुंह में छछूंदर

गाए न आवे बछवे लाज

अपने बच्चे कितने भी कुरूप हों बुरे नहीं लगते

गुर गे दहन आलूदा व यूसुफ़ रा न दरीदा

بے خطا ناحق تہمت میں گرفتار ہوا ، بھیٹے کا من٘ھ بھرا مگر اس نے یوسف کو نہیں پھاڑا ، بدنام کچھ کرے یا نہ کرے الزام اسی پر آتا ہے.

न देखा न भाला सदक़ी गई ख़ाला

दिखावे की मुहब्बत

देखा न भाला सदक़े गई ख़ाला

बिना देखे ही किसी की सुनी सुनाई या मात्र कथन के आधार पर किसी की प्रशंसा करना

छेली जान से गई , खाने वालों को स्वाद न आया

जब किसी की मेहनत की कोई दास ना दे तो कहते हैं, हमारी जान गई आप की अदा ठहरी

चिड़िया की जान गई खाने वाले को मज़ा न मिला

रुक : चिड़िया अपनी जान से गई अलख

बहुतेरा गाओ बजाओ, कौड़ी न पाओ

कैसी ही असीम सेवा करो कुछ हासिल नहीं

हगती गई पादती आई , रोई धुनी न गाला लाई

ख़ौफ़ और परेशानी के आलम में होना , जैसी गई वैसी ही आगई कोई काम ना हुआ

धड़ी भर का सर तो हिला दिया , पैसा भर की ज़बान न हिलाई गई

सर हिला दिया, मुँह से जवाब ना दिया

चिड़िया जी से गई और राजा ने कहा अलौनी खाई

रुक : चिड़िया अपनी जान से अलख

रोते बनेगा न गाए , साहो फिरें मुँह दबाए

किसी नुक़्सान हो जाने की हालत में बोलते हैं कि सदमा हो तो ना रोया जा सकता है ना हिंसा, चप लग जाती है

मैं ने चुक़ंदर बोया और गाजर पैदा हो गई

अनहोनी बात , करना कुछ हो कुछ जाना

धी न बेटी , अधल गई सम्धेती

चाहे कुछ नुक़्सान ना हुआ हो, ख़्वामख़्वाह शोर मचाना

मछ्ली अपनी जान से गई , खाने वालों को मज़ा न आया

रुक : मुर्ग़ी अपनी जान से गई, खाने वालों को मज़ा ना आया, जो ज़्यादा मुस्तामल है

सब से भले हम, न रहे की शादी न गए का ग़म

निश्चिंत आज़ाद व्यक्ति को न किसी की ख़ुशी न दुख या चिंता, वह हर चीज़ से निस्पृह होता है

आए की शादी न गए का ग़म

न किसी चीज़ के मिलने की ख़ुशी है न चले जाने का दुख है, सदैव प्रसन्न रहना

फ़ातिहा न दुरूद खा गए मरदूद

अयोग्य लोग चीजों को बर्बाद कर देते हैं

गए का ग़म, न आए की शादी

किसी के आने जाने की कोई पर्वा नहीं, बेपर्वाई या लाताल्लुक़ी ज़ाहिर करने के लिए कहते हैं

लातों का आदमी बातों से न मानेगा

रुक : लातों के भूत बातों से नहीं मानते जो ज़्यादा मुस्तामल है

जान से गई खाने वाले को मज़ा न आया

इस शख़्स के लिए मस्तसमल जो किसी की ख़िदमत में जान की बाज़ी लगा दे फिर भी इस की क़दर ना हो

अमीर ने गू खाया तो दवा के लए और ग़रीब ने खाया तो पेट भर ने के लिए

कोई बुरा काम अगर किसी धनवान से हो तो उसको अच्छा समझा जाता है और वही काम कोई निर्धन व्यक्ति करे तो उस पर लान-तान की जाती है

जान से गई खाने वाले को मज़ा न मिला

इस शख़्स के लिए मस्तसमल जो किसी की ख़िदमत में जान की बाज़ी लगा दे फिर भी इस की क़दर ना हो

सियाही मू की गई आरज़ू न गई

बुढ़ापे के बावजूद संतोष नहीं हुआ, बुढ़ापे में भी जवानी के शौक़ हैं

नाक न हो तो गू खाएँ

महिलाओं की निंदा में प्रयुक्त, अर्थात अगर इज़्ज़त की परवाह न हो तो ख़राब से ख़राब बैठें

गई जवानी फिर न बाहोरे लाख मलीदा खाओ

जवानी एक दफ़ा जा कर फिर नहीं आती चाहे कुछ करो / ख़ाह कैसी ही ग़िज़ा खाओ

गई जवानी फिर न बाहोरे लाख मलीदा खाओ

जवानी एक दफ़ा जा कर फिर नहीं आती चाहे कुछ करो / ख़ाह कैसी ही ग़िज़ा खाओ

फ़ातिहा न दुरूद मर गए मर्दूद

ऐसे निःसंतान की मृत्यु पर बोला जाता है जो दुष्ट एवं दुर्व्यवहारी भी हो

गई जवानी फिर न बाहो रे लाख मलीदा खाओ

जवानी एक दफ़ा जाकर नहीं आती चाहे कुछ करो

मरते मर गए, चोंचलों से न गए

बेइज़्ज़त होकर भी ग़रूर ना गया

पांडे गए दोनों दीन से , हल्वा मिला न माँडे

ज़्यादा फ़ायदे की हवस में इंसान गिरह से खो बैठता है

आछे दिन पाछे गए पर से किया न हेत, अब पछताए क्या होत जब चिड़ियाँ चुग गईं खेत

जवानी में बुरे काम करता रहा अब पछताने से क्या लाभ

मुर्ग़ी जान से गई खाने वाले को मज़ा न आया

जब कोई किसी की तन-मन से सेवा करे और वो उसकी सेवा से संतुष्ट न हो तो कहते हैं

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