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मुझ-को

मेरे स्वयं के प्रति, मुझे, मेरे लिए

मुझ को पीटे

(ओ) मेरा मातम करे, मेरा मिरा मुँह देखे, है है करे, हमें खाए, हमारा जनाज़ा देखे , बतौर क़िस्म मुस्तामल

मुझ को पीटो

रुक : मुझ को पीटे

मुझ को पाता है तो छुरी को नहीं पाता

जान का दुश्मन है , क्या करे कुछ बस नहीं चलता यानी जब तक ख़ुदा ना चाहे कोई किसी को नुक़्सान नहीं पहुंचा सकता

मुझ को पाता है तो छुरी को नहीं पाता

किसी के प्रति अपना तीव्र रोष और विद्वेष प्रकट करना

मुझ को पाता है तो हथियार को नहीं पाता

जान का दुश्मन है , क्या करे कुछ बस नहीं चलता यानी जब तक ख़ुदा ना चाहे कोई किसी को नुक़्सान नहीं पहुंचा सकता

मुझ को पाता है तो तलवार को नहीं पाता

जान का दुश्मन है , क्या करे कुछ बस नहीं चलता यानी जब तक ख़ुदा ना चाहे कोई किसी को नुक़्सान नहीं पहुंचा सकता

मुझ को न मारे तो सारे जहाँ को मार आऊँ

कायर या भीरु अथवा झगड़ालू व्यक्ति के लिए व्यंगात्मक तौर पर कहते हैं

मुझ को कोई न मारे तो सारे जहाँ को मार आऊँ

कायर व्यक्ति ख़तरे से डरता है

मुझ को चाहते हो तो मेरे कुत्ते को भी चाहो

अगर मुझ से मुहब्बत है तो मेरी ज़रीत से भी मुहब्बत रखनी होगी

मुझ को बूढ़िया न कहना कोई , मैं तो लाल पलंग पर सोई

रुक : मुझे बढ़िया ना कहो कोई अलख

मुझ जैसे को

मेरे जैसा

तू मुझ को तो मैं तुझ को

जैसा व्यवहार करोगे वैसा तुम्हारे साथ होगा

तुझ को और न मुझ को ठोड़

तुझे दूसरा नहीं मिलता, मुझे दूसरी जगह नहीं मिलती मजबूरन यकजा होने के मौक़ा पर बोलते हैं

छुरी को पाएँ तो मुझ को न पाएँ, मुझ को पाएँ तो छुरी को न पाएँ

किसी के प्रति अपना तीव्र रोष और विद्वेष प्रकट करना

तीसरा मुझ को मार लेगा

बुज़दिली और कमज़ोरी ज़ाहिर करने के मौक़ा पर बोलते हैं

शाबाश तुझ को, तू ने मोह लिया मुझ को

तंज़न कहते हैं जब कोई अपने आप को बहुत बांका समझने लगे

शाबाश मियाँ तुझ को, तू ने मोह लिया मुझ को

व्यंग में कहते हैं जब कोई अपने आप को बहुत बांका समझने लगे

शाबाश बुआ तुझ को, तू ने मोह लिया मुझ को

तंज़न कहते हैं जब कोई अपने आप को बहुत बांका समझने लगे

कोई मुझ को न मारे तो मैं सारे जहान को मारूँ

कायर या भीरु अथवा झगड़ालू व्यक्ति के लिए व्यंगात्मक तौर पर कहते हैं

किसी की आई मुझ को आ जाए

(कोसना) दूसरे की मौत मुझको आ जाए, क्रोध या पीड़ा की स्थिति में अपने आप को बददुआ देना

किसी की आई मुझ को आ जाए

۔(عو) دوسرے کی موت مجھ کو آجائے۔ نہایت غُصّہ یا تکلیف کی حالت میں اپنے آپ کو بد دعا دیتی ہیں۔ ؎

काना मुझ को भाए नहीं, काने बिन सुहाए नहीं

एक व्यक्ति से नफ़रत या घृणा करना और बिना उसके रह भी नहीं सकता

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में मुझ-को के अर्थदेखिए

मुझ-को

mujh-koمُجھ کو

वज़्न : 22

मुझ-को के हिंदी अर्थ

  • मेरे स्वयं के प्रति, मुझे, मेरे लिए

English meaning of mujh-ko

  • to me, me

مُجھ کو کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu
  • میری ذات کو، مجھے، میرے تئیں

Urdu meaning of mujh-ko

  • Roman
  • Urdu

  • merii zaat ko, mujhe, mere ta.ii.n

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मुझ-को

मेरे स्वयं के प्रति, मुझे, मेरे लिए

मुझ को पीटे

(ओ) मेरा मातम करे, मेरा मिरा मुँह देखे, है है करे, हमें खाए, हमारा जनाज़ा देखे , बतौर क़िस्म मुस्तामल

मुझ को पीटो

रुक : मुझ को पीटे

मुझ को पाता है तो छुरी को नहीं पाता

जान का दुश्मन है , क्या करे कुछ बस नहीं चलता यानी जब तक ख़ुदा ना चाहे कोई किसी को नुक़्सान नहीं पहुंचा सकता

मुझ को पाता है तो छुरी को नहीं पाता

किसी के प्रति अपना तीव्र रोष और विद्वेष प्रकट करना

मुझ को पाता है तो हथियार को नहीं पाता

जान का दुश्मन है , क्या करे कुछ बस नहीं चलता यानी जब तक ख़ुदा ना चाहे कोई किसी को नुक़्सान नहीं पहुंचा सकता

मुझ को पाता है तो तलवार को नहीं पाता

जान का दुश्मन है , क्या करे कुछ बस नहीं चलता यानी जब तक ख़ुदा ना चाहे कोई किसी को नुक़्सान नहीं पहुंचा सकता

मुझ को न मारे तो सारे जहाँ को मार आऊँ

कायर या भीरु अथवा झगड़ालू व्यक्ति के लिए व्यंगात्मक तौर पर कहते हैं

मुझ को कोई न मारे तो सारे जहाँ को मार आऊँ

कायर व्यक्ति ख़तरे से डरता है

मुझ को चाहते हो तो मेरे कुत्ते को भी चाहो

अगर मुझ से मुहब्बत है तो मेरी ज़रीत से भी मुहब्बत रखनी होगी

मुझ को बूढ़िया न कहना कोई , मैं तो लाल पलंग पर सोई

रुक : मुझे बढ़िया ना कहो कोई अलख

मुझ जैसे को

मेरे जैसा

तू मुझ को तो मैं तुझ को

जैसा व्यवहार करोगे वैसा तुम्हारे साथ होगा

तुझ को और न मुझ को ठोड़

तुझे दूसरा नहीं मिलता, मुझे दूसरी जगह नहीं मिलती मजबूरन यकजा होने के मौक़ा पर बोलते हैं

छुरी को पाएँ तो मुझ को न पाएँ, मुझ को पाएँ तो छुरी को न पाएँ

किसी के प्रति अपना तीव्र रोष और विद्वेष प्रकट करना

तीसरा मुझ को मार लेगा

बुज़दिली और कमज़ोरी ज़ाहिर करने के मौक़ा पर बोलते हैं

शाबाश तुझ को, तू ने मोह लिया मुझ को

तंज़न कहते हैं जब कोई अपने आप को बहुत बांका समझने लगे

शाबाश मियाँ तुझ को, तू ने मोह लिया मुझ को

व्यंग में कहते हैं जब कोई अपने आप को बहुत बांका समझने लगे

शाबाश बुआ तुझ को, तू ने मोह लिया मुझ को

तंज़न कहते हैं जब कोई अपने आप को बहुत बांका समझने लगे

कोई मुझ को न मारे तो मैं सारे जहान को मारूँ

कायर या भीरु अथवा झगड़ालू व्यक्ति के लिए व्यंगात्मक तौर पर कहते हैं

किसी की आई मुझ को आ जाए

(कोसना) दूसरे की मौत मुझको आ जाए, क्रोध या पीड़ा की स्थिति में अपने आप को बददुआ देना

किसी की आई मुझ को आ जाए

۔(عو) دوسرے کی موت مجھ کو آجائے۔ نہایت غُصّہ یا تکلیف کی حالت میں اپنے آپ کو بد دعا دیتی ہیں۔ ؎

काना मुझ को भाए नहीं, काने बिन सुहाए नहीं

एक व्यक्ति से नफ़रत या घृणा करना और बिना उसके रह भी नहीं सकता

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